बुधवार, 14 मार्च 2012

वर्चस्व की जंग में गई शावक की जान

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में घटना
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक बार फिर वर्चस्व की जंग में एक नर शावक की मौत हो गई है। पार्क प्रबंधन को घटना की जानकारी मंगलवार सुबह पर्यटकों और जिप्सी चालकों के जरिए लगी। इसके बाद अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण करते हुए लाश को अभिरक्षा में लेकर पोस्ट मार्टम कराया। विभागीय अधिकारियों के अनुसार संभवत: शिकार के लिए बाघ और शावक के बीच लड़ाई हुई थी, जिसमें 14 माह का शावक मर गया, जिसकी अंत्येष्टि कर दी गई है। पार्क प्रबंधन ने क्षेत्र में पेट्रालिंग बढ़ाने के निर्देश दिए हैं, ताकि बाघ के ठिकाने का पता लगाया जा सके। इससे पहले भी वर्चस्व की जंग में एक बाघ की मौत हो चुकी है।
बताया जाता है कि मगधी रेंज बहेरहा क्षेत्र में पटीहा बाघ और शावक के बीच सोमवार देर रात जंग हुई थी। मंगलवार सुबह करीब सात बजे बहेरहा की सड़क किनारे शावक की लाश देखी गई। साथ ही लाश के आस-पास नर बाघ के पगमार्ग और मृत शावक के शरीर पर पंजों के निशान पाए गए हैं। जानकारों के मुताबिक बाघों के बीच अपनी हद बनाने और शिकार को लेकर लड़ाई होती है, जिसमें कमजोर या छोटा बाघ हार जाता है। कई बार उसकी जान भी चली जाती है। इस समय बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लगभग 13 बाघ शावक हैं, जिनकी उम्र एक साल से ढाई साल के बीच है। फील्ड डायरेक्टर सीके पाटिल ने बताया कि दूसरे बाघ की खोजबीन जा रही ताकि यह पता चल सके कि उसे भी कहीं चोट तो नहीं लगी है।

शुक्रवार, 2 मार्च 2012

सतपुड़ा में बारहसिंगों का नया आशियाना





दूसरे आवास की तलाश में जुटी टीम, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट

पीएचवीए की प्राथमिक रिपोर्ट तैयार
कान्हा से जाएंगे 20 बारहसिंगा
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कान्हा नेशनल पार्क के बारहसिंगों को संरक्षित करने के लिए वन विभाग ने नया प्लान तैयार किया है। इसके तहत पहले चरण में होशंगाबाद के सतपुड़ा नेशनल पार्क में 20 बारहसिंगों को भेजने की योजना है। इनके विस्थापन से पहले केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने कान्हा नेशनल पार्क के अधिकारियों को पापुलेशन एंड हैबिटैट वायबिलिटी एसेस्मेंट (पीएचवीए) रिपोर्ट तैयार करने को कहा था। इसकी प्राथमिक रिपोर्ट मंत्रालय को भेज दी गई है। विस्तृत रिपोर्ट आगमी 15 दिनों में तैयार हो जाएगी। इसके बाद बारहसिंगों को विस्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
बताया जाता है कि रिपोर्ट को मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति द्वारा विचार करने के बाद योजना को हरी झंडी दी जाएगी। हालांकि प्राथमिक रिपोर्ट में वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों को सबकुछ बेहतर मिला है। कान्हा में हार्ड गाउन नामक बारहसिंगों की विशेष प्रजाति पाई जाती है, जिनकी संख्या इस समय लगभग 400 है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि भविष्य में उनकी संख्या बढ़ाने के लिए यह योजना तैयार की गई है।
क्या है रिपोर्ट में-
कान्हा के शोध अधिकारी डॉ. आरके शुक्ला और राज्य वन अनुसंधान संस्थान (एसएफआरआई) वाइल्ड लाइफ वैज्ञानिक डॉ. आरके पांडे की टीम द्वारा रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसमें लगभग 900 हेक्टेयर की भूमि में बारहसिंगों के लिए विशेष प्रकार की घास, मैदान, वातावरण सहित अन्य बिन्दुओं पर शोध कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। बताया जाता है कि यह प्रजाति केवल कान्हा में ही पाई जाती है और दूसरी प्रजाति के बारहसिंगों से अलग होती है, जिनके लिए विशेष आबोहवा की जरूरत होती है।
वर्सन....
हमने पीएचवीए की प्रायमरी रिपोर्ट केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेज दी है। वहां से अनुमति मिलने के बाद विस्थापन की प्रक्रिया आरंभ कर दी जाएगी।
एचएस पावला, पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ

‘मिशन बायसन’ अब मार्च में


कान्हा से बांधवगढ़ जाएंगे 30 गौर, विस्थापन में होगा नई तकनीकि का उपयोग

टेÑनिंग लेने जिमबांवे जाएगी टीम
साउथ अफ्रीका से आएगा दल
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कान्हा नेशनल पार्क का ‘मिशन बायसन’ अब मार्च के पहले सप्ताह में शुरु होगा। जिसके तहत बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 30 बासयन (गौर) भेजे जाएंगे। इस बार विस्थापन प्रक्रिया में नई तकनीकि का उपयोग भी किया जाएगा, जिसके लिए कान्हा की टीम टेÑनिंग लेने के लिए फरवरी में जिमबांवे रवाना हो रही है। टीम 7 से 22 फरवरी तक प्रशिक्षण प्राप्त करेगी, इसके बाद बायसनों को ट्रांसलोकेट करने की कार्रवाई शुरु की जाएगी।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ट्रांसलोकेशन से पहले बांधवगढ़ पार्क का तकनीकी और बायसनों के प्राकृतिक स्वभाव को ध्यान में रखते हुए शोध किया जाएगा। इस दौरान पाई जाने वाली खामियों को दूर करने के बाद ही विस्थापन की प्रक्रिया शुरु की जाएगी। ट्रांसलोकेशन की कार्रवाई में साउथ अफ्रीका के वन्यजीव विशेषज्ञ, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून और वेटरनरी के डॉक्टरों की मदद ली जाएगी। मालूम हो कि कान्हा में काले हिरणों की मौत के बाद बायसन को भेजने पर रोक लगा दी गई थी।
वाइल्ड लाइफ कैप्चर कोर्स-
कान्हा के डिप्टी डायरेक्टर हरिशंकर मोहंता और डॉ संदीप अग्रवाल जिमबांवे में वाइल्ड लाइफ कैप्चर कोर्स की टेÑनिंग लेंगे। यह इस दौरान उन्हें सभी वन्यप्राणियों को पकड़ने के गुर सिखाए जाएंगे, जो बायसन विस्थापन सहित दूसरे वन्यजीवों को ट्रांसलोकेशन करने में मददगार साबित होगा।
बेहतर है स्थिति-
इधर बांधवगढ़ पार्क प्रबंधन का कहना है कि यहां के सभी बायसनों की स्थिति बेहतर है। यहां पिछले साल कान्हा नेशनल पार्क से 20 बायसन लाए गए थे, जिसमें से 3 बायसनों की विभिन्न कारणों से मौत हुई थी। प्राकृतिक वातावरण और उचित अबोहवा में ढल चुके सभी बायसन स्वच्छन्द विचरण कर रहे हैं।
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बायसनों को विस्थापित करने से पहले पूरी प्रक्रिया को बेहतर बनाने पर जोर दिया जा रहा है। जिसके लिए सभी तैयारी चल रही है। हम फरवरी के बाद बांधवगढ़ में बायसन भेजने की कार्रवाई शुरु करेंगे।
एचएस मोहंता, उपसंचालक, कान्हा

