राजस्थानी प्रेम कहानी : ढोला मारू

राजस्थान की लोक कथाओं में बहुत सी प्रेम कथाएँ प्रचलित है पर इन सबमे ढोला मारू प्रेम गाथा विशेष लोकप्रिय रही है .

जहाँ मन्नत मांगी जाती है मोटरसाईकिल से !

मै यहाँ एक ऐसे स्थान की चर्चा करने जा रहा हूँ जहाँ इन्सान की मौत के बाद उसकी पूजा के साथ ही साथ उसकी बुलेट मोटर साईकिल की भी पूजा होती है.

भूतों का महल : भानगढ़ का सच

राजस्थान के भानगढ़ का उजड़ा किला व नगर भूतों का डरावना किले के नाम से देश विदेश में चर्चित है.

"उबुन्टू लिनक्स" इसका नाम तो बाली होना चाहिए था

उबुन्टू की इस तेज गति से नेट चलाने का कारण पूछने पर हमारे मित्र भी मौज लेते हुए बताते है कि जिस तरह से रामायण के पात्र बाली के सामने किसी भी योद्धा के आने के बाद उसकी आधी शक्ति बाली में आ जाती थी.

क्रांतिवीर : बलजी-भूरजी शेखावत

आज भी बलजी को नींद नहीं आ रही थी वे आधी रात तक इन्ही फिरंगियों व राजस्थान के सेठ साहूकारों द्वारा गरीबों से सूद वसूली पर सोचते हुए चिंतित थे तभी उन्हें अपने छोटे भाई भूरजी की आवाज सुनाई दी |.

Apr 16, 2014

जब कानून पर भारी पड़ी ईमानदारी


जयपुर की स्टेट चीफ कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश शीतलाप्रसाद वाजपेई का न्यायालय उस दिन खचाखच भरा था, दर्शकों की भारी भीड़ झुंझुनू के नाजिम इकराम हुसैन द्वारा बिना गवाहों के, सिर्फ पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर की रपट के आधार पर एक चोर को सुनाई सजा के खिलाफ हो रही सुनवाई को ध्यानपूर्वक सुनने में व्यस्त थी| चोर के वकील ने नाजिम इकराम हुसैन द्वारा सुनाई सजा के खिलाफ कानून की अनदेखी पर खासा प्रकाश डालते हुए चोर को बरी किये जाने की गुहार की|

लेकिन प्रधान न्यायाधीश ने वकील की एक भी दलील ना मानते हुए नाजिम इकराम हुसैन के फैसले को ज्यों का त्यों रखते हुए चोर की सजा को बरक़रार रखा| तब बचाव पक्ष के वकील ने फिर दलील दी कि - "एक पुलिस सब इंस्पेक्टर के बयान को प्रमाण मानकर सजा देना उचित नहीं है| फौजदारी कानून में ऐसा कोई प्रवधान नहीं|"

लेकिन वकील की यह दलील ठुकराते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा - "राम सिंह भाटी जैसे सत्यनिष्ठ सब इंस्पेक्टर का बयान और कथन कानून के प्रावधानों से कहीं ज्यादा वजनदार है|"

यह संत थानेदार के नाम से मशहूर थानेदार रामसिंह की सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, सदाचार, नैतिकता और कुशल व्यवहार की ख्याति का ही कमाल था कि उस समय के सभी न्यायाधीश सिर्फ उनके बयान या उनकी जाँच रिपोर्ट के आधार पर बिना ज्यादा सुनवाई किये फैसला दे दिया करते थे, क्योंकि उक्त निराला थानेदार इतना ईमानदार व सत्यनिष्ठ था कि ना किसी के लिए झूंठ बोलना ना मुफ्त का पानी का तक पीना| उसका व्यवहार इतना मृदु व प्यार भरा होता था कि चोर बिना पीटे चोरी का माल बरामद करवा दिया करते थे और आगे से चोरी छोड़ दिया करते थे तो अपराधी अपराध छोड़ भक्ति भजन में लग जाया करते थे| शरीर से दुबला-पतला वह निराला थानेदार खतरनाक डाकुओं को जिनसे पुलिस थर्राया करती थी को बिना खून खराबे के पकड़ लाया करता था|

