खुशदीप सहगल
बंदा 1994 से कलम-कंप्यूटर तोड़ रहा है

अनस को पढ़िए, लत ना लगे तो कहिएगा...खुशदीप

  • Saturday, March 15, 2014
  • by
  • Khushdeep Sehgal
  • लेखन की एक खास शैली है...बेबाकी से अपनी बात सच सरासर सच कहना...ठेठ और अक्खड़ स्टाइल में...ये लेखन सीधे दिल से निकला होता है, सोलह आने खरा होता है, इसलिए गहरी मार करता है...कलम की रवानगी ऐसी होती है कि बस पूछो नहीं...एक बार कोई पढ़ना शुरू करता है तो फिर आख़री फुलस्टॉप पर ही जाकर रुकता है...

    ब्लॉग जगत में ऐसा 24 कैरट लिखने वाले कई हैं...लेकिन मैं यहां दो ब्लॉगर्स का खास तौर पर नाम लेना चाहूंगा...महफूज़ अली और अनिल पुसदकर....इसी कड़ी में ताज़ा एक और नाम जुड़ा है...मोहम्मद अनस...इनके ब्लॉग का नाम है- नई डायरी...टैगलाइन है- मेरे हिस्से की दुनिया जो सबसे होकर गुज़रती है...

    मेरे लिए इस पोस्ट लिखने का मकसद ही यही है कि मोहम्मद अनस को हिंदी ब्लॉग जगत से रू-ब-रू कराना...फेसबुक पर जनाब का पहले से ही बहुत जलवा है...हाल ही में अनस ने ब्लॉगिंग में दस्तक दी है...कुल जमा अभी तक तीन पोस्ट लिखी हैं...लेकिन इन तीन पोस्ट से ही इन्होंने बता दिया है कि इनकी लेखनी क्या क़यामत ढा सकती है...

    मोहम्मद अनस


    मोहम्मद अनस पर अभी लौटता हूं, पहले जिस खास लेखन की बात कर रहा था, उसकी झलक महफूज़ अली और अनिल पुसदकर भाई की इन दो पोस्ट के ज़रिए आप तक पहुंचा देता हूं...पुरानी पोस्ट हैं- लेकिन आज भी वैसा ही मज़ा देती है जैसे कि पहली बार पढ़े जाने के वक्त दिया था...

    महफूज़ अली
    महफूज़ अली-












    अनिल पुसदकर
    अनिल पुसदकर-












    अब ये इस तरह के लेखन का कमाल ही है कि महफूज़ और अनिल भाई की हिंदी ब्लॉगिंग में हमेशा ज़बरदस्त फैन-फॉलोइंग रही है...

    अब आता हूं मोहम्मद अनस पर...मेस्मेराइज़ कर देने वाले इनके लेखन की ये बानगी देखिए...

    "जब छोटा था तो सबसे ज्यादा घबराहट जिस चीज़ से होती थी वह थी स्कूल जा कर आठ घंटे एक ही बेंच पर ,एक ही कमरे में ,एक ही ब्लैकबोर्ड को देखना . पांच साल का हो गया तो सजा धजा ,काजल पाउडर और सर में पचास ग्राम तेल चपोड़ घर में काम करने वाले दस्सू चच्चा इलाहबाद मांटेसरी स्कूल छोड़ आते ।पढ़ता कम और रोता ज्यादा था इसलिए क्लास से बाहर निकाल प्ले ग्राउंड भेज दिया जाता ।लेकिन स्कूल के टीचर जल्दी ही समझ गए की लड़का पहुंचा हुआ है ,रोज़ रोज़ का नाटक है इसका न पढ़ने का।" 

    पूरी पोस्ट इस लिक पर पढ़ी जा सकती है-


    इसके अलावा अनस ने दो और पोस्ट लिखी हैं-
    अगर आप सिर्फ़ एक बार अनस को पढ़ लेंगे तो इनके बारे में कुछ और कहने की गुंजाइश ही ख़त्म हो जाएगी...फिर मेरी तरह आपको भी इनका लिखा पढ़ने की लत लग जाएगी...

    (नोट- मोहम्मद अनस से पहले मैं मनसा वाचा कर्मणा वाले राकेश कुमार जी का हिंदी ब्लॉग जगत से परिचय कराने का ज़रिया बना था...राकेश जी भगवदगीता, उपनिषद, रामायण, भागवत आदि ग्रंथो की वैज्ञानिक आधार पर जिस तरह व्य़ाख्या करते हैं, उसने देश-विदेश में उनके असंख्य मुरीद बना दिए...अब मुझे उम्मीद ही नहीं पक्का यक़ीन है कि मोहम्मद अनस के लेखन को भी ऐसे ही हाथों-हाथ लिया जाएगा...)






    Keywords:Mohammad Anas
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    जस्सी जैसा कोई नहीं...खुशदीप

  • Wednesday, March 12, 2014
  • by
  • Khushdeep Sehgal

  • ये 11 मार्च बड़ी खास थी...इस तारीख़ की शाम समर्पित थी मेरे हीरो को...वो शख्स जिसे मैंने ज़िंदगी में कभी देखा नहीं...लेकिन उसकी शख्सीयत के बारे में मैंने जितना सुना, वो उतना ही मेरे दिल-ओ-दिमाग़ पर छाता गया...उसके बारे में मैंने जाना नहीं होता तो शायद आज मैं वो नहीं होता जो मैं हूं...उसके किस्सों को नहीं सुना होता तो आज मैं अपने पारिवारिक कारोबार को ही संभाल रहा होता...मैं जिस शख्स की बात कर रहा हूं, उसका नाम है- जसविंदर सिंह...हम सबका प्यारा जस्सी...वो जस्सी जिसे 31 दिसंबर 1993 को काल के क्रूर हाथों ने हम से छीन लिया था...महज़ 33 साल की उम्र में...

    जस्सी आज होता तो तीन दिन बाद 15 मार्च को अपना 54वां जन्मदिन मना रहा होता...बीबीसी के पूर्व संवाददाता जस्सी के बारे में ज़्यादा जानना चाहते हैं तो बीस साल पहले छपे मेरे इस लेख को पढ़ सकते हैं...

