वाल मार्ट के व्यवहारिक उपयोग


वाल मार्ट

अपने देश में अनगिनत लफ़ड़े हैं। गरीबी, आबादी, भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता, जातिवाद, ये वाद-वो वाद, आदि-इत्यादि तो स्थायी लफ़ड़े हैं। इनको ही झेलते-झेलते हम बोर न हो जायें इस लिये जायका बदलने के लिये समय-समय पर मौसमी लफ़ड़ों का जुगाड़ भी होता रहता है। तरह-तरह के घपले, घोटाले, इस्कैम-फ़िस्कैम, गिरफ़्तारी-फ़िरफ़्तारी भी अपनी क्षमता के हिसाब के लफ़ड़ों की एकरसता तोड़ने के लिये अवतरित होते रहते हैं।

इधर दो दिन हुये एक नये लफ़ड़े ने अवतार लिया है लफ़ड़े का नाम है विदेशी खुदरा कम्पनी! वालमार्ट और दूसरी कम्पनियों के आने की बात चली है। देश के सारे बयानों का ट्रैफ़िक वालमार्ट की तरफ़ डाइवर्ट हो गया है। पता नहीं क्यों इसपर अभी तक अन्ना हजारे जी का बयान क्यों नहीं आया है जबकि वे मौनव्रत पर भी नहीं हैं।

वालमार्ट के समर्थन और विरोध में दे दनादन तर्कतीर चल रहे हैं। समर्थक कह रहे हैं कि इससे उपभोक्ता को फ़ायदा होगा। विरोधियो का कहना है कि इससे खुदरा व्यापारियों की कमर टूट जायेगी। समर्थक कह रहे हैं इससे ग्राहक फ़लेगा-फ़ूलेगा। विरोधी कह रहे हैं कि इससे जनता लुट जायेगी/पिट जायेगी।

मोटा-मोटी देखने से लगता है कि वाल मार्ट वाले परोपकाराय सतां बिभूतया टाइप के लोग हैं। भारत के किसानों का दुख उनसे देखा नहीं गया। किसानों के दुख से पसीजकर उसने उनके उद्दार के लिये कमर कस ली है। अब लगता है कि किसानों का भला होकर ही रहेगा।

व्यक्तिगत तौर पर मुझे शापिंग मॉल जैसी जगहें शहर में स्थित सबसे वाहियात जगहों में से लगती है। उसमें से कुछ कारण ये हैं:

  1. जो चाय बाहर तीन रुपये की मिलती है उससे कई गुना घटिया चाय शापिंग मॉल में तीस रुपये में मिलती है।
  2. मॉल में सिवाय सफ़ाई, रोशनी और एअरकंडीशनिंग के बाकी सब स्थितियां अमानवीय लगती हैं। न ग्राहक और न सेल्सस्टाफ़ किसी के बैठने का कोई जुगाड़ नहीं होता।
  3. एक ही चीज के दाम जिस तरह वहां बदलते हैं उस तरह तो जनप्रतिनिधियों के बयान भी नहीं बदलते।

लेकिन हमारी पसंद-नापसन्द से देश के लफ़ड़े नहीं तय होते। इसलिये अगर कल को हमारे शहर में भी कल को कोई वाल मार्ट-शाल मार्ट खुल गया तो भी हम क्या कर लेंगे। और लफ़ड़ों के साथ इसको भी झेलेंगे। लोगों ने कहा है कि हर चीज के दो पहलू होते हैं एक सकारात्मक दूसरा नकारात्मक। तो भले आदमी की तरह हमें सकारात्मक पहलू ही देखने की आजादी है। सो देख रहे हैं और वाल मार्ट के व्यवहारिक उपयोग की सूची बना रहे हैं:

  1. वाल मार्ट शहर में आते ही अपने लिये कोई स्लोगन तलाशेगा। वो हमारे शहर के ’ठग्गू के लड्डू’ वाला नारा खरीद लेगा- ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं। इसके बाद जब जब कभी कौन बनेगा करोड़पति या सवाल इंडिया का में पूछेगा कि यह नारा किसका है तो हम तड़ से बता देंगे -वाल मार्ट का। लोग हमको ज्ञानी समझेंगे!
  2. लोग कहते हैं कि वालमार्ट के आने से किसानों को फ़ायदा होगा। बिचौलिये बरबाद हो जायेंगे। अगर सच में ऐसा होगा तो बिचौलियों के पास मौका होगा कि वे फ़िर से किसानी करने लगें। इससे देश फ़िर से कृषि प्रधान हो जायेगा। इस देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती के दिन फ़िर लौट आयेंगे।

