Browse: Home / पुराने लेख
By फ़ुरसतिया on November 26, 2012
ये भी देखिये: 1. इंक ब्लॉगिंगः हुनर हाथों का 2.डिजिटल इंक ब्लॉगिंग….. 3.इंक ब्लॉगिंग एक लफ़ड़ा….. 4.इंक-ब्लागिंग के कुछ फुटकर फ़ायदे 5.अमिताभ का अ कितना खूबसूरत है 6.फुरसतिया टाईम्स न फुरफरिया टाईम्स- ये है चिट्ठाचर्चा टाईम्स
Posted in इंक-ब्लागिंग, बस यूं ही |
By फ़ुरसतिया on November 25, 2012
बहुत दिन बाद आज एक पन्ना हाथ से लिखे। देखिये जरा कईसा लगता है। अगर छोटा लगे तो Ctrl+ दबा के बड़ा करके बांचिये तो जरा। ब्लॉगिंग की ये खुराफ़ात सभ्य भाषा में इंकब्लॉगिंग कहलाती है। इसमें हम अखबार भी निकाल चुके हैं। देखिये जरा आप भी। अखबार की प्रस्तावना तो देख ही लीजिये न […]
Posted in इंक-ब्लागिंग, बस यूं ही |
By फ़ुरसतिया on May 14, 2011
कल डा.अनुराग ने प्रेम गली अति सांकरी पर टिपियाते हुये लिखा- आपकी इस गली में एंट्री का कोई जिक्र नहीं है….बड़ी सफाई से आपने यहाँ भी अपने ज़ज्बातो को कंट्रोल कर लिया है ….कसम उस पहले प्यार की शुक्ल जी…..आज बह जाने दीजिये ..बस कह डालिए ! बाद में और साथियों ने भी डा.साहब की […]
Posted in पाडकास्टिंग, पुराने लेख, संस्मरण |
By फ़ुरसतिया on April 15, 2011
पिछली पोस्ट जबरियन छपाई के हसीन साइड इफ़ेक्ट पर ई-स्वामी की टिप्पणी थी- गुरुदेव, सारा दोष साली आपकी स्टाईल का है! बंदे की स्टाईल से लिखने की ट्राई मारो आप, फ़िर किसी का बाप भी किसी अखबार के लिये नही चुरा सकता! अब अगर किसी को ई-स्वामी की स्टाइल देखनी हो तो उनके ब्लाग पर […]
Posted in पुराने लेख, बस यूं ही |
By फ़ुरसतिया on March 11, 2011
आज ज्ञानजी की पोस्ट पढ़ी- डिसऑनेस्टतम समय। इसमें तमाम साथियों की टिप्पणियां हैं। इससे लगा कि हम अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। मैंने सोचा हम भी उदास हो जायें लेकिन इसी समय मुझे अपनी एक पुरानी पोस्ट याद आयी- आशा ही जीवन है। यह लेख उस समय हमने अनुगूंज के नवें लिये […]
Posted in अनुगूंज, पुराने लेख |
माह के सर्वाधिक टिप्पणी प्राप्त आलेख