    'अन्याय को देख मर्माहत हो उठता था जस्सी'

    (परवेज़ आलम भाई के फेसबुक वॉल से जस्सी का फोटो साभार)
    बहरहाल आता हूं 11 मार्च पर...इस दिन जसविंदर सिंह मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से भारतीय जन-संचार संस्थान (IIMC), दिल्ली में प्रथम वार्षिक व्याख्यान का आयोजन किया गया...संस्थान के मिनी ऑडिटोरियम में हुए इस कार्यक्रम में बीबीसी से जुड़े रहे और मीडिया प्रशिक्षक निकोलस न्यूजेंट  मुख्य वक्ता के तौर पर बोले...विषय था- ब्रिटेन में फोन हैकिंग के बाद न्यूज मीडिया के क्रियाकलापों की जांच के लिए गठित लेवेसन जांच आयोग की रिपोर्ट के भारतीय न्यूज मीडिया के लिए क्या मायने हैं ?

    व्याख्यान का विषय बड़ा गंभीर था...खास तौर पर भारतीय मीडिया जिस दौर से गुज़र रहा है उसे देखते हुए...मीडिया का स्वतंत्र होना भारतीय लोकतंत्र की ख़ूबसूरती है...लेकिन मीडिया बिना किसी निगरानी के निरकुंश हो जाता है तो ये लोकतंत्र के लिए किसी त्रासदी से कम भी नहीं...सरकार के हस्तक्षेप के बिना आत्म-नियमन की बात की जाती है...लेकिन मीडिया, खास तौर पर इलैक्ट्रोनिक मीडिया ने आत्म-नियमन का जो चोला पहन रखा है, क्या वो अपेक्षित परिणाम दे पा रहा है...

    इस विषय पर मुख्य वक्ता निकोलस न्यूजेंट से पहले प्रधानमंत्री के संचार सलाहकार पंकज पचौरी ने अपनी बात रखी...पंकज पचौरी ने भारत में मीडिया को गंभीर संकट में बताया...उनके मुताबिक बिज़नेस मॉडल फेल हो रहा है...अखबारों की प्रसार संख्या में गिरावट आ रही है...मीडिया संस्थानों का मुनाफ़ा तेज़ी से घट रहा है...विज्ञापनों से होने वाली कमाई लगातार घट रही है...ऐसे में छदम रेवेन्यू सिस्टम का सहारा लिया जा रहा है...प्रिंट मीडिया में सर्कुलेशन को साबित करने वाले IRS के आंकड़ों पर उंगली उठ रही है तो इलैक्ट्रोनिक मीडिया के लिए टीआरपी की गणना करने वाले TAM सिस्टम की विश्वसनीयता भी संदेह के घेरे में है... पंकज ने एक और दिलचस्प बात बताई कि आज भी दूरदर्शन दूसरे चैनलों के मुकाबले सात गुणा ज़्यादा देखा जाता है....

    प्रधानमंत्री के संचार सलाहकार पंकज पचौरी ने बताया कि संसदीय स्थाई समिति ने लेवेसन जांच आयोग की रिपोर्ट पर भारतीय मीडिया के संदर्भ में विचार किया है...एक वर्किंग पेपर तैयार किया गया है...पेड न्यूज़ जैसे अनैतिक आचरणों के संदर्भ में मीडिया के नियमन ज़रूरत जताई जाती है...लेकिन इसके लिए कोई तैयार नहीं है...आत्म नियमन की दुहाई दी जाती है..दिल्ली हाईकोर्ट, भारतीय प्रेस परिषद और संसदीय स्थायी समिति सब कह चुके हैं कि आत्म नियमन की व्यवस्था काम नहीं कर रही है...फिर क्या रास्ता निकाला जाए...पंकज ने कहा कि वह खुद भी मीडिया पर निगरानी के लिए आत्म-नियमन के पक्ष में हैं...लेकिन इस आत्म-नियमन की जवाबदेही के लिए कोई मज़बूत सिस्टम बनना ज़रूरी है...इस संदर्भ में पंकज ने भारतीय निर्वाचन आयोग और सेबी जैसी संस्थाओं का हवाला दिया...पंकज के मुताबिक देश में नेता सबसे ज़्यादा निर्वाचन आयोग से और कारपोरेट सेबी से डरते हैं...

    पंकज पचौरी के बाद मुख्य वक्ता निकोलस न्यूजेंट ने बोलना शुरू किया...बेबाक अंदाज़ में उन्होंने पहले ही साफ़ कर दिया कि वो भारतीय प्रिंट मीडिया को तो लगातार फॉलो करते रहे हैं लेकिन इलैक्ट्रोनिक मीडिया के बारे में वो ज़्यादा अवगत नहीं है...इसलिए लेवेसन जांच आयोग की रिपोर्ट को लेकर भारतीय मीडिया के संदर्भ के मायने में ज़्यादा अधिकार से कुछ नहीं कह सकते...हां उन्होंने ये ज़रूर कहा कि प्रधानमंत्री की स्पीच को कितना स्थान देना है, ये तय करना मीडिया का काम है और ये उस पर ही छोड़ देना चाहिए...

    निकोलस न्यूजेंट ने ब्रिटेन के संदर्भ में कहा कि वहां प्रिंट मीडिया दम तोड़ने की ओर अग्रसर है...बिजनेस मॉडल को जबरदस्त खतरा है...प्रिंट मीडिया का सर्कुलेशन लगातार घटता जा रहा है...स्पेस सेलिंग के नए तरीके ढूंढे जा रहे हैं...ऐसे में गॉसिप और सनसनी के ज़रिए कारोबार करने वाली टेबलायड कल्चर हावी हो रही है...जानकारी के लिए पब्लिक सर्वेन्ट्स को रिश्वत दी जा रही है...न्यूज़ ऑफ द वर्ल्ड प्रकरण के बाद मीडिया की इन अनैतिक गतिविधियों की जांच के लिए ही लेवेसन जांच आयोग का गठन किया गया...खास तौर पर मीडिया और राजनेताओं के बीच बन गए रिश्तों पर लेवेसन जांच आयोग ने चिंता ज़ाहिर की...यानि वहां भी आत्म नियमन के लिए बनी प्रेस कम्पलेंट कमीशन कारगर नहीं रही...लेकिन सरकारी नियमन की व्यवस्था हो तो वो खुद बड़ी समस्या साबित हो सकती है...ऐसे में संवैधानिक तौर पर समर्थित आत्म-नियमन की व्यवस्था ही सबसे अच्छा विकल्प है...

