Friday, November 13, 2009

चर्चा विज्ञान आधारित चिठ्ठों की

नमस्कार, चिठ्ठाचर्चा के विज्ञान चर्चा के अंक में मैं लवली आपका हार्दिक अभिनंदन करती हूँ. चिठ्ठाचर्चा की १०००वीं पोस्ट पूरी होने की ख़ुशी में अनूप जी ने पोस्ट लिखी. मैंने आदतन उसपर विज्ञान चर्चा के लिए किसी को नियुक्त करने के लिए कहा क्योंकि कई विज्ञान आधारित चिठ्ठे चर्चाकार की नजरों में आने से छूट जाते थे. अनूप जी ने मेरी टिप्पणी के जवाब को सवालनुमा बनाते हुए मुझे जवाब दिया "विज्ञान चर्चा लवली करेंगी?"

मैं बहुत अनियमित ब्लॉगर हूँ, पर और कोई नाम ऐसा दिखा नहीं कि जिसे लेकर जिम्मेवारी उठाने से बचूं ..और विज्ञान प्रचार-प्रसार का मौका भी नही छोड़ना चाहती थी इसलिए अनियमितता की शर्त के साथ तैयार हो गई.

आज की चिठ्ठा चर्चा पोस्टों पर कम चिठ्ठों पर अधिक...अगर आपका कोई विज्ञान विषयक चिठ्ठा है, जिसकी चर्चा आप यहाँ चाहते हैं, तो कृपया टिप्पणी में लिंक देने का कष्ट करें. मैं अपनी जानकारी के अनुसार जिन चिठ्ठों को अब तक पढ़ती आई हूँ उनका उल्लेख करके आज से विज्ञान चर्चा आरंभ कर रही हूँ.


सबसे पहले विज्ञान को लोकप्रिय बनाने वाले चिठ्ठे तस्लीम की नई पोस्ट - बहुत घातक सिद्ध हो रहा है प्रेमचन्द का सांप काटने का “मंत्र” ...फिर हिन्दी ब्लॉगर्स के लिए दो अवार्ड- नामिनेशन खुला है, साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन द्वारा.

अगर आपकी रूचि विज्ञान कथाओं और फंतासी में है तो आपके लिए कल्किआन हिंदी अच्छी जगह हो सकती है...वैसे एक हास्य विज्ञान कथा "प्लैटिनम की खोज" यहाँ भी चल रही है लिखने वाले हैं जीशान जैदी जी जिन्हें रूचि है, देख सकते हैं. यह है शरद जी का ब्लॉग "न जादू न टोना" सिर्फ अन्धाविश्वाशों के विरुद्ध एक सार्थक प्रयास .. अंतिम पोस्ट है -"मुझे कर्णपिशाचिनी की सिद्धी प्राप्त है।".

डाक्टर प्रवीण जी महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर से बचाव की जानकारी दे रहे हैं मीडिया डाक्टर में. मेरी सिफ़ारिश है महिलाएं जरुर पढें.

वैसे यह विज्ञान का मामला सीधे - सीधे नही है, पर विज्ञान किसलिए है, इसलिए की प्रकृति को मानव के अनुकूल बना सके..तो आप यह पोस्ट अवश्य पढ़े और सोंचिए की प्रकृति का अंधाधुंध दोहन किस कगार पर ले जाता है मानव को... चिठ्ठा है इयत्ता-प्रकृति. प्रकृति से ही संबधित यह है बाल सुब्रमण्यम जी का चिठ्ठा कुदरतनामा जिसकी अंतिम पोस्ट है - "गिद्धों को खाते हैं बपाटला के लोग" उसके बाद अपडेट नही हुआ..

जाते -जाते एक जरुरी बात पंकज अवधिया जी का चिठ्ठा बड़े दिनों से अपडेट नही हुआ ..वे अक्सर वैज्ञानिक खोजों के बहाने जेब साफ करने वाले उपक्रमों पर लिखते थे....कोई भाई -बंधु उनके बारे में जानकारी दे सके तो आभारी रहूंगी.

आज के लिए इतना ही फिर मिलते हैं अगली विज्ञान चर्चा में....आपका दिन शुभ हो.

