माह के लोकप्रिय आलेख
- अनुगूंज २१-कुछ चुटकुले 0 comments
- हर जोर जुलुम की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है 0 comments
- सीखना है तो खुद से सीखो-रवि रतलामी 1 comment
- नये साल में और गये साल में कुछ मुलाकातें 0 comments
- तुलसी संगति साधु की 1 comment
पुराने समय में जब राजा लोग युद्ध के लिये निकलते थे तो तमाम तरह के ताम-झाम के साथ निकलते थे। मेरा मतलब प्रयाण करते थे। रानियां बख्तरबंद पहनाती थीं। पंडित मंत्रोच्चार करते थे। चारण और भाट उनकी तारीफ़ के किस्से चिल्लाते हुये गाते थे। अपने-अपने राजाओं को सूर्य के समान तेजस्वी, सागर के समान विशाल […]
कल और आज कुछ पुरानी पोस्टों की पॉडकास्टिंग की। सोच तो बहुत दिन से रहे थे लेकिन करने का मुहूर्त कल ही निकला। हुआ असल में ये कि हम माइक तो बहुत पहले से खरीद के धरे थे लेकिन वह खाली सुनने के काम आ रहा था। जब भी कुछ रिकार्डिंग करने की कोशिश की […]
कल मैंने मन के कुछ कोने देखे। कल मैंने मन के कुछ कोने देखे, कुछ झिलमिल रंग सलोने देखे। चोट लगी मन की देहरी पर, अनगिन नेह-दिढौने देखे। कल मैंने मन के कुछ कोने देखे। इस आपाधापी के जीवन में कुछ पल ठिठके,ठहरे देखे। धूसर मटमैली दुनिया के, कुछ मनसुख रंग सुनहरे देखे। कल मैंने […]
अमरकंटक यात्रा के दौरान माई की बगिया में कई नर्मदा परकम्मावासियों से मुलाकात हुई। उनमें से एक दल सुबह स्नान के बाद नर्मदा भजन करने लगा। अपने मोबाइल कैमरे में उस भजन को हमने रिकार्ड कर लिया। वाद्ययंत्र तम्बूरा और डब्बा जिसमें रेजगारी से संगत दी जा रही थी। हमारे साथ के लोग भी संगत […]
घर से बाहर जाता आदमी घर लौटने के बारे में सोचता है। घर से निकलते समय याद आते हैं तमाम अधूरे छूटे काम सोचता है एकाध दिन और मिलता तो पूरा कर लेता ये भी और वो भी। तमाम योजनायें बनाता है मन में सब कुछ एक आदर्श योजना जैसी बातें। घर से बाहर जाता […]
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