पेन्सिल वर्क - रॉक स्टार

  • Tuesday, September 17, 2013
  • by
  • Shah Nawaz
  • ऑफिस के एक सीनियर सहकर्मी के लिए पेन्सिल से बनाया उनका यह रॉक स्टार अवतार :-)










    Keywords: caricature, pencil work, artwork, rockstar, rock-star

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    'बेहया' औरतों का रेप करना मर्दों का हक़ है?

  • Saturday, September 14, 2013
  • by
  • Shah Nawaz
  • निर्भया केस में रेपिस्टों के वकील ने अपने घटिया बयान में क्या गलती की है? वह तो उसी सोच को ज़ाहिर कर रहा है जो इस पुरुष प्रधान समाज ने बनाई है। वह ही क्या बल्कि अधिकतर पुरुष सोचते है कि औरतें मर्दों की ग़ुलाम हैं। 

    उनके हिसाब से बलात्कार के केस में गुनाहगार लड़की ही होती है। वह अकेली बाहर निकलेगी तो उस 'बेहया' की बोटियाँ नोचना मर्दों का हक़ बनता है। समाज चाहता है कि औरत पहले पति की गुलाम बने और उसके बाद बेटों की। और अगर पति या बेटे ना हों तो समाज के ठेकेदारों या फिर जिस्म के दलालों की ग़ुलामी करें, नहीं तो उन्हें पेट्रोल छिड़क कर जला दिया जाएगा या फिर तेज़ाब से झुलसा दिया जाएगा।

    यक़ीन मानिये निर्भय केस पर भी अगर मिडिया/सोशल मिडिया और सड़क पर नौजवानों  के द्वारा आन्दोलन नहीं चलाया गया होता तो इस केस का हाल भी अन्य लंबित केसों जैसा ही होता। 

    जिन लोगो को उसके बयान पर शर्म आ रही है, तो पहले वोह अपने समाज की सोच बदलने की चिंता करें, क्योंकि यह हमारे समाज की दबी हुई या छुपी हुई आवाज़ है।




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    यह कौन से राजनेताओं की फोटो है?

  • Thursday, September 12, 2013
  • by
  • Shah Nawaz
  • Guess who are the politicians in the following picture?












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    कार्टून: रुपया गिर रहा है या सरकार?

  • Monday, September 2, 2013
  • by
  • Shah Nawaz
  • Cartoon: It's a downfall of Rupees or Government?












    Keywords: cartoon, repees downfall, manmohan singh, indian government congress, critics

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    राजनेताओं के पोस्टर देखकर ख़याल आता है

  • Friday, August 23, 2013
  • by
  • Shah Nawaz
  • सच-सच बताना...









    अगर आपका सहमत हैं तो कहिये फिर











    Keywords: humour, politics, politician, dumb, bewakoof, janta, people

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    प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह

  • Friday, August 16, 2013
  • by
  • Shah Nawaz

  • हालाँकि प्रशासक के तौर पर प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह मेरी पसंद नहीं हैं, लेकिन प्रधानमंत्री होने के नाते और देश के तरक्की की राह पर अग्रसर होने में उनकी महत्तवपूर्ण भूमिका के कारण में उनकी इज्ज़त करता हूँ। हालांकि इस इज्ज़त का मतलब नाकामयाबियों पर चुप रहना भी नहीं हो सकता है।


    उनके कार्यकाल के पहले आठ वर्ष बेहतरीन रहे हैं, जिसमें देश ने आर्थिक तौर पर तरक्की की नयी उचाईयों को छुआ है... और इसका क्रेडिट उनको मिलना चाहिए। चाहे जो भी कारण रहे हों, लेकिन उनके कार्यकाल में ना सिर्फ कश्मीर जैसे अशांत क्षेत्रों में हिंसा में कमी आई, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी आतंकवादी वारदातों में काफी कमी आई। उनके ही कार्यकाल में आरटीआई, नरेगा, शिक्षा का अधिकार और डायरेक्ट कैश ट्रान्सफर जैसे अनेकों महत्त्वपूर्ण निर्णय हुए हैं। हालाँकि बाद के दिनों में अर्थव्यवस्था की हालत नाज़ुक हुई, मगर इसके लिए सरकारी निर्णयों के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां भी ज़िम्मेदार कही जा सकती हैं।

    लेकिन इसके बावजूद प्रशासक के तौर पर उन्हें अक्षम ही कहा जाएगा। और इसी कमी के कारण वह भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहे हैं। सरकारी तंत्र की क्या बात की जाए, जबकि स्वयं उनके मंत्रियों पर ही भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगे हों। हालाँकि जिन मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, उनको पद मुक्त किया गया और उन पर पुलिस कार्यवाही भी हुई। लेकिन सरकारी तौर पर उनको बचाने के भी भरपूर प्रयास हुए।

    देश का प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की तरह ज़मीन से जुड़ा हुआ और इंदिरा गाँधी जैसा अच्छा प्रशसक होना चाहिए।  ऐसा व्यक्ति जो देश की अखंडता, आंतरिक सुरक्षा और देश के सामाजिक ताने-बाने को और मज़बूत करने एवं रखने में आगे बढ़कर नेतृत्व कर सके। केवल देश को तरक्की की राह पर अग्रसर रखने वाला ही नहीं बल्कि उस तरक्की को आम आदमी तक पहुचाने वाला भी होना चाहिए। अच्छे अर्थशास्त्री को तो देश का वित्त मंत्री बना कर भी काम चलाया जा सकता है। 

    लोग अक्सर डॉ मनमोहन सिंह के कम बोलने का मज़ाक उड़ाते हैं, मगर मेरा मानना है कि देश को ज्यादा बोलने वाले और तेज़-तर्रार नेताओं ने ही डुबोया है, ज़रूरत बोलने वालो की नहीं बल्कि कम बोलने और ज्यादा काम करने वालो की है… फर्क बोलने ना-बोलने से नहीं बल्कि काम करने ना-करने से पड़ना चाहिए!









