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वाह-वाही जुगाड़ू चिट्ठे की

ऐसा तो नहीं कि हम कभी जुगाड़ी कड़ियों पर गए ही ना हो. यह हर रोज का नियम हैं सुबह उठते ही चाय व अखबार को तथा ऑफिस आकर सबसे पहले नारदजी को प्रणाम करना. सभी ताजा प्रविष्टियों वाले चिट्ठे टटोल कर अपनी टिप्पणियाँ यहाँ-वहाँ चस्पा देता हूँ. ऐसे में कुछ चिट्ठे छूट [...]

[ आगे पढ़ें ] August 29th, 2006 | 4 टिप्पणियाँ | श्रेणी में |

गणेशजी से घबराई मछलियाँ?

गणेशोत�?सव श�?रू हो गया हैं, जगह जगह पण�?डाल सज�?ज ग�? हैं और प�?री चकाचौंध के साथ गणेशजी विराजमान हो ग�? हैं. अभी क�?छ दिन और तमाशा चलेगा. भक�?त पूजा-पाठ और प�?रसादी में मस�?त रहेंगे, पर इस दौरान मछलियों की धड़कने हर दिन तेज और तेज होती जा�?ंगी. पानी में होते ह�?�? भी गला स�?ख रहा [...]

[ आगे पढ़ें ] August 29th, 2006 | 2 टिप्पणियाँ | श्रेणी पर्यावरण में |

सब उल?टा-प?ल?टा हैं !

यह कैसा उल?टा-प?ल?टा हैं? हमारी तो सम? में नहीं आ रहा. आप ही सम? लो.
॥ 1 ॥
पहले कहते थे आबादी मत ब?ाओ…यही ?क वजह जो देश के विकास में बाधक हैं. थोड़ा बह?त विकास होता भी हैं तो उसे यह निचोड़ कर पी जाती हैं.
सरकार को देश के पिछड़ेपन की वजह सम? [...]

[ आगे पढ़ें ] August 25th, 2006 | 4 टिप्पणियाँ | श्रेणी में |

दोष किसका ?

विगत दो-तीन दिनों में ह?ई घटनाओं ने विचलित कर दिया. स?वतंत?रता के लगभग 60 वर?ष पार करने के बाद भी हम अपनी मानसिकता नहीं बदल पा?ं हैं. हर बात के लि? सरकार दोषी!?
सरकारें अपने दायित?व पूरा करे ?सी अपेक?षा से इंकार नहीं किया जा सकता, पर हमारे नागरिक-उत?तरदायित?वों का क?या?
यह घटना?? अलग अलग जगहों पर [...]

[ आगे पढ़ें ] August 22nd, 2006 | 8 टिप्पणियाँ | श्रेणी में |

?क अपिल नेताओं से

आज के दिन इस स?वतंत?र देश के राजनेताओं से अपिल करता हूं की अपनी छवि स?धारें, हो सके तो भले ही प?रोफेशनल लोगो की सहायता लें.
क?छ समय पूर?व राजस?थान में किसी पाठ?य-प?स?तक में नेता की त?लना गधे से कि गई तो सिवाय नेताओं के किसी ने विरोध नहीं किया. यह बह?त ही द?र?भाग?यपूर?ण हैं. हमारे [...]

[ आगे पढ़ें ] August 15th, 2006 | 4 टिप्पणियाँ | श्रेणी में |

जश?न मनाओ, आज़ाद हैं हम

साठ सालों में क?या खोया, क?या पाया का लेखा जोखा भले ही मिला?ं पर मन इतना भी खराब न करें की ख?शी के मौके पर जश?न न मना सके.
क?या आप दिपावली के अवसर पर कभी मिठाईया? बांटने से पूर?व आगा-पीछा सोचते हैं तो फिर आज क?यों?
हर भारतीय स?खी हो यह कामना करें और मिठाईयों का [...]

[ आगे पढ़ें ] August 15th, 2006 | 2 टिप्पणियाँ | श्रेणी में |

स?रत सम?पर?क करना हैं?

स?रत की संचार सेवा?ं ठप?प हो गई हैं. मेरा आधा परिवार जो इस समय स?रत में हैं, बा? में फंसा ह?आ हैं और कल रात के बाद उनसे सम?पर?क नहीं हो पाया हैं. लेण?डलाइन फोन बन?द हो गये हैं, मोबाईल सेवा भी लगता हैं प?रभावित ह?ई हैं. शायद विद?य?त आप?र?ति ठप?प ह?ई हो इसलि? मोबाईल [...]

[ आगे पढ़ें ] August 8th, 2006 | 11 टिप्पणियाँ | श्रेणी में |

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