By फ़ुरसतिया on October 9, 2011
इतवार का दिन नौकरी पेशा वालों के लिये आराम का दिन माना जाता है। कुछ इसे बचे काम निपटाने का दिन भी मानते हैं। लेकिन यह वैचारिक मतभेद हर इतवार को खतम हो जाता है क्योंकि बचे काम निपटाने वाले भी अपने काम निपटाने का काम अक्सर अगले इतवार तक के लिये स्थगित कर देते […]
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By फ़ुरसतिया on June 14, 2011
कानपुर मे एक प्रत्याशी हुआ करते थे (थे नही है भाई) भगवती प्रसाद दीक्षित। लोग इनको घोड़ेवाला दीक्षित कहा करते थे, ये घोड़े पर घूमा करते थे। चुनाव चाहे मोहल्ले का हो, या फिर राष्ट्रपति का, हर जगह नामांकन करते थे। जाहिर है, हर जगह हारते थे, लेकिन इनकी सभाओं मे भीड़ सबसे ज्यादा हुआ […]
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By फ़ुरसतिया on May 24, 2011
पिछले हफ़्ते सबेरे-सबेरे अनवरगंज रेलवे स्टेशन गये। कैमरा साथ लिये गये। सोचा कुछ खैचा-वैंचा जाये। जित्ती खैंची उनमें कुछ फ़ोटो ऐंची-तानी हो गयीं। लेकिन अब भाई फ़ोटो ही तो हैं कोई हीरोइन तो हैं नहीं कि हमेशा सुन्दर दिखें। सोते-जागते। सो हम कहे कोई नहीं आओ। जैसी हो पोस्ट हो जाओ। वैसे भी सौंन्दर्य तो […]
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By फ़ुरसतिया on July 20, 2007
ऐसा माना जाता है कि कनपुरिया बाई डिफ़ाल्ट मस्त होता, खुराफ़ाती है, हाजिर जवाब होता है।(जिन कनपुरियों को इससे एतराज है वे इसका खंडन कर दें , हम उनको अपवाद मान लेंगे।) मस्ती वाले नये-नये उछालने में इस् शहर् का कोई जोड़ नहीं है। गुरू, चिकाई, लौझड़पन और न जाने कितने सहज अनौपचारिक शब्द यहां […]
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By फ़ुरसतिया on May 28, 2007
कल हमने आपको आनंद के बारे में बताया जिसने कानपुर में इंटर में सर्वाधिक अंक प्राप्त किये। इस पर अभय तिवारीजी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये लिखा-सही है भाई.. अपनी दुनिया अच्छे से दिखाते हैं आप.. और हमें रास्ता.. अभयजी की बात से उत्साहित होकर आइये आज आपको एक और मेधावी बच्चे से मुलाकात करवायें। […]
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