Saturday, April 2, 2011
अरे हम कोई गाना नहीं सुनवाने जा रहे है बल्कि हमने सोचा की क्यूँ ना आज आप लोगों को अपने बगीचे की कुछ सैर करवा दी जाए । अब आप लोग कहेंगे कि अब तो फूलों का मौसम कुछ ख़त्म हो रहा है और हम अब फूलों की बात कर रहे है। तो वो क्या है कि हम घर मे नवम्बर मे शिफ्ट हुए थे । और घर मे शिफ्ट होने के बाद ही फूलों के पौधे लगाए थे तो जाहिर सी बात है कि जब पौधे देर से लगाए थे तो फूल भी देर से ही आने थे। :)
और फिर हमारे carrey (doggi)से भी तो पौधों को बचना होता है क्यूंकि जब carrey दौड़ते है तो उसके पैरों से कुछ पौधे दब जाते थे। और हम लोग रोज गिनते थे कि आज कितने पौधे बचे।
ना केवल पौधे बल्कि जब फूल खिल गए तब भी यही हाल है । रोज देखते है कि आज कौन सा फूल टूटा या बचा।
काफी समय बाद अपनी बगिया मे ४-५ रंग के हमने गेंदे के फूल जिसमे सफ़ेद गेंदे का फूल भी है ।
गेंदे के फूल वो चाहे हजारा हो या फिर माला मे पिरोये जाने वाले छोटे -छोटे पीले और कुछ लाल से फूल ही क्यूँ ना हो । सभी खूब खिले ।
औए डहेलिया के इतने सारे रंग देखे कि क्या कहें। ए क ही पेड़ मे २ अलग-रंग के डहेलिया देखकर मन खुश हो जाता है।
वेर्बिना और जीनिया की तो बात ही क्या ।
पेंजी और पिटुनिया के खूबसूरत फूलों का तो कोई जोड़ ही नहीं।
वहीँ गजानिया और सालविया भी कुछ कम नहीं । गजानिया भी सूरजमुखी की तरह ही है । ये भी सूरज की रौशनी पड़ने पर यानी धूप मे ही खिलता है । और जिस दिन बारिश होती है उस दिन ये फूल नहीं खिलता है। ।
वैसे हमारे घर मे ऑर्किड भी धीरे-धीरे खिल रहे है । अब अरुणाचल मे रहे और ऑर्किड घर मे ना ना लगाए ये तो कोई बात नहीं।
वैसे आपको बता दे यहां पर ऑर्किड की जितनी वैराइटी मिलती है उतनी कहीं और नहीं मिलती है।इंडिया मे मिलने वाली तकरीबन साढ़े ग्यारह सौ वैराईटी मे से ६०० तरह के ऑर्किड यहां अरुणाचल मे ही मिलते है। और ऑर्किड के खिलने का समय फरवरी से लेकर मई-जून तक रहता है । जब ऑर्किड लगाए तब पता चला कि जहाँ कुछ ऑर्किड मिटटी मे लगाए जाते है तो कुछ सिर्फ कोयला,पत्थर और बालू भरे गमलों मे लगाए जाते है।
जहाँ कुछ ऑर्किड सिर्फ हवा (air orchid) से ही अपना पोषण लेते है। तो वहीँ कुछ ऑर्किड पेड़ों से ही अपना पोषण लेते है।
तो कहिये हमारे बगीचे की सैर कैसी रही।:)
Labels: arunachal pradesh, flowers, itanagar, orchids, अरुणाचल प्रदेश, ईटानगर, ऑर्किड
Monday, January 17, 2011
आज बड़े समय बाद इन्टरनेट चला तो सोचा की इससे पहले की नेट बंद हो जाए एक पोस्ट बी एस एन एल की ब्रॉड बैंड सेवा के बारे मे लिख ही देनी चाहिए। यहां पर तो सिर्फ कहने को ही ब्रॉड बैंड है क्यूंकि एक पल को नेट चलता है तो अगले ही पल बंद हो जाता है।
यूँ तो पिछले कुछ समय से हम ज्यादा कुछ लिख नहीं रहे है और जब भी लिखने की सोचते है तो नेट बंद मिलता है। जब तक सर्किट हाउस मे थे तब तक तो फिर भी इन्टरनेट चल जाता था पर जब से हम ने घर मे शिफ्ट किया है तब से इन्टरनेट चलना तो एक सपने जैसा हो गया है।
