2013-06-18

तेरे शहर में कुछ देर रह लू तो ...अपना गाँव हिन्दुस्तान याद आता है !!


ब उलझनों के मोड़ कम थे .ख्वाहिशे  भी कम थी ओर उनका कद भी.स्कूल का फासला अक्सर कदमो से तय होता .रिक्शे की कभी जरुरत महसूस नहीं हुई..गलियों में घूमते घूमते स्कूल पहुँच जाते . स्कूल के बाहर  एक चुस्की वाला खड़ा होता था .रंग बिरंगे बर्फ के गोले.शायद बीस पैसे का एक गोला होगा..जेब खर्ची को गिने चुने पैसे मिला करते थे .मां कहती मकान बन रहा है .पैसे  जेब खर्ची को कम मिलते .बेचने वाला एक बूढ़ा बाबा था .सफ़ेद उजली दाढ़ी .लम्बे लम्बे बाल ,सफ़ेद कुरता पजामा बस उसकी बर्फ में घुले कई रंग होते नारंगी -पीले- लाल....रोज लौटते वक़्त  मै उसके ठेले के आगे खड़ा होता .दोस्त लेते 
एक रोज़ उसने मुझे बुलाया .'खायोगे  मुन्ना "
".नहीं '
अच्छा नहीं लगता
नहीं ..पैसे नहीं है
कोई बात नहीं ,कल दे देना .उसने रंग -बिरंगा बर्फ का सुन्दर गोला हाथ में रख  दिया .
मां से अगले रोज पैसे मांगे .मां ने शनिवार को कहा .शनिवार बहुत दूर था .दो दिन  तक उसके आगे से गुजरते वक़्त दौड़ लगा देता.धड़कने तेज हो जाती.अगले रोज  वही गिर पड़ा .उसने उठाया .घुटना छिला  था.पर डर किसी ओर चीज़ का था ...
"खायोगे मुन्ना "उसने फिर रंग बिरंगा बर्फ का गोला आगे कर दिया
नहीं..
पैसे कल दे देना ..उसने सर पे हाथ रखा .
 रंग बिरंगे जादू  को मैंने फिर थाम लिया .
 अगले  दो रोज़ बुखार चढ़ा .. मां पट्टी करती ओर  मै  बुखार में तपते  हुए  मां से चालीस पैसे देने का वादा  लेता
सोमवार . मां ने वादा निभाया .पचास पैसे दिए ,पर न बाबा था .न उसका ठेला.
कितने शनिवार निकले . ना बाबा  दिखा .न उसका रंग बिरंगा जादू !


पुनश्च : शीर्षक " गुलज़ार" साहब से बिन मांगे  ले लिया है !

2013-05-06

कागजों में बंद कुछ सालो का कोलहाहल -2

130.....आत्मस्वीकृतिया भी एक प्रकार का तिलिस्म है.

131......लखनऊ से  ट्रेन चली  है ..अकेले यात्रा मुझे उबाऊ लगती   है .अभय इलाहाबाद चला गया . सेकत्रेट  के चपरासी  को  कुछ पैसे देकर हमने अपने मार्क्स  निकलवाये है .यू .पी सी पी एम टी का रिज़ल्ट में सिर्फ रोल नंबर निकलते है ,उसके 8 5 0  है लास्ट कट आउट 7 5 9 है .....वो   हिंदी में फ़ैल है, हिंदी यू पी इस प्रवेश परीक्षा का  अनिवार्य सब्जेक्ट  है  दूसरे प्रदेश के बच्चो को रोकने के लिए। वो अपने बढे भाई के पास इलाहाबाद चला गया है जो वहां से  एम् बी,बी एस  कर रहे है .मेरे  7 54  है .के जी एम् सी के लड़के बताते है  यहाँ एक वकील है जो इस तरह के केसेस लड़ता है  .मल्टीपल चोयेस क्वोश्चन में कई लड़के केसेस जीतकर  आये है  . तकरीबन हर पेपर में पांच सात कोश्चन डिबेटेबल होते है  वकील साहब मुझे बतलाते है एक उम्मीद सी बंधी है .क्वोस्चन याद करता मै सो गया हूँ .आधी रात में लोहे की जाली के उस पार से शोर हुआ है .चिल्लाने  ओर रोने की आवाजे .1 8 साल की एक  लड़की को रात में किसी सहयात्री  ने छेड़ने की कोशिश की है .वो रो रही है . अपनी माँ के साथ दूर का पहला सफ़र है .छेड़ने वाला ऊपर वाली बर्थ से उतर कर चला गया है  आधे घंटे  के शोर शराबे के बाद लड़की ऊपर वाली बर्थ  पर नहीं चढ़ी है  ,कुछ देर  बाद अस्पष्ट सी  आवाजों के साथ मै सो गया हूँ .सुबह उठा हूँ तो कोई बता रहा  है   छेड़ने वाला अभी लौटकर अपनी सीट पर वापस नहीं आया है उसका सामान वही रखा है उसकी पत्नी ओर पांच साल के बेटा भी सफ़र में है .उसकी पत्नी की सूजी आँखे   निचुड़ा वीरान  सा चेहरा  कल की रात उसका सारा खून सोख कर ले गयी है .    रात अभी उसके लिए  गुजरी नहीं है ,शायद गुजरेगी नहीं  गुनाह की  साझेदारी को लोगो ने उसके पाले में धकेल दिया है उसका पांच साल का बेटा  डरा सहमा माँ से लिपटा  है जैसे कुछ कुछ समझ रहा हो .
132 ....... लोग  आपकी स्मृतियों में न जाने   किन अजीब से कारणों से रहते है  ?कुछ  बड़े साधारण से  ,,जिन्हें एक्सप्लेन   आप नहीं कर सकते जैसे गुडगाँव में रहने वाले   मेरा  दोस्त की   स्मृतियