मई, 2012
अप्रैल, 2012
- आन लाइन कविता स्कूल
- गुंडा पहचानने के फ़ायदे
- पूड़ियां तेल में गदर नहाई हुई हैं
- चलो अपन भी बोल्ड हो जायें
- अमेरिका के कुत्ते और दुनिया के गरीब
- हिम्मत है तो आ जा टीवी चैनल पर
- सचिन राज्यसभा में- कुछ सीन
मार्च, 2012
- टुनटुन टी स्टॉल, बमबम पान भंडार और सौंन्दर्य की नदी नर्मदा
- भोपाल कब आयेगा
- किताब छपवाने के हसीन लफ़ड़े
- आर्ट ऑफ़ लिविंग और टाट पट्टी वाले स्कूल
- सचिन का खेल, संन्यास और गुस्सा
- एक पति ऐसा भी
- सुबह जल्दी उठने के बवाल
- “स्मृतियों में रूस “- एक पाठक की नजर से
फ़रवरी, 2012
जनवरी, 2012
- …नये साल का पहला दिन
- रजाई अच्छी लगती है
- घर से बाहर जाता आदमी
- तुम्हारी याद गुनगुनी धूप सी पसरी है
- जबलपुर में एक हफ़्ता
दिसम्बर, 2011
- …एक ब्लॉगर-पत्नी के नोट्स
- सड़क पर जाम, एक नया झाम
- जाम के व्यवहारिक उपयोग
- ब्लॉगिंग, फ़ेसबुक और ट्विटर
- लोकपाल के इंतजार में एक आम आदमी
- …देवलोक में लोकपाल
नवम्बर, 2011
- साहित्य के लिये मेरी कसौटी- श्रीलाल शुक्ल
- मेरे व्यंग्य-लेखन का एक ऐतिहासिक क्षण- श्रीलाल शुक्ल
- ….एक और कलकतिया यात्रा
- वाल मार्ट के व्यवहारिक उपयोग
अक्टूबर, 2011
सितम्बर, 2011
- …और ये फ़ुरसतिया के सात साल
- पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के साइड इफ़ेक्ट
- हिंदी विकि में लेखों की संख्या एक लाख के पार
अगस्त, 2011
जुलाई, 2011
जून, 2011
- चलो न मिटते पद चिन्हों पर अपने रस्ते आप बनाओ- भगवती प्रसाद दीक्षित उर्फ़ घोड़ेवाला
- हमें तो देश की चिंता हैं
मई, 2011
अप्रैल, 2011
- जबरियन छपाई के हसीन साइड इफ़ेक्ट
- ब्लाग पोस्ट की चोरी बचाने के कुछ सुगम उपाय
- कथनी और करनी का अंतर
- फ़टाफ़ट क्रिकेट में चीयरबालाओं की स्थिति
- निष्ठुर समय में अकेला कवि!
मार्च, 2011
फ़रवरी, 2011
- एक ब्लॉगर की डायरी
- …ब्लागर की एक और डायरी
- कलामे रूमी: एक बेहतरीन काव्य रूपान्तरण
- देख लूं तो चलूं: उपन्यासिका आफ़ द ब्लागर, बाई द ब्लागर एंड फ़ार द ब्लागर
- एक और क्रौंच वध- एक पाठक के नजरिये से
जनवरी, 2011
दिसम्बर, 2010
- ब्लॉगिंग करने को फ़िर मन आया कई दिनों के बाद
- घपलों/घोटालों के व्यवहारिक उपयोग
- हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे
नवम्बर, 2010
अक्टूबर, 2010
- …लीजिये साहब गांधीजी के यहां घंटी जा रही है
- …अथ वर्धा ब्लॉगर सम्मेलन कथा
- वर्धा – कंचन मृग जैसा वाई-फ़ाई
- वर्धा –कुछ और बातें
- वर्धा-हिंदी का ब्लॉगर बड़ा शरीफ़ टाइप का जीव होता है
सितम्बर, 2010
- …. एक बीच बचाव करने वाले से बातचीत
- …टिप्पणी बंद करने के साइड इफ़ेक्ट
- मेरी ख्वाबगाह में नंदन- ज्ञानरंजन
अगस्त, 2010
- बरसात, बचपन,वजीफ़ा और मित्रता दिवस
- कल्पना का घोड़ा,हिमालय की ऊंचाई और बिम्ब अधिकार आयोग
- …स्वेटर के फ़ंदे से उतरती कवितायें
- …तुम मेरे जीवन का उजास हो
- …एक बेमतलब की पोस्ट
- …और ये फ़ुरसतिया के छह साल
जुलाई, 2010
- ….देश बड़ी इस्पीड में चल रहा है
- …खोये आइडिये की तलाश में मगजमारी
- ….बरखा रानी जरा जम के बरसो
- … बरसात, बिम्ब की तलाश और बेवकूफ़ी की बहस
- ….जिंदगी का एक इतवार
जून, 2010
मई, 2010
- …हम आपकी इज्जत करते हैं!