    खैर ये तो सब वो बातें हैं जो व्याख्यान से संबंधित थीं...लेकिन अब फिर उस शख्स की ओर लौटता हूं जिसके नाम पर ये सारा आयोजन हो रहा था...इस कार्यक्रम के आयोजन में ज़्यादातर लोग वही शामिल थे, जिन्होंने जस्सी के साथ बीबीसी में काम किया था...उसकी ज़िंदादिली के बारे में सुनाने के लिए सबके पास इतने किस्से थे कि पूरा दिन भी सुनाते रहते तो कम रहते...
    बीबीसी की हिंदी सेवा की पूर्व प्रमुख अचला शर्मा ने शुरुआत में कार्यक्रम की रूपरेखा रखते हुए जस्सी के पसंदीदा पंजाबी कवि पाश की एक कविता का हवाला दिया...उनके भावुक शब्द ही ये गवाही देने के लिए काफ़ी थे कि जस्सी के जाने के बीस साल बाद भी उसकी ज़िंदादिली को वो कितनी शिद्दत के साथ महसूस करती है...

    कार्यक्रम के मॉडरेटर (वरिष्ठ पत्रकार-प्रशिक्षक) परवेज़ आलम ने जस्सी को फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की इस नज़्म के साथ याद किया...

    हम देखेंगे
    लाजिम है कि हम भी देखेंगे
    वो: दिन के जिसका वादा है
    जो लौह-ए-अजल में लिक्खा है
    जब जुल्म-औ-सितम सितम के कोह-ए-गरां
    रुई की तरह उड़ जाएँगे
    हम महकूमों के पाँव-तले
    जब धरती धड़ धड़ धड़केगी
    और अहल-ए-हिकम के सर ऊपर
    जब बिजली कड़ कड़ कड़केगी
    जब अर्ज़ ए-खुदा के काबे से 
    सब बुत उठवाये जायेंगे
    हम अहल-ए-सफा, मरदूद-ए-हरम
    मसनद पे बिठाए जाएंगे
    सब ताज उछाले जाएंगे
    सब तख्त गिराए जाएंगे

    जस्सी के पत्रकारिता की शुरुआत के दिनों के साथी एम के वेणु (द हिंदू के पूर्व वरिष्ठ संपादक)....या फिर बीबीसी में जस्सी की नियुक्ति के सूत्रधार सतीश जैकब या विपुल मुद्गल...सभी के पास जस्सी के बारे में सुनाने के लिए बहुत कुछ था...इस मौके पर बीबीसी से बरसों तक जुड़े रहे रामदत्त त्रिपाठी और सुधा माहेश्वरी भी मौजूद रहे...बीबीसी में पिछले सात साल से कार्यरत इकबाल अहमद की शिरकत भी खास रही...

    कार्यक्रम में सबसे महत्वपूर्ण उपस्थिति जस्सी की मां महेंद्र कौर, बहन डॉ.परमजीत कौर और बहनोई डॉ.ओंकार सिंह की रही...इस मौके पर जसविंदर सिंह मेमोरियल ट्रस्ट की तरफ से IIMC के दो छात्रों को हर साल छात्रवृत्ति देने का ऐलान किया गया...पहले साल के लिए चुनीं गईं  दो छात्राओं- सिंधुवासिनी (हिंदी पत्रकारिता) और हर्षिता (प्रसारण पत्रकारिता) को जस्सी की माताजी ने खुद अपने हाथों से आधिकारिक-पत्र देकर आशीर्वाद दिया...

    (फोटो : आनंद प्रधान सर के फेसबुक वॉल से साभार)

    इस अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित IIMC के छात्रों को वक्ताओं से सवाल पूछने का भी मौका मिला...कार्यक्रम को सफल बनाने में IIMC के कुलसचिव जयदीप भटनागर और प्रोफेसर आनंद प्रधान के सहयोग को भी भुलाया नहीं जा सकता...IIMC से लौटते वक्त मैं यही सोच रहा था कि आज की शाम कितनी सार्थक रही...और रहती भी क्यों नहीं...पूरे कार्यक्रम की धुरी जस्सी जो था...जस्सी मेरा हीरो...

    Keywords:Jasvinder Memorial Trust
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    ये मंत्र अपनाइए, हमेशा खुश रहेंगे...खुशदीप

  • Friday, March 7, 2014
  • by
  • Khushdeep Sehgal
  • हर हाल में खुशदीप हूं, इसलिए आज आप से खुश रहने का मंत्र साझा करना चाहता हूं...ये सच है कि ज़िंदगी हर कदम इक नई जंग है...अब ये हम पर निर्भर करता है कि हम इस जंग के लिए किस तरह अपने को हमेशा तैयार रखते हैं...

    अपने तज़ुर्बे से आज आप को एक बात बताता हूं...इससे पहले आप से एक सवाल करना चाहता हूं कि हमें सबसे ज़्यादा दुख कब होता है?  दुख सबसे ज़्यादा तब होता है, जब आप किसी से बहुत ज़्यादा उम्मीद रखते हैं और वो शख्स आपके भरोसे पर खरा नहीं उतरता...दुख उस वक्त और ज़्यादा होता है जब आपका कोई अपना इस तरह का रुख दिखाता है...ज़ाहिर है कि जिन्हें आप अपना समझते हैं उन्हीं से उम्मीद रखते हैं...

    अब आप इससे विपरीत चल कर देखिए...दुनिया में कोई भी शख्स क्यों ना हो, उससे उम्मीद मत रखिए...जब आप उम्मीद ही नहीं रखेंगे तो उसका टूटने का डर भी नहीं रहेगा...भरोसा रखना है तो बस अपने कर्म पर रखिए...देर हो सकती है लेकिन इस तरह की सोच आपको एक-ना-एक दिन फल ज़रूर देगी...