    Keywords: leader, prime minister, dr manmohan singh, india, politics, corruption, patriotism, administrative

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    सभी खास-ओ-आम को यौम-ए-आजादी मुबारक!

  • Thursday, August 15, 2013
  • by
  • Shah Nawaz

  • आप सभी को यौम-ए-आज़ादी मुबारक हो... इस आज़ादी को हासिल करने और बचाए रखने के लिए अनगिनत कुर्बानियाँ दी गयी हैं! आइये इस स्वतंत्रता दिवस पर हम प्रण करें कि हमारी कोशिश ऐसी हो कि वोह कुर्बानियाँ ज़ाया ना जाए। हमारी कोशिशें देश की फिज़ा को खुशगवार और तरक्की की ओर ले जाने वाली होनी चाहिए, जहाँ कोई इतना गरीब ना हो कि भूख से मर जाए, हर इक को इलाज मयस्सर हो, हर बच्चा स्कूल जा पाए।

    दुआ करें कि हम मानसिक गुलामी से जल्द से जल्द आज़ाद हो जाएँ! रब करे हमारे मुल्क़ को जल्द से जल्द मुकम्मल आज़ादी हासिल हो!

    जय हिन्द!








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    देशभक्ति की नई परिभाषा

  • Thursday, August 8, 2013
  • by
  • Shah Nawaz
  • आजकल देशभक्त (नई परिभाषानुसार "राष्ट्रवादी") होना कितना आसान है ना? किसी विशेष धर्म से ताल्लुक रखो, या फिर विशेष पार्टी अपना लो, या फिर देशभक्ति पर शेरो-शायरी करो, कविताएँ रचो, क्रिकेट टीम के जीतने पर जश्न मनाओ, पटाखे छोडो...

    छोडिये, यह सब भी बस का नहीं है तो ब्लॉग / फेसबुक / ट्विटर पर स्टेटस / पोस्ट अपडेट करो, बस बन गए देशभक्त। फिर कुछ भी करते फिरो, चाहे घृणा फैलाओ, दंगे करो, रिश्वत लो-दो, दब कर मिलावट करो, खूब सड़कों पर कूड़ा फेकों, सड़के घेरों, अवैध कब्ज़े करो, झूठ बोल कर सामान बेचो, रास्तों के अवरोधक बनो, जगह-जगह थूकते फिरो इत्यादि इत्यादि...

    सरहदों पर दुश्मन हवाओं का रुख मोड़ने और शहीद होने के लिए तो सेना के जवान हैं ना... बस उनकी याद में झूठे आंसू बहाना मत भूलना या फिर स्टेटस अपडेट!










    Keywords: indian, corruption, deshbhakt, rashtravadi, rashtrwad, patriotic, patriotism

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    मुसलमान और आज की ज़रूरत

  • Wednesday, July 24, 2013
  • by
  • Shah Nawaz
  • भारत के मुसलमानों को लीडरशिप से ज़्यादा शिक्षा की ज़रूरत है... देश से मांगने की जगह देने के हालात बनाने होंगे।

    मेरा यह मानना है कि समाज में बदलाव साक्षरता और जागरूकता फैलाने तथा गरीबों को ख़ुदमुख्तार बनाए जाने से ही आ सकता है। खासतौर पर आज की ज़रूरत महिलाओं और पुरुषों में शिक्षा का विस्तार, स्वास्थ्य, सामाजिक बराबरी, सामाजिक साझेदारी, दयानतदारी की भावना और अपने समाज के अन्दर तथा अन्य समाजों के साथ जोड़ की पुरज़ोर कोशिशों की है।

    हकीक़त यह है कि इमदाद, ज़कात, फितरा, खैरात का अगर सही इस्तेमाल होने लगे तो किसी की ओर देखने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी। इसके लिए ज़रूरी है अपना पैसा दान करते समय पूरी तरह छानबीन करें, बिना उचित जानकारी के एक भी पैसा ना दें। थोडा-थोडा पैसा अनेकों जगह देने की जगह कोशिश करें कि किसी एक ही जगह दें, जिससे कि बाद में हालात पर नज़र रखना आसान रहे। मदद अगर किसी शिक्षा संस्थान को दे रहे हैं तो यह अवश्य ध्यान रखें कि केवल दीनी तालीम से काम नहीं चलेगा, इसलिए अच्छी तरह से पुष्टि करलें कि शिक्षा स्तरीय हो। बल्कि खुद भी कभी-कभी जा कर चेक करें। ध्यान रखना ज़रूरी है कि अगर पैसा सही जगह नहीं लगा तो उसका सवाब (पुन्य) नहीं मिलेगा  और जो फ़र्ज़ है  उसे फिर से अता करना पड़ेगा।

    आजादी के बाद जितनी भी मुस्लिम लीडर्स उभरे हैं, उसमें से अधिकतर ने राजनैतिक पार्टियों के हाथों कौम के वोटों के मोलभाव के अलावा कुछ नहीं किया।

    मैं अपने स्तर पर कोशिशें कर रहा हूँ, आप अपने स्तर पर करें। लीडरशिप की ओर देखना छोड़ो, खुद उठो और आगे बढ़ो।










    Keywords: indian, muslims, zakat, helping, fitra, khairat, literacy

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    कार्टून: सबसे आखिरी 'तार' राहुल गाँधी को मिला

  • Tuesday, July 16, 2013
  • by
  • Shah Nawaz

  • मेरा द्वारा बनाया तीसरा कार्टून आपकी खिदमत में पेश है ;-)











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