- ….मॉडरेशन के इंतजार में टिप्पणियां
- …एक ब्लागर की डायरी
- …यादें हायपर लिंक की तरह होती हैं
- अनूप शुक्ल, दम्भ और अभिमान और मौज की लक्ष्मण रेखा
- आपके विरोध में नियमित लिखने वाला ब्लागर आपके लिये बिना पैसे का प्रचारक है
- ….दुनिया बड़ी डम्प्लाट है
- …धरती को ठंडा रखने के कुछ अटपटे सुझाव
अप्रैल, 2010
- छोटी ई, बड़ी ई और वर्णमाला
- …जिन्दगी ऐसी नदी है जिसमें देर तक साथ बह नहीं सकते
- …चींटी चढ़ी पहाड़ पर
- …आंख के अन्धे नाम नयनसुख
मार्च, 2010
- लिखौं हाल मैं ब्लागरगण का, माउस देवता होऊ सहाय
- …मगर अब साजन कैसी होली
- भारतीय आयुध निर्माणियां- जन्मदिन के बहाने एक पोस्ट
- …कविता का मसौदा और विश्व गौरैया दिवस
- ….बगीचे के फ़ूल और पक्षियों की आवाजें
फ़रवरी, 2010
- बसन्त राजा फ़ूलइ तोरी फ़ुलवारी
- टुकुर-टुकुर देउरा निहारै बेईमनवा
- मेरे पंख कट गये हैं वरना मैं गगन को गाता
- जीवन पथ पर मिले इस तरह जैसे यह संसार मिला
- …जहां भी खायी है ठोकर निशान छोड आये
जनवरी, 2010
दिसम्बर, 2009
नवम्बर, 2009
अक्टूबर, 2009
- ब्लागर हलकान’विद्रोही’, विक्रम और बेताल
- पढ़ें फ़ारसी बेचें तेल
- तुम कौन सी शाख के मोर हो जी
- ….भेजे क्यों मीठे सपने
- सीजर हम अब भी तेरे साथ!
- सटकर बैठा चांद एक दिन मम्मी से यह बोला
- नयी तकनीक, मोबाइल और तलवार से तेज सरपत
- ब्लागर समारोह का उद्घाटन और सत्यार्थ मित्र का विमोचन
- …इलाहाबाद के कुछ लफ़्फ़ाज किस्से
- …..इति श्री इलाहाबाद ब्लागर संगोष्ठी कथा
सितम्बर, 2009
- बिना तू तू मैं मैं वाली जिन्दगी
- मुझको बड़ा आदमी बनना है
- सुनि प्राब्लम चेलाराज की , गुरुवर भये फ़ौरन ही हलकान
- जीतू- जन्मदिन के बहाने इधर उधर की
- ….ब्लाग की लाज बचाना बेटा
- …जन भाषा के हायपर लिंक
- हिन्दी तेरा रूप अनूप- श्रीलाल शुक्ल
- ……भये छियालिस के फ़ुरसतिया, ठेलत अपना ब्लाग जबरिया।
- मंहगाई के दौर में ,मन कैसे हो नमकीन
- ….गुस्से के पाले में कबड्डी
- पुष्प की गंध से कुछ खटक सी गई
अगस्त, 2009
- पति क्या होता है सिर्फ़ एक आइटम ही तो
- गर छेड़ा तो पिटोगे भैया से बता देती हूं सच्ची में
- अब तो कुछ कर गुजरने को दिल मचलता है
- आइडिये ही आइडिये लिख तो लें
- दो रुपये लुटाओ- याद करो, भूल जाओ
- अईसी कान्फ़िडेंट डेमोक्रेसी और कहां?
- …और ये फ़ुरसतिया के पांच साल
- हरिशंकर परसाई के जन्मदिन के मौके पर
- परसाई- विषवमन धर्मी रचनाकार (भाग 1)
- हरिशंकर परसाई- विषवमन धर्मी रचनाकार (भाग 2)
- क्या देह ही है सब कुछ?