    दूसरों से आप उम्मीद ना रखें...लेकिन अगर आप ऐसी स्थिति में है कि किसी के कोई काम आ सकते हैं तो ज़रूर ऐसा कीजिए...ऐसा करके देखिए आपको कितना फीलगुड होगा...और अगर आपको लगता है कि आप किसी का काम करने में समर्थ नहीं है तो उसे तत्काल मना कर दीजिए...हो सकता है सामने वाले को कुछ बुरा लगे लेकिन यही उसके लिए सबसे बेहतर है...कम से कम उसका समय तो व्यर्थ नहीं होगा...



    आप भी इस सोच को अपना कर देखिए, यक़ीन मानिए, जीवन का अर्थ ही बदल जाएगा...इसी संदर्भ में आपको आज का एक उदाहरण बताता हूं...

    मेरी बिटिया पूजन नौवीं क्लास में पढ़ती है, उसकी आजकल वार्षिक परीक्षाएं चल रही हैं...हर बच्चे की तरह उस पर भी हर सब्जेक्ट में A-1 ग्रेड लाने का प्रैशर है...ये बात दूसरी है कि ना तो मैंने और ना ही पत्नीश्री ने उस पर कभी इसके लिए दबाव डाला है...लेकिन पूजन खुद ही अपनी ज़िम्मेदारी समझती है...पूजन अपनी तैयारी में लगी हुई है लेकिन कल उसके स्कूल से क्लास टीचर का फोन आया...क्लास टीचर ने बताया कि दसवीं की परीक्षा देने वाली किसी लड़की के हाथ में फ्रैक्चर हो गया है, और उसकी परीक्षा देने के लिए राइटर की ज़रूरत है...प्रिंसिपल ने इसके लिए पूजन का नाम सजेस्ट किया है...

    पूजन को जब ये बताया तो वो खुद ही अपने अगले पेपर देने की तैयारी में लगी थी...हमने पूजन से कुछ कहने की बजाय उस पर ही छोड़ दिया कि वो क्या फैसला लेती है...उसे ये बता दिया कि अगर उसे लगता है कि उसकी तैयारी में फर्क पड़ेगा तो वो मना कर सकती है...लेकिन पूजन ने बिना देर लगाए फैसला ले लिया कि वो राइटर बनेगी...राइटर उस बच्ची के लिए जिसे वो जानती भी नहीं....आज वो राइटर के तौर पर ही किसी और के लिए चार घंटे परीक्षा देने गई हुई है...

    अब बताइए कि पूजन ने ऐसा करके मुझे और पत्नीश्री को जो खुशी दी है वो किसी और बात से क्या मिल सकती थी...मेरे लिए बिटिया के अच्छे मार्क्स आने से ज़्यादा ये खुशी मायने रखती है...क्योंकि GIVING IS LIVING


    बड़े दिन हो गए आपको स्लॉग ओवर में मक्खन से मिलवाए, चलिए आज ये काम भी कर देता हूं...

    स्लॉग ओवर
    ढक्कन... मक्खन भाई, बड़े दिन से दिखे नहीं थे, कहां चले गए थे...

    मक्खन...अरे कहीं नहीं यार...वो दुकान खोली थी ना...छह महीने जेल में रहना पड़ा...

    ढक्कन... दुकान खोली थी !!! जेल में रहना पड़ा....बात कुछ समझ नहीं आ रही...

    मक्खन...अरे कुछ नहीं...किसी की दुकान हथौड़े से खोली थी ना...






    Keywords:giving, living,sharing,happiness
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    ब्लॉगिंग 'पप्पू-फेंकू' से कहीं ऊपर...खुशदीप

  • Wednesday, February 26, 2014
  • by
  • Khushdeep Sehgal
  • लोकसभा चुनाव सिर पर हैं...यक़ीनन सोशल मीडिया और ब्लॉगिंग भी इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं...मेनस्ट्रीम मीडिया चुनाव से जुड़ी पल पल की ख़बरें लोगों तक पहुंचाने के लिए कमर कस रहा है...लेकिन जहां तक मुद्दों के विश्लेषण का प्रश्न है तो सोशल मीडिया कहीं ज़्यादा विश्वसनीय साबित हो रहा है...

    कहा जा रहा है कि ये लोकसभा चुनाव देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं...लेकिन मेरा कहना है कि चुनाव कोई भी हो हमेशा महत्वपूर्ण ही होते हैं...राजनीतिक आग्रह से ज़्यादा मेरी फ़िक्र ब्लॉगिंग और सोशल मीडिया की भूमिका को लेकर है...ये सत्य है कि देश के हर नागरिक को किसी भी राजनीतिक सोच में विश्वास रखने का पूरा अधिकार है...इसी अधिकार का चुनाव में मुक्त प्रयोग ही तो हमारे लोकतंत्र की ख़ूबसूरती है...

    ठीक है हम पॉलिटिकल एक्टिविस्ट हैं तो किसी भी हद तक अपनी पार्टी और अपने नेता की सपोर्ट में जा सकते हैं...लेकिन जहां तक ब्लॉगिंग और फेसबुक, ट्विटर, गूगल प्लस जैसे सोशल मीडिया के टूल्स का सवाल है तो हमें देखना चाहिए कि हम देश के हित के लिए इनका कैसा सदुपयोग या दुरुपयोग कर रहे हैं...

    'पप्पू', 'फेंकू' या 'खुजलीवाल' जैसे संबोधनों का हम अधिक से अधिक इस्तेमाल कर अपमैनशिप दिखा सकते हैं...मेरा प्रश्न ये है कि एक दूसरे की काट में नेताओं के भद्दे चित्र बना कर, पैरोड़ी लिखकर हम सिद्ध क्या करना चाहते हैं...क्या यही स्वस्थ हास्य होता है...अगर जो रचनात्मकता हम ऐसे कार्यों में दिखा रहे हैं वहीं देश के ज्वलंत मुद्दों को सुलझाने में अपना वैचारिक योगदान देकर करें तो क्या वो इस देश के लिए अधिक उपयोगी नहीं होगा...

    नेता कितना भी विलक्षण क्यों ना हो, अकेले वो कोई चमत्कार नहीं कर सकता...इस देश में चमत्कार तभी होगा जब हम इस देश के एक अरब, तीस करोड़ नागरिकों में से हर कोई नवनिर्माण में अपना योगदान देगा...ये तभी होगा जब हर कोई सिर्फ जागेगा नहीं बल्कि उठेगा...