40 comments:

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) ने कहा…

बहुत खूब.. शायद विज्ञान चर्चा को पहली बार देख रहा हूं और एक साथ इतने बेशकीमती लिंक्स पाकर खुद को पाठन की दृष्टि से समृद्ध महसूस कर रहा हूं.. आपकी अगली चर्चा का इंतजार है

हैपी ब्लॉगिंग

Anil Pusadkar ने कहा…

अच्छा प्रयास है लवली जी। आपको और अनूप जी के साथ-साथ चर्चाकार मंडली को बहुत बहुत बधाई।विज्ञान चर्चा का सिलसिला जारी रहना चाहिये।

मसिजीवी ने कहा…

चर्चाकार मंडली में स्‍वागत है विज्ञान आधरित चिट्ठों पर केंद्रित चर्चा भली रहेगी बस उम्‍मीद यही है कि ज्‍योंतिष, होली काऊ आदि अंधविश्‍वासों के विरुद्ध जाग्रति फैलाने में इससे मदद मिलेगी क्‍योंकि हाल में इस तरह की प्रवृत्तियों में बढ़ोतरी देखी गई है

संजय बेंगाणी ने कहा…

आपका स्वागत है.


एक बात गाँठ बाँध लें, फुरसतियाजी के आगे मूँह न खोलें :) फँस गई ना. :)

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

लवली जी, आपको यहाँ देखकर बहुत खुशी हुई। अनुरोध है कि यथासम्भव नियमित रहने की कोशिश करें।

थोड़ा आश्चर्य हो रहा है कि आपने इन दो चिठ्ठों का जिक्र क्यों नहीं किया। १. सांई ब्लॉग -डॉ.अरविन्द मिश्र २. भारतीय भुजंग- लवली कुमारी

~ऒफिस में थोड़ी दिक्कत है इसलिए लिंक नहीं दे पा रहा हूँ। आशा है आप यह काम अपनी टिप्पणी द्वारा करेंगी।

लवली कुमारी / Lovely kumari ने कहा…

@सिद्धार्थ जी इन दोनों की अंतिम पोस्ट बहुत पुरानी है इसलिए जिक्र नही किया..आगे करुँगी जैसे ही अपडेट होंगे...वैसे भुजंग मेरी ही चिठ्ठा है. मैंने अपने ब्लॉग में चल रहे मनोविज्ञान वाले लेखों का जिक्र नही किया..उन्मुक्त जी के द्वारा लिखे (विज्ञान विषयक )किसी ब्लॉग पोस्ट का जिक्र नही किया ...अभी आगे मौके आएँगे धीरज धरें.

कुश ने कहा…

चर्चा मंडली में आपका स्वागत है.. विज्ञानं विषयों पर आधारित चर्चा बहुत ही रुचिकर रहेगी..
आज की चर्चा में जो लिंक्स मिले वो वाकई में बहुत काम के है.. इस तरह की चर्चा होती रहनी चाहिए.. बहुत बधाई

रचना ने कहा…

लवली क्या बात हैं एक तो नारी ऊपर से विज्ञान की चर्चा , सारे भ्रम टूट रहे हैं । इस मंच पर १००० नम्बर की पोस्ट कविता की थी अच्छा लगा था उस दिन भी और आज तुमको यहाँ देख कर बहुत बढिया लग रहा हैं । संख्या बढ़ रही हैं हमारी इस मंच पर और उसके साथ साथ सीरियस बातो पर विचार भी बढ़ रहा हैं । इस मंच का विस्तार हो गया हैं अब ऐसा लग रहा हैं ।
और @मसिजीवी
विज्ञान के साथ साथ ज्योतिष की भी चर्चा हो और एक दूसरे के मतों को काटा जाए तो रुढिवादिता नहीं बढ़ सकती हम ये कहने वाले कौन हैं की ज्योतिष आधरित ब्लोग्स की चर्चा ना की जाए । अब हमारे ब्लॉग परिवार के लोग नारियों की नख शिख की चर्चा और नायिका भेद की चर्चा करते हैं उस से तो ज्योतिष के ब्लॉग कुछ बेहतर ही हैं !!!!!!