- परेशान होने का मौसम
जुलाई, 2009
- उन दुआओं का मुझपे असर चाहिए
- गर्मी का सौन्दर्य वर्णन
- रामू, जरा चाय पिलाओ
- बादल से बदली भिड़ी फ़िर होती गयी तकरार
जून, 2009
- सोचते हैं चले ही जायें अगले हफ़्ते कलकत्ते
- जींस-टाप, फ़ादर्स-डे और टिप्पणी-चिंतन
- अब तो जो पानी पिलवाय दे ,है वही नया अवतार
मई, 2009
- भैया मत न भये दस-बीस
- किसी बहुत ऊंची पहाड़ी से कोई सोता फ़ूटे
- गर्मी, पाठक और अप्रसांगिक होने के खतरे
- होइहै सोई जो ब्लाग रचि राखा
- मिल्खा सिंह, रिक्शा चालक और दृष्टिहीन अध्यापिका
- हंसती, खिलखिलाती, बतियाती हुई लड़कियां
- जिसे देखो वह नखरे दिखा रहा है
- इलाहाबाद के सच्चे किस्से
- इलाहाबाद के बाकी किस्से
- फ़टाफ़ट क्रिकेट और चीयरबालायें
- ट्विटर,फ़ीड और खामोशी
- शंकरजी अंग्रेजी सीख रहे हैं
- तरही कविता, तरह-तरह की कविता
अप्रैल, 2009
मार्च, 2009
- आई मौज फ़कीर को…
- रंग बरसे भीगे चुनर वाली
- पोस्ट लिखने के झमेले
- बतरस लालच लाल की …
- जन प्रतिनिधि और आचार संहिता
फ़रवरी, 2009
- वनन में बागन में बगर्यो बसंत है…
- ब्लागर का कैसा हो बसंत…
- दिल तो दिल है, दिल का ऐतबार क्या क्या कीजै
- जरा नम्र हो जा मजा आयेगा
- बेटी को वाणी से संवार दे ओ वीणापाणि
- चिठेरा-चिठेरी विमर्श
- हमका अईसा वईसा न समझो…
जनवरी, 2009
- हादसे राह भूल जायेंगे
- मृत्य जिजीविषा से बहुत डरती है
- अथ जबलपुर कथा
- अथ बारात कथा
- जबलपुर के कुछ और किस्से
- जबलपुर , कानपुर , शादी की सालगिरह और जन्मदिन
- एक ठो ओबामा इधर भी लाओ यार
- ई कोई नया फ़ैशन है का जी?
- कम से कम तुम ठीक तरह मरना
- सोचते हैं उदास ही हो जायें
- आइये घाटा पूरा करें और सुखी हो जायें
दिसंबर, 2008
- नैनीताल से लौटकर
- कानपुर से नैनीताल
- नैनीताल, चाय तुड़ाई और कान से सटा मोबाइल
- बिस्तर ,पुलिया, चाय की दुकान और कनस्तर में गरम होता पानी
- मुस्कराते हुये लोग कित्ते अच्छे लगने लगते हैं
- कस्सम से इससे कम न हो पायेगा
- फ़ौजियों के साथ एक दिन
नवम्बर, 2008
- हंसी की एक बच्ची है जिसका नाम मुस्कान है
- तो क्या होगा?
- बाल दिवस पर ज्ञान दिवस
- कविता,गिरगिट और समय
- ब्लाग लिखता हूं तसल्ली नहीं मिलती
अक्टूबर, 2008
- बोरियत जो न कराये
- मनुष्य खत्म हो रहे हैं, वस्तुयें खिली हुई हैं (१)- अखिलेश
- मनुष्य खत्म हो रहे हैं.. वस्तुयें खिली हुई हैं (२)- अखिलेश
- बीच बजरिया खटमल काटे
- कोई पत्थर से न मारे मेरे दीवाने को
- मैं कहीं कवि न बन जाऊं …
- लईया, गट्टा से मिली, खील-बतासा साथ
- …सही बात पर स्टैंड भी लेना चाहिये-प्रत्यक्षा
- कौन कहता है बुढ़ापे में इश्क का सिलसिला नहीं होता
- दीपक से साक्षात्कार
- हर फ़टे में टांग अड़ाना सीखिये
सितम्बर, 2008
- …और ये फ़ुरसतिया के चार साल
- जीतेंन्द्र चौधरी के जन्मदिन पर एक बातचीत
- शशिं सिंह- जन्मदिन मुबारक
- देबाशीष -जन्मदिन के बहाने बातचीत
- जन्मदिन के बहाने एक पोस्ट
- शौक बड़ी घर कुलिया मां
- चुपाय रहव दुलहिन मारा जाई कउवा
- काम छोड़ो-महान बनो
- ब्लागिंग मस्ती की पाठशाला है -आलोक पुराणिक
अगस्त, 2008
- ईमानदारी – खरीद न सको तो मैनेज कर लो
- ईमानदारी गर्व का विषय नहीं है
- भारत एक मीटिंग प्रधान देश है
- एक चिट्ठी शिवजी के नाम
- शिवजी की चिट्ठी का जबाब
- प्रेम गली अति सांकरी
- ऐसे लिखा जाता है ब्लाग !
- खराब लिखने के फ़ायदे
जुलाई, 2008
- टिप्पणी_ करी करी न करी
- पानी बरसा जोर से
- बारिश – कुछ गद्यात्मक बिम्ब
- जीवन अपने आप में अमूल्य है
- ज्ञानजी हिंदी ब्लागजगत के मार्निंग ब्लागर हैं
- निरंतर का ११ वां अंक
- ब्लागिंग एक और चिरकुट चिंतन
- हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे
- नोट निकले हैं तो दूर तलक जायेंगे…
जून,2008
- पूछिये फ़ुरसतिया से- एक चिरकुट चिंतन
- मानस अनुक्रमणिका
- उल्लू का पठ्ठा शब्द का उद्भव कईसे हुआ?