    Don’t just awake, but rise. Rise as an individual to transform this country into a better place to live in.

    राजनीतिक प्रतिबद्धता को थोड़ी देर के लिए भूल जाइए...चुनाव के बाद कोई भी पार्टी दिल्ली की गद्दी पर विराजमान हो, अपने चुनाव घोषणा पत्र को लागू करेगी...चुनाव से पहले इस वक्त हर राजनीतिक पार्टी के दिग्गज चुनाव घोषणा पत्र तैयार करने में लगे हैं...ऐसे में पार्टी कोई भी हो अगर वो देश को बेहतर बनाने के लिए आपसे सुझाव आमंत्रित करती है तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए...और हमें भी प्रबुद्ध नागरिक के नाते अपना वैचारिक सहयोग देने के लिए आगे आना चाहिए...सब मिल कर राय रखें, विमर्श करें, उनमें से जो बेहतर सुझाव सामने आएं, उन पर अमल कराने के लिए जी-जान से कोशिश की जाए...क्या ये अधिक सार्थक नहीं होगा, हमारे लिए, आपके लिए और इस देश के लिए...या फिर ये अधिक अच्छा है कि सोशल मीडिया पर बस अनर्गल प्रलाप किया जाता रहे...

    Yes, We Can....Yes, We Feel....
    मुझे ब्लॉगर के नाते कांग्रेस की ओर से ऐसे ही एक आयोजन का न्योता मिला...वहां जिन मुद्दों पर विमर्श किया गया- वो थे कि 1.कैसे देश के धर्मनिरपेक्ष और समावेशी तानेबाने को अक्षुण रखा जाए, 2.कैसे नवपरिवर्तन के लिए युवाशक्ति को संलग्न किया जाए, 3. घर-घर में निर्णय प्रक्रिया में कैसे महिलाओं की भागीदारी बढ़ा कर उन्हें सशक्त किया जाए और 4. कैसे हर स्तर पर शासन को और अधिक पारदर्शी बनाया जाए...इनके अलावा अन्य किसी मुद्दे पर भी अपनी राय दी जा सकती थी....कार्यक्रम के दौरान छह घंटे तक विमर्श हुआ...इस मंथन से कई अच्छे सुझाव भी सामने आए....अब जिस पार्टी ने ये आयोजन किया, उसकी ये ज़िम्मेदारी बन जाती है कि वो ईमानदारी से इन्हें अपने घोषणापत्र में स्थान दें...

    अगर कोई और पार्टी भी इस तरह का आयोजन करती है और ब्लॉगर के नाते मुझे न्योता देती है तो मैं वहां भी अपने विचार रखने के लिए जाऊंगा...चुनाव की प्रक्रिया के दौरान इस तरह की बहस में जनता की भागीदारी स्वस्थ परंपरा की शुरुआत है, इसका स्वागत किया जाना चाहिए...

    आखिर ये देश हम सबका है, और हम सबको ही इसकी बेहतरी के बारे में सोचना है...ज़रूरत है तो बस राजनीतिक कटुता से ऊपर उठने की...समस्या की पहचान से ज़्यादा समस्या के निदान की...सुझाव किसी की बपौती या जागीर नहीं....अच्छे सुझाव इस देश में कोई भी नागरिक दे सकता है, और हमें उनको खुले दिल से प्रोत्साहन देना चाहिए...

    छोड़ो कल की बातें,
    कल की बात पुरानी,
    नए दौर में लिखेंगे,
    मिलकर हम नई कहानी,
    हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी....









    Keywords: Good Governance, Innovation, New India, Role of Blogging, Social Media, Women empowerment, Youth Power
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    हम हैं नया भारत, हम हैं नई झंकार...खुशदीप

  • Friday, February 21, 2014
  • by
  • Khushdeep Sehgal
  • वक्त आता है जब गौर से सुनते हैं हम कोई पुकार,
    और हम सब भारतीय हो जाते हैं एक आकार,


    ऐसे लोग हैं जिन्हें है बस जीने की दरकार,
    ये वक्त है ज़िंदगी को एक हाथ देने का,
    यही है सबसे बड़ा पुण्य, सबसे बड़ा उपहार,.
    कितने दिन हम बहाने बना करते रहेंगे इंतज़ार,
    कि कोई आएगा, और कर देगा चमत्कार,
    हम हिस्सा हैं जिसके वो है एक बड़ा परिवार,
    और वो सच, जिसे सब जानते हैं,
    दूसरों का जो दर्द समझे, वही सबसे बड़ा फनकार,

    हम हैं नया भारत, हम हैं नई झंकार,
    हम हैं नया भारत, हम हैं नई झंकार...

    हम मिल कर बनेंगे बदलाव के मूर्तिकार.
    बनना है हमें नई मुहिम का हिस्सेदार,
    एक ही ख्वाहिश हमारी हो स्वीकार,
    हम अपना वजूद रखें बरकरार,
    हौसला यही, यक़ीन यही,
    करेंगे मैं और तुम, बेहतर कल को साकार.

    हम है नया भारत, हम हैं नई झंकार,
    हम है नया भारत, हम हैं नई झंकार...

    उन्हें बस कराना है उस दिल का दीदार,
    दूसरों का दर्द देख जो धड़कता है हर बार,
    यही देगा उन्हें मज़बूत होने का आधार,
    हम जानते हैं, हम मानते हैं,
    एकजुट आगे बढ़ेंगे तो नहीं कोई रास्ता दुश्वार,
    पूरी दुनिया करे हमारे लोकतंत्र की जयकार

    हम हैं नया भारत, हम हैं ऩई झंकार,

    हम हैं नया भारत, हम हैं नई झंकार...








    Keywords:compassion, Lionel Richie, Love, Michael Jackson, New India, unity, We Are the World",
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    देशनामा नहीं आपका प्यारनामा...खुशदीप

  • Wednesday, February 12, 2014
  • by
  • Khushdeep Sehgal
  •  नवाज़िश, करम, मेहरबानी, शुक्रिया...

