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खुदा से मिलो शुऐब on 20 Mar 2007 06:26 pm

मैदान मे ख़ुदा

[ ये ख़ुदा है - 54 ]

बडा गज़ब हुआ, पहली बार ख़ुदा को बुख़ार चढ गया। ऐसा नहीं कि बीमारी को छेड बैठा - बैठे बैठे शौक़ मे दबाकर आईस-क्रीम खालिया। और खाता क्यों नहीं आज उसकी सालग्राह का जशन था - तीन वर्ष पूरे हुए मेहमान बनकर अमेरिका मे उतरा था। अभी बुखार नहीं छूटा वेस्ट इंडीज़ जाने की ज़िद पकड बैठा। ख़ुदा को समझाया भी कि यहीं से टीवी पर लाईव देख कर अपना कलीजा थंडा करले मगर अब तो उसपर हिचकियां तक शुरू होगईं। आख़िर स्टेडियम जाने की क्या ज़रूरत? आऊट को नॉट आऊट करदे या फिर गज़ब मे आकर कोच को ही मार डाले।

पहले तो स्टेडियम मे ख़ुदा को आने नहीं दिया, वो अपने साथ ढेर सारे पटाख़े उठा लाया फिर सेक्यूर्टी गार्डस से हाथापाई होगई। कॉमिंट्रेन ने ख़ुदा को आवाज़ लगायाः ख़ुदारा ख़दा की तरह किसी कोने मे जाकर बैठ जाएं और प्लीज़ गैर-जानिबदाराना हरकतों से बाज़ रहें। यकदम ख़ुदा ने चिल्लाते हुए कहाः लानत है स्क्यूरिटी गार्डस पर, अम जनता की तरह ख़ुदा को पीट दिया। फिर फर्मायाः अरे नालायकों कमबख़्तों, हम बेव्कूफ़ थोडि हैं जो यहां चौके छक्के गिन्ने आए - हम यहां सट्टा लगाने को आए हैं। है कोई माई का लाल जो हमसे सट्टा लगाए? मगर ख़ुदारा कोई हमसे हमारी ख़ुदाई ना मांगले।

आज ९ वां विश्व क्रिकेट कप का पहला बाबरकत दिन है, ख़ुदा से कहा गया कि वस्ट-इंडिज़ और पाकिस्तान दोनों के लिए दुआ करे मगर कोई चमतकार ना चलाए और अच्छे दर्शकों की तरह बैठ कर मेच का लुत्फ़ उठाए। मगर ख़ुदा को सट्टा लगाने का जुनून सर चढ कर बोल रहा था, कॉमिंट्रयन का माईक छीन कर कहाः वल्लाह, आज हम जानना चाहते हैं कि फ़ुटबॉल पर सट्टा लगाने से अच्छी कमाई होगी या क्रिकेट खेल पर। फिर अपना मूंह बसौर कर फर्मायाः सारा जहां बनाया मगर ख़ाक़ एक नोट छापने की मशीन हम से ना बनी।

ख़ुदा ने अपने दोनों हाथों मे पाकिस्तान और वस्ट-इंडीज़ के तिरंगे थाम लिया और बाकी हाथों से पटाखे खोलने लगा कि अचानक जूते चप्पलों की बोछाड शुरू होगई। पाकिस्तानी दर्शकों ने हल्ला मचा दिया, हमारी इबादतों का यही सिला मिला कि हम कहीं के ना रहे यहां तक कि खेल के मैदान से भी बाहर भगादिया। ज़बर्दस्त चीख़ मार कर ख़ुदा ने कहाः अब बस भी करो, हमें कौनसा जूते चप्पलों की दुकान खोलनी है? तुम्हारे निकम्मे खिलाडियों पर अपना गुस्सा उतारो, अपने उजडी उम्र और मोटे खिलाडियों का गुस्सा हम पे काहे कर रहे हो। वल्लाह, हम तो एक अच्छे दर्शक की तरह खेल देखने आए हैं ना कि अपनी चमतकारी से तुम्हें जिताने। तुम्हारे खिलाडियों मे अगर शौख़ व जज़बा होता, अपनी कौम को ख़ुश करना चाहते तो वो ज़रूर काम्याब होकर जाते। मगर तुम्हारे खिलाडियों के खिलाडी ख़ुद करप्ट हैं, तुम आम जनता को लूटा है और उसका सिला ये मिला कि उन्हें खेल के मैदान से अपना मूंह लटकाए बाहर जाना पडा।

