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Thursday, January 24, 2008

वार्षिक संगीतमाला २००७ : पायदान १६ - रोज़ाना जिये रोज़ाना मरें...तेरी यादों में हम..

वार्षिक संगीतमाला की इस पायदान पर गीत वो, जिसे पहले तो मैंने रखा था बीसवीं सीढ़ी पर बार-बार सुनने के बाद ये और ज्यादा अच्छा लगने लगा। इस गीत के साथ ही एक नई तिकड़ी का आगमन हो रहा है इस गीतमाला में। ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि ये गीत, इस साल के सबसे रूमानी गीतों में एक है। इसके बोलों को लिखा चंडीगढ़ के युवा गीतकार मुन्ना धीमन ने। मुन्ना बचपन से ही लेखन में रुचि लेते आए हैं। नाटकों के लिए स्क्रिप्ट से लेकर कैडबरी के एड जिंगल तक की रचना उन्होंने की है।

इस गीत में कहीं कोई बनावटीपन नहीं दिखता। बस निश्चल प्रेम में कहे गए सीधे सच्चे से शब्द जो सीधे दिल पर जाकर लगते हैं और इसलिए असरदार साबित होते हैं।

पर मुन्ना के बोलों को अपनी गहरी संवेदनशील आवाज़ से सँवारा है अमिताभ बच्चन ने। अमिताभ के गाए गंभीर गीतों में मुझे 'सिलसिला ' का उनका गाया गीत नीला आसमान सो गया.... सबसे ज्यादा पसंद है। इस गीत को नीचे के सुरों से जैसे उन्होंने ऊपर की ओर उठाया है वो मन को छू लेता है। अपनी गायिकी में अमिताभ ने मुन्ना के भावों को यथासंभव उभारने की कोशिश की है।

इस गीत के साथ ही पहली बार इस साल आए हैं विशाल भारद्वाज इस गीतमाला में। विशाल ने पिछले साल ओंकारा में अपने बेमिसाल संगीत से सारे सुधी संगीत प्रेमियों का दिल जीत लिया था। विशाल इस गीत के बारे में कहते हैं
"कि जब इस गीत की रिकार्डिंग चल रही थी तो अमित जी ने कहा कि विशाल, तुम्हारे सामने मैं ये गीत गाने में असहज महसूस करूँगा इसलिए तुम स्टूडियो के बाहर ही बैठो।"

विशाल का मत है कि जिस खूबसूरती से अमित जी ने इस गीत को निभाया है कि उन्हें अन्य सितारों के लिए भी पार्श्व गायन करना चाहिए।

किसी ऐसे शख्स जिससे हमने कभी बेइंतहा मोहब्बत की हो, उसे जिंदगी से भौतिक रूप से अलग करना जितना सहज है, उतना ही कठिन है उसे अपनी यादों से जुदा करना। सोते जागते जिंदगी के हर लमहे में वो चेहरा मंडराता ही रहता है। किस हद तक हम इन यादों में डूबते चले जाते हैं वो आप इस गीत के लफ़्जों में महसूस कर सकते हैं
रोज़ाना जिये रोज़ाना मरें
तेरी यादों में हम...तेरी यादों में हम
रोज़ाना...

उंगली तेरी थामे हुए हर लमहा चलता हूँ मैं
उंगली तेरी थामे हुए हर लमहा चलता हूँ मैं
तुझको लिए घर लौटूँ और, घर से निकलता हूँ मैं
इक पल को भी जाता नहीं तेरे बिन कहीं
यूँ रात दिन, बस तुझमें ही, बस तुझमें ही
लिपटा रहता हूँ मैं
रोज़ाना...रोज़ाना...रोज़ाना..रोज़ाना

रोज़ाना जिये रोज़ाना मरें...
रोज़ाना जलें रोज़ाना घुलें
तेरी यादों में हम...तेरी यादों में हम
रोज़ाना...रोज़ाना...रोज़ाना..हम्म..रोज़ाना

हर दिन तेरी, आँखों से इस, दुनिया को तकता हूँ मैं
तू जिस तरह, रखती थी घर, वैसे ही रखता हूँ मैं
तेरी तरह, संग संग चलें, यादें तेरी
यूँ हर घड़ी, बातों में बस, बातों में तेरी
गुम सा रहता हूँ मैं
रोज़ाना...

कुछ गाऊँ तो याद आते हो
गुनगुनाऊँ तो याद आते हो
कुछ पहनूँ तो याद आते हो
कहीं जाऊँ तो याद आते हो
कुछ खोने पे याद आते हो
कुछ पाऊँ तो याद आते हो

रोज़ाना चले, यादों पर तेरी
ज़िंदगी का सफ़र....
तुझसे है रोशन, तुझसे है जिंदा
ये दिल का शहर... ये दिल का शहर..
रोज़ाना..रोज़ाना..रोज़ाना.........
तो आइए सुनें फिल्म निशब्द से लिया हुआ ये भावपूर्ण गीत



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