हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं “मुनव्वर राना”

Monday, August 19, 2013

नैया तेरी मझधार...


एस-जे/शैलेन्द्र

Wednesday, July 17, 2013

ये तसर्रुफ़ अल्ला अल्ला...

सैगल साहब

एह ऐ मेरा गीत किसे ना गाणा...

एह ऐ मेरा गीत किसे ना गाणा एह मेरा गीत मैं आपे गाके भलके ही मर जाणा शिव कुमार बटालवी


Tuesday, July 16, 2013

दुलहा का बोले छौरिन समुझ मन में...


मुझे भी आबिदा परवीन पसंद नहीं

स्पीकर वग़ैरह चेक करने हों तो सुनिये.


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