By फ़ुरसतिया on November 7, 2013
दो दिन पहले भारत का अंतरिक्ष यान मंगलग्रह के लिये रवाना हुआ। नारियल फोड़कर भेजे गये अंतरिक्ष यान का दिन भर हल्ला मचा रहा। शाम को मीडिया की प्राइमटाइम बहस का हिस्सा बना मंगल अभियान। हम सुकून से सोये कि चलो कम से कम एक दिन तो उपलब्धियों की बात हुई। सुबह अखबार आया तो […]
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By फ़ुरसतिया on September 26, 2013
पहले दिन के तीसरे सत्र की चर्चा का विषय था- सोशल मीडिया और राजनीति। इसके संचालक थे हर्षवर्धन त्रिपाठी। वक्ताओं में शामिल थे- संजीव सिन्हा, कार्तिकेय मिश्र, अनिल सिंह, अनूप शुक्ल, पंकज कुमार झा, शकुंतला शर्मा। हर्षवर्धन के चुस्त संचालन में बहुत राजनीति हुई सोशल मीडिया पर। पंकज कुमार झा ने राजनीति बुरी चीज नहीं […]
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By फ़ुरसतिया on September 24, 2013
उद्घाटन सत्र के बाद अगला सत्र चर्चा सत्र था। चर्चा का विषय था- ब्लॉग, फ़ेसबुक, टिव्टर की तिकड़ी: एक दूसरे के विकल्प या पूरक। चर्चा रेल की ड्राइवरी करनी थी अपन को। चर्चा में भाग लेने वाले महारथी थे- प्रवीण पाण्डेय, सिद्धार्थ त्रिपाठी, अविनाश वाचस्पति, डॉ. अरविन्द मिश्र, संतोष त्रिवेदी और डॉ. बलिराम धापसे। डॉ […]
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By फ़ुरसतिया on September 23, 2013
और ये तीसरा ब्लॉगिंग सेमिनार, कार्यशाला, गोष्टीं संपन्न हुयी। पहला 2009 में इलाहाबाद में – न भूतो न भविष्यतनुमा। दूसरा 2010 में वर्धा में जहां हमने आलोकधन्वा, जो ब्लॉगिंग को सबसे कम पाखण्ड वाली विधा मानते हैं, की कविता सुनी: “हर भले आदमी की एक रेल होती है जो माँ के घर की ओर जाती […]
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By फ़ुरसतिया on May 31, 2013
शाम होते-होते रिजर्वेशन कन्फ़र्म होने की खबर मिली। खुश हो गये। लगा कि देश को अगर खुशहाल देखना है तो देश में सबका रिजर्वेशन कन्फ़र्म हो जाना चाहिये। जिसका रिजर्वेशन हो जाता है वह दूसरों के मुकाबले ज्यादा खुश हो जाता है। जिसका नहीं होता वह दुखी होता है। आंदोलन करता है। तोड़फ़ोड़ भी। हमारी […]
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