बुधवार, 6 अक्तूबर 2010

गुरु बना जल्लाद





-न्यू मॉडर्न स्कूल धनपुरी का मामला
-पुलिस कर रही मामले की जांच
-आरटीई के खिलाफ है सजा
जबलपुर(...धनपुरी स्थित न्यू मॉडर्न स्कूल के टीचर (जो संचालक भी हैं) की बर्बरता पूर्ण सजा से स्कूल के सभी बच्चे सहमे हुए हैं। कॉपी कंपलीट न करने पर घुटने के बल चलाने से जो हालत दो विद्यार्थियों की हुई है, वह रोंगटे खड़े करने वाली है। इस अमानवीय, निर्दयतापूर्ण प्रताड़ना से अभिभावकों में जबरदस्त आक्रोश है। बच्ची का जख्म देख हर माता और पिता का दिल दुखी हो गया। यही कारण रहा कि चौथी कक्षा की छात्रा शांति बर्मन का पिता इंद्रकुमार अपनी नन्हीं सी जान के कोमल पैर पर घाव देख द्रवित हो गया और उसने ऐसी पुनरावृत्ति रोकने के लिए पुलिस में शिकायत कर दी। सजा पाने वाली शांति अकेली न थी। इसी कक्षा का आठ वर्षीय छात्र सागर मरावी के पैर की हालत भी ऐसी है। पीपुल्स समाचार की टीम ने जब बच्चों का हाल जाना तो वह उठ कर चोट दिखाते हुए कहने लगा कि... मुझे भी घुटना टेक कराया गया था।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के खिलाफ दी गई इस प्रकार की सजा से स्कूल के पूरे 110 छात्र-छात्राएं अब घुटना टेक का नाम सुनते ही कांप जाते हैं। हालांकि इस मामले की जांच पुलिस कर रही है। वहीँ जिला शिक्षा अधिकारी संतोष त्रिपाठी ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए नियमानुसार कार्रवाई करने को कहा है .

ये था मामला :
पिछले बुधवार को तिमाही परीक्षा का मूल्यांकन करते समय संचालक विनोद चौबे को शिक्षिका ने बताया कि चौथी कक्षा के तीन बच्चों ने गणित और हिंदी का काम पूरा नहीं किया है। इस पर श्री चौबे ने तीनों बच्चों को स्कूल परिसर में घुटने के बल चलने की सजा दी। इस दौरान बच्चों के नाजुक पैर छलनी हो गए। छात्रा ने बताया कि उसे काफी देर तक घुटना टेक कराया गया था।

संचालक की सफाई...
इस मामले में विनोद चौबे का कहना था कि उनका उद्देश्य सिर्फ बच्चों की शिक्षा में गुणवत्ता लाने का था। किसी प्रकार से बच्चों को शारीरिक या मानसिक कष्ट पहुंचाना नहीं था। छात्रा के घुटने में चोट पहले से लगी थी और स्लैक्स पहनने के कारण समझ में नहीं आया, लेकिन पता चलते ही उसे वापस बुला कर इलाज कराया गया। कुछ विरोधी स्कूल को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।

सबक के लिए शिकायत...
शांति के पिता इंद्र कुमार ने कहा कि मेरे तीन बच्चे न्यू मॉडर्न स्कूल में पढ़ते हैं। किसी बच्चे को दोबारा ऐसी सजा न दी जाए। इसलिए मैंने थाने में शिकायत की है। स्कूल में पढ़ाई बेहतर होती है और मैं चाहता हूं कि संचालक को इसका दंड मिले, परंतु यदि स्कूल बंद होने जैसी कोई बात आती है तो हम शिकायत वापस ले लेंगे।

क्या कहती हैं छात्रा-
होम वर्क पूरा नहीं होने पर पिटाई की जाती है। घुटना टेक कराया जाता है। मम्मी पापा से बताने पर पढ़ाई नहीं करने की बात कही जाती है।
-सोनाली दुबे, छात्रा,
मैदान में घुटने के बल चलाया गया और छड़ी से भी मारा गया। मैडम अच्छा पढ़ाती हैं पर मारती भी है। पापा को स्कूल बुलाकर शिकायत की जाती है।
दीपांशी योगी, छात्रा

सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

महंगा हुआ पर्यटन


महंगा हुआ पर्यटन
टाईगर रिजर्व और पर्यटक स्थल के शुल्क बढ़े


जबलपुर। नेशनल पार्क, टाइगर रिजर्व सहित अन्य पर्यटक स्थलों के शुल्क बढ़ा दिए गए हैं। शासन ने समस्त टाइगर रिजर्व में हल्के वाहन (आठ व्यक्तियों तक) पर भारतीय पर्यटक के लिए एक हजार और विदेशी के लिए दो हजार फीस तय की है। मिनी बस (9 से 32 व्यक्तियों तक) पर घरेलू और विदेशी के लिए क्रमश: 1600 और 12 हजार रुपए शुल्क रखा गया है। इसी प्रकार अन्य संरक्षित क्षेत्रों में हल्के वान पर भारतीय के लिए 400 रुपए और विदेशी के लिए 1500 रुपए निर्धारित किया गया। मिनी बस पर क्रमश: एक हजार और 10 हजार रुपए रखा गया है।
पचमढ़ी व्यू प्वाइंट्स-
पचमढ़ी व्यू पाइंट्स में दो पहिया पर घरेलू के लिए 100 और विदेशी के लिए 600, हल्के वाहन में पांच से 10 पर्यटक पर भारतीय के लिए 250 से 300 और विदेशी के लिए 1500 रुपए है। वहीं पांडव फाल, स्नेह फाल एवं अन्य स्थानों के पर दो पहिया वाहन पर 40 रुपए घरेलू के लिए तो 200 रुपए रखा गया है। फॉसिल उद्यान में पैदल दर्शन पर देश के पर्यटकों से 10 प्रति व्यक्ति लिया जाएगा।
कैपिंग के लिए तीन सौ-
राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण्य में चिंहित अहातों में कैपिंग के लिए देशी पर्यटकों से 300 रुपए एक रात का लिया जाएगा। इसमें मार्गो पर ट्रेकिंग और साइकिलिंग शामिल है। हाइड मचान एवं वाच टावर से वन्य जीव दर्शन के लिए टाईगर रिजर्व में भारतीय पयटकों से 150 रुपए लिया जाएगा। रातापानी अभ्यारण्य में विश्व धरोहर स्थल भीमबेटिका के लिए प्रति व्यक्ति 10 रुपए है।
दौ सौ हुई हाथी की सवारी-
हाथी पर बैठकर बाघ एवं तेंदुआ दर्शन के लिए देशी पर्यटकों से 200 और विदेशियों से 600 रुपए प्रति व्यक्ति लिया जाएगा। एक हाथी पर चार व्यक्ति ही बैठ सकेंगे।

गुरुवार, 30 सितंबर 2010

अयोध्या की लाइव रिपोर्ट द्वारा बीबीसी




20.00 IST- बाल ठाकरे- उम्मीद है कि इस फ़ैसले के बाद दशकों पुराने विवाद का अंत होगा.

19. 56 IST- प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देशवासियों से शांति की अपील की

19. 54 IST- आडवाणी- आज के निर्णय से राष्ट्रीय एकता का नया अध्याय शुरु होगा.

19. 52 IST- आडवाणी- यह राम जन्मभूमि के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है.

19. 51 IST- आडवाणी- कोर कमिटी की बैठक में अयोध्या फ़ैसले पर चर्चा हुई.

19. 50 IST- बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के घर पर प्रेस कांफ्रेंस

19. 47 IST- प्रशांत भूषण- सुप्रीम कोर्ट में ये फ़ैसला शायद ही ठहर पाएगा.

19.45 IST- प्रशांत भूषण ( वरिष्ठ वकील)- ये अदालती फ़ैसला नहीं है राजनीतिक फ़ैसला है.

19.11 IST- माकपा- इस मसले को सुलझाने के लिए लोकतंत्र में सुप्रीम कोर्ट का प्रावधान है और इसका सहारा लिया जाना चाहिए.

















19.05 IST- प्रवीण तोगड़िया- इस फ़ैसले से देश के सौ करोड़ हिंदुओं की श्रद्धा का सम्मान हुआ है. हम इसका स्वागत करते हैं.

18.50 IST- नरेंद्र मोदी - जहाँ तक अयोध्या रामजन्मभूमि विवाद का जजमेंट आया है,इस बात की ख़ुशी है कि इस जजमेंट से भव्य राम मंदिर बनाने का रास्ता प्रशस्त हुआ है



18.30 IST- शायद उनका आखिरी हो ये सितम, हर सितम ये सोच कर हम सह गये. इंसाफ की सारी उम्मीदें टूट गयीं. मोहम्मद अतर खान

18.17 IST - यह फैसला भले ही कानूनी दृष्टि से कुछ लोगों को अखरे.पर वास्तविकता यही है कि कोर्ट ने वही कहा है, जो इस विवाद का हल हो सकता था. हेमेन्द्र दिल्ली

18.10 IST- कासिम रसूल इलियास ( मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड)- ये फ़ैसला बैलेंसिंग एक्ट है. मस्जिद का बंटवारा नहीं हो सकता. मुस्लिम भाई सब्र करें. हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.

