जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आते हैं, ठोस मुद्दों की जगह बहला-फुसला कर वोट बटोरने की राजनीति शुरू हो जाती है, उसी तर्ज़ पर आज कल मुसलमानो को आरक्षण के लॉली पॉप पर बहस छिड़ी हुई है। मेरा सवाल है कि आखिर मुसलमानो को आरक्षण क्यों मिलना चाहिए? बल्कि अब किसी को भी आरक्षण की बात नहीं होनी चहिए। इसकी जगह उन्हें उनके अधिकार की बात होनी चाहिए, बराबरी के अधिकार की। और बात अगर पिछड़ों को आगे बढ़ाने की है, तो रोज़गार के अवसरों की बात होनी चाहिए, शिक्षा के स्तर पर मदद होनी चाहिए, स्किल डेवलेपमेंट की बात होनी चाहिए, जिससे किसी बैसाखी की जगह अपने पैरों पर खड़े होकर देश की प्रगति में सहायक...
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