लवली कुमारी / Lovely kumari ने कहा…

@मसिजीवी जी मेराविषय विज्ञान चर्चा है, न की आस्था पर तर्क ..मेरे हिसाब से यह दुनिया की सबसे बड़ी बेवकूफी है की आस्था पर तर्क किए जाएँ .. चाहें वह आस्था विज्ञान को लेकर ही हो .. आशा है मेरा मंतव्य आपको स्पस्ट हुआ होगा.

रंजना [रंजू भाटिया] ने कहा…

स्वागत है बहुत अच्छी शुरुआत है ..आरम्भ अच्छा किया है आपने लवली जी शुक्रिया

कुश ने कहा…

ek blog ka link

http://currentaffairs-world.blogspot.com/2009/11/blog-post_11.html

eSwami ने कहा…

बहुत बढिया. सार्थक चर्चा.

बस चर्चा में पैराग्राफ़्स छोटे रखें और उन्हे एक अतिरिक्त लाईन ब्रेक द्वारा अलग अलग रखें - पढने मे आसान लगता है. "स" और "श" का ध्यान भी [सिफ़ारिस=सिफ़ारिश].

लवली कुमारी / Lovely kumari ने कहा…

@ eSwami ..धन्यवाद मित्र.

श्रीश पाठक 'प्रखर' ने कहा…

पहली बधाई तो नवीन विचार के लिए, दूसरी बधाई इसे क्रियान्वित करने के लिए और अनगिन बधाई प्रस्तुतीकरण के लिए...

संगीता पुरी ने कहा…

आपको बधाई !!

रंजन ने कहा…

बधाई.. एक और आयाम.. चिट्ठा चर्चा में.. बहुत खुब..

अजित वडनेरकर ने कहा…

स्वागत है लवली और विज्ञान चर्चा का। चिट्ठाचर्चा परिवार को 1000 वीं पोस्ट की विलम्बित बधाइयां। अनूपजी और सक्रिय चिट्ठाकार इस मंच को लगातार जीवंत रखे हुए हैं। अपनी तमाम व्यस्तताओं के बीच संवाद और चर्चा के इस प्लेटफार्म पर यूं रौनक बनाए रखना बड़ी बात है। सातत्य के लिए लगातार प्रयत्नशील रहने के लिए सर्वश्री टाईप का साधुवाद हम अनूपजी फुरसतिया को देते हैं:)

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने कहा…

यह प्रयोग तो बहुत बढ़िया रहा!

डा. अमर कुमार ने कहा…
यह पोस्टलेखक के द्वारा निकाल दी गई है.
डा. अमर कुमार ने कहा…


तो.. लवली पकड़ाइये गयीं ?
चर्चामँच पर यह बहुत लवली पहल है,
मैं तो एक समर्पित विज्ञानचर्चा आरँभ किये जाने की अपेक्षा कर रहा था ।
यहाँ भी बड़े ज्ञानवर्धक लिंक का सँकलन है । निजी कारणों से फिलहाल सभी लिंक अभी तो पकड़ न पाऊँगा, पर इसे बुकमार्कित सनद के फोल्डर में सहेज लिया है । मुझ जैसे साण्ड के लिये ज़ुगाली करने की अच्छी ख़ुराक है ।
यदि लवली अनियमित और सुविधापूर्ण अप्रत्याशित चर्चा की बजाय माह का अँतिम या कोई भी शनिवार पूरे माह के विज्ञान चिट्ठों की चर्चा के लिये निर्धारित कर सकें, तो वह प्रतीक्षित चर्चा का विशिष्ट स्थान पा सकेगा । वैसे ई-स्वामी का निर्देशन भी बहुत ही समीचीन है ।

Raviratlami ने कहा…

1000 वीं पोस्ट की पहली, ख़ास उपलब्धि. बधाइयाँ. शुभकामनाएँ.