    कितना कुछ भी क्यों ना कह लूं लेकिन आप सब के प्यार का कर्ज़ नहीं चुका सकता...ये सब  आप की दुआओं का नतीजा है कि देशनामा को ब्लॉग अड्डा Win14 में हिंदी कैटेगरी में टॉप ब्लॉग घोषित किया गया है...ब्लॉग अड्डा ने आधिकारिक तौर पर आज ई-मेल के ज़रिए
    मुझे ये सूचना दी...






    अभी मुझे देशनामा की मेरी ट्रॉफी तो नहीं मिली लेकिन उसकी शक्ल ऐसी होगी...ये ट्रॉफी फोटोग्राफी और वीडियो कैटेगरी में जोशी डेनियल को मिली है...

    ब्लॉग अड्डा ने 9 फरवरी को मुंबई के कोर्टयार्ड, मेरियट होटल में Win14 के नाम से पहली बार भव्य ब्लॉगिंग कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया ...इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर शेखर कपूर ने शिरकत की...शेखर कपूर खुद भी ब्लॉगर हैं...उन्होंने एक घंटे के अपने संबोधन में बताया कि किस तरह ब्लॉगिंग और सोशल मीडिया की वजह से समाज में बदलाव आया है...


    शेखर कपूर के साथ वसुंधरा दास, अनग देसाई, कवि अरसु, कार्ल गोम्स और एकलव्य भट्टाचार्य जैसी हस्तियां भी ब्लॉगर्स से रू-ब-रू हुईं...दिन भर चले इस कार्यक्रम में 200 ब्लॉगर्स के अलावा सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया...रवि सुब्रह्मण्यम और किरन मनराल जैसे नामचीन लेखकों ने लेखन और ब्लॉगिंग स्किल्स पर ब्लॉगर्स के साथ अपने अनुभव बांटे...कवि अरसु ने अपनी ब्लॉगिंग यात्रा का दिलचस्प ढंग से ब्योरा दिया...प्रसिद्ध ट्रैवल ब्लॉगर अनुराधा गोयल के ट्रैवलिंग से जुड़े संस्मरणों ने उपस्थित सभी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया...ब्रैंड्स और एडवरटाइजिंग के ब्लॉगिंग से रिश्ते पर अनग देसाई, मनु प्रसाद और लक्ष्मीपति भट्ट ने प्रकाश डाला...


    युवाशक्ति की रुचि से जुड़े मुद्दों पर एकलव्य भट्टाचार्य, वसुंधरा दास और कार्ल गोम्स के पैनल के साथ इंटरएक्टिव सेशन हुआ...कॉन्फ्रेंस में अनिल पी ने बताया कि ब्लॉग की किस्सागोई में फोटोग्राफ कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं...म्युज़िक जर्नलिस्ट अर्जुन रवि और दिग्गज टैक्नोलॉजी ब्लॉगर अमित अग्रवाल ने अपनी सफल ब्लॉग गाथा का उल्लेख किया...प्रसिद्ध फूड ब्लॉगर कल्याण करमाकर ने फूड ब्लॉगिंग वर्कशाप की अगुआई की...जयहिंद टीवी के अभिज्ञान झा ने बताया कि किस तरह ब्लॉग के लिए प्रीमियम वीडियो कंटेट बनाया जा सकता है...पूरे इवेंट को बड़े प्रभावशाली ढंग से अश्विन मुशरान ने होस्ट किया...इस दौरान स्टैंडअप कामेडियन जमशेद राजन ने दर्शकों को अपनी चुटकियों से खूब गुदगुदाया...

    कार्यक्रम के अंत में 16 कैटेगरी में टॉप ब्लागर्स के नामों का ऐलान किया गया...इनमें हिंदी में देशनामा का नाम शामिल था...क्रिएटिव राइटिंग में डॉ रोशन राधाकृष्णन और फैशन कैटेगरी में रोक्सेन डिसूजा समेत सभी विजेता ब्लॉगर्स के नाम इस लिंक पर देखे जा सकते हैं...
    इवेंट को अविस्मरणीय बनाने के लिए ब्लॉग अड्डा के फाउंडर और सीईओ नीरव सांघ्वी ने सभी ब्लॉगर्स और उपस्थित मेहमानों का शुक्रिया अदा किया...




    मैं भांजी की शादी में व्यस्त रहने के कारण चाह कर भी 9 फरवरी को मुंबई नहीं जा सका...इसका मुझे हमेशा मलाल रहेगा...अवार्ड्स के लिए जूरी ने हिंदी में नामांकित ब्लॉग्स में फाइनल राउंड के लिए 9 ब्लॉग्स को चुना था...जनवरी के आखिरी हफ्ते में इन ब्लॉग्स के लिए पब्लिक से खुली वोटिंग कराई गई...आयोजकों के अनुसार ब्लॉग को टॉप चुने जाने में 80 प्रतिशत जूरी के मत और 20 प्रतिशत वोटिंग की हिस्सेदारी थी...

    मेरे लिए ये दुगनी खुशी का मौका इसलिए भी है, क्योंकि चार दिन पहले ही देश के एक और अग्रणी ब्लॉगिंग मंच इंडीब्लॉगर्स ने पिछले साल पॉलिटिकल न्यूज कैटेगरी में देशनामा को मिली ट्रॉफी मेरे पते पर भेजी थी...





    देशनामा के लिए ये गौरव आप सब मित्रों की दुआओं और पाठकों के निरतंर मिलते रहे प्यार के बिना संभव नहीं था...इसलिए आखिर में मेरा ये प्रिय गाना फिर से आप सब की नज़र...





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    #YWMA आइडिया दो, दस लाख जीतो...खुशदीप

  • Sunday, January 26, 2014
  • by
  • Khushdeep Sehgal
  •  24  जनवरी की शाम कई मायनों में बड़ी खुशगवार गुज़री...इंडीब्लॉगर्स की ओर से नोकिया-ल्यूमिया के आयोजन में शिरकत का न्योता था...इंडीब्लॉगर्स की दिल्ली में पहले हुई ब्लॉगर्स मीट में हिस्सा ले चुका था...इसलिए आश्वस्त था कि आयोजन शानदार ही होगा...दूसरा कारण ये भी था कि इंडीब्लॉगर्स ने पिछले साल देशनामा को पॉलिटिकल न्यूज़ की कैटेगरी में अवॉर्ड से नवाज़ा था...