  3. ठग्गू के लड्डू

    जब बिचौलिये रहेंगे नहीं तो बिचौलियों के कारण होने वाले घपले घोटाले अपने आप कम हो जायेंगे। जब घपले नहीं होंगे तो देश में भ्रष्टाचार कम होगा। फ़िर तो झकमार देश को खुशहाल होना पड़ेगा।

  4. किसानों का जो भी भला करता है उसको वे देवता मानने लगते हैं। इस तरह वालमार्ट देवता का अवतार होगा। जगह-जगह जगह घेरकर वाल मार्ट देव के मंदिरों का निर्माण होना शुरु हो जायेगा।
  5. साहित्य में भी एक नया युग आयेगा। वालमार्ट के आने के बाद लिखा गया साहित्य उत्तर वाल मार्ट युग के नाम से जाना जायेगा।
  6. शहरों में आमतौर पर बिजली गायब रहती है। लेकिन वालमार्ट में ए.सी. का जुगाड़ रहेगा। शहर भर के लोग सड़ी गर्मी से निजात पाने के लिये वालमार्ट में पिले पड़े रहेंगे। जगह कम होने पर वालमार्ट का रकबा बढ़ाने के लिये आंदोलन होना शुरू होगा।
  7. जो बच्चे बिजली न आने के कारण पढ़ लिख नहीं पाते वे भी लिये किताबें-नोटबुक वालमार्ट की तरफ़ भागते नजर आयेंगे।
  8. किसानों से सीधे सामान खरीदने के चक्कर में वालमार्ट से गांवों तक जाने वाली सड़कें की मरम्मत हो जायेगी। जिस मोहल्ले के लोगों को अपने यहां सड़क बनवानी होगी वे अपने आसपास सब्जी उगाने लगेंगे। वालमार्ट से उस मोहल्ले तक फ़ौरन सड़क बन जायेगी।
  9. संभव है कि परिवहन की लागत बचाने के लिये नये तरीके अपनाये जायें। क्या पता कल को आलू के बोरों के ढुलाई के लिये मिसाइलों का उपयोग होंगे लगे। चार बोरे एक कंटेनर में लादकर उसको एक मिसाइल के माध्यम से सीधे वालमार्ट के लिये प्रक्षेपित किया जाये। इससे विकसित देशों के गोदामों में सड़ रही मोबाइलों मिसाइलों का सामाजिक उपयोग हो सकेगा। इसी बहाने विकसित देशों की पतली हालत में थोड़ा मोटापा आ सकेगा।
  10. वालमार्ट आने वाले समय में युवाओं के लिये प्रेम-श्रेम करने का नया ठिकाना बनेंगे। डलियों में सामान खरीदकर बिक भुगतान करते के लिये लाइन में लगे हुये लोग कुछ न कुछ जरूर ऐसा करेंगे जिससे अनगिनत उत्तर वालमार्टीय प्रेम कहानियों का जन्म होगा। क्या कोई लड़का वालमार्ट में घूमती किसी लड़की से पूछे- तेरा बिल हो गया। इससे शुरु हुई बातचीत फ़िर न जाने कित्ते बिलों के इधर-उधर होने की कहानी कहे। कभी मंदिर जाने के बहाने मिलने आने वाली नायिकाये आने वाले समय में गाने लगेंगी- मैं तुझसे मिलने आई वाल मार्ट जाने के बहाने।
  11. भारत में अभी तमाम तरह की विषमतायें हैं। लोग जातिवाद, धर्म, सम्प्रदाय, प्रदेश, जिला,मोहल्ले, लिंग भेद के नाम पर बंटे हुये हैं। वाल मार्ट आने और छाने के बाद ये सारे भेदभाव मिट जायेंगे और अपने देश में सिर्फ़ दो तरह के लोग रहेंगे। एक वे लोग होंगे जिनकी हालत वालमार्ट के चलते चमक जायेगी दूसरे वे लोग होंगे जो वालमार्ट की वजह से बरबाद हुये। भले ही दूसरी तरह के लोग बहुमत में होंगे लेकिन यह अपने आप में कम सुकून की बात नहीं कि और तमाम भेदभाव अतीत की बात हो जायेंगे।

