संस्मरण

टुनटुन टी स्टॉल, बमबम पान भंडार और सौंन्दर्य की नदी नर्मदा

टुनटुन टी स्टॉल, बमबम पान भंडार और सौंन्दर्य की नदी नर्मदा

कल इतवार को छुट्टी थी सो अपन उठाये मोटरसाइकिल चले गये भेड़ाघाट। दोस्तों ने कुल दूरी बताई गयी 25 किमी। जहां-जहां पूछते गये वहां तक तो मामला सीधा रहा। एक जगह पूछा नहीं- मारे कान्फ़ीडेंस के मारे । बस वहीं आगे निकल गये। जहां मुड़ना था वहां से दस किलोमीटर आगे निकल गये। आत्मविश्वास की [...]

अमृतलाल वेगड़जी से मुलाकात

दो दिन पहले वेगड़जी से मिलना हुआ। वेगड़जी की किताब ’तीरे-तीरे नर्मदा’ पढी तो मन किया उनकी बाकी दो किताबें भी पढ़ी जायें। पता चला कि किताबें या यूनिवर्सल में मिल सकती हैं या फ़िर वेगड़जी के यहां। सोचा जब लेनी ही हैं तो वेगड़जी से ही क्यों न ली जायें। उनसे मिलना भी हो [...]

….एक और कलकतिया यात्रा

….एक और कलकतिया यात्रा

घर से बाहर निकलते ही आदमी ’स्टेटस जागरूक’ हो जाता है। क्षण-क्षण अपना ’स्टेटस’ अपडेट करता है। खुद अपना प्रवक्ता बन जाता है। घुमा-फ़िरा के दुनिया भर को बताता है कि हम यहां हैं, वहां हैं, ये कर रहे हैं, वो कर रहे हैं। उसको लगता है कि अगर उसने दुनिया भर को अपनी स्थिति [...]

मेरे व्यंग्य-लेखन का एक ऐतिहासिक क्षण- श्रीलाल शुक्ल

मेरे व्यंग्य-लेखन का एक ऐतिहासिक क्षण- श्रीलाल शुक्ल

[कल जागरण समूह की संस्था लक्ष्मी देवी ललित कला अकादमी में स्व. श्रीलाल शुक्ल की स्मृति का आयोजन किया गया। लोगों ने उनके बारे में अपनी राय रखी। मैंने भी अपने संस्मरण सुनाये। वहीं पर प्रसिद्ध आलोचक स्व. देवी शंकर अवस्थी की पत्नी आदरणीया कमलेश अवस्थी जी भी आईं थीं। श्रीलाल शुक्ल जी बेटी रेखा [...]

ऐसे ही एक पहलवानी भरा इतवार…

ऐसे ही एक पहलवानी भरा इतवार…

इतवार का दिन नौकरी पेशा वालों के लिये आराम का दिन माना जाता है। कुछ इसे बचे काम निपटाने का दिन भी मानते हैं। लेकिन यह वैचारिक मतभेद हर इतवार को खतम हो जाता है क्योंकि बचे काम निपटाने वाले भी अपने काम निपटाने का काम अक्सर अगले इतवार तक के लिये स्थगित कर देते [...]