गुदगुदी
मेरा पोता रोज़ रात में सोने से पहले मुझसे गले मिल कर ‘गुड नाइट’ कहने आता है। वह तब तक मुझसे लिपटा रहता है जब तक मैं उसे गुदगुदी न करूँ। इस गुदगुदी से वह कसमसाता है और हँसते हुए ‘गुड नाइट’ कह कर चला जाता है। यह प्रक्रिया सुबह भी चलती है जब वह उठ कर ‘गुड मार्निंग’ कहता है।
गुदगुदी का चलन प्राचीन काल से चलता आ रहा है, भले ही उसका नामकरण संस्कार न किया गया हो। कृष्ण ने सुदामा को परोक्ष रूप से गुदगुदी ही तो की थी जब उन्होंने बिन बताए ही सुदामा को धन-धान्य से सम्पन्न कर दिया था। ज़रा सोचिए कि झोंपड़ी के स्थान पर महल को देख कर सुदामा को कितनी गुदगुदी हुई होगी। इस गुदगुदी से उनके सारे बदन में झुरझुरी फैल गई होगी।
हाँ, कभी ऐसी गुदगुदी प्राण घातक भी हो सकती है। कल्पना कीजिए कि यदि सुदामा का हृदय कमज़ोर होता तो इस गुदगुदी से हार्ट फ़ेल का खतरा भी हो सकता था। प्रत्यक्ष रूप से हम देख सकते हैं कि जिनकी आँखें कमज़ोर हैं, उन्हें गुदगुदी करने पर आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं। बेचारे कमज़ोर हृदयी की गति तो चिकनहृदयी ही बेहतर जान सकता है।
गुदगुदी करते समय उस व्यक्ति के शारीरिक और मौखिक हालत तो देखने लायक होती है। उसका शरीर कई मोड़ ले लेता है जैसे किसी पहाडी की पगडंडी हो और मुखमुद्रा सुबह की लाली लगने लगती है। यदि व्यक्ति मोटा हुआ तो उसकी तोंड किसी बिश्ती की थैली की तरह थुलथुल हिलती रहती है।
गुदगुदी करते हैं तो हँसी आ ही जाती है। हँसी भी कई प्रकार की होती है। यह उस व्यक्ति पर निर्भर होता है कि वह किस प्रकार की हँसी का मालिक है।
जो व्यक्ति हश्शाश-बश्शाश है, वह तो बिना गुदगुदाए भी हँसता रहता है। गुदगुदी पर उसकी हालत का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है। दूर से ही उँगलियाँ हिलाने पर वह हँसना शुरू कर देगा और गुदगुदी कर दी तो वह लोट-पोट हो जाएगा। समाचार पत्र में कभी पढ़ा भी था कि एक व्यक्ति हँसते-हँसते मर गया। ऐसी गुदगुदी को निश्चय ही ‘घातक गुदगुदी’ का विशेषण जड दिया जा सकता है। अच्छा हो कि हम ऐसी गुदगुदी से बचें और अपनी उँगलियाँ ऐसे व्यक्ति की ओर बढ़ाने के पहले उसकी मेडिकल रिपोर्ट जाँच लें।
संजीदा मिजाज़ वाला केवल मुस्कुरा देगा। शायद उसके दाँत भी देखने को न मिले। ऐसे व्यक्ति की पत्नी की दयनीय हालत पर केवल दया ही व्यक्त कर सकते हैं जो अपने पति की एक इंच मुस्कान देखने के लिए तड़पती होगी।
यदि यह पढ़कर आपके मन में गुदगुदी हुई तो यह समझ लीजिए कि मेरे चेहरे पर दो इंच मुस्कान दौड़ गई है॥