वाल मार्ट के आने न आने को लेकर और भी तमाम तरह के बयान जारी हो रहे हैं। कुछ के बयानों को सुनकर तो लगता है कि शायद इसी के लिये रागदरबारी में अवधी कहावत का जिक्र हुआ है जिसका मतलब है – नंगे आदमी के स्थान विशेष में पौधा उगा तो वह यह सोचकर नृत्यरत हो गया कि भविष्य में इससे छाया की व्यवस्था होगी।

आपके भी कुछ विचार/बयान हैं क्या इस बारे में? :)

34 responses to “वाल मार्ट के व्यवहारिक उपयोग”

  1. आशीष 'झालिया नरेश' विज्ञान विश्व वाले

    हम इस विषय पर अपनी विशेष टिप्पणी नही करेंगे!
    आशीष ‘झालिया नरेश’ विज्ञान विश्व वाले की हालिया प्रविष्टी..स्ट्रींग सिद्धांत : परिचय

  2. देवेन्द्र पाण्डेय

    कुल विचार तो झटक लिये महाराज! हम तो अबहीं सोच ही रहे थे कि कब फुर्सत मिले और बताया जाय।

    बनारस जैसे शहरों में जहां गढ्ढों पर सड़क नाम की चींज रेंगती है, धूल से दुकाने हमेशा तर रहती हैं, वाल मार्क सांस लेने से पहले ही दम तोड़ देगा। हम तो राह चलते, झटके में, पटरी-ठेले पर लगी ताजा सब्जी खरीदने के आदी हैं। ई वाल मार्क समय भी बर्बाद करेगा। ब्लागिंग का कीमती समय ई वाल मार्क से सब्जी खरीदने में ही जाया हो जायेगा। यह अलग बात है कि ब्लॉगरों को रोज नई पोस्ट लिखने के लिए विषय मिल जायेगा।

    मूल बात यह कि विदेशी यहां पैसा, कमाने के लिए लगायेंगे कोई परोपकार करने के लिए नहीं। पहले सड़कें बना लो, लोगों को बिल भरने लायक पढ़ा लिखा दो, दवा-दारू का इंतजाम कर लो, फिर सोचना वाल मार्क..साल मार्क।
    ….ब्लॉगरों का इस विषय में ध्यान केंद्रित कर नींद से जगाने की दृष्टि से यह पोस्ट मस्त है।

  3. rachna

    वाल मार्ट – भारती एयर टेल के साथ भारत में पहले ही आ चूका हैं
    कर्फुर भी मुझे दिल्ली में दिखा
    जहाँ तक मेरा ख्याल हैं वाल मार्ट में बिकने वाला सामान सब चाइना का होगा , दाल सब्जी समेत क्युकी वहाँ से सस्ता कहीं नहीं मिलता . वहाँ से खरीद कर वालमार्ट सब जगह बेचता हैं
    भारत से भी तमाम एक्सपोर्टर अपना माल इन कंपनियों को बेचते हैं लेकिन ओपन अकाउंट और क्रेडिट पर लेकिन उन मे से ९० प्रतिशत भी खुद कुछ नहीं बनाते हैं . सब बनवाते हैं
    यानी बिचोलिये ही हैं
    वाल मार्ट की अपनी ऑफिस बंगलौर में २० साल से माल खरीदने कर आगे बेचने के लिये वहाँ भारतीये नौकरी करते हैं पर एक्सपोर्टर से तगड़ा कमीशन लेते हैं माल पास करने का
    छोटे एक्सपोर्टर को कोई नहीं गिनता

    वालमार्ट के आने से बेरोजगारी बढ़ेगी
    और हाँ अभी जो बच्चे खेतो में काम करते हैं वो भी नहीं कर सकेगे क्युकी बाल मजदूरी वालमार्ट को मंजूर नहीं

    तैयार हो जाए चाइना का ५० किलो का कद्दू का एक टुकड़ा खाने के लिये या २० किलो के टमाटर का एक टुकड़ा खाने के लिये
    अभी अगर फ्रीज से काम चला लेते हैं तो पत्नी श्री के लिये डीप फ्रीजर लेने के लिये वालमार्ट ही जाना होगा
    rachna की हालिया प्रविष्टी..अनामिका की उलझन हैं की वो क्या करे

  4. arvind mishra

    अथ ब्लाग मध्ये प्रथमो वाल मार्टाय व्यंग अलेखाय अभिनन्दनम करिष्योहम् :)
    arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..कौए की निजी ज़िंदगी

  5. संतोष त्रिवेदी

    हमारे यहाँ के दफ़ा तो लफड़े पैदा ही किये जाते हैं कि उनके पूर्ववर्ती(लफड़े) रफा-दफ़ा हो जाएँ ! अन्ना को सरकने के लिए पूरा राजनैतिक तंत्र जुटा हुआ है ऐसे में आये दिन ऐसे लफड़े होते रहेंगे !

