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By फ़ुरसतिया on September 30, 2010
गत 25 सितंबर को कन्हैयालाल नंदनजीका लम्बी बीमारी के बाद दिल्ली में निधन हो गया। न जाने कितनी यादें हैं उनसे जुड़ी। कुछ संस्मरण पहले लिखे हैं। उनके लिंक दिये हैं नीचे। आगे कभी और लिखने का प्रयास करूंगा। अभी उनके बारे में ज्ञानरंजन जी का लिखा एक संस्मरण देखिये। ज्ञानरंजन जी और नंदनजी साथ [...]
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By फ़ुरसतिया on April 19, 2010
कल दिन भर पुराने कैसेट खोजकर कवितायें सुनी। स्व. रमानाथ अवस्थी जी की एक कविता मैं बहुत दिनों से खोज रहा था। कैसेट मिल नहीं रहा था बहुत दिनों से। कल एक बार फ़िर खोजा तब मिल ही गया। इस कैसेट में स्व. रमानाथ अवस्थी जी की कविता : आज इस वक्त आप हैं लेकिन, [...]
Posted in कविता, पाडकास्टिंग, मेरी पसंद | Tagged जिन्दगी, नदी, बह, रमानाथ अवस्थी, साथ |
By फ़ुरसतिया on March 25, 2010
कुछ दिन पहले हमारी श्रीमतीजी ने अपने बगीचे की कुछ फ़ोटुयें खींची। आइये आपको भी दिखाते हैं! नीचे लगाई हैं! देखिये एक-एक कर करके। आराम से। हड़बड़ाइये नहीं! फ़ोटुयें भाग नहीं रही हैं। सिर्फ़ सरक रही हैं आगे की तरफ़ लेकिन आप जिसको चाहेंगे वह रुक भी जायेंगी। बड़ी अनुशासित च आज्ञाकारी फोटूयें हैं! लेकिन [...]
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By फ़ुरसतिया on March 2, 2010
होली आवत देखकर ,ब्लागरन करी पुकार, भूला बिसरा लिख दिया,अब आगे को तैयार। पिचकारी ने उचक के, रंग से कहा पुकार, पानी संग मिल जाओ तुम, बनकर उड़ो फुहार। कीचड़ में गुन बहुत हैं, सदा राखिये साथ, बिन पानी बिन रंग के ,साफ कीजिये हाथ। रंग सफेदा भी सुनो ,धांसू है औजार, पोत सको यदि [...]
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By फ़ुरसतिया on February 27, 2010
तीन दिन पहले ऑफ़िस में बैठे थे। पता चला सचिन 186 पर खेल रहे हैं। काम भर की शाम हो गयी थी। घर चले आये। टेलीविजन के सामने पसर गये। धोनी अपना बचपना दिखा रहे थे। हां यह बचपना ही है भाई! दूसरे छोर पर आपके साथी द्वारा इतिहास बनने का इंतजार सारा देश कर [...]
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