गौतम राजरिशी ने कहा…

चिट्ठा-चर्चा का नया आयाम...बधाई!

cmpershad ने कहा…

ज्योतिष भी एक शास्त्र है और शास्त्र का अर्थ होता है विज्ञान। इस शास्त्र में भी एक नारी [संगीता पुरी जी] अच्छा कार्य कर रही है, अपने ब्लाग के माध्यम से। रही बात इसे ज्ञान-विज्ञान मानने-नमानने की, तो उसे पाठक पर छोड़ दिया जाय। इस पर चर्चा हो...बह्स नहीं :)

लवली कुमारी की लवली चर्चा के लिए बधाई॥

डॉ .अनुराग ने कहा…

प्रयास सुखद है ....पर अब भी मै यही चाहूंगा के कोई भी चिटठा किसी अंग्रेजी भाषा का महज़ अनुवाद न हो ...उसमे विषय से सम्बंधित तमाम जानकारी हो....उदारहण के लिए अगर आप गूगल में चिकन पोक्स टाइप करके डालेगे .हिंदी पन्ने पर उससे सम्बंधित जानकारी आ जायेगी ....लोग समझते है के अपने बच्चे को इसके टीके लगवा देने से ही उनका बच्चा कभी इस रोग को नहीं पकडेगा ....जबकि असल में ऐसा है नहीं.....अब वेक्सिन को बनाने वाली कम्पनिया कहती है के चिकन पोक्स की सीवीयरटी कम होगी......उसके मुताबिक शरीर के एक हिस्से से अमूमन ये फैलना शुरू होता है ....पर पिछले दो सालो में खास तौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश्मे हाथ से भी इसकी शुरुआत देखी गयी है ..
..कहने का मतलब है नेट ने हमें एक सुविधा दी है .एक चाभी भी....हर विषय के अलग लग साइट है....हर ब्रांच की .सभी एक्सपर्ट नयी नयी तकनीक के लिए इसका इस्तेमाल करते है ......यहां तक की डिस्कवरी चैनल की भी साईट है...यानी विषय को चुनने ओर उसके बारे में लिखने में शायद अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता होगी....अब आप देखिये सुप्रीम कोर्ट का डिसीज़न है के विज्ञापन वाले कोई भी ऐसा दावा पेश नहीं कर सकते जो उपभोक्ता को भ्रमित करे......फिर भी फेयर एंड लवली को करोडो का टर्न ओवर है ....

हिमांशु । Himanshu ने कहा…

विज्ञान आधारित चिट्ठों की चर्चा का यह प्रारंभ सुखद है । लवली जी कर रही हैं-उचित ही है । वैसे सच में साईं ब्लॉग का उल्लेख इसमें नहीं ।

आशा है यह चर्चा नियमित और क्रमशः और अधिक उपयोगी सिद्ध होगी ।

उन्मुक्त ने कहा…

यह एक अच्छा कदम है। मुझे बहुत समय से लगता था कि चिट्टाचर्चा का स्वरूप बदलना चाहिये। कई बार यह कार्य मैंने स्वयं शुरू करने की सोची पर समयाभाव के कारण नहीं कर पाया।
रचना जी ठीक कह रहीं हैं,'एक तो नारी ऊपर से विज्ञान की चर्चा , सारे भ्रम टूट रहे हैं।'
इस शुभ कार्य के लिये बधाई।

Udan Tashtari ने कहा…

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Udan Tashtari ने कहा…

अच्छा कदम.चर्चाकार मंडली में स्‍वागत है.शुभकामनाएँ.

'अदा' ने कहा…

बहुत अच्छा प्रयास..
बधाई..

MANOJ KUMAR ने कहा…

BAHUT ACHCHHI CHARCHA.

Smart Indian - स्मार्ट इंडियन ने कहा…

लवली जी और विज्ञान चर्चा का स्वागत है। अभी मैं इतना ही कहूंगा कि डॉ. अनुराग की सलाह पर ध्यान दिया जाये।

समय ने कहा…

लवली कुमारी जी,
बेहतर शुरूआत, परंतु यह गंभीर उद्देश्यों के लिए नाकाफ़ी है।

कुछ चिट्ठा चर्चाओं से करीब से गुजरा हूं, पर एक कमी अखरती रही है। इसका इशारा अभी तक नहीं कर पाया कहीं, आज लग रहा है किया जा सकता है।