    आपसे किसने कह दिया कि माल-वगैरह में चाय के पैसे लिए जाते हैं.लोग तो वहाँ ‘चक्षु-दर्शन’ का टैक्स देते हैं !
    संतोष त्रिवेदी की हालिया प्रविष्टी..ब्लॉगिंग के साइड-इफेक्ट !

  6. घनश्‍याम मौर्य

    अपन तो मिडिल क्‍लास के आदमी हैं जिसके घर में मेहमान के आने पर जब नमकीन नहीं होती तो पडोस की दुकान से किसी को भेजकर तुरत फुरत मंगवा लेते हैं। शापिंग माल तो खाली घूमने जाते हैं कि मार्केट में किस किस टाइप के प्रोडक्‍ट आये हुए हैं। दरअसल शापिंग माल मिडिल क्‍लास के लिए अपनी फ्रस्‍ट्रेशन निकालने और ‘फील गुड’ का जरिया भर है। वालमार्ट आये या कार्फू, हिन्‍दुस्‍तान में नुक्‍कड वाली दुकान हमेशा बरकरार रहेगी।
    घनश्‍याम मौर्य की हालिया प्रविष्टी..इंदिरा गोस्‍वामी जी का निधन

  7. Gyandutt Pandey

    इतने बिरवे लगेंगे कि छाया ही छाया होगी। पेटा की सुन्दरियां उन बिरवों को पहन फोटो खिंचायेंगी! :-)
    Gyandutt Pandey की हालिया प्रविष्टी..आठ बिगहा पर आगे चर्चा

  8. प्रवीण पाण्डेय

    आपके बहुत सुझावों से सहमत हैं, मॉलों में कृत्रिमता बहुत खटकती है।

  9. सलिल वर्मा

    पहली बार यह पोस्ट “फ़ुरसतिया” की नहीं “हडबडिया” की लगी… पोस्ट तो रापचिक हइये है.. इसमें बताए गए नुस्खे अचूक हैं क्योंकि इनको हम दोनों मित्रों ने बाकायदा नोएडा के मॉल में टेस्ट करके भी देखा है… जैसे गर्मी से बेहाल होने पर सपरिवार वहाँ जाकर शीतल बयार का आनद लेना, इम्तिहान के समय आराम से रट्टा मारना और पढ़ना… पत्नीको शोपिंग करने भेजकर थोड़ा नयनसुख भी प्राप्त कर लेना ;)
    लीजिए इस चक्कर में पहले वाली बात तो रह गयी “हडबडिया” वाली… आपने लिखा है:
    .
    १. पता नहीं क्यों इसपर अभी तक अन्ना हजारे जी का बयान क्यों नहीं आया है.
    २. इससे विकसित देशों के गोदामों में सड़ रही मोबाइलों का सामाजिक उपयोग हो सकेगा।
    .
    मस्त है बाकी तो!!
    सलिल वर्मा की हालिया प्रविष्टी..ब्लॉग-बस्टर पखवाड़ा

  10. Puja Upadhyay

    वालमार्ट आने के पहले ही ब्लॉग्गिंग में नए युग की शुरुआत हो चुकी है…और ओपनिंग हमेशा की तरह फुरसतिया जी के सौजन्य से :D मन प्रफुल्लित हो गया सुबह सुबह ये कहानी सुन कर…धन्य धन्य. आपकी इस कथा को सुनते ही आसमान से पुष्पवर्षा होनी शुरू हो गयी…कहना न होगा कि आसमान में थोक भाव में फूल वालमार्ट से ही आये थे. :) :)

  11. aradhana

    अब हम का बताएँ? सालों से महानगर में रहने के बाद भी हम ना आज तक किसी मॉल में गए हैं, ना मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखी है और ना कैफे कॉफी डे में कॉफी पी है. हम आई.सी.एस.एस.आर. जाकर वहाँ के डायरेक्टर से सीधे बात कर सकते हैं, पर मॉल परिवार से परिचय बढ़ाने में हमारा कस्बाई मन अब भी हिचकता है.
    कुछ बातें तो इस लेख की वाकई सच होने वाली हैं :) सच्ची. आपने ठग्गू के लड्डू की याद दिलाकर जाने क्या-क्या याद दिला दिया, जिसमें मुख्य है- शुक्लागंज की दूध की बर्फी.चाचा गंगाघाट में पोस्टेड थे तो जब आते थे, ये बर्फी ज़रूर लाते थे.
    ‘उद्दार’ को ‘उद्धार’ कर लीजिए. बकिया तो सब ठीक ही है.
    aradhana की हालिया प्रविष्टी..दिए के जलने से पीछे का अँधेरा और गहरा हो जाता है…