    एक ओर सबसे बड़ी बात कि मेरा बेटा सृजन जो यदा-कदा अंग्रेज़ी में ब्लॉग लिखता है (www.enlightedmind.blogspot.in), उसने भी इस आयोजन में शिरकत लेने की इच्छा जताई..सृजन दिल्ली के सेंट स्टीफंस, कालेज में बीएससी ऑनर्स (फिजिक्स) के सेकंड इयर में है, उसे पढ़ाई से ही फुर्सत नहीं मिलती...लेकिन इस कार्यक्रम में सृजन के पंसदीदा टेक गुरु राजीव मखनी आ रहे थे, इसलिए वो इसमें हिस्सा लेना चाहता था...ख़ैर हम बाप-बेटे की जोड़ी ने कार्यक्रम में भागीदारी के लिए इंडीब्लॉगर्स में रजिस्ट्रेशन करा दिया...मैंने सतीश सक्सेना जी और शाहनवाज़ भाई से भी रजिस्ट्रेशन के लिए फोन पर कहा था, लेकिन वो दोनों ही शायद अपनी व्यस्तता के चलते ऐसा नहीं कर पाए...



    कार्यक्रम दिल्ली के ओबरॉय होटल में शाम को सात बजे शुरू होना था...लेकिन मैं और सृजन वहां करीब साढ़े सात बजे पहुंचे...तब तक ओबरॉय का बॉल रुम खचाखच भर चुका था...इंडीब्लॉगर्स का करीब साढ़े तीन सौ ब्लॉगर्स को न्योता था लेकिन हॉल में इससे कहीं ज़्यादा लोग नज़र आ रहे थे...किसी तरह हॉल में सबसे पीछे हमने भी अपने बैठने लायक दो सीट ढूंढ ली...

    मंच पर एंकरिंग की ज़िम्मेदारी राजीव मखनी ने संभाल रखी थी...उनके साथ भोली सूरत वाले इंटरनेशनल फेम शेफ़ विकास खन्ना और उद्यमी-एंजेल इन्वेस्टर विशाल गोंदाल भी मंच पर मौजूद थे...(ये एंजेल इन्वेस्टर क्या होता है, कोई मुझे बताएगा क्या भाई)...


    हम आधा घंटा देर से पहुंचे थे, पहले क्या हो गया था पता नहीं, लेकिन उस वक्त राजीव नोकिया के यूअर विश इज़ माई एप सीज़न 2’ के बारे में बता रहे थे...यही समझ आया कि आप को अपनी इच्छा के अनुसार मोबाइल एप्लीकेशन (एप) के लिए आइडिया बताना है...अगर आप का आइडिया पंसद आ गया तो समझो कि आप की बस पौं बारह है...

    कार्यक्रम में आगे क्या हुआ, इससे पहले आप को ये बता दूं कि नोकिया- यूअर विश इज़ माई एपका आयोजन पिछले साल भी हुआ था...भारत समेत दुनिया के इस पहले एप रियल्टी टीवी शो के लिए करीब 38 हज़ार आइडिया आयोजकों को मिले थे, इस बार सीज़न 2 के लिए ये लक्ष्य करीब 50 हज़ार आइडिया जुटाने का है...इस हंट को इस बार करने वाले जज़ेस में राजीव मखनी, विकास खन्ना और विशाल गोंदाल के अलावा नौकरी डॉट कॉम के एक्जेक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट संजीव भीखचंदानी और एक्ट्रेस कल्की केकला (चौंकिए मत, इस नाम का रहस्य भी आगे खोलता हूं)...

    सीज़न 2 के लिए पहले तीस आइडिया शार्ट लिस्ट किए जाएंगे...मार्च के मध्य में इन आइडिया पर आधारित नौ कड़ियों वाला रियल्टी शो एनडीटीवी प्राइम चैनल पर प्रसारित होगा...विजेता को दस लाख रुपये और दो उप-विजेताओं को क्रमशपांच लाख और दो लाख रुपये की राशि इनाम में दी जाएगी...इसके अलावा तीन और भाग्यशाली लोगों को नोकिया-ल्यूमिया 1520 मोबाइल दिया जाएगा...

    इंटरनेशनल आडियंस से आइडिया आमंत्रित करने के साथ ही शो  को देश भर में भागीदारी के लिए युवाओं के पास ले जाया जाएगा...फरवरी में इसके लिए दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर के कॉलेजों में फेस्टिवल होंगे...इन फेस्टिवल के ज़रिए तीन लोगों को वाइल्ड कॉर्ड के ज़रिए अंतिम तीस कंटेस्टेंट्स में जगह मिलेगी...

    इसके अलावा 17 से 21 फरवरी तक सोशल मीडिया वीक का आयोजन बैंगलोर, बार्सिलोना, कोपेनहेगन, हैम्बर्ग, लागोस, मिलान, न्यूयॉर्क और टोक्यो में होगा...चार हज़ार टॉप आइडिया को नोकिया DVLUP में प्रकाशित किया जाएगा...इस पूरे कार्यक्रम का उद्देश्य विंडोज़ फोन स्टोर के लिए एप्स विकसित करना है...आप इच्छुक हैं तो आप भी अपने फेसबुक वॉल पर या ट्विटर हैंडलर पर एप के लिए आइडिया दे सकते हैं, इसके लिए आपको आइडिया से पहले बस #YWMA टाइप करना होगा...नोकिया फिर खुद ही आपको ट्रैक कर आपकी भागीदारी सुनिश्चित कर देगा...

    चलिए ये तो था कार्यक्रम का उद्देश्य...अब आपको बताता हूं कि वहां हुआ क्या-क्या...जैसा कि पहले ही बता चुका हूं कि जब हम पहुंचे तो मंच पर राजीव मखनी, विकास खन्ना और विशाल गोंदाल मौजूद थे...

    राजीव बता रहे थे कि आइडिया देते वक्त लोगों की वाइल्ड इमेजिनेशन कहां-कहां तक जा सकती है...जैसे कि पिछले साल एप्स के लिए मिले आइडियाज़ में एक सज्जन का कहना था कि ऐसा एप विकसित होना चाहिए, जिससे कि कुत्ते, बिल्ली, कीड़े-मकोड़ों की आवाज़ को पहले वो इनसानों के समझने लायक भाषा में बदल दे और फिर इनसान की भाषा को इसी तरह कुत्ते, बिल्ली और कीड़े-मकोड़ों के पास पहुंचा दे...