18.05 IST- गिरिराज किशोर ने कहा है कि अब मुसलमानों को गुड-विल का परिचय देते हुए मशुरा और काशी को भी हिंदुओं को सौंप देना चाहिए.

18.00 IST- मायावती- विवादित ज़मीन केंद्र के कब्ज़े में है इसलिए फ़ैसले के क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी भी केंद्र की.

17.50 IST- मायावती मुख्यमंत्री यूपी- लोग शांति बनाए रखें और लोग अफ़वाहों पर ध्यान न दें.

17.45 IST- क़ानून मंत्री वीरप्पा मोयली- पहले हम फ़ैसले की पूरी कॉपी पढ़ेगे फिर अपनी राय दे सकेंगे. क्योंकि चैनलों पर अलग अलग ख़बरें हैं

17.38 IST- तीन हिस्सों में बंटेगा परिसर- एक तिहाई बाबरी कमिटी, एक तिहाई हिंदु गुटों को और एक तिहाई निर्मोही अखाड़ा को

17.35 IST- कांग्रेस प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी- हर व्यक्ति कोर्ट के फ़ैसले को पूरे मन से स्वीकार करे. अनुचित व्याख्या न हो.

17.30 IST- ज़फ़रयाब जिलानी ( वकील सुन्नी वक्फ बोर्ड)- हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.

17.20 IST- बीजेपी- यह एक सकारात्मक क़दम है

17.19 IST- मोहन भागवत- किसी के दिल को ठेस पहुंचाने वाली बात नहीं की जाए. विजय पराजय की बात नहीं है. मुसलमानों से भी पिछली बाते भूलने का आह्वान करता हूं.

17.18 IST- मोहन भागवत- जो कटुता उत्पन्न हुई है उसे भूल कर राम मंदिर के निर्माण में एकत्र होकर सभी को जुटना चाहिए.

17.18 IST- मोहन भागवत- संघ के सरसंघचालक- ये किसी की जीत या हार नहीं है.

17.15 IST- हाशिम अंसारी- हम फ़ैसले का स्वागत करते हैं. आगे लंबी लड़ाई है.

17.14 IST- हिंदू महासभा के वकील एचएस जैन- हम सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे क्योंकि हमें तीन भागों में ज़मीन बांटना सही नहीं लगा है.

17.12 IST- बाबरी कमिटी- फ़ैसले से निराश हैं, सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे

17.10 IST- सेंट्रल सुन्नी वक्फ़ बोर्ड की याचिका ख़ारिज की गई

17.02 IST- कोर्ट- हिंदू धर्म के लोग जहां रामलला है उसे ही राम की जन्मभूमि मानते हैं.

17.01 IST- कोर्ट- राम लला की मूर्तियां ढांचे में 22 और 23 दिसंबर 1949 की रात रखी गईं थीं.

17.01 IST- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार ढांचे के नीचे एक बड़ा हिंदू धार्मिक ढांचा था.

17.00 IST- कोर्ट- विवादित ढांचे के नीचे एक पुराना ढांचा है जिसे तोड़कर नया ढांचा या मस्जिद बनाई गई.

16.59 IST- कोर्ट- बाबर ने ढांचा बनवाया लेकिन ये इस्लाम के उसूलों के ख़िलाफ़ था इसलिए इसे मस्जिद नहीं माना जा सकता.

16.55 IST- परिसर में यथास्थिति तीन महीने तक बरकरार रखी जाए- कोर्ट

16.53 IST- ज़फरयाब जिलानी ने कहा है कि वो आंशिक रुप से अंसुतष्ट हैं.

16.51 IST- दो जजों की राय में मुस्लिमों को एक तिहाई ज़मीन मिलनी चाहिए.

16.50 IST- जस्टिस खान की राय में दोनों पक्षों को एक तिहाई एक तिहाई ज़मीन मिले और इसमें ध्यान रखा जाए कि जहां रामलला हैं वो हिंदुओं को मिले.

16.44 IST- जस्टिस अग्रवाल की राय- रामलला जहां विराजमान थे वो हिंदुओं को दिया जाए, जहां सीता की रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अख़ाड़ा और जहां मुस्लिम नमाज पढ़ते थे वो मुस्लिमों को दिया जाए.