रोज सुबह नियम से कम्प्लेंट करना हमारा एक काम हो गया है। और वहां से जो आदमी आता है वो इस तरह से सवाल करते है मानो हम पहली बार इन्टरनेट चला रहे है । जैसे की फ़ोन चल रहा है की नहीं या मोडेम मे लाईट जलती है या नहीं ।
और सबसे कमाल की बात ये है कि अगर इन्टरनेट चलता है तो फ़ोन नहीं चलता और अगर फ़ोन चलता है तो इन्टरनेट नहीं चलता है। क्यूंकि पिछली बार जब कम्प्लेंट पर बी एस एन एल का आदमी नेट ठीक करने आया तो हमारे बताने पर कि नेट चल गया है उसने कहा कि चेक करिए कि फ़ोन चल रहा है कि नहीं और जैसे ही उसने फ़ोन किया कि बस नेट डिसकनेक्ट हो गया ।
अब इससे पहले कि नेट फिर से डिसकनेक्ट हो जाए हम अपनी ये पोस्ट यहीं खतम करते है।
Wednesday, October 20, 2010
आज बड़े दिनों बाद अपना इ-मेल चेक किया तो पूजा जी और पाबला जी ने हमारे ब्लॉग सवा सेर शौपर पर जो कमेन्ट और लिंक छोड़ा था उसे पढकर तो हमारा दिल बाग़-बाग़ हो गया।और इसके लिए आप दोनों का शुक्रिया । अपने ब्लॉग का जिक्र अखबार मे पढ़कर हमारा खुश होना जायज है ।
रवीश जी आपका शुक्रिया जो आपने दैनिक हिन्दुस्तान के ब्लॉग वार्ता मे बड़े ही खूबसूरत अंदाज मे हमारे ब्लॉग के बारे मे लिखा । अपनी मसरूफियत की वजह से हमारा इस ब्लॉग पर लिखना कुछ कम हो गया था पर आज इस ब्लॉग वार्ता को पढ़कर दोबारा जोश आ गया है। :)
तो एक बार फिर से आप लोगों का धन्यवाद।
Wednesday, September 8, 2010
आज साक्षरता दिवस है । क्या साक्षरता का मतलब सिर्फ पढना लिखना ही आना है ।नहीं हमे ऐसा नहीं लगता है क्यूंकि हम सब पढ़े-लिखे जो अनपढ़ों की तरह व्यवहार करते है तो क्या हम लोगों को भी साक्षर होने की जरुरत नहीं है।
पूरे देश मे जोर-शोर से साक्षरता दिवस मनाया जा रहा है। पर क्या आप लोगों को नहीं लगता है कि ब्लॉग जगत मे भी हम सभी को साक्षर होने की आश्यकता है । अब आप लोग कहेंगे कि कमाल है आप कैसी बात कर रही है अगर हम ब्लॉगर पढ़े-लिखे नहीं होते यानी कि साक्षर नहीं होते तो ब्लॉगिंग कैसे करते।
अरे भाई साक्षर होने का मतलब ये तो नहीं होता है कि आप ने किसी को भी खासकर महिलाओं को कुछ भी कहने का अधिकार पा लिया है। ब्लॉगिंग का पिछले २ सालों का इतिहास देखा जाए तो जिस तरह से महिलाओं के लिए अपशब्द इस्तेमाल हुए है वो हमारे साक्षर होने का पुख्ता सबूत देते है ।
हिंदी ब्लॉगिंग के शुरूआती दिनों मे पुराने और जानकार लोग यही कोशिश कर रहे थे कि ज्यादा से ज्यादा लोग हिंदी मे ब्लॉगिंग शुरू करे और जिस तरह अंग्रेजी ब्लॉगिंग से लोग इतने बड़े पैमाने पर जुड़े है उसी तरह लोग हिंदी ब्लॉगिंग से भी जुड़े । और आज हिंदी ब्लॉगर की संख्या भी कुछ कम नहीं है ये ख़ुशी की बात है।
तो क्यूँ ना इस साक्षरता दिवस पर हम सभी ब्लॉगर अपने आप को साक्षर बनाने की कोशिश करें।
Labels: literacy day, साक्षरता दिवस