इस निराले थानेदार का पूरा परिचय "सिंह गर्जना" पत्रिका के अगले अंक में

Apr 15, 2014

नवीनीकरण के इंतजार में भाजपा की सुराज संकल्प यात्रा

राजस्थान भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव पूर्व प्रदेश की सत्ता अपने हाथों में लेने के लिए सुराज संकल्प यात्रा निकाली जिसके माध्यम से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेश की जनता को कांग्रेस के कुशासन से प्रदेश की जनता को मुक्ति दिलाकर सुशासन यानी सुराज स्थापित करने का वादा किया और अपने इस सुराज कायम करने के संकल्प की आम आदमी तक जानकारी पहुंचाई| इस यात्रा की जानकारी देने के उद्देश्य से भाजपा ने सोशियल मीडिया की भूमिका महत्त्वपूर्ण समझते हुए www.surajsankalpyatra.com के नाम एक वेब साईट बनाई, इस वेब साईट के माध्यम से देश विदेश में बैठे प्रवासी राजस्थानियों को राजे के सुराज संकल्प की व उनकी यात्रा की जानकारी मिला करती थी, और प्रवासी उम्मीद करते थे कि सत्ता मिलने के बाद भाजपा अपने सुराज के कार्यों व उदाहरणों को वेब साईट के माध्यम से उन तक पहुंचाएगी और वे भी सुराज में कमियों की शिकायत या सुझाव वेब साईट के माध्यम से मुख्यमंत्री तक पहुंचाते रहेंगे|

लेकिन अफ़सोस प्रदेश में भारी जीत के बाद मिली सत्ता के बाद राजे सरकार व पार्टी ने सुराज संकल्प यात्रा का काम पूरा समझ उसे भुला दिया और पिछले 15 मार्च को इस वेब साईट के डोमेन को एक्सपायर होने के बावजूद इसका नवीनीकरण नहीं कराया|

आज सुराज संकल्प की जानकारी देने वाली वेब साईट के नवीनीकरण का काम भुलाया गया है कल हो सकता है, जिस तरह से राजनीतिज्ञ अपने किये वादे भूल जाते है वैसे ही राजे सरकार सुराज संकल्प ही भूल जाये|

हो सकता है दुरूपयोग भी

वेब डोमेन एक्सपायर होने के कुछ माह बाद डोमेन रजिस्ट्रार पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किसी भी जारी कर सकते है और यह बात भाजपा का आईटी सैल भी अच्छी तरह से जानता है| कोई भी राजनैतिक विरोधी इसे पंजीकृत कराकर इसके माध्यम से भ्रांतिपूर्ण जानकारियां देकर भाजपा का नुकसान भी कर सकता है क्योंकि यह वेब साईट राजस्थान भाजपा की अधिकारिक वेब साईट रही है अत: इस पर अपडेट की गई कोई भी गलत सुचना भ्रांति फैलाने के लिए काफी है| पर अफ़सोस भाजपा के आईटी सैल में बैठे जिम्मेदार लोगों के जेहन में ये बात क्यों नहीं आई? जबकि भाजपा मोदी के नाम से बनी वेब साइट्स का दुरूपयोग देख चुकी है|

Apr 14, 2014

उपेक्षा का शिकार राणा सांगा स्मारक

अपनी अप्रत्याशित शूरवीरता और संगठन क्षमता के बल पर बाबर की तोपों का तलवारों से मुकाबला कर भारतीय इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखवाने में कामयाब रहे मेवाड़ के महाराणा सांगा का शहादत स्थल और वहां बना उनका स्मारक रूपी चबूतरा आज उनके वंशजों की उदासीनता और सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति के चलते उपेक्षित है| यही नहीं सरकार द्वारा राणा सांगा की स्मृति स्मारक के लिए आवंटित जमीन पर भी एक असामाजिक तत्व ने कब्ज़ा कर रखा है|