16.43 IST- धर्मवीर शर्मा की राय में पूरा परिसर हिंदुओं को दिया जाए.

16.41 IST- जस्टिस धर्मवीर शर्मा और एस अग्रवाल की राय- जहां रामलला विराजमान थे वो हिंदुओं को मिलना चाहिए.

16.40 IST- फ़ैसला बहुमत से किया गया.

16.38 IST- तीन हिस्से होंगे- रामलला जहां विराजमान हैं वो हिंदुओं को, बाहर का परिसर- मुस्लिम गुटों को और तीसरा इलाक़ा निर्मोही अखाड़ा को ( वकील रविशंकर प्रसाद)

16.35 IST- रघुवर दास के वकील रविशंकर प्रसाद- जहां रामलला विराजमान हैं वही हिंदूओं के लिए देवतुल्य है ऐसा कोर्ट ने कहा है

16.32 IST- फ़ैसला हज़ारों पन्नों का है जिसे पढ़ने में समय लगेगा. अगले तीन महीने तक यथास्थिति रहेगी (केएन भट्ट, वकील)

16.31 IST- सुन्नी वक्फ़ बोर्ड का मामला ख़ारिज किया गया.

16.30 IST- विवादित मस्जिद का इलाक़ा और राम चबूतरा हिंदू गुटों को ( बीबीसी संवाददाता रामदत्त त्रिपाठी)

16.30 IST- प्रभावित पक्ष सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं- हाई कोर्ट

16.30 IST- तीन जजों की पीठ ने फ़ैसला बहुमत के आधार पर दिया है.

16.30 IST- विवादित मस्जिद का इलाक़ा और राम चबूतरा हिंदू गुटों को ( बीबीसी संवाददाता रामदत्त त्रिपाठी)

16.25 IST - सुन्नी वक्फ़ बोर्ड का केस ख़ारिज किया गया.

16.15 IST- देश के कई शहरों में फ़ैसले का इंतज़ार.

16.12 IST- सुरक्षा मामलों की केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक भी होनी है, अयोध्या के फ़ैसले पर चर्चा की संभावना.

16.10 IST- फ़ैसला कुछ देर में आएगा उसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विहिप की प्रेस कांफ्रेंस दिल्ली में.

16.07 IST- ये सारी ज़मीन तब तक सरकार के पास रहेगी जब तक अंतिम फ़ैसला नहीं हो जाता.

16.05 IST- फिलहाल सारी ज़मीन केंद्र सरकार और सुरक्षाबलों के पहरे में है.

15.55 IST- 1994 में कोर्ट ने जमीन अधिग्रहण को वैध ठहराकर मामला हाई कोर्ट को भेज दिया.

15.55 IST- आगे चलकर केंद्र सरकार ने इमारत के आसपास की ज़मीन अधिगृहीत कर ली ताकि मंदिर-मस्जिद दोनों बन सके

15.48 IST- छह दिसंबर 1992 के दिन उग्र कारसेवकों ने विवादित इमारत या मस्जिद ढहा दी.

15.45 IST- अयोध्या में राममंदिर को लेकर व्यापक मुहिम शुरु की गई.बीजेपी नेता आडवाणी के नेतृत्व में.

15.41 IST- 1989 में आम चुनाव से पहले विहिप ने शिलान्यास की मुहिम शुरु की और मस्जिद से 200 फुट दूर शिलान्यास भी हुआ.

15.40 IST- 1984 में मामले ने तूल पकड़ा और 1986 में इमारत का ताला खोलने की अनुमति दी गई.

15.39 IST- 1961 में सुन्नी मुस्लिम सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड ने इसे मस्जिद घोषित करते कोर्ट से कब्ज़ा मांगा.

15.38 IST- 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने विवादित इमारत को राम मंदिर बताते हुए कोर्ट से कब्ज़ा मांगा.

