Aug 31, 2006

हॅस कर मुझको विदा करो :)

आज के दिन ही मेरा चिठ्ठे पर आगमन हुआ था दो माह पहिले। मै व्‍यक्तिगत कारणो से अनिश्चित काल के लिये अवकाश ले रहा हू इससे अच्‍छा दिन मुझे नही मिलेगा। मैने पहीले कहा था ब्‍लाग पर यह मेरा प्रयोग मात्र था 1 अगस्‍त से मेरी क्‍लासे चालू हो रही है सो मै अब मै न रहूगा और न विवाद अर्थात न रहेगा बास न बजेगी बासुरी। यह मेरा अवकाश है सन्‍यास नही जब भी मौका मिला मै अवश्‍य आऊगा। और मेरा आना मौके पर निर्भर करेगा। इन दो माह मे मैने काफी लोगो को कष्‍ट दिया है वे सभी ये बाते भूल कर आपने कम्‍पुटर के हिन्‍दी प्रेम मे लगे रहे। भगवान आप लोगो की सहायता करे तथा आपस को प्रेम भाब वरकारर रखे मै 1 अगस्‍त से व्‍लाग पर कुछ भी नही लिखना चाहता हू सो कुछ कहना है आज ही लिख रहा हू इस समय रात्रि के 10:55 पर मै कर के लिये कुछ भी नही छोडना चाहता।

मै जा रहा हू शुभ रात्रि

Aug 29, 2006

अल्प ब्लाग जीवन के फटे में पैबँद

फुरसतिया जी का लेख परदे के पीछे-कौन है बे? को पडा लगा कि तो लगा कि छद्म नाम के साथ लेख करना गलत नही है पर नाम नाम लिख कर दूसरो पर टिप्‍पडी करना गलत है नाम न लिखने की परम्‍परा आज की नही है कई लोग इसे निभाते चले आ रहे है। प्रत्‍येक व्‍यक्ति को अपनी बात को कहने का हक है चाहे जैसे हो कह सकता है स्‍वामी जी तथा छाया जी भी अपनी बात सफलता पूर्वक कह रहे है तथा कोई इन लोगो को काई नही जानता है। स्‍वामी जी तो प्रत्‍येक व्‍यक्ति पर मुह फाड के टिप्‍पडी तथा पोष्‍ट कर रहे है तथा हम इनके बेनाम पोष्‍टो को झेल रहे है नाम नही पता है तो इनकी दादा गिरी भी झेलनी पडती है।
अब एक जगह देख लिजिये कि स्‍वामी जी के क्‍या वाक्‍य है :- आप जितना समय यहाँ अपनी समझदारी का प्रदर्शन करने में लगाते रहे हैं उसका एक अंश अपने ब्लाग पर "संस्क्रत" को "संस्कृत" कैसे लिखें वो सीखने पर लगाएं. समय आ गया है की आपके अल्प ब्लाग जीवन के फटे में पैबँद लगानें शुरु करे - शुरुआत खराब की है आपने. यदी अपने पाठकों का सम्मान चाहते हैं तो आपकी छवि और ब्लाग दोनो को सुधारना शुरु करें. यहाँ सब आपके शुभाकाँक्षी ही हैं। स्‍वामी जी को उन्‍हे दूसरो का संस्क्रत गलत लगता है जबकि कि यदि का यदी लिखा है वह गलत नही लगता। तुलसी दास जी ने स्‍वामी जी जैसे लोगो के लिये ठीक ही समरथ को नही दोष गोसाईं!!" स्‍वामी जी आप तो समर्थवान है उनसे कहां गलती होने वाली है गलती तो हम लोग ही करते है और हमे ही अल्प ब्लाग जीवन के फटे में पैबँद लगानें पडेगे स्‍वामी जी लोग तो समर्थवान हे अच्‍छा लिखे या खराब लोग पडेगे भी तथा टिप्‍पडी भी करेगे और वाह वाह भी ।
छिपकर लिखने का मतलब है कि आप दूसरो को भला बुरा कहते है किन्‍तु नाम इस लिये छिपाते है कोई दूसरा आपके नाम को लेकर आक्षेप न करे। छद्म नाम से लेख लिखने का मतलब है कि या तो आप मनत्री है, राजनेता है, अधिकारी है या आंतकी है जो नाम छिपाने की जरूरत है। मै तो यही कहूगा कि छिप कर लेख करने तो ठीक है पर छद्म नाम का सहारा किसी पर व्‍ययक्तिगत टिप्‍पडी नही करनी चाहिये।
हमे तो जुम्‍मा जुम्‍मा आये 4 दिन ही हुआ है और अभी तो पैबन्‍द लगाने का समय है सो तो हम लगायेगे ही और ऐसा ही चलता रहा तो वक्‍त आपका भी आयेगा।

Aug 17, 2006

Aug 7, 2006

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