दौसा जिले के बसुवा गांव में रेल की पटरियों के एकदम नजदीक राणा की याद में एक चबूतरा बना है स्थानीय निवासियों व गांव के सरपंच के अनुसार कुछ वर्ष पहले उदयपुर के एकलिंग नाथ ट्रस्ट की और से चबूतरे के लिए पत्थर आये थे पर उनके बाद किसी द्वारा ना सँभालने के चलते सभी पत्थर एक एक कर असामाजिक तत्वों द्वारा चुरा लिए गए| गांव के युवा सरपंच छोटेलाल गुर्जर ने ज्ञान दर्पण.कॉम से चर्चा करते हुए बताया कि यदि ट्रस्ट उक्त भूमि उसे पंचायत के अधीन दे देता तो आज वे यहाँ एक शानदार बगीचा लगवा देते, यदि पंचायत में आने वाला सरकारी फंड भी सरकार नहीं खर्च करने देती वे खुद ग्रामवासियों की मदद से राणा के स्मारक को एक शानदार बगीचे में बदल देते|

गांव के इस युवा सरपंच ने राणा सांगा को सम्मान देने हेतु गांव के चौराहे पर राणा सांगा की एक आदमकद प्रतिमा स्थापित करवा दी पर एक राजनैतिक दल के कतिपय लोगों ने इसकी सार्वजनिक निर्माण विभाग से शिकायत कर प्रतिमा अनावरण का काम रुकवा दिया| इन घटिया राजनैतिक सोच के लोगों के राजनैतिक षड्यंत्र की वजह से आज कई सालों से राणा सांगा की प्रतिमा चौराहे पर ढकी खड़ी अपने अनावरण का इन्तजार कर रही है| गांव की हर जाति का प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि राणा सांगा की प्रतिमा का अनावरण हो, तथा उनका शानदार स्मृति स्थल बने ताकि देशभर के लोग इस वीर को श्रद्धांजली देने व नमन करने आये ताकि गांव की राष्ट्रीय पहचान बने और गांव पर्यटन के नक़्शे पर उभरे लेकिन कतिपय राजनैतिक व्यक्तियों के षड्यंत्रों व सरकारी उदासीनता के चलते राणा का यह स्मारक आज उपेक्षित हो खंडहर बनने की और अग्रसर है|

पिछले एक माह के अंतराल में दो बार क्षत्रिय वीर ज्योति व वीर शिरोमणी दल के कार्यकर्ताओं द्वारा स्मारक स्थल व प्रतिमा स्थल पर जाकर ग्रामीणों से प्रतिमा अनावरण संबंधी बातचीत करने के बाद सरकारी नोटिश मिलने के बाद उदास हुए ग्रामीणों में उत्साह की लहर दौड़ गई|

कल 13 अप्रेल को भी ज्ञान दर्पण.कॉम के साथ क्षत्रिय वीर ज्योति के कई महारथियों ने मुंबई के भवन निर्माण व्यवसाय से जुड़े सामाजिक राजपूत नेता ओमप्रकाश सिंह के साथ बसुवा जाकर राणा के स्मारक पर नमन किया और गांव के सरपंच सहित गांव के कई मौजिज लोगों से चर्चा की व राणा की प्रतिमा बनाने के लिए सरपंच छोटेलाल की भूरी भूरी प्रशंसा करते उन्हें हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया|

इस चर्चा में सरपंच छोटेलाल गुर्जर ने बताया कि चुनाव आचार संहिता ख़त्म होते ही वह अपने चार माह के शेष कार्यकाल में प्रतिमा अनावरण की सरकारी अनुमति लेकर इसका विधिवत भव्य अनावरण करवा देंगे| सरपंच व ग्रामीण राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के हाथों अनवारण चाहते है|
मुंबई से आये ओमप्रकाश सिंह जी ने सरपंच को आश्वस्त किया कि वे इसके लिए होने वाले कार्यक्रम में हर तरह से मदद करने को तैयार है|

देखते है अपने जीवन के अंतिम दिनों में राजनैतिक षड्यंत्रों का शिकार होने वाला राणा सांगा की प्रतिमा आज भी राजनैतिक षड्यंत्र का शिकार हो यूँ ही कपड़े में ढकी रहेगी या देश की नई पीढ़ी को स्वातंत्र्य का पाठ पढ़ाने हेतु अपना अनावरण करवा पाने में सफल होगी|