15.36 IST- 1955 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इमारत विवादित होने की पुष्टि कर दी.

15.35 IST- 1949 में पहली बार बाबरी मस्जिद की इमारत को विवादित घोषित कर कुर्क किया गया.

15.30 IST- सभी राजनीतिक दलों ने शांति की अपील की है.

15.25 IST- दुनियाभर के मीडियाकर्मी हाईकोर्ट के बाहर. कड़ी सुरक्षा.

15.23 IST- मुवक्किल और वकीलों के मोबाइल बाहर रखवा दिए गए हैं.

15.21 IST- मुक़दमे से जुड़े वकील और उनके मुवक्किल कोर्ट नंबर 21 में फैसला सुनाने के लिए अन्दर गए.

15.14 IST- अयोध्या में बाबरी मस्जिद का मामला पुराना है लेकिन पहला मामला 1949 में दायर हुआ था.

15.07 IST- एसयू खान खंडपीठ की अध्यक्षता करेंगे. वो सबसे वरिष्ठ जज हैं.

15.04 IST- एसयू खान, सुधीर अग्रवाल और धर्मवीर शर्मा की खंडपीठ फ़ैसला करेगी

15.02 IST- तीन जजों के फ़ैसले की अलग अलग प्रतियां दी जाएंगी.

15.01 IST- लखनऊ के ज़िलाधीश और पुलिस महानिदेशक मीडिया को जानकारी देंगे.

15.00 IST- मीडिया के लिए फ़ैसले की प्रतियां लखनऊ में दी जाएंगी.

14.56 IST- पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी, नेताओं ने शांति की अपील की

14.54 IST- कुछ ही देर में बाबरी मस्जिद मामले में फ़ैसला सुनाया जाएगा

ayodhya, ramjanmboomi; babri masjid


एक ऐतिहासिक फ़ैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने अयोध्या के विवादित स्थल को राम जन्मभूमि घोषित किया है.

हाईकोर्ट ने बहुमत से फ़ैसला किया है कि विवादित भूमि जिसे रामजन्मभूमि माना जाता रहा है, उसे हिंदू गुटों को दे दिया जाए. वहाँ से रामलला की प्रतिमा को नहीं हटाया जाएगा.

लेकिन अदालत ने यह भी पाया कि चूंकि कुछ हिस्सों पर, जिसमें सीता रसोई और राम चबूतरा शामिल है, निर्मोही अखाड़े का भी कब्ज़ा रहा है इसलिए यह हिस्सा निर्माही अखाड़े के पास ही रहेगा.

मैं इस फ़ैसले का इस्तक़बाल करता हूं और इस फ़ैसले से बाबरी मस्जिद के नाम पर चल रहा राजनीतिक अखाड़ा बंद होगा

90-वर्षीय याचिकाकर्ता हाशिम अंसारी

अदालत के दो जजों ने यह फ़ैसला भी दिया है कि इस भूमि के कुछ हिस्सों पर मुसलमान प्रार्थना करते रहे हैं इसलिए ज़मीन का एक तिहाई हिस्सा मुसलमान गुटों दे दिया जाए.

तीन जजों की पूर्ण विशेष पीठ का यह पूरा फैसला लगभग दस हजार पेज का है.

तीनों जजों ने मुसलमानों के सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अपने दावे को कानूनन समय सीमा कि मियाद बाहर होने के तकनीकी आधार पर ख़ारिज कर दिया है.

फिर भी दो जजों न्यायमूर्ति एस यू खान और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने बहुमत से भगवान सिंह विशारद के मुक़दमे में प्रतिवादी के नाते सुन्नी वक्फ़ बोर्ड को एक तिहाई हिस्से का हकदार माना है.

जजों ने माना है कि विवादित मस्जिद के अंदर भगवान राम की मूर्तियां 22/23 दिसंबर 1949 को रखी गई. यह भी माना है कि मस्जिद का निर्माण बाबर अथवा उसके आदेश पर किया गया और यह जगह भगवान राम का जन्म स्थान है .

अदालत ने यह भी माना है किस भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की खुदाई में वहाँ एक विशाल प्राचीन मदिर के अवशेष मिले हैं , जिसके खंडहर पर मस्जिद बनी. लेकिन तीनों जजों में इस पर मतभेद है कि मस्जिद बनाते समय पुराना मंदिर तोड़ा गया.

जमीन बंटवारे में सहूलियत के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहीत 70 एकड़ ज़मीन को शामिल किया जाएगा.

ज़मीन बंटवारे के लिए मुक़दमे के सभी पक्षकारों से सुझाव मांगे गए हैं, जिसके बाद अदालत फाइनल डिक्री बनाएगी. इस बीच विवादित स्थल पर यथास्थिति बनी रहेगी.

इस बीच सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की बात भी कही है.

फ़ैसले के बाद उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.