Friday, August 20, 2010
अब यूँ तो दिल्ली मे मिनाक्षी और रचना से मिले हुए तकरीबन एक महीना हो गया है पर इस पर पोस्ट देर से लिख रहे है क्यूंकि दिल्ली मे रहते हुए कुछ ज्यादा व्यस्त हो गए थे और अब चूँकि हम ईटानगर आ गए है तो सोचा कि इस मुलाकात पर पोस्ट लिखी जाए ।
पिछले ३ साल से हम जब भी दिल्ली जाते है रचना और रंजना से से जरुर बात होती थी और मिलने का भी कई बार कार्यक्रम बना पर हम लोग कभी मिल नहीं पाए । हर बार कि तरह इस बार भी जब हम दिल्ली मे थे तो रचना और रंजना से बात की तो पता चला की रंजना तो दिल्ली से बाहर गयी हुई थी पर रचना से बात हुई तो पता चला की मिनाक्षी भी उन दिनों दिल्ली आई हुई थी । तो मिनाक्षी से भी बात हुई और मिलने का कार्यक्रम बना । और मिलने की जगह हमारा घर रक्खा गया और दोपहर बाद यानी ३ -४ बजे का रक्खा गया। पहले इसे ब्लॉगर मीट की तरह रखने की सोची गयी पर जिनके नंबर थे वो या तो busy थे या दिल्ली से बाहर थे और बाकी लोगों से संपर्क नहीं हुआ। हाँ मनविंदर जी ने भी आने को कहा था पर उस दिन उन्हें कुछ काम आ गया था इसलिए वो नहीं आई थी।
खैर हम तीनो ही पहली बार मिल रहे थे ये अलग बात है कि ब्लॉग और फ़ोन से हम लोग एक-दूसरे को पहचानते थे। खैर मिनाक्षी और रचना दोनों ही पहली बार हमारे घर आ रही थी तो थोड़ी बहुत तैयारी हमने भी करी थी । अरे मतलब थोडा-बहुत नाश्ता बनाया था।
लंच के बाद बस उन दोनों का इंतज़ार शुरू हुआ । और ऐसा लग रहा था मानो समय बहुत धीरे-धीरे चल रहा हो। मिनाक्षी ने हमसे हमारे घर का रास्ता पूछा और ये कहा कि अगर रास्ता ढूँढने मे कुछ कुछ प्रोब्लम आएगी तो वो हमें फ़ोन करेंगी।और जब वो हमारी कालोनी मे पहुँच रही थी तभी उनका फ़ोन आया कि आपका घर किस तरफ पड़ेगा तो हमने कहा कि हम घर के बाहर आ जाते है और हम जैसे ही घर के बाहर गए कि सामने वो कार मे हरे रंग के सूट मे मुस्कराती हुई दिखाई पड़ी। और जब वो कार से बाहर आई तो ऐसा जान पड़ा मानो हम लोग ना जाने कितनी बार पहले भी मिल चुके हो बिलकुल एक पुराने और अजीज दोस्त की तरह।
घर मे आते ही उनका स्वागत हमारे कैरी (doggi) ने किया और फिर हम लोग बातों मे मशगूल हो गए की तभी घंटी बजी तो मिनाक्षी ने कहा की रचना आ गयी। और दरवाजा खोलने पर रचना गुलाबी रंग के सूट मे खूबसूरत सी मुस्कुराहट लिए खड़ी थी। रचना के आने के बाद तो हम तीनो ऐसा बातों मे मस्त हुए कि समय का पता ही नहीं चला । दुनिया जहान की बाते हुई और हाँ कुछ बाते ब्लॉग जगत की भी हुई।
उसके बाद हम लोगों ने खाया -पिया और और डाइनिंग टेबल पर भी खूब गप-शप हुई। और फिर हम लोगों ने कुछ फोटो भी खिंचाई। और देखते-देखते कब शाम बीत गयी इसका अहसास भी नहीं हुआ और फिर एक-दूसरे से हम लोग गले मिलकर विदा हुए। इस पोस्ट को लिखते हुए उस पूरी शाम का सुन्दर अहसास आज भी महसूस हो रहा है।
thanks rachna and meenakshi for a wonderful evening.