Apr 7, 2014

सावधान : बाड़मेर में दोहराई जा रही है हल्दीघाटी

महाराणा प्रताप को नतमस्तक करने के लिए जिस तरह दिल्ली के सम्राट अकबर ने राणा के स्वजातीय बंधुओं को राणा के खिलाफ हल्दीघाटी के समर में उतारा ठीक उसी तरह भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य और वरिष्ठ भाजपा नेता जसवंत सिंह को पार्टी पर काबिज हुआ नया गुट झुकाने को वैसे ही हथकंडे अपना रहा है|

प्रदेश भाजपा की मुखिया मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जिसनें कभी भैरों सिंह जी शेखावत व जसवंत सिंह जी जसोल के आशीर्वाद से राजस्थान भाजपा का ताज सिर पर रखा था, जो कभी खुद जसवंत सिंह जी के आगे झुकते हुए नतमस्तक रहती थी आज उस राजे ने जसवंत सिंह जी अपने आगे झुकाने हेतु समर २०१४ में चक्रव्यूह रच रखा है|

मैडम इस चक्रव्यूह के पहले चरण में जसवंत सिंह जी की टिकट कटवाकर कामयाब भी हो गई पर चक्रव्यूह के कई चक्र अभी बाकी है और इन चक्रों का फैसला बाड़मेर की जनता अपने वोट रूपी ब्रह्मास्त्र के माध्यम से करेगी| लेकिन जिस तरह महाराणा को झुकाने के लिए अकबर ने उनके स्वजातीय राजपूत बंधुओं को माध्यम बनाया ठीक उसी तरह वसुंधरा राजे भी प्रदेश भाजपा के राजपूत नेताओं का प्रयोग कर रही है| यही नहीं कल तक जिन राजपूत नेताओं को मैडम व मैडम के सिपहसालार पास तक नहीं पटकने देते थे उन्हीं राजपूत नेताओं को जसवंत सिंह जी बागी तेवर दिखाते ही लाल कालीन बिछाकर ससम्मान भाजपा में शामिल किया गया|

चर्चाओं के अनुसार विधानसभा चुनावों में लोकेन्द्र सिंह कालवी को भाजपा में शामिल करने के राजनाथ सिंह के फरमान के बावजूद वसुंधरा राजे गुट ने कालवी को भाजपा के पास तक नहीं पटकने दिया वहीं खीमसर से विधानसभा चुनावों में दुसरे स्थान पर रहे दुर्गसिंह चौहान के भी भाजपा में घुसने के लाख प्रयासों के बावजूद राजे मण्डली के लोगों ने उन्हें राजे तक से नहीं मिलने दिया, लेकिन जसवंत सिंह जी के आँख दिखाते ही बाड़मेर लोकसभा सीट की जीत को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना चुकी राजे ने इन नेताओं को बाड़मेर में जसवंत सिंह जी को घेरने के लिए तुरंत भाजपा में आने का न्योता दे शामिल कर लिया|

यही नहीं ख़बरों के अनुसार राजे ने अपने सभी राजपूत विधायकों को जसवंत सिंह जी के खिलाफ प्रचार कर भाजपा के पारम्परिक राजपूत मतों को भाजपा के पक्ष में बनाये रखने की जिम्मेदारी दी है|

देखते है कितने राजपूत राजे के दबाव व लालच में अपने स्वजातीय जसवंत सिंह जी को मटियामेट करने के काम में लगेंगे या फिर पीथल की तरह अकबर के दरबार में रहते हुए महाराणा के भक्त बने रहने का अनुसरण करते हुये भाजपा में रहते हुए जसवंत सिंह जी से सहानुभति रखेंगे और उनके खिलाफ प्रयुक्त नहीं होंगे|

खैर...नेता अपने फायदे के लिये भले जसवंत सिंह जी को झुकाने हेतु राजे का साथ दे लेकिन इतना तय है जिस तरह राजा मानसिंह को उनकी ही पीढियां आज तक माफ़ नहीं कर पाई ठीक उसी तरह इस वक्त भी जसवंत सिंह जी के खिलाफ काम करने वाले राजपूत नेताओं को भी राजपूत समाज की कई पीढियां माफ़ नहीं करेगी !

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