  12. चंदन कुमार मिश्र

    वाह। लाजवाब। क्या लिखते हैं? …मॉल-वाल सब बेकार है। छोट-मोट दुकान से सामान खरीदिए और इनसे मुक्ति प्राप्त करें। …उगले हीरो मोती…लेकिन उगले जाने के बाद सब गायब…

    वालमार्ट मन्दिर के बाद वालमार्ट पुराण, वालमार्टेश्वर महादेव। वालमार्ट की – जय कोई बोलेगा कैसे, लिख हम अकेले रहे हैं…

    साहित्य का इतिहास नहीं हिन्दी चिट्ठेकारी का सच्चा इतिहास- रामचन्द्र शुक्ल नहीं, अचार्य अनूप शुक्ल जी…काल विभाजन- किताब आएगी जल्द ही, तब पढेंगे। …
    चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..योद्धा महापंडित: राहुल सांकृत्यायन (भाग-3)

  13. चंदन कुमार मिश्र

    आदरणीय देवेन्द्र जी, फुरसतिया अन्ना की बात समझ ही रहे हैं और वालमार्ट का हाल भी…लेकिन यहाँ इशारेवादी साहित्य की विधा में हम पढ रहे हैं। …अन्ना चुप रहेंगे क्योंकि इस मामले में कोई उनकी मदद नहीं कर रहा, सीखा नहीं रहा, न किरण, न कमल, न कुबेर, न कबूतर…
    चंदन कुमार मिश्र की हालिया प्रविष्टी..योद्धा महापंडित: राहुल सांकृत्यायन (भाग-3)

  14. shikha varshney

    वाल मार्ट पर गहन अध्यन वो भी फुरसतिया अंदाज में ..जय हो.
    shikha varshney की हालिया प्रविष्टी..जीना यहाँ.. मरना यहाँ ..

  15. vijay gaur

    बेहतरीन गद्ध्य और बेहतरीन व्यंग्य !! ब्लागिया लेखन का नायाब नमूना| मज़ा आ गया |
    vijay gaur की हालिया प्रविष्टी..तीन सौ पैंसठ दिन तीन सौ पैंसठ प्रजातियों के भात का भोग

  16. सतीश पंचम

    रागदरबारी की क्या कहें, हर फर्रा एकदम खर्रा। अब तो मन करता है एक बार काशी का अस्सी फिर पढ़ूँ। भारी भरकम किराये खातिर विदेशी महिला मादलेन हेतु पंडित धर्मनाथ शास्त्री अपने महादेव जी की मूर्ति हटा उस कक्ष में टायलेट बनवाने पर तुल गये…….सोच रहे थे अब अपने लईका बच्चा भी कानों में इयरफोन ठूंस वाकमैन सुनैंगे………जियो पंडित धर्मनाथ शास्त्री जी……..का एंगल है :)

    अभी कुछ दिन पहले ही उदय प्रकाश जी का ही शायद कथन था कहीं – “जो कमजोर हैं, वो मारे जाएंगे”।
    सतीश पंचम की हालिया प्रविष्टी..जिन्दगी का एक एपिसोड ऐसा भी रहा……

  17. shefali

    एकदम सही ….अब आ ही जाए वालमार्ट ….:}

  18. मनोज कुमार

    सामयिक समस्या पर असरदार पोस्ट!
    मनोज कुमार की हालिया प्रविष्टी..प्रभावकारी अहिंसक शस्त्र

  19. Abhishek

    हा हा, गजब दूरदर्शी पोस्ट है. कसम वालमार्ट की :)
    Abhishek की हालिया प्रविष्टी..माल में माल ही माल (पटना ९)

  20. देवांशु निगम

    पहले तो बधाई कि इतनी मुद्दे कि बात आप सबके सामने लेकर आये …शैली व्यंग्यात्मक है लेकिन बातें सीधा प्रहार है…
    समझने वाली बात ये भी है कि वालमार्ट को स्टोर्स खोलने कि इजाजत तो न्यूयोर्क में भी नहीं है …
    देवांशु निगम की हालिया प्रविष्टी..साल्ट लेक सिटी ट्रिप…

  21. sanjay jha

    इंसानी फितरत तो गिरगिट से भी अधिक बदतमीज़ है………………रंग बदलने में…………………..लेकीन…..
    प्रकृति के नियम ये कहती है गरीब जित्ते कमेगी(मरेगी)…..गरीबी उत्ते बढ़ेगी(जियेगी) ……………….

    बकिया त्रिवेदीजी ने लाख टेक की बात कहे ‘चक्षु दर्शन’…….सच्ची बात……….

    pranam.

  22. अंतर्मन

    वाह!
    अंतर्मन की हालिया प्रविष्टी..कुछ शेर

  23. kmkhan

    वाल मार्ट का जैसा सजीव चित्रण अपने किया है वैसा तो बीजेपी भी नहीं कर पाई.

  24. चंद्र मौलेश्वर

    वाल माट…अर्थात अब दीवार पर भी माट-मेथी उगेगी :)
    चंद्र मौलेश्वर की हालिया प्रविष्टी..एक पुराना लेख

  25. Anonymous

    ये हमारा देश ही लफडिसतान हो गया हैं

  26. फ़ुरसतिया-पुराने लेख

    [...] वाल मार्ट के व्यवहारिक उपयोग [...]

  27. सतीश चंद्र सत्यार्थी

    ये फायदों की लिस्ट ममता जी को फैक्स कर दें तो ममता जी सरकार को समर्थन के साथ-साथ कलकत्ता में दो-चार बीघा जमीन भी दे दें भाल-मार्ट खोलने के लिए ;)
    सतीश चंद्र सत्यार्थी की हालिया प्रविष्टी..हिन्दी दिवस से नयी शुरुआत

  28. dhirusingh

    वाल मार्ट आपके सुझावों से बहुत कुछ सीख सकता है .रायल्टी के लिए तैयार रहे .
    dhirusingh की हालिया प्रविष्टी..आजादी में गिरफ्तार हम ….हमारा कसूर क्या

  29. ajit gupta

    चाहे वालमार्ट आ जाए और चाहे कोस्‍को, हम भारतीय उसकी ऐसी ऐसे की तेसी करेंगे कि वे भी चौकड़ी भूल जाएंगे। रिर्टन काउण्‍टर पर लम्‍बी लाइन होगी, बन्‍दा रोज ही सामान बदलवाएगा। कोस्‍को में तो आधे फल खाएगा और फिर पूरी पेटी वापस कर देगा। अपनी नीति यहाँ बदलनी नहीं पड़ी तो बता देना। वहाँ लोगों के पास पर्याप्‍य समय है तो धनिया खरीदने के लिए भी एक घण्‍टा बर्बाद कर देते हैं यहाँ तो घर के बाहर सब्‍जीवाला चाहिए। जो दो मिनट में सब्‍जी दे दे। इनका भविष्‍य दो चार महानगरों में ही तय हो जाएगा।

  30. गिरीश चन्द्र अग्निहोत्री

    अति फुनदर। आज फैक्टरी दे विच्चों राज भाषा फगवाड़ा मनान लई अफ़सरान दे विचकार हिन्दी वल्लों निबंध प्रतियोगिता करवाई गई सी। तो ओहदे वल्लों खाकसार ने भी पार्ट लित्ता सीगा। निबंध का टॉपिक था भारत की समस्याएँ । मैंने तो भारत की सिर्फ कुकरहाव की समस्या का जिक्र किया है।

  31. sonal rastogi

    आज की चर्चा मन कर रहा है वालमार्ट की दिवार पर जाकर चिपका दे उ भी तो जाने … और हाँ हम जैसे जो मजबूरीवश मॉल के देस में फंस गए है वो क्या करे ….
    sonal rastogi की हालिया प्रविष्टी..हरि अनंत हरी कथा अनंता !!!

  32. बेचारा वाल मार्ट पधार रहा है

    [...] पता चला वाल मार्ट आ रहा है। फ़िर कन्फ़र्म हुआ कि नहीं रहा है – [...]

  33. janmejay Mamgai

    अब तो आ ही गया कुछ गरमा गर्म मसाला लिखो की हम कुछ नहीं कर सकते यह तो महसूस हो.
    फिर रियल प्रॉब्लम पर ध्यान ही हट जाय, की बस बयान बाजियों से पेट भर ले.

  34. : हमें तो लूट लिया मिल के मॉल वालों ने

    [...] मॉल आने का हांका हुआ था तो लग रहा था कि [...]

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