By फ़ुरसतिया on December 20, 2012
शिखा वार्ष्णेय के बारे में कुछ लिखते हुये सोच रहे हैं कि उनको जानी-पहचानी (लम्बी नाक वाली) ब्लॉगर लेखिका कहें या कि लोकप्रिय चिट्ठाकार या फ़िर फ़्री लांसर पत्रकार। इंटरप्रेटर या फ़िर अनुवादक। यह सोचना झमेले का काम है। आप अपना हिसाब आप तय करो हम तो उनके बारे में अपनी कही बात दोहरा देते […]
Posted in संस्मरण, साक्षात्कार |
By फ़ुरसतिया on June 10, 2012
पिछले हफ़्ते हिन्दी के प्रथम चिट्ठाकार आलोक कुमार से आनलाइन मुलाकात हुई। अचानक मन किया कि उनसे ब्लॉगिंग के शुरुआती दौर के बारे में कुछ बातचीत की। वे आजकल लंदन में हैं। हमसे साढ़े पांच घंटे के समयान्तराल पर। इस चैटालाप में मेरे सवाल ब्लॉगिंग के आसपास टहल रहे थे लेकिन आलोक के जबाब अंतर्जाल […]
Posted in संस्मरण, साक्षात्कार |
By फ़ुरसतिया on August 26, 2009
वे हिन्दी ब्लागिंग के शुरुआती दिन थे। साथी ब्लागरों को लिखने के लिये उकसाने के लिये देबाशीष ने अनुगूंज का विचार सामने रखा। इसमें एक दिये विषय पर लोगों को लिखना था। लिखने के बाद अक्षरग्राम पर लेखों की समीक्षा होती। पहली अनुगूंज का विषय था- क्या देह ही है सब कुछ? 25 अक्टूबर को […]
Posted in अनुगूंज, इनसे मिलिये, पूछिये फ़ुरसतिया से, संस्मरण, साक्षात्कार | Tagged features |
By फ़ुरसतिया on January 16, 2009
जबलपुर और परसाईजी हरिशंकर परसाई जबलपुर मैं पहली बार सन १९९२ में आया था। उन दिनों आर्डनेन्स फ़ैक्ट्री बोलनगीर, उड़ीसा में तैनात था। फ़ैक्ट्री नयी बन रही थी। जबलपुर की आर्डनेन्स फ़ैक्ट्री खमरिया किसी काम से आया था। उन दिनों परसाई जी को नया-नया पढ़ना शुरू किया था। उनसे मिलने का मन था। बस ये […]
Posted in इनसे मिलिये, बस यूं ही, संस्मरण, साक्षात्कार | Tagged features |
By फ़ुरसतिया on October 26, 2008
आज प्रत्यक्षा का जन्मदिन है। इसके पिछले साल जब इसी मौके पर उनके बारे में लिखा गया था तबसे उनकी एक किताब- जंगल का जादू तिल-तिल आ चुकी है। कहानियां लिखना तो जारी ही था अब छपने भी लगीं हैं। ब्लाग लेखन उसी अनुपात में कम हो गया है। उनके बारे में पहले भी लिखा […]
Posted in इनसे मिलिये, साक्षात्कार | Tagged प्रत्यक्षा, features |
माह के सर्वाधिक टिप्पणी प्राप्त आलेख