    राजीव के मुताबिक एक आइडिया पर हमेशा कूल रहने वाले मास्टर शेफ विकास खन्ना भी बहुत भड़क गए थे...ये आइडिया था कि किसी भी डिश की फोटो को देखकर मोबाइल एप के ज़रिए उसकी पूरी रेसिपी सामने आ जाए...विकास का कहना था कि एक रेसिपी को बनाने में शेफ को ना जाने कितने महीनों तक मशक्कत करनी पड़ती है और ये जनाब सिर्फ फोटो के ज़रिए रेसिपी जानना चाहते थे...

    कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले ब्लॉगर्स से भी एट रेंडम स्टेज पर बुलाकर आइडिया पूछे जा रहे थे...एक ऐसा किशोर भी स्टेज पर आया जिसका ब्लॉग LOVE पर ही आधारित था...इस किशोर के लिए मैंने राजीव मखनी को चिट पर लिख कर सुझाव दिया कि इसे मटुकनाथ ऑफ ब्लॉगिंगका टाइटल दिया जाना चाहिए...और लव पर कोई एप विकसित होता है तो उसे भी पटना के प्रोफेसर (लवगुरु) मटुकनाथ को ही समर्पित करना चाहिए...

    मंच से साथ ही सवाल पूछ कर नोकिया की ओर से इनाम भी बांटे जा रहे थे...जैसे विकास खन्ना ने सवाल पूछा कि घर के मक्खन का रंग सफेद लेकिन अमूल मक्खन का पीला क्यों होता है...जो ट्विटर या फेसबुक पर सबसे पहले जवाब देता, उसे ही इनाम मिलता...एक ब्लॉगर समरदीप सिंह ने जवाब दिया...YELLOW…इस पर विकास ने चुटकी ली कि तू दिमाग में मुझसे भी बड़ा है...खैर हॉल में से एक आवाज़ आई कि ANNATO की वजह से अमूल मक्खन पीला होता है...विकास ने फिर एक्सप्लेन किया कि ANNATO पीले रंग का बड़े अच्छे फ्लेवर वाला मसाला होता है...ये सवाल भी पूछा गया कि एक्ट्रेस KALKI KOECHLIN के नाम का सही उच्चारण क्या होता है...कोई कोएचलिन तो कोई कोएशलिन बता रहा था...इस पर राजीव मखनी ने बताया कि कल्की ने उन्हें खुद अपने नाम का सही उच्चारण बताया है- कल्की केकला (चौंके ना आप भी सुनकर, यही सही है)

    मुज़फ्फरनगर से आए एक बच्चे ने एप के लिए आइडिया दिया कि जो लोग डॉयबिटीज की वजह से रसगुल्ला नहीं खा सकते, उनके लिए एप दबाते ही रसगुल्ले की पूरी खुशबू महसूस होनी चाहिए...इन सबके बीच कुछ बहुत अच्छे आइडियाज़ भी सामने आए जैसे कि अंग दान (ORGAN DONATION)  के लिए हमें पता नहीं होता कि कहां जाकर ऐसा किया जा सकता है...इसके लिए एप के जरिए आपके शहर या नजदीकी अंगदान केंद्रों की लिस्ट उपलब्ध कराई जा सकती है...

    एक आइडिया ये भी था कि मूक-बधिर की साइन-लैंग्वेज़ को देखकर उसे भाषा में बदलने वाला एप विकसित होना चाहिए...एक ओर बड़ा अच्छा आइडिया सामने आया कि महिलाओं को घर से बाहर होने पर लघु-शंका के लिए वॉशरूम्स (लू) ढ़ूंढने में बड़ी परेशानी होती है...इसके लिए लू-लोकेटर के नाम से ऐसा एप विकसित होना चाहिए, जिससे आप किसी भी शहर में हों, वहां आपको पास में मौजूद सार्वजनिक वॉशरूम्स (लू) की जानकारी मिल जाए...

    कार्यक्रम की एक और खास बात थी कि विकास खन्ना, राजीव मखनी और विशाल सभी लोगों से बहुत आत्मीयता के साथ मिल रहे थे....लग ही नहीं रहा था कि विकास खन्ना इतनी बड़ी सेलेब्रिटी है...इस कार्यक्रम में विकास की माताजी भी आई हुई थीं...मोस्ट ऐलिजेबल बैचलर विकास से मैंने पूछा कि अभी आपको आपकी काजोल मिली या नहीं...इस पर विकास ने पंजाबी में उत्तर दिया कि मैंने तो इंटरव्यू में सिमरन जैसी लड़की को जीवनसाथी बनाने की इच्छा व्यक्त की थी...लोगों ने काजोल वैसे ही बना दिया...

    ऐसे ही हंसी-मजाक के पलों के साथ खाने का वक्त आ गया...खाना शानदार था...जो लोग बोल-बोल कर थक गए थे, उनके लिए गला तर करने का भी इंतज़ाम था...चलिए पूरा आंखो देखा हाल सुना दिया...अब दस लाख रुपये जीतने के लिए एप्स का आइडिया सुझाने के लिए भिड़ाइए अपना दिमाग...वाइल्ड इमेजिनेशन वाले आइडिया यहां टिप्पणियों में भी व्यक्त कीजिए तो पोस्ट और मज़ेदार हो जाएगी...

    जैसे कि यहां मैं एप के लिए अपना आइडिया देता हूं...

    ऐसा एप बनना चाहिए जिसे दबाते ही ऐसी फ्रीक्वेंसी निकलें जो अर्णब गोस्वामी की फ्रीक्वेंसी से मैच कर उन्हें तत्काल चुप करा दें....


    (नोट- आपका ये ब्लॉग देशनामा ब्लॉग अड्डा अवार्डस के लिए शार्टलिस्ट हुआ है...अगर आप इसे वोट देना चाहें तो इस लिंक पर जाकर फेसबुक लाइक या ट्वीट के ज़रिए दे सकते हैं)



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