भारती खिलाडियों ने अपना कॉलर चढाकर ख़ुदा से अर्ज़ कियाः हमने बर्मोडा खिलाडियों को भगाया दिया और आगे श्रीलंकन खिलाडियों को भी दो चार हाथ लगा कर भेजदेंगे। ख़ुदा से एक बिंती है कि विश्व कप तो दूर की बात मगर कम से कम फाईनल तक वस्ट इंडीज़ मे हमें इज़्ज़त से रखे। अचानक एक दर्शक ने ख़ुदा का कॉलर पकड के पूछलियाः अगर आप वाकई ख़ुदा हैं तो ईराक़ मे अमन कायम करके दिखाओ। वहां हर दिन दर्जनों कट रहें हैं, मज़लूम लोग इस उम्मीद से दुआएं कर रहे हैं कि ख़ुदा हमारी मदद के लिए आने ही वाला है - मगर ख़ुदा तो यहां स्टेडियम मे ऊटपटां हरकतें करने मे मश्ग़ूल है।

दर्शक को खींच कर चमाट मारने के बाद ख़ुदा ने फर्मायाः वल्लाह, हम सिर्फ ख़ुदा हैं, ईराक़ मे अमन कायम करने के लिए अमेरिका ज़िन्दा है और यही इस नये ज़माने का पैग़म्बर भी है जो सज़ा भी दे और दवा भी। और फर्मायाः हम तो सैर स्पाटे के लिए धर्ती पर उतरे थे, चंद दिन और मज़े करने के बाद वापस अपने स्वर्ग चले जाएंगे। गाल सहलाते हुए दर्शक ने पूछाः अमेरिका जैसे ज़ालिम को आपने अपना पैग़म्बर चुनलिया? समझ मे नहीं आता कि आपके सर मे दिमाग़ है कि गोबर?? खींचकर दुबारा चमाट मारने के बाद ख़ुदा ने दर्शक से कहाः मियां, हम ख़ुदा हैं कुछ भी कर सकते हैं, हर एक को मौक़ा देंगे मगर फिलहाल अमेरिका मे हम मेहमान हैं और हमारा मूंह ना खुलवाओ क्योंकि हम अपने मेज़बान को नाराज़ नहीं करना चाहते।

कॉमिंट्रयन ने दुबारा आवाज़ दियाः ख़ुदा को उसके ख़ुदा होने कि क़सम, ख़ामोश बैठ कर खेल देखे वर्ना उठ कर बाहर चला जाए। बर्मोडा के खिलाडियों ने ख़ुदा के आगे मातम शुरू करदिया, पहली बार पूरी उम्मीद से आए थे, बच्चा समझ कर भारती खिलाडियों ने हमें रोंद डाला। ख़ुदा ने बर्मोडा खिलाडियों को जवाब दियाः आज अगर भारती खिलाडी तुम्हें नहीं रोंदते तो वहां पूरे भारती अपने खिलाडियों को रोंद डालते। दाढी खुजाते हुए ख़ुदा ने कहाः हम ने कई बार फर्माया भी था कि नौजवान छोकरों को खेलने का मौक़ा दें, इनके अंदर बहुत कुछ करने के जज़बात होते हैं। अभी बंगलादेश की मिसाल लेलो ग़रीबी के बाव्जूद वहां के खिलाडी खेल के मैदान मे भी अपने देश की इज़्ज़त के लिए खेलते हैं। इन्हें मालूम है कि ये जंग के मैदान मे जीत नहीं सकते मगर खेल के मैदान मे अपनों का दिल जीत कर सबसे बडी जंग जीत सकते हैं।

ख़ुदा की अनापशनाप बक्वास से तंग, स्क्यूरिटी गार्डस ने उसे उठाकर मैदान से बाहर करदिया। और यहां मीडिया वालों ने ख़ुदा को घेरे मे लेकर बॉब वूल्मर की अचानक मौत पर प्रश्नों की बोछाड करदी। ख़ुदा ने कहाः अरे यारों, बॉब वूल्मर मरा नहीं बल्कि उसे मार — दिया — गय — ह - - - - - - - सामने किसी ने ख़ुदा के मूंह पर हाथ रख दिया - - - - - और कान मरोड कर ख़ुदा से कहाः क्या अनापशनाप बक रहे हो? आपको राज़ बताने का बडा शौक़ है - अभी पिछली किस्त मे आपने अपना नाडा भी खोल दिया था। शर्मिंद्गी छुपाते हुए ख़ुदा ने दुबारा मीडिया वालों से कहाः पहले पोस्ट मार्टम होने दें तभी कुछ कहा जासकता है - आप मीडिया वाले दो दिन बाद हमारे पास आना जवाब के लिए। अब हम बंगलादेश जाना चाहते हैं ताकि उन्हें मुबारकबादी दे आएं। हमारे लिए हवाई बघ्घी तयार की जाए क्योंकि आजकल हवाई जहाज़ मे जाना भी जानलेवा खतरा है।