- अन्य होंगे चरण हारे
- कृष्ण बिहारी- मेरी तबियत है बादशाही
- मैं कृष्णबिहारी को नहीं जानता – गोविन्द उपाध्याय
- लिखने के लिये स्वानुभूति होना जरूरी है- कृष्ण बिहारी
मई, 2008
- जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है
- आवश्यकता है डिजाइनर सांडों की
- कानपुरनामा बोले तो झाड़े रहो कलट्टरगंज!
- अपनी आदत, चुप रहते हैं…
- साइकिल के हैंडल पर सवार फ़ुरसतिया
- ऐसा अक्सर होता है….
- हमारा समाज ‘एन्टी ह्यूमर’ है
- ब्लाग की हाफ़ लाइफ़ का हिंदी अनुवाद
- ब्लागिंग में अराजकता की सहज सम्भावनायें हैं
- टेस्ट पोस्ट
- ब्लागजगत -आप इत्ता हलकान क्यों हैं जी?
- …वर्ना ब्लागर हम भी थे बड़े काम के
अप्रैल, 2008
- अप्रैल फ़ूल – क्षणिक चिंतन
- ब्लागिंग -सामर्थ्य और सीमा
- सुख के साइड इफ़ेक्ट
- अथ कानपुर ब्लागर मिलन कथा
- …और समीरलाल गाने लगे
- अनूप शुक्ल के असली किस्से
- राह हारी मैं न हारा…
- झापड़ ही तो मारा है…
- प्रत्यक्षा जी को पितृशोक
मार्च, 2008
- संवेदना के नये आयाम
- मौसम को बूझो मूर्खाधिराज!
- हम तुम्हें चाहते हैं ऐसे
- ज्ञान जी के कम लिखने के कारण
- सब कुछ लुट जाने के बाद भी भविष्य बचा रहता है
- आ जा खुश हो लें
- फ़ुरसतिया लफ़ड़ा भी भला
- फ़ुरसतिया की डायरी
- खुशबू निकली फ़ूल से
- होली के रंग-फ़ुरसतिया के संग
- होली के कुछ और समाचार
- छ्ठा पे कमीशन- एक चिरकुट चिंतन
- सम्मान का एरियर
- मुन्नी पोस्ट के बहाने फ़ुरसतिया पोस्ट
फ़रवरी, 2008
जनवरी, 2008
दिसम्बर, 2007
- काहे जिया डोले हो कहा नहीं जाये
- कि पुरुष बली नहिं होत है…
- आपत्ति फ़ूल को है माला में गुथने में
- आलोक पुराणिक किंड्यूटीविमूढ हो गये
- मैडोनाजी, आप चिंता न करें हम आपके साथ हैं
- बुरा भी उतना बुरा नहीं यहां
- भैया, एक तमंचा लेन हतो
- चिठेरी उवाच- आजा इंग्लिश सिख लें
- नियमित ब्लागिंग करने के कुछ सुगम उपाय
- कुछ टिप्पणी चर्चा
नवम्बर,2007
- क्रोध किसी भाषा का मोहताज नहीं होता
- आतंक के असली अर्थ- भगतसिंह
- कोणार्क- जहां पत्थरों की भाषा मनुष्य की भाषा से श्रेष्ठतर है
- जम्हूरियत तानाशाहों के लिये विकिपीडिया होती है
- आओ तुमको एक गीत सुनाते हैं
- जैसे तुम सोच रहे साथी
- एक खुशनुमा मुलाकात…
- फिर उदासी तुम्हें घेर बैठी न हो
- ज्ञानजी, जन्मदिन मुबारक!
- ब्लागिंग के साइड इफ़ेक्ट…
- ब्लागर प्रयाण् गीत
- ब्लाग नौटंकी उर्फ़ चिठेरी-चिठेरा संवाद
- रद्दी
- सपनो की डोर पड़ी पलकों का पालना
अक्टूबर,2007
- कादम्बिनी में ब्लागिंग की चर्चा और कुछ ब्लाग
- टिप्पणी न कर पाने के कुछ मासूम बहाने
- महान बनने के कुछ सुगम उपाय
- मुंबई से आया मेरा दोस्त…
- चीयरबालायें क्रिकेट में
- एक और कनपुरिया मुलाकात
- किलक-किलक उठने वाला सम्पादक और समकालीन सृजन
- उंचाई नैनोमीटर में बताना है
- एक गणितीय कवि सम्मेलन फिर से
- ब्लागरों का उत्साह वर्धन के बहाने मुफ़्त सलाह
- प्रत्यक्षा-जन्मदिन मुबारक
- जीतेंन्द्र, एग्रीगेटर, प्रतिस्पर्धा और हलन्त
- आलोक और जगदीश भाटिया के चिट्ठे ब्लागवाणी पर वापस
- भय बिनु होय न प्रीत
- गुस्से के कुछ सौंदर्य उपमान
- फ़ुरसतियाजी आप चुगद हैं
सितम्बर,2007
- प्रभुजी, तुम चन्दन हम पानी
- ब्लागिंग छोड़ने के चंद फ़ायदे
- पुनि-पुनि चन्दन, पुनि-पुनि पानी
- पूना वाया दिल्ली
- क्लास खत्म, घंटा बजा, गुरु प्रकट भे धरे मोबाइल कान
- अबे ,सुन बे, गुलाब…
- अन्य हैं जो लौटते दे शूल को संकल्प सारे
- आओ ठग्गू के लड्डू खिलायें…
- ईमानदारी की कीमत
- क्या खूब नखरे हैं परवरदिगार के
- ब्लागर मीट बोले तो जनवासे में बरात
- युदृ की भाषा का सौन्दर्य
- मटरगस्ती के लिये निकले
- अथ मुंबई मिलन कथा
- श्रीलाल शुक्ल- एक और संस्मरण
अगस्त, 2007
- अधकटी पेंसिल का मीत
- तत्काल एक्सप्रेस और उसके डिब्बे
- आप भी करिये न अनुगूंज
- हिंदुस्तान अमरीका बन जाये तो कैसा होगा
- जिन्दगी जिंदादिली का नाम है
- आज हमने बास को हड़का दिया
- मैं लिखता इसलिये हूं कि…
- टाइटिल-टिप्पणी सटे-सटे से
- आज हमारी भी छुट्टी
- इतवारी टाइटल चर्चा
- पुस्तक मित्र -बनेंगे?
