सत्तर के शुरुआती दिनों मे विविधभारती की विज्ञापन सेवा जब मनोरंजन के क्षेत्र को एक नया आयाम दे रही थी। नए-नए विज्ञापन भी खासे आकर्षक बनाए जाते थे। उन दिनों के कुछ चर्चित विज्ञापन, मुझे उनकी बिंदास आवाज और स्टाइल के कारण बहुत पसंद थे। भविष्य की संभावनाओं को गर्भ में छिपाये उनमें से एक था ‘रस्टन इंजन बाप लगाये बेटे के बाद पोता चलाये’। हरित क्रांति के उस दौर में धाराप्रवाह जलधारा बही या नही, वह अलग विषय है किन्तु राजनीतिज्ञों नें उससे कैसी प्रेरणा ली, इसका मुज़ाहिरा करें.........
१-ज़ाकिर हुसैन के नवासे,खुरशीद आलम खाँ के लख्तेजिगर‘सलमान खुर्शीद’।
२-दलित शिरोमणि जगजीवनराम की लाड़्ली ‘मीराकुमार’।
३-पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स०बेअंतसिंह के पौत्र ‘रवनीत सिंह’।
४-गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री अमरसिंह चौधरी के पुत्र ‘तुषार चौधरी’।
५-गुजरात के अन्य मुख्यमंत्री माधवसिंह सोलंकी के पुत्र ‘भरतसिंह सोलंकी;।
६-महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल के आत्मज ‘प्रतीक पाटिल’।
७-महाराजा पटियाला तथा भ्रष्टाचार का मुकदमा झेल रहे पूर्व मुख्यमंत्री स०अमरिंदर सिंह की मलिका महारानी ‘परणीतसिंह’।
८-ग्वालियर नरेश एवं केन्द्रीय मंत्री रहे स्व०महाराज माधवराव सिंधिया के उत्तराधिकारी महा०ज्योतिरादित्य सिंधिया’।
९-कश्मीर के महान सेक्युलर नेता और पं०नेहरु के प्रियपात्र मशहूर शेख अब्दुल्ला के नूरे नज़र ‘डा० फारुख़ अब्दुल्ला’।
१०-डा० फारुख अब्दुल्ला के दामाद, कश्मीर के वर्तमान मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला के जीजा और स्व० राजेश पायलट के नूरे चश्म ‘सचिन पायालट’।
११-मध्यप्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव के पुत्र ‘अरुण यादव’।
१२पूर्व केन्द्रीय मंत्री दलबीर सिंह की पुत्री ‘शैलजा’।
१३-पूर्व लोकसभाध्यक्ष पी०ए०संगमा की बेटी ‘अगाथा संगमा’।
१४-जी०के० मूपनार के पुत्र ‘ जी०के०वासन’।
१५-पूर्व रक्षा राज्य मंत्री रहे सी०पी०एन०सिंह के सुपुत्र ‘आर०पी०एन०सिंह
१६-उत्तरप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे जितेन्द्र प्रसाद के बेटे ‘जितिन प्रसाद’।
यह वे नाम हैं जो ‘टीम-मनमोहन’के बैट्स मैन हैं। अधिकांश ‘महाजन’ “नेहरू डायनेस्टी” के होनहार युवराज की युवापसंद हैं बिल्कुल ‘हिंदालियम के बर्तन, निखारदार चमकीले, सुंदर, कम खर्चीले’ की तर्ज पर। खैर यह सब तो उनका अंदरूनी मामला है। सामंतवाद से मुक्त २१वी सदी में गई जनता को तुलसी बाबा का दिया ‘सिली’ मंत्र दुहराना तो भुला ही देना चाहिये ‘कोऊ नृप होये हमें का हानीं, चेरी छोड़ न हुइहौं रानी’। शिट!
अब जब कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ हो तो ‘हाँथों में हाँथ लियेऽऽऽ, दिलवर को साथ लियेऽऽऽ,हर मौके पे रंग कोका कोला के संग’ गुनगुनानें से किसी को क्या प्राब्लम? आफ्टर आल ‘वी आर मेड़ फार ईच अदर समझेऽऽऽऽऽऽ?
शुक्रवार, 29 मई 2009
लोकतांत्रिक सामंतवाद : जय हो
लेबल: व्यंग
प्रस्तुतकर्ता सुमन्त मिश्र ‘कात्यायन’ पर 2:50 अपराह्न
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8 टिप्पणियाँ:
दुखती रग पर हाथ रख दिया आपने. क्या यह भी सिर्फ इत्तेफाक है कि इन जन-प्रतिनिधियों (इसे शासकों पढें) में से राजा साहेब (जिनके पुरखे सदा देश को पलीता लगाते रहे) का बेटा भी विदेश में पढा होता है और किसान (इसे ज़मींदार पढें, खेतिहर मजदूर नहीं) प्रधान मंत्री का बेटा भी?
इस नेतृत्व के हाथ में देश सेफ और सिक्योर है। बाकी प्रगती करेगा या नहीं, इसमें संशय हो सकता है।
पर हू केयर्स फॉर प्रगति!
गम्भीर चिंतन।
तस्लीम पर आयोजित चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Excellent! Dhaardaar aur Sateek Prahaar
नमस्कार,
आप की बात एकदम सही है....
बहुत अच्छा लेख....बहुत बहुत बधाई....
बहुत अच्छा है। आप रेगुलर क्यों नहीं लिखते।
waah bhaisaab maja aa gaya. agla lekh jald likhen.
Why have you stopped writing
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