Labels: delhi, itanagar, ईटानगर., दिल्ली, ब्लॉगर मीट
Thursday, August 19, 2010
कॉमन वेल्थ गेम्स क्वींस बैटन रिले ( C W G queen's baton relay in itanagar)
1 comments Posted by mamta at 10:30 AMअब चाहे जितने भी scam हो कॉमन वेल्थ गेम्स को लेकर पर जिस भी राज्य मे क्वींस बैटन आती है वो पूरा राज्य जोश मे भर जाता है। अब जैसे जुलाई मे जब क्वींस बैटन यहां आई तो ऐसा ही कुछ अरुणाचल मे भी हुआ था।
जैसा कि हम सभी को पता है कि इस साल ३ अक्तूबर से दिल्ली मे कॉमन वेल्थ गेम्स होने वाले है
और इसके लिए लन्दन से क्वीन एलिजाबेथ 2 ने खिलाड़ियों के लिए सन्देश इस बैटन मे भेजा है और इस सन्देश को ३ अक्तूबर को दिल्ली मे खेलों के उदघाटन समारोह मे पढ़ा जाएगा। क्वीन के सन्देश के साथ इस बैटन ने २९ अक्टूबर २००९ मे बकिंघम पैलस से अपना सफ़र शुरू किया । ये बैटन ७० देशों और पूरे भारत वर्ष मे घूमने के बाद ३ अक्टूबर को दिल्ली पहुंचेगी ।
इस बैटन के साथ तकरीबन १०-१५ लोगों की टीम चलती है । इस टीम को जनरल कदीयान लीड कर रहे थे । इस बैटन की खासियत ये है कि जब इसमें लाईट जलती है तो भारत के झंडे का तिरंगा रंग इस बैटन पर नजर आता है।जो बहुत ही खूबसूरत लगता है। दिन मे और रात मे बैटन बिलकुल अलग लगती है।
और २२ जुलाई को कॉमन वेल्थ गेम्स की क्वींस बैटन अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर मे आई थी। अरुणाचल प्रदेश दसवां राज्य है जहाँ ये बैटन अपना सफ़र करते हुए पहुंची थी। अरुणाचल प्रदेश के दो डिस्ट्रिक्ट तवांग और ईटानगर मे इस बैटन को जाना था ,पहले इसे तवांग और फिर ईटानगर आना था और इसके लिए गौहाटी से इस बैटन को लेकर हेलीकाप्टर से तवांग के लिए लोग रवाना हुए पर भूटान के आगे मौसम खराब होने के कारण हेलिकॉप्टर वापिस गौहाटी लौट आया और फिर गौहाटी से हेलिकॉप्टर से ये बैटन ईटानगर आ गयी।नाहारलागन हेलीपैड पर हेलीकाप्टर के पायलेट और पादी रिको इस बैटन के साथ।
अब जब हम ईटानगर वापिस लौट आये है तो हम भी इस क्वींस बैटन रिले को देखने पहुँच गए। सबसे पहले नाहर लागन हेलीपैड पर सवा दो बजे इस बैटन को पादी रिको जो की पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी है उन्होंने इसे रिसीव किया और बैटन का रिले शुरू हुआ जिसमे convoy और relay दोनों था। बैटन के साथ शेरा जो की कॉमन वेल्थ गेम्स का मेस्कोट है वो भी आया था। जैसा की आप इन कुछ फोटो मे देख सकते है।राजीव गाँधी स्टेडीयम मे बच्चों के बीच मे शेरा और नीचे वाली फोटो बैंक्वेट हाल की है जहाँ शेरा जब stage पर आ गए थे तो वापिस उतरने का नाम ही नहीं ले रहे थे।पूरे stage पर घूम रहे थे। :)और भाई जब हम relay देखने गए तो फिर शेरा से हाथ कैसे ना मिलाते। :) चूँकि इस बैटन मे relay और convoy दोनों था इसलिए कुछ दूर खिलाडी दौड़ते थे तो कुछ दूर convoy इस बैटन को लेकर चलता था।ये relay करीब ४ घंटे की थी।जिसमे नाहर लागन से होकर राजीव गाँधी स्टेडीयम,सांगो होटल,जेनरल हॉस्पिटल, लागुन ब्रिज,डी.सी. ऑफिस,राज भवन ,इटा फोर्ट,टी.जी.गुम्पा,लेजी काम्प्लेक्स,पंजाबी ढाबा,आई.जी.पार्क,बी.बी.प्लाज़ा,आकाशदीप मार्केट,निर्वाचन भवन,से होते हुए बैनक्वेट हॉल मे आनी थी।यानी की पूरे ईटानगर मे इस बैटन को घुमाया गया।
हेलीपैड से सबसे पहले एक काफिले के साथ इस बैटन को राजीव गाँधी स्टेडीयम ले जाया गया जहाँ इस बैटन को रक्खा गया और फिर मुख्य अतिथि के छोटे से भाषण के बाद इस बैटन को gumpe rime जो की फूटबाल खिलाडी है ये बैटन उन्हें सौंपी गयी और gumpe rime ने पूरे स्टेडीयम का चक्कर लगाया