- किताबें सच में दोस्त होती हैं भाई!
- प्रतिमा का सिन्दूर खरोंचे
- ये आजादी झूठी है…
- …और ये फ़ुरसतिया के तीन साल
- आपने शुभकामनायें दीं तो हम भी कहते हैं शुक्रिया…
- जहं-जहं चरण पड़े संतन के तहं-तहं बंटाधार
- मनिमय कनक नंद के आंगन…
- अपने-अपने यूरेका
जुलाई, 2007
- डा. टंडन के दौलतखाने में फुर्सत के साथ पानी के बताशे
- कोलकता में एक फुरसतिया दिन
- प्रियंकर-एक प्रीतिकर मुलाकात
- नयी पीढ़ी का नायक
- शहीद चंद्रशेखर की मां का पत्र
- मां के नाम बेटे की चिट्ठियां
- फ़ुरसत से बात कीजिये, फ़ुरसत से बांचिये
- जहां चार यार मिल जायें…
- इंक-ब्लागिंग के कुछ फुटकर फ़ायदे
- दातुन कर ब्लॉग लिखने के फायदे
- झाड़े रहो कलट्टरगंज, मण्डी खुली बजाजा बंद
- चिरऊ महाराज
- चिंता करो, सुख से जियो
- कल जो हमने बातें की थीं
- पं. रामेश्वर प्रसाद गुरू
- ए टी एम के कुछ व्यवहारिक उपयोग
- आइये बारिशों का मौसम है…
- याद तो हमें भी आती है
जून, 2007
- फुरसतिया खाली भये छाप दिहिन अखबार…
- दिल्ली ब्लागर मीट का आंखो देखा हाल
- जीवन मे हम सबको यूँ ही बस आना है..
- मैं आगे भी पढ़ना चाहती हूं…
- नारद पर ब्लाग का प्रतिबंध – अप्रिय हुआ लेकिन गलत नहीं हुआ
- वक्त मुश्किल है कुछ सरल बनिये
- देख रहे हैं जो भी, किसी से मत कहिए
- कुछ सुलगते हायकू जैसी तुक बंदी
- पंडित माखनलाल चतुर्वेदी
- हम तुम्हारे पिताजी के दोस्त हैं
मई, 2007
- सदा रहे मंगलमय जीवन
- कानपुर में ब्लागर मिलन
- मस्त रहिये, अच्छी बातों में व्यस्त रहिये- आलोक पुराणिक
- आइये घाटा पूरा करें
- कनाडा-अमेरिका न जाओ श्याम पैंया पड़ूं…
- फ़ुरसतिया टाइम्स का पहला अंक
- ‘टेंशन नहीं लेना बेटा’ बना एनर्जी बूस्टर
- हाई स्कूल का टापर- प्रांजल
- इंक ब्लागिंग, अखबार और कार्टून
अप्रैल, 2007
- फुरसतिया बोले हमहू साइट बनैबे…
- जूते का चरित्र साम्यवादी होता है
- जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि
- हर सफल ब्लागर एक मुग्धा नायिका होता है
- हर जोर जुलुम की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है
- वे आये, उन्होंने चूमा और वे चले गये
- जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनके भी अपराध…
मार्च, 2007
- तोहरा रंग चढ़ा तो मैंने खेली रंग मिचोली
- क्या नहीं कर सकूंगा तुम्हारे लिये
- मोहल्ले की प्रकृति और नारद
- फुरसतिया का इंटरव्यू
- अपनी फोटो भेजिये न!
- मेरे समकालीन- हरिशंकर परसाई
- दुख हैं, तो दुख हरने वाले भी हैं
- आयुध निर्माणियां- विनाशाय च दुष्कृताम
- पत्रकार ब्लागिंग काहे न करें, जम के करें!
