कविता

कल मैंने मन के कुछ कोने देखे

कल मैंने मन के कुछ कोने देखे

कल मैंने मन के कुछ कोने देखे। कल मैंने मन के कुछ कोने देखे, कुछ झिलमिल रंग सलोने देखे। चोट लगी मन की देहरी पर, अनगिन नेह-दिढौने देखे। कल मैंने मन के कुछ कोने देखे। इस आपाधापी के जीवन में कुछ पल ठिठके,ठहरे देखे। धूसर मटमैली दुनिया के, कुछ मनसुख रंग सुनहरे देखे। कल मैंने […]

दफ़्तर पुराण

दफ़्तर पुराण

निकल पड़े घर से मर्दाने अब ये सब दफ़्तर जायेंगे। हंसी-ठहाका सब करेंगे मर्दे काम इधर-उधर सरकायेंगे। अपन का पूरा-पक्का है सब, रामलाल का पिछड़ा है जी। रामलाल का कहना है कि, बाकी का कूड़ा-कचरा है। रोयेंगे सब सुविधाओं को अपने को बेचारा बतलायेंगे। कोसेंगे से उस नौकरिया को, जिसे वे कभी न छोड़ पायेंगे। […]

दफ़्तर प्रयाण गीत

दफ़्तर प्रयाण गीत

चल बबुबा अब उठ बिस्तर से, हो तैयार औ चल दफ़्तर को। काम-धाम कर खुब अच्छे से, हंसी-खुशी जी ले हर पल को! मस्त मिलो, हंसकर के सबसे, चिंता को रख तू निज ठेंगे पे। काम करो,सब धांस के बच्चा, रहो सजग कोई दे न गच्चा। शाम मिलेंगे तो फ़िर देखेंगे, अभी निकल ले तू […]

धूप तड़ी पार हुई

धूप तड़ी पार हुई

बर्फ़ का छापा पड़ा चप्पे-चप्पे पे सर्द-पुलिस कोहरे का कर्फ़्यू लगा पहाड़ सब सहम गये। ये धूप तड़ी पार हुई पहुंच गई पहाड़ पार पसर गयी गली,मैदान छत,खेत, खलिहान में। घास पर रही खेलती, सब फ़ूल को हिला दिया, पेड़ खड़ा देखा गुमसुम, प्यार से नहला दिया। धूप के वियोग में , पहाड़ तो ठिठुर […]

धूप खिली  उजाले के साथ

धूप खिली उजाले के साथ

1. जाड़े में धूप आहिस्ते से आती है, धीमें-धीमे सहमती हुई सी। जैसे कोई अकेली स्त्री सावधान होकर निकलती है अनजान आदमियों के बीच से। धूप सहमते हुये गुजरती है चुपचाप कोहरे, अंधेरे और जाड़े के बीच से। 2. बहुत जाड़े में धूप का स्कूल बंद हो जाता है। वह आराम करती होगी, रजाई में […]

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