उनका कहना था कि विवादित 67 एकड़ ज़मीन केंद्र सरकार के क़ब्ज़े में है इसलिए इस फ़ैसले के क्रियान्यवन की ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार की ही है.

उनका कहना था, "इसके लिए मैने फ़ैसला आने के बाद प्रधानमंत्री को पत्र लिख दिया है."
प्रतिक्रियाएं

फ़ैसले के बाद इस विवाद के पहले याचिकाकर्ता, 90 साल के हाशिम अंसारी ने कहा: "मैं इस फ़ैसले का इस्तक़बाल करता हूं और इस फ़ैसले से बाबरी मस्जिद के नाम पर चल रहा राजनीतिक अखाड़ा बंद होगा."

उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने फ़ैसले का स्वागत किया लेकिन साथ ही कहा कि अगर ज़मीन का बंटवारा नहीं होता तो अच्छा होता.

उनका कहना था, "मेरे अनुसार अदालत ने ये ज़मीन मुस्लिम वक्फ़ बोर्ड को दान में दिया है."

वहीं मुस्लिम वक्फ़ बोर्ड के वकील जफ़रयाब जिलानी ने कहा है कि वो इस फ़ैसले से "कुछ हद तक निराश हैं". उन्होंने कहा कि फ़ैसले का अच्छी तरह से अध्ययन करने के बाद वो सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे.

फ़ैसले पर मायूस होने की ज़रूरत नहीं है और सड़कों पर उतरने की ज़रूरत नहीं है. दो जजों ने माना है कि वहां मस्जिद थी लेकिन उसके बनने के तरीके पर सवाल उठाए गए हैं और इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे

वक्फ़ बोर्ड के वकील जफ़रयाब जिलानी

उनका कहना था, "फ़ैसले पर मायूस होने की ज़रूरत नहीं है और सड़कों पर उतरने की ज़रूरत नहीं है. दो जजों ने माना है कि वहां मस्जिद थी लेकिन उसके बनने के तरीके पर सवाल उठाए गए हैं और इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे."

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने कहा है कि इस फ़ैसले को किसी के विजय या पराजय के रुप में नहीं देखा जाना चाहिए.

उनका कहना है कि अब राष्ट्रीय मूल्यों के प्रतीक के रुप में राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए न कि किसी देवी-देवता के प्रतीक के रुप में.

विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया का कहना है कि देश के सौ करोड़ हिंदुओं की श्रद्धा रही है और इस फ़ैसले से इस श्रद्धा का सम्मान हुआ है.

जबकि विश्व हिंदू परिषद के ही एक अन्य नेता गिरिराज किशोर ने कहा है कि अब मुसलमानों को गुड-विल का परिचय देते हुए मथुरा और काशी को भी हिंदुओं को सौंप देना चाहिए.
शांति की अपील

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृहमंत्री पी चिदंबरम ने सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है.

सुरक्षा व्यवस्था भी काफ़ी कड़ी रखी गई है.

ये फ़ैसला पहले 24 सितंबर को आना था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रोकने के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई की और फ़ैसला टाल दिया. फिर 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज करते हुए फ़ैसले के लिए 30 सितंबर की तारीख़ तय कर दी.

इस मामले की सुनवाई कर रही तीन जजों की बेंच में से एक, धर्मवीर शर्मा, एक अक्तूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और यदि वो फ़ैसला उससे पहले नहीं सुना पाते तो पूरे मामले की सुनवाई फिर से करनी पड़ती.

अयोध्या में विवादित जमीन के मालिकाना हक के चार मामलों की सुनवाई करने वाली हाईकोर्ट की विशेष पीठ पिछले 21 साल में 13 बार बदल चुकी है.

बेंच में यह बदलाव जजों के रिटायर होने, पदोन्नति या तबादले के कारण करने पड़े.

भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में यह न केवल साठ साल तक यानि सबसे लंबा चलने वाला, बल्कि एक ऐसा विवाद है, जिसके चलते देश में कई बार राजनीतिक और सामाजिक उथल - पुथल हो चुकी है, क्योंकि यह मामला ज़मीन के एक छोटे से टुकड़े नहीं बल्कि हिंदू–मुस्लिम दोनों समुदायों की धार्मिक आस्थाओं और संविधान के मूल सिद्धांतों से जुड़ा है.