एक रिपोर्टर ने ख़ुदा से स्वाल पूछाः इस बार विश्व कप किसके हक़ मे जाएगा? ख़ुदा ने तुरंत जवाब दियाः विश्व कप वही ले जाएगा जो अच्छा खेलेगा। ख़ुदा पर एक और स्वाल दाग़ाः आप भारत और पाकिस्तान से क्यों ख़फ़ा हैं, शुरू मे ही दोनों की फाडदी? दांत पीसते हुए ख़ुदा ने कहाः देखो मियां, इन दोनों देशों ने खेल को भी बिगाड दिया, समझ मे नहीं आरहा कि टीवी के इश्तेहारों मे अदाकारी करने वाले क्रिकेट खेल रहे हैं या क्रिकेट खेलने वाले अदाकारी भी करलेते हैं? दोनों देशों की आम जनता इस खेल पर बुरी तरह पागल होचुकी है, और खिलाडी भी ऐसे कि जनता के पैसों और सरकार पर बोझ बनी हुई है - उजडी उम्र और बढता पेट लिए ये क्या खेलेंगे? ज़माना हुआ जो इन दोनों देशों के खिलाडियों ने अपनी अपनी जनता को ख़ुश नहीं किया और भोली भाली जनता ऐसी कि हमेशा अपनी क्रिकेट टीम पर पूरी उम्मीद लगाए रहती है।

ख़ुदा ने अफ़सोस भरे लहजे मे फर्मायाः ईद का मैदान हो या गणपती पूजा का मैदान मगर खेल के मैदान मे सभी धर्म के लोग एक ही लाईन मे हंसी ख़ुशी दिखाई देते हैं और ये मंज़र ख़ुदा को बहुत प्यारा लगता है। मगर तुम कमीने इंसानों ने अब खेलों को भी बिगाड दिया, यहां भी ऊंच नीच ज़ात पात के साथ सट्टाबाज़ी और हराम कारीयां शुरू करदीं। क्रिकेट खिलाडियों की तरफ इशारा करते हुए फर्मायाः अपने ही देश का और अपनी ही जनता का पैसा खाने वाले लोगों - ख़ुद अपनों को ही धोका देते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती? आम जनता की ख़ून पसीने की कमाई को सरकार तुम पर अरबों रूपये ख़र्च करती है मगर तुम अपने देश के लिए क्यों कुछ नहीं करते?? तुम विश्व कप जीत नहीं सकते मगर कम से कम फाईनल तक पहुंच जाते तो तुम्हारे देश की जनता को थोडी ख़ुशी मिलजाती कि अगली बार का विश्व कप अपने ही देश का होगा। जारी

बाक़ी फिर कभी

7 Responses to “मैदान मे ख़ुदा”

  1. on 20 Mar 2007 at 9:29 pm 1.अनूप शुक्ला said …

    वाह बहुत अच्छा लिखते हो भाई शुऐब! बधाई!अच्छा लगा पढ़कर!

  2. on 20 Mar 2007 at 9:39 pm 2.अभय तिवारी said …

    आप हमेश खुदा की बुरी तरह से फ़जीहत कर देते हैं.. ज़रा बच के रहियेगा..खुदा से.. खुदा हाफ़िज़!

  3. on 21 Mar 2007 at 3:51 am 3.श्रीश शर्मा 'ई-पंडित' said …

    मगर ख़ुदारा कोई हमसे हमारी ख़ुदाई ना मांगले।

    :)

    खुदा का दुख समझने लायक है। इतना अरबों रुपया दूसरे खेलों पर लगता तो खुदारा उनमें कमाल हो जाता, कम से कम आज तक एक ओलंपिक स्वर्णपदक तो मिल गया होता। :(

    सट्टे का क्या रहा ? :)

  4. on 21 Mar 2007 at 8:21 am 4.आशीष said …

    वल्लाह, हम सिर्फ ख़ुदा हैं, ईराक़ मे अमन कायम करने के लिए अमेरिका ज़िन्दा है और यही इस नये ज़माने का पैग़म्बर भी है जो सज़ा भी दे और दवा भी। और फर्मायाः हम तो सैर स्पाटे के लिए धर्ती पर उतरे थे, चंद दिन और मज़े करने के बाद वापस अपने स्वर्ग चले जाएंगे।

    शुयेब भाई, तुम्हारा जवाब नही !

  5. on 22 Mar 2007 at 12:58 pm 5.संजय बेंगाणी said …

    “आम जनता इस खेल पर बुरी तरह पागल होचुकी है”

    क्या खुब कहा. बहुत अच्छे. आपके खुदा का इंतजार रहता है.

  6. on 22 Mar 2007 at 10:15 pm 6.ganesh yadav said …

    आपका खुदा पर दिवानगी थोड़ी टेड़ी है. आगे इंतेजार है :D

  7. on 29 Mar 2007 at 3:15 pm 7.अतुल शर्मा said …

    बहुत अच्छा लिखा है।

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