अगर चिट्ठों की चर्चा सिर्फ़ लिंकों का समेकित प्रस्तुतिकरण मात्र रह जाती है, तो यह एक सुविधा तो प्रस्तुत कर रही होती है, पर प्रस्तुतिकर्ता के इससे इतर के गंभीर मंतव्य को पूरा करने में सफ़ल नहीं हो सकती।

पाठक को राह दिखाने के साथ-साथ यहां उसे अपनी अंतर्दृष्टि के साथ भी नवाज़ा जाना चाहिए। एक निश्चित रवैया जो यह तो दिखाता ही हो कि पेश किया गया लिंक यहां क्यूं है, साथ ही उसकी छोटी सी ही सही,समुचित समालोचना भी होनी चाहिए ताकि विषयवस्तु और गुणवत्ता पर सार्थक हस्तक्षेप किया जा सके। और इसमें कोई व्यक्तिगत लिहाज़ों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत भी नहीं है, क्योंकि संदर्भित चिट्ठे का लिंक वहां है ही जो उसका पक्ष प्रस्तुत कर रहा ही है। बाकी पाठक के अपनी समझ और विवेक पर रहेगा ही। आगे के संवाद के लिए टिप्पणी मंच है ही।

आपके द्वारा यह किया जा सकता है, इसलिए किया जाना ही चाहिए।

आशा है, इस तरह विज्ञान-चिट्ठा चर्चा के साथ-साथ, विज्ञान और दृष्टिकोणों पर भी सार्थक चर्चा यहां देखने को मिलेगी।

शुक्रिया।

प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI ने कहा…

समय जी की सलाह समयानुकूल है !
चर्चा मंच की विविधता जरूरी थी |

वैसे मास्टरी के विषय पर इस हिसाब से हमारी भी जगह पक्की मणी जानी चाहिए | कोई और मास्टर दूर दूर तक तो नहीं सुन रहा ?

सिद्धार्थ जोशी Sidharth Joshi ने कहा…

अच्‍छी चर्चा, देख रहा हूं कि आपका मंतव्‍य स्‍पष्‍ट है। कई बार लोग अपने विषय से भटककर दूसरे के विषय में घुस जाते हैं और मूल बात रह जाती है। आपकी अगली चर्चा का इंतजार रहेगा। वैसे आपके मनोविश्‍लेषण वाले लेखों को भी इसमें लिया जा सकता था। लोगों को सोचने का थोड़ा और मसाला मिलता।

एक सार्थक प्रयास...
आगे की चर्चा के इंतजार में...

अनूप शुक्ल ने कहा…

सुन्दर। शुरुआती चर्चा विज्ञान चर्चा में साथियों की प्रतिक्रियायें देखकर बहुत अच्छा लगा। अब मुझे पक्का यकीन है कि लवली इस चर्चा को नियमित करती रहेंगी। औपचारिक रूप से स्वागत तो कर ही दें। अब यह मंच तुम्हारा हुआ। विज्ञान चर्चा की सूत्रधार बन गयीं तुम।

अर्कजेश ने कहा…

आगाज के हिसाब से बढिया है यद्यपि यह पोस्‍ट बहुत कम समय तक सामने रह पायी । आशा करते हैं कि विज्ञान से संबंधित सार्थक पोस्‍टों से परिचय इस चर्चा के माध्‍यम से होता रहेगा ।


शुभकामनाऍं ।

अभिषेक ओझा ने कहा…

अब तुम चर्चा करोगी तो हम भी गणित पर फिर से लिखते हैं :)

वाणी गीत ने कहा…

विज्ञान विषय पर आधारित रोचक चर्चा के लिए बहुत आभार ..!!
हालाँकि यह प्रमाणित हो चुका है ...हमारा भेजा खाली है..!!

सागर नाहर ने कहा…

अच्छी चर्चा है, कई बढ़िया लेखों के लिंक मिले; मसलन गिद्धो को खाते.. वाला।
चर्चा बहुत छोटी है, ठीक लवलीजी की तरह। खैर... उम्मीद है अगली बार लम्बी चर्चाएं भी आपकी कलम ( नहीं! की बोर्ड) से निकलेगी।
पहली बार चर्चा के लिये बहुत-बहुत बधाई।

सागर नाहर ने कहा…

समय की बात से सहमत हूँ।

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