10 अप्रैल 1912, इंग्लैंड से अमरीका के लिए करीब 2200 यात्रियों के साथ अपनी पहली यात्रा पर रवाना जहाज टाइटेनिक पांचवें दिन, 15 अप्रैल को अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। बचा लिए गए 700 यात्रियों का यह नया जन्मदिन था, तो बाकी के निधन की तारीख दर्ज हुआ। न जाने कितनी कहानियां बनी-बिगड़ीं। एक सदी से डूबती-तिरती स्मृतियां। टिकट नं. 237671 ले कर यात्रा कर रही जांजगीर, छत्तीसगढ़ की मिस एनी क्लेमर फंक ने 12 अप्रैल को इसी जहाज पर अपना अड़तीसवां, आखिरी जन्मदिन मनाया।
छत्तीसगढ़ में इसाई मिशनरियों का इतिहास सन 1868 से पता लगता है, जब रेवरेन्ड लोर (Oscar T. Lohr) ने बिश्रामपुर मिशन की स्थापना की। तब से बीसवीं सदी के आरंभ तक रायपुर, चन्दखुरी, मुंगेली, पेन्ड्रा रोड, चांपा, धमतरी और जशपुर अंचल में मेथोडिस्ट एपिस्कॉपल मिशन, इवेन्जेलिकल मिशन, लुथेरन चर्च के संस्थापकों रेवरेन्ड एम डी एडम्स, रेवरेन्ड जी डब्ल्यू जैक्सन, रेवरेन्ड एन मैड्सन आदि का नाम मिलता है।
सन 1926 में निर्मित मेनोनाइट चर्च, जांजगीर |
इसी क्रम में 1900-01 में मेनोनाइट चर्च के जान एफ. क्रोएकर ने जांजगीर के इस केन्द्र की स्थापना की, सन 1906 में 32 वर्ष की आयु में मिस फंक यहां आईं और लड़कियों का स्कूल खोला।
स्कूल परिसर में संस्थापक रेवरेन्ड क्रोएकर की स्मारक शिला और प्रिंसिपल मिस सरोजनी सिंह, जिनमें मिस फंक के त्याग, समर्पण, करुणा और ममता का संस्कार महसूस होता है. |
अपनी बीमार मां की खबर पा कर बंबई हो कर इंग्लैण्ड पहुंचीं। हड़ताल के कारण अपनी निर्धारित यात्रा-साधन बदल कर, अतिरिक्त रकम चुका कर, वे टाइटेनिक की मुसाफिर बनीं। दुर्घटना होने पर राहत-बचाव में, जीवन रक्षक नौका के लिए मिस फंक का नंबर आ गया, लेकिन एक महिला जिसके बच्चे को नौका में प्रवेश मिला था और वह खुद जहाज पर छूट कर बच्चों से बिछड़ रही थी। अंतिम सांसें गिन रही अपनी मां से मिलने जा रही मिस फंक ने यहां बच्चों से बिछड़ रही उस मां को जीवन रक्षक नौका में अपने नंबर की सीट दे दी। विधि के विधान के आगे कहानियों की नाटकीयता और रोमांच की क्या बिसात।
सन 1915 में उनकी स्मृति में मिशन परिसर, जांजगीर में दोमंजिला भवन बना, जिसके लिए प्रसिद्ध ''फ्राडिघम आयरन एंड स्टील कं.'' के गर्डर इंग्लैंड से मंगवाए गए। यहां ''फंक मेमोरियल स्कूल, जांजगीर'' की स्थापना हुई। परिसर में इस भवन के अवशेष के साथ टाइटेनिक हादसे एवं मिस एनी क्लेमर फंक के जिक्र वाला स्मारक पत्थर मौजूद है।
गत माह 15 तारीख को टाइटेनिक दुर्घटना की पूरी सदी बीत गई, इस दिन जांजगीर मिशन स्कूल परिसर में मिस फंक सहित हादसे के शिकार लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।
इस संबंध में मुझे विस्तृत जानकारी सुश्री सरोजनी सिंह, प्राचार्य, श्री राजेश पीटर, अध्यक्ष, अनुग्रह शिक्षण सेवा समिति, जांजगीर और पास्टर डी कुमार से मिली। टाइटेनिक और हादसे से संबंधित जानकारियां पर्याप्त विस्तार से इन्साक्लोपीडिया टाइटेनिका में है।
इसाई मिशनरी, चर्च के साथ जुड़े और वहां उपलब्ध लेखे तथा छत्तीसगढ़ में आ बसे मराठा परिवारों की जानकारियां, इन दोनों स्रोतों में तथ्यात्मक और तटस्थ लेखन का चलन रहा है, महत्व की हैं, अभी तक शोध-खोज में इन स्रोतों का उपयोग अच्छी तरह नहीं हुआ है। छत्तीसगढ़ के करीब ढाई सौ साल के सामाजिक-सांस्कृतिक इतिहास के लिए यह उपयोगी साबित होगा।