और वहां से ये बैटन अनेकों खिलाड़ियों और officials के हाथोंमे होती हुई शाम साढ़े ६ बजे आई .जी. पार्क पहुंची और वहां से बैनक्वेट हॉल तक अलग-अलग खेलों जैसे फूटबाल,बैडमिनटन,और वेट लिफ्टिंग के खिलाड़ियों ने इस बैटन को लेकर रिले किया यानी इसे लेकर दौड़े।जब ये बैटन बैनक्वेट हॉल के गेट पर पहुंची तो वहां से अरुणाचल प्रदेश के स्पोर्ट्स सेक्रेटरी इस बैटन को लेकर दौड़े और पोर्टिको मे ये बैटन अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव को सौंपी गयी और वहां से मुख्य सचिव इस बैटन को लेकर बैनक्वेट हाल के अन्दर गए और इस बैटन को पेडस्टल या इसके स्टैंड पर रख दिया गया। और फिर फोटो खींचने और खिंचवाने का सिलसिला शुरू हुआ । और उसके बाद अरुणाचल प्रदेश की विभिन्न tribes ने शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
अगले दिन २३ जुलाई को ये बैटन अरुणाचल प्रदेश से निकल कर अपने आगे के सफ़र पर चल पड़ी यानी कि दूसरे राज्य ।
Monday, August 16, 2010
कल १५ अगस्त को सारे भारत वर्ष की तरह ईटानगर मे भी स्वतंत्रता दिवस काफी जोश से मनाया गया। हालाँकि यहां एक दिन पहले बारिश हुई थी जिसकी वजह से १५ अगस्त को मौसम काफी सुहावना था । हाँ थोड़ी-थोड़ी बूंदा-बादी हो रही थी पर उससे लोगों के जोश और उत्साह मे कोई कमी नहीं थी।क्यूंकि लोग छाता लगाकर परेड देख रहे थे ।सुबह -सुबह ६ जब हम लोग उठे तो देखा सर्किट हाउस मे (हम अभी यही रह रहे है) बड़ी चहल-पहल दिखी और छोटे-छोटे बच्चे तैयार होकर इकठ्ठा हो रहे थे पूछने पर पता चला कि सभी बच्चे झंडा फहराने के लिए इकठ्ठा हो रहे है। तो सर्किट हाउस वालों से पूछने पर पता चला कि सात बजे झंडा फहराया जायेगा। बस फिर हम अपना कैमरा लेकर तैयार हो गए फोटो खींचने के लिए। और ठीक ७ बजे सर्किट हाउस के जे.इ.ने झंडा फहराया और सभी ने राष्ट्रीय गान भी गाया और उसके बाद जे.इ.ने एक छोटा सा भाषण भी दिया और फिर बच्चों को लड्डू और रसगुल्ले बांटे गए ।इसके बाद साढ़े आठ बजे हम लोग तैयार होकर इंदिरा गाँधी पार्क गए जहाँ स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए लोग जमा हो रहे थे । ठीक ९ बजे यहां के मुख्य मंत्री दोरजी खंडू समारोह स्थल पर आये और उन्होंने तिरंगा झंडा फहराया।फिर उन्होंने परेड का निरीक्षण कीया।परेड के निरीक्षण के समय डी.आई.जी.देओल भी उनके साथ थी। और उसके बाद उन्होंने एक लम्बा सा भाषण दिया जिसमे उनकी सरकार क्या-क्या कर रही है उसके बारे मे बताया ।उसके बाद यहां के मुख्य सचिव तबम बाम ने उन लोगों के नाम पढ़े जिन्हें इस साल गोल्ड और सिल्वर मेडल दिए जाने थे।इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया ।
उसके बाद विभिन्न रेजिमेंट्स ने और स्कूल के बच्चों ने परेड की ।
जिसमे सबसे पहले यहां की tribes ने कुछ नृत्य प्रस्तुत किये और उसके बाद स्कूल के बच्चों ने कुछ बहुत ही खूबसूरत नृत्य प्रस्तुत किये जिसमे माँ तुझे सलाम ,मिले सुर मेरा तुम्हारा ,ऐ मेरे वतन के लोगों और जोधा अकबर के गीत थे ।इस फोटो मे नीले कपडे वाले सैनिकों के बीच मे जो बैठे है वो अकबर है। :)
तकरीबन डेढ़ घंटे तक ये समारोह चला और उसके बाद सबसे अच्छी परेड और सबसे अच्छे नृत्य को पुरस्कार दिया गया और इस फोटो मे मिले सुर मेरा तुम्हारा प्रस्तुत करने वाले बच्चे प्रथम पुरस्कार की अपनी ट्राफी के साथ जीत की ख़ुशी मनाते हुए दिखाई दे रहे है ,वैसे इनका विडियो हम you tube पर अपलोड करने वाले है । और बाकी सभी को पार्टीसीपेशन प्राइज दिया गया।
और इस तरह ६३वाँ स्वतंत्रता दिवस समारोह समपन्न हुआ ।