- ब्लागिंग में भी रिश्ते बन जाते हैं
- कानपुर तेरे कितने नाम…
फ़रवरी, 2007
- ब्लाग चोरी से बचने के कुछ सुगम उपाय
- घायल की गति घायल जाने
- बाल गिरते क्यों हैं?
- पुलिस और प्रार्थना
- ब्लाग, विकिपीडिया और हिंदी
- राजा दिल मांगे चवन्नी उछाल के
- इंडीब्लागीस चुनाव चर्चा
- चिट्ठाकारी- पांच सवाल, पांच जवाब
- मेरी पसन्द की कुछ कवितायें
- मीडिया: ठसक बढ़ गई, हनक जाती रही- अखिलेश मिश्र
- दीवाने हो भटक रहे हो मस्जिद मे बु्तखानों में
जनवरी, 2007
1.पुराने साल का लेखा-जोखा
2.पुनि-पुनि मुनि उकसहिं अकुलाहीं
3.चल पड़े जिधर दो डग-मग में
4.सबको सम्मति दे भगवान
5.आग का दरिया, बसंती की अम्मा और कुछ हायकू
6.१८५७ के पन्ने: मदाम एन्जेलो की डायरी
7.यह कवि है अपनी जनता का
8.यह कवि अपराजेय निराला
9.ठिठुरता हुआ गणतंत्र
10.पहिला सफेद बाल
11.काव्यात्मक न्याय और अंतर्जालीय ‘चेंगड़े’
12.गांधीजी, निरालाजी और हिंदी
दिसम्बर,2006
1..एक चलताऊ चैनल चर्चा
2..जनकवि कैलाश गौतम
3..इतना हंसो कि आंख से आंसू छलक पड़े
4..हंसी तो भयंकर छूत की बीमारी है
5.देश का पहला भारतीय तकनीकी संस्थान
6.उभरते हुये चिट्ठाकार
7.बेल्दा से बालासोर
नवम्बर,2006
1..प्रत्यक्षा की कहानी- हनीमून
2..श्रीलाल शुक्ल जी एक मुलाकात
3..राग दरबारी इंटरनेट पर
4..नगर निगम चौकस हुआ, हिजड़े दिये लगाय
5..मनुष्य खत्म हो रहे हैं, वस्तुयें खिली हुई हैं
6..गीत और गीत का अर्थ
अक्टूबर,2006
1. कान से होकर कलेजे से उतर जायेंगे
2.विकिपीडिया – साथी हाथ बढ़ाना…
3.गलत हिंदी लिखने के कुछ सरल उपाय
4.चिट्ठाचर्चा,नारद और ब्लाग समीक्षा
5.मूंदहु आंख कतहुं कछु नाहीं
6.अपनी रचनायें भेजें
7.लिखिये तो छपाइये भी न!
8.जेहि पर जाकर सत्य सनेहू
9. इसे अपने तक रखना
10.सुबह की सैर के बहाने पालीथीन से मुलाकात
11.प्रत्यक्षा- जन्मदिन के बहाने बातचीत
12.हिंदी में कुछ वाक्य प्रयोग
सितम्बर,2006
1. पति एक आइटम होता है
2. गुरु गुन लिखा न जाये…
3. मेरा पन्ना के दो साल-जियो मेरे लाल
4. गालिब भी गये थे कलकत्ता…
5. मजाक,मजाक में हिंदी दिवस
6. अनूप भार्गव सम्मानित
7. …अथ लखनऊ भेंटवार्ता कथा
8. फप्सी हाट में कविता का ठाठ
9. चाह गयी चिंता मिटी…
10. चिट्ठा चर्चा के बहाने पुस्तक चर्चा
अगस्त,2006
1.हमरी लग गयी आँख,बलम का बिल्लो ले गयी रे…
2. रवि रतलामी- जन्मदिन मुबारक
3. सीखना है तो खुद से सीखो-रवि रतलामी
4. निरंतर- पढ़ सको तो मेरे मन की भाषा पढ़ो
5. लागा साइकिलिया में धक्का,हम कलकत्ता गये
6. बिहार से कलकत्ता -कुछ फोटो
7. विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
8. गर्दिश के दिन -हरिशंकर परसाई
9.हरिशंकर परसाई -दो खुले खत
10. व्यंग्य जीवन से साक्षात्कार करता है- हरिशंकर परसाई
11. …और ये फ़ुरसतिया के दो साल
12.फ़ुरसतिया-पुराने लेख
13. हरिशंकर परसाई- विनम्र श्रद्धांजलि
14. मेरे पिया गये रंगून
15. वो तो अपनी कहानी ले बैठा…
16.12.फ़ुरसतिया-पुराने लेख
17. हरिशंकर परसाई- विनम्र श्रद्धांजलि
18. मेरे पिया गये रंगून
19. वो तो अपनी कहानी ले बैठा…
20. अमरीका सुविधायें देकर हड्डियों में समा जाता है.
21. सीढियों के पास वाला कमरा
22. परदे के पीछे-कौन है बे?
23. मरना कोई हार नहीं होती- हरिशंकर परसाई
जुलाई,2006
1.कन्हैयालाल नंदन- मेरे बंबई वाले मामा
2.कन्हैयालाल नंदन की कवितायें
3.बुझाने के लिये पागल हवायें रोज़ आती हैं
4.अथ कम्पू ब्लागर भेंटवार्ता
5.थोड़ा कहा बहुत समझना
6.एक पत्रकार दो अखबार
7.देखा मैंने उसे कानपुर पथ पर-
8.अनुगूंज २१-कुछ चुटकुले
9.एक मीट ब्लागर और संभावित ब्लागर की
10.उखड़े खम्भे
11.ग़ज़ल क्या है…
12.ग़ज़ल का इतिहास
13.अनन्य उर्फ छोटू उर्फ हर्ष-जन्मदिन मुबारक
14.पहाड़ का सीना चीरता हौसला
जून,2006
1.संरक्षा का आध्यात्मिक महत्व
2.अजीब इत्तफाक है…
3.यायावर चढ़े पहाड़ पर…
4.नेतागिरी,राजनीति और नेता
5.अभी उफनती हुई नदी हो…
6.रघुपति सहाय फ़िराक़’ गोरखपुरी
7.गुलजा़र की कविता,त्रिवेणी
8.गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता…
9.मौसम बड़ा बेईमान है…
10.सितारों के आगे जहाँ और भी हैं…
11.अमरीकी और उनके मिथक
12.अमेरिका-कुछ बेतरतीब विचार
13.पूर्णिमा वर्मन-जन्मदिन मुबारक
14.पूर्णिमा वर्मन से बातचीत
मई,2006
1.छीरसागर में एक दिन
2.शंकरजी बोले- तथास्तु
3.धूमिल की कवितायें
4.थेथरई मलाई तथा धूमिल की कविता
5.आरक्षण-कुछ बेतरतीब विचार
6.आवारा भीड़ के खतरे
7.अति सर्वत्र वर्जयेत्
8.एक पोस्ट हवाई अड्डे से
9.अथ पूना ब्लागर भेंटवार्ता कथा…
10.हम,वे और भीड़
अप्रैल,2006
1.ईश्वर की आंख
2.जरूरत क्या थी?
3.मेरे जीवन में धर्म का महत्व
4.वीर रस में प्रेम पचीसी
5.मिस़रा उठाओ यार…
6.कुछ इधर भी यार देखो
7.भैंस बियानी गढ़ महुबे में
8.अरे ! हम भँडौ़वा लिखते रहे ….
मार्च,2006
1.स्वर्ग की सेफ्टी पालिसी
2.हमने दरोगा से पैसे ऐंठे
3.भौंरे ने कहा कलियों से
4.आइडिया जीतू का लेख हमारा
5.मुट्ठी में इंद्रधनुष
6.मैं और मेरी जम्हाई
7.छत पर कुछ चहलकदमी
फरवरी,2006
1.अति सूधो सनेह को मारग है
2.हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती
3.आपका संकल्प क्या है?
4.वनन में बागन में बगर्यो बसंत है
5.मेरे अब्बा मुझे चैन से पढ़ने नहीं देते
6.जेहि पर जाकर सत्य सनेहू
जनवरी,2006
1.सूरज निकला-चिड़ियां बोलीं
2.जो मजा बनारस में वो न पेरिस में न फारस में
3.प्रशस्त पुण्य पंथ है
4.देबाशीष चक्रबर्ती से बातचीत
5.कविता के बहाने सांड़ से गप्प
6.बिहार वाया बनारस
7.श्रीलाल शुक्ल-विरल सहजता के मालिक
दिसम्बर,2005
1.हम फिल्में क्यों देखते हैं?
2.रहिमन निज मन की व्यथा
3. (अति) आदर्शवादी संस्कार सही या गलत?
4.(अति) आदर्शवादी संस्कार सही या गलत?
5.(अति) आदर्शवादी संस्कार सही या गलत?
6.गरियाये कहां हम तो मौज ले रहे हैं!
7.क्षितिज ने पलक सी खोली
8. ‘मुन्नू गुरु’ अविस्मरणीय व्यक्तित्व
9.जाग तुझको दूर जाना!
10.मजा ही कुछ और है
11.इलाहाबाद से बनारस
12.जो आया है सो जायेगा
13.कनपुरिया अखबार की कतरन
नवम्बर,2005
1.दीपावली खुशियों का त्योहार है
2.ढोल,गंवार,शूद्र,पशु,नारी…
3.तुम मेरे होकर रहो कहीं…
4.शरमायें नहीं टिप्पणी करें
5.बड़े तेज चैनेल हैं…
6.गुम्मा हेयर कटिंग सैलून
7.एक गणितीय कवि सम्मेलन
8.हेलो हायकू टेस्टिंग
अक्टूबर,2005
1.गालियों का सामाजिक महत्व
2.रास्तों पर जिंदगी बाकायदा आबाद है
3.कमजोरी
4.मुझसे बोलो तो प्यार से बोलो
5.जहां का रावण कभी नहीं मरता
6.हमारी उम्र तो शायद सफर में गुजरेगी
7.चलो चलें भारत दर्शन करने
सितम्बर,2005
1.मरना तो सबको है,जी के भी देख लें
2. सतगुरु की महिमा अनत
3.मेढक ने पानी में कूदा,छ्पाऽऽऽक
4.जन्मदिन के बहाने जीतेन्दर की याद
5.हम घिरे हैं पर बवालों से
6.देबाशीष-बेचैन रुह का परिंदा
7.आवारा पन्ने,जिंदगी से–गोविंद उपाध्याय
8.आवारा पन्ने,जिंदगी से(भाग दो) – गोविंद उपाध्याय
9.आवारा पन्ने,जिंदगी से(भाग तीन)
10.संगति की गति
11.आओ बैठें ,कुछ देर साथ में
12.राजेश कुमार सिंह -सिकरी वाया बबुरी
13.नैपकिन पेपर पर कविता
14.सैर कर दुनिया की गाफिल
15.नयी दुनिया में
16.हम तो बांस हैं-जितना काटोगे,उतना हरियायेंगे
अगस्त,2005
1.संस्कार कैसे छोड़ दिये जायें ?
2.अधूरे कामों का बादशाह
3.हैरी का जादू बनाम हामिद का चिमटा
4.अंधकार की पंचायत में सूरज की पेशी
5.ईदगाह अपराधबोध की नहीं जीवनबोध की कहानी है
6.ऐ मेरे वतन के लोगों
7.उनका डर
8.फुरसतिया:कुछ बेतरतीब यादें
9.आशा का गीत-गोरख पांडेय की कवितायें
10.सुभाषित वचन-ब्लाग,ब्लागर,ब्लागिंग
11.इस तरह जिया यारों…
जुलाई,2005
1.तुलसी संगति साधु की
2.बदरा-बदरी के पिछउलेस
3.एक ब्लागर मीट रेलवे प्लेटफार्म पर
4.घर बिगाड़ा सालों ने
5.बारिश में भीगते हायकू का छाता
जून,2005
1.कहानी के आगे की कहानी
2.दीवारों का प्रेमालाप
3.माज़रा क्या है?
मई,2005
1.ठेलुहई की परम्परा
2.आज मेरे यार की शादी है
3.चिट्ठी चिट्ठाकारों को बमार्फत रवि रतलामी
4.चिट्ठी
5.ऐसा पहले कभी नहीं हुआ
6. गिरिराज किशोरजी से बातचीत
7.आओ तुमको एक गीत सुनाते हैं
अप्रैल,2005
1.रंज लीडर को बहुत है,मगर आराम के साथ
2.ये मस्त चला इस बस्ती से
3.खेती
4.मोहब्बत में बुरी नीयत से कुछ भी सोचा नहीं जाता
5.चाय पीना छोड़ दूं ?
6.इतने भी आजाद नहीं हैं हम साथी
7.वियोगी होगा पहला कवि
8.आशा ही जीवन है
मार्च,2005
1.स्वर्ग की सेफ्टी पालिसी
2. मेरे बचपन के मीत
3.शिक्षा :आज के परिप्रेक्ष्य में
4.बुरा मान लो होली है
5.टुकुरु-टकुरु देउरा निहारै बेइमनवा
फरवरी,2005
1.हरिशंकर परसाई के लेखन के उद्धरण
2.मेरा चमत्कारी अनुभव
जनवरी,2005
1.अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है
2.प्रेमगली अति सांकरी
3.ये पीला वासन्तिया चांद
दिसम्बर,2004
1.कृपया बांये थूकिये
2. आतंक से मुख्यधारा की राह क्या हो?
3.भारत एक मीटिंग प्रधान देश है
4.साल के आखिरी माह का लेखाजोखा
नवम्बर,2004
1.झाङे रहो कलट्टरगंज
2.भारतीय संस्कृति क्या है
3.कविता का जहाज और उसका कुतुबनुमा
4.आत्मनिर्भरता की ओर
5.मेरा पन्ना मतलब सबका पन्ना
अक्टूबर,2004
1. विकल्पहीन नहीं है दुनिया
2.गुडिया जो मेले में कल दुकान पर थी
3.आधे हाथ की लोमडी,ढाई हाथ की पूंछ
4.हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे
5.सफल मनोरथ भये हमारे
6.क्या देह ही है सब कुछ?
सितम्बर,2004
1.नहीं जीतते- क्या कर लोगे?
2.हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिहै?
3.गालियों का सांस्कृतिक महत्व
4.ब्लाग को ब्लाग ही रहने दो कोई नाम न दो
5.तीन सौ चौंसठ अंग्रेजी दिवस बनाम एक हिंदी दिवस
अगस्त,2004
1.अब कबतक ई होगा ई कौन जानता है
2.फुरसतिया बनाम फोकटिया
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