25.1.14

जबलपुर को मध्यप्रदेश की उपराजधानी बनाने हेतु तेज होते जन आंदोलन ....


जाबालि मुनि की तपोस्थली और माँ नर्मदा के पवित्र तट के किनारे जबलपुर शहर बसा है . महर्षि महेश और आचार्य रजनीश जी ने सारे विश्व में  जबलपुर को एक अलग ही पहचान दी है . विनोबा भावे जी ने जबलपुर शहर को संस्कारधानी के नाम से संबोधित किया है. देश के स्वतंत्र होने के पश्चात जब मध्यप्रदेश राज्य का गठन किया गया तो राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते और शहर की जनभावनाओं को दरकिनारे करते हुए जबलपुर शहर को हाई कोर्ट का झुनझुना थमा दिया और भोपाल को प्रदेश की राजधानी बना दिया गया और उसके पश्चात यह शहर हमेशा ही उपेक्षित रहा है . जिस तरह से प्रदेश के अन्य शहरों में तेजी के साथ विकास कार्य हुए उतने विकास कार्य कभी इस शहर में नहीं किये गए जिसके कारण यह शहर महागांव की तरह बढता चला गया .

जबलपुर शहर में तीन यूनिवर्सिटी और शासकीय और अनेकों प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेज हैं जहाँ देश विदेश के हजारों छात्र छात्राएं अध्ययन करने आते हैं.  स्वतंत्रता के ६० सालों  के बाद भी इस शहर को देश के अन्य महानगरों से जोड़ने हेतु  आवश्यक हवाई, ट्रेन सुविधाएं प्रदान नहीं की गई  हैं और यहाँ के नागरिक उपेक्षा का दंश सहते रहे हैं जबकि जबलपुर शहर को राजधानी/उपराजधानी बनाने हेतु शहर में सारी संभावनाएँ उपलब्ध हैं . आज यह शहर आई टी के क्षेत्र में सारी दुनिया में अपना परचम फहरा रहा है . इस शहर के कई समाजसेवी साहित्यकार वैज्ञानिक छात्र छात्राएं सारी  दुनिया में इस शहर का नाम रोशन कर रहे हैं.

उपेक्षा का दंश सहते सहते अब इस शहर के प्रबुद्ध वर्ग के नागरिकों ने कमर कस ली है कि वे अब जबलपुर शहर को उपराजधानी बनवा कर रहेंगें इस हेतु जबलपुर में निरंतर जन आंदोलन तेज होते जा रहे हैं . शहर के समाज के सभी वर्ग धार्मिक आचार्यों, सामाजिक साहित्यक सांस्कृतिक संगठन निरंतर शहर को उपराजधानी बनाने हेतु एकजुट और लामबंद हो गए हैं और प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री जी को ज्ञापन आदि के माध्यम से अपनी मांग प्रेषित कर रहे हैं आमरण अनशन कर रहे हैं .

जबलपुर को उपराजधानी बनाये जाने हेतु नगर निगम की एम आई सी सदस्यों और महापौर जी के द्वारा एक प्रस्ताव पारित कर शासन को प्रेषित किया गया है साथ ही शहर के सभी राजनीतिक दल भी इस मांग को लेकर एकजुट और आंदोलित हैं . शहर के ब्लागरों ने भी इस मांग को पूरा कराने हेतु संकल्प लिया है कि वे भी शहर के साथ हैं और देश विदेश में इस माग का पुरजोर प्रचार करेंगें .

प्रदेश के लोकप्रिय माननीय मुख्यमंत्री शिवराजसिह से निवेदन हैं कि जनभावनाओं का आदर  करते हुए जबलपुर शहर को प्रदेश की "उपराजधानी" घोषित करने हेतु सार्थक प्रयास करें और इस शहर को उपराज्य धानी घोषित करें तो यह इस शहर के नागरिकों के साथ उचित न्याय होगा . यदि अब समय रहते अब यह मांग पूरी नहीं की गई और यह आंदोलन उग्र रूप लेता चला गया तो इसका असर आगामी आने वाले चुनावों पर भी पड़ सकता है ..

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2.11.13

दीप पर्व : हमारे देश और विदेशों में



हमारे देश में दीपावली का पर्व बड़ी ख़ुशी उमंग और धूमधाम के साथ मनाया जाता है और यह हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार माना  जाता है . धन की देवी श्री लक्ष्मी जी का पूजन अर्चन किया जाता है और उनके आने की ख़ुशी में फटाके फोड़े जाते हैं . घरों में आकर्षक रोशनी की जाती है . दूसरे दिन गोवर्धन पूजा और तीसरे दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है .

हमारे देश के साथ साथ विश्व के अनेक देशों में अपनी अपनी परंपरा के साथ रोशनी पर्व के रूप  में मनाया जाता है . हमारे पडोसी देश नेपाल में इस त्यौहार को पांच दिनों तक मनाया जाता है . इस विश्वास के साथ पहले दिन कौओं को भोजन कराते है कि मृत्यु होने के बाद उन्हें कौंए नहीं काटेंगें . दूसरे दिन कुत्तों का पूजन और तीसरे दिन गायों का पूजन किया जाता है . चौथे और अंतिम दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है . इसी तरह से पडोसी देश श्रीलंका में दीपावली को राष्ट्रिय पर्व के रूप में मनाया जाता है और इस दिन श्रीलंका में दीप जलाकर रोशनी की जाती है और जमकर फटाखे फोड़े जाते हैं .

बर्मा में नवम्बर माह में मनाई जाती है और उस देश में यह मान्यता है कि बुद्ध इस दिन ज्ञान प्राप्त कर धरती पर आये थे . लोगबाग नए नए वस्त्र पहिनते हैं  और दीप जला कर रोशनी की जाती है . जापान में यह पर्व लगातार तीन दिनों तक "केंडिल पर्व " के रूप में मनाया जाता है और लोगबाग अपने अपने घरों की छतों पर केंडिल, लालटेन लगा कर रोशनी करते हैं .

मिश्र में यह त्यौहार तीन दिनों तक प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं . मिश्र के शासक वर्ग का यह कहना था कि वे सूर्य वंशी हैं इसीलिए वे सूर्य के धरती पर अवतरण होने की आशा में इसे बड़ी धूमधाम के साथ मनाते थे . मिश्र में आज भी प्रकाश पर्व बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है . इजराइल में इसे प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है .

दीपावली पर्व के शुभ अवसर पर आप सभी मित्रों और ब्लागर भाई बहिनों को हार्दिक बधाई और ढेरों असीम शुभकामनाएं ...

25.10.13

सुरसा सी बढ़ रही मंहगाई से आम आदमी त्रस्त और नेता हैं मस्त ....

देश में जिस तरह से मंहगाई बढ़ रही है उससे आम आदमी त्रस्त हो गया है. कभी प्याज तो कभी दूध तो कभी सब्जियां इनके दाम इस कदर तेजी के साथ बढ़ रहे हैं कि लोगबाग परेशान हैं . अभी प्याज के मूल्यों में जिस तरह से तेजी आई कि यह आम आदमी की भोजन की थाली से दिनोंदिन दूर होती जा रही है.

केन्द्रीय मंत्री उलजुलूल बयान दे रहे हैं . कोई मंत्री कहता है कि प्याज की जमाखोरी के कारण प्याज के दामों में तेजी आई है तो दूसरा मंत्री कहता है कि देश में प्याज की जमाखोरी नहीं हो रही है और अधिक बारिश के कारण प्याज की फसल खराब हो गई है और उसकी सप्लाई समय पर नहीं हो पा रही है. एक प्रदेश के मुख्यमंत्री ने दूसरे प्रदेश पर आरोप लगा दिया कि उस प्रदेश में प्याज की जमाखोरी हो रही है जिसके कारण उनके यहाँ प्याज का अभाव हो गया है. एक मंत्री कहता है कि मैं कोई ज्योतिष नहीं हूँ अगले पन्द्रह बीस दिनों बाद प्याज की नई फसल आ जाएगी और इसके रेट भी कम हो जायेंगें...

सन 2011 से अभी तक हर साल प्याज लोगों के आंसू निकाल रही है. राजनेता एक दूसरों पर गंभीर आरोप प्रत्यारोप  लगाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री रहे हैं परन्तु  जनता के दुःख दर्दों को कभी समझने की कोशिश नहीं कर रहे हैं . पेट्रोल,गैस,सब्जियाँ, दूध  और खाने पीने की चींजें दिनोदिन मंहगी  होती जा रही हैं और गरीब की पहुँच से दिनोंदिन दूर होती जा रही हैं और जिसके कारण आम गरीब लोगों के साथ साथ मध्यम श्रेणी के लोग त्रस्त हो गए हैं .

देश के नेता दो रुपये तीन और पांच रुपये में भोजन उपलब्ध कराने की बात तो करते हैं परन्तु कभी यह जानने की कोशिश नहीं करते हैं कि बाजार में मंहगाई कितनी तेजी से बढ़ रही है. एक दो और पांच रुपये में आजकल कुछ भी नहीं आता है .

देश में किन चीजों की कमी है और कमी के बावजूद किन आवश्यक चीजों का निर्यात किया जा रहा है जिसके कारण उन आवश्यक चीजों की देश में कमी हो गई है  और दैनिक उपयोग में आने वाले खाने पीने की सामग्रियों के दामों में जानबूझकर वृद्धि तो नहीं की जा रही है इन बिन्दुओं की कभी समय समय पर समीक्षा भी नहीं की जाती है जिससे देश में दिनोंदिन मंहगाई बढ़ रही है .

मात्र बयानबाजी से मंहगाई  कम नहीं होने वाली है और दिनोंदिन बढ़ रही मंहगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार को जनहित में सार्थक प्रयास करना चाहिए. बार बार यह अनुभव किया गया है कि  चुनावों के समय बढ़ रही मंहगाई को नियंत्रित करने में सरकारें अक्षम साबित होती हैं और ऐसा प्रतीत होता है चुनावी चंदे के चक्कर में मंहगाई बढ़ा ने की खुली छूट व्यापारियों जमाखोरों को दे दी जाती है जिसका खामियाजा जनता को भुगतने पड़ रहे हैं और दिनोंदिन बढ़ती  मंहगाई से उसका जीना मुश्किल हो गया है .

यदि समय रहते मंहगाई को नियंत्रित नहीं किया गया तो आनेवाले चुनावों में सरकारों को इसका खमियाजा भुगतने पड़ेगें इसमें कोई संदेह नहीं है ..

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