लो, पप्पू सीख गया राजनीति...खुशदीप

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  • Saturday, January 15, 2011
  • by
  • खुशदीप सहगल
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  • पप्पू का अगले दिन राजनीति शास्त्र का पेपर था...अपने पापा से बोला, मुझे राजनीति सिखाओ...

    अब पूरे साल पप्पू पढ़ा नहीं...पापा परेशान...ऐन टाइम पर इसे कैसे सिखाऊं...तब भी पापा ने कोशिश की...सोचा घर के सदस्यों के ज़रिए ही इसे राजनीति समझाई जाए...

    बताना शुरू किया...

    पप्पू, किसी देश की पहचान उसकी अर्थव्यवस्था से होती है...ये समझ लो मैं कमा कर लाता हूं तो मैं इस घर की अर्थव्यवस्था हूं...अब किसी देश को चलाने के लिए अर्थव्यवस्था से मिला पैसा सरकार संभालती है...ठीक वैसे ही जैसे मैं जो पैसा लाता हूं वो मम्मी संभालती है...तो मम्मी कौन हुई...

    पप्पू झट से बोला...सरकार....

    पापा...शाबाश...अब घर की जो मेड (नौकरानी) है उसे हम मम्मी के हाथों तनख्वाह देते हैं, ठीक वैसे ही जैसे सरकार अपने किसी कर्मचारी को देती है...इसलिए मेड कर्मचारी हुई...

    पप्पू को इस तरह राजनीति सीखते मज़ा आने लगा...सवाल पूछा...फिर मेरा छोटा भाई क्या हुआ...

    पापा बोले....हूं...समझ लो, वो देश का भविष्य है...

    अब तक घर में रहने वाले सभी सदस्यों के बारे में पापा बता चुके थे, सिवाय पप्पू के...

    पप्पू ने फिर पूछा...पापा, मैं रह गया, मैं कौन हुआ...

    पापा ने जवाब दिया...तुम सब कुछ देख रहे हो इसलिए तुम जनता हुए...

    पापा से ये पाठ पढ़कर पप्पू बड़ा खुश हुआ...सोचने लगा चलो अब सो जाता हूं...पप्पू का छोटा भाई भी उसके साथ ही कमरे में सो रहा था...कुछ घंटे बाद पप्पू की अचानक नींद खुली तो उसने देखा लाइट नहीं आ रही थी...अंधेरे में छोटा भाई साथ ही सोते दिखा...पप्पू टार्च लेने के लिए पापा-मम्मी के कमरे में गया...वहां, मम्मी तो गहरी नींद सो रही थी लेकिन पापा का कहीं अता-पता नहीं था...पप्पू टार्च लेकर अपने कमरे की ओर लौटने लगा तो उसे किचन के साथ मेड के रूम से खुसर-पुसर की आवाज़ सुनाई दी...पप्पू ने ध्यान लगाकर सुना तो अंदर से मेड के साथ पापा की भी आवाज़ आ रही थी...थोड़ी देर पप्पू वहीं खड़ा रहा और फिर अपने कमरे में आकर सो गया...

    पप्पू सुबह उठा तो देखा पापा-मम्मी डाइनिंग टेबल पर बैठे चाय पी रहे थे...पप्पू पापा को देखकर बोला...पापा, अब मैं राजनीति अच्छी तरह सीख गया हूं...

    पापा हैरान...पूरा साल नहीं पढ़ा और पांच मिनट बताने से ही ये सब सीख गया...फिर भी पप्पू को टेस्ट करने के लिए पूछा...अच्छा बताओ, क्या सीखा...


    पप्पू का जवाब था...

    देश का भविष्य अंधकार में था...अर्थव्यवस्था कर्मचारी का शोषण करती रही...सरकार कुंभकर्ण की नींद सोई रही...और जनता चुपचाप खड़ी सब देखती रही, वो बेचारी और कर भी क्या सकती थी...



    (प्रताप सिंह फौजदार के किस्से पर आधारित)

    ...

    23 comments:

    ZEAL said...

    badhiya vyang !

    प्रवीण पाण्डेय said...

    जय हो, कितने रोचक ढंग से सच्चाई बयाँ कर दी।

    संजय कुमार चौरसिया said...

    bahut majedaar , kintu aaj ki raajneeti ka 100% sach

    ajit gupta said...

    इसमें विपक्ष की चाल है।

    sanjay jha said...

    yun to ye aap sahit dusre jaghon pe padha hoon....
    lekin.....iski rochakta itni jada frequency liye
    hue hai....ke thahake barbas hi nikal aate hain .......

    'magambo' khush hua......

    pranam.

    भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

    कटु सत्य है..

    anshumala said...

    "सब विरोधियो की चाल है इसका बदला लिया जायेगा"

    जनता को पीट के |

    सतीश सक्सेना said...

    और खुशदीप सहगल ऐसी बातें लिख लिख कर देश का माहौल खराब कर रहे हैं ...
    :-)

    एस.एम.मासूम said...

    वाह खुशदीप भाई मज़ा आ गया... सत्य भी कुछ ऐसा ही है.....सीख लेना चाहिए
    एक्सक्यूज़ मी, क्या मैं भी मियां मिट्ठू बन सकता हूँ ?

    राज भाटिय़ा said...

    मस्त कर दित्ता जी....

    सुज्ञ said...

    तथ्यपरक व्यंग्य!! वाकई राजनिति का शानदार अर्थघटन

    दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi said...

    व्यंग्य अच्छा है।

    Mukesh Kumar Sinha said...

    he he he ...........:D
    ye vyangya kabhi dekha tha sayad Sony pe...par aapka parosane ka andaaj.......subhan allah:P

    डॉ टी एस दराल said...

    हा हा हा ! यह प्रताप सिंह फौजदार भी ना --जैसा दिखता है , वैसा है नहीं ।

    नीरज गोस्वामी said...

    gazab...

    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" said...

    अरे वाह!
    यह तो खुशशबरी के साथ-साथ देश की खुशनसीबी भी है!

    A S BINDRA said...

    An interesting lesson on politiks.

    आलोकिता said...

    bhankar vyang hai

    किलर झपाटा said...

    आप बड़े वो हैं खुश्शू भैया। कैसे सैट कर लेतें हैं ये सब आप ?
    पप्पू का व्यंग्य अद्भुत था। नमस्कार।

    sanju said...

    मजेदार व्यंग्य ....

    शिवम् मिश्रा said...

    जनता और कर भी क्या सकती है ... खुशदीप भाई ... बस ऐसे ही लतीफो पर हंस लीजिये ... सच तो इन में भी है ... और अपने दिल में भी है !

    जय हिंद !

    बी एस पाबला said...

    और कर भी क्या सकती है जनता!?

    Learn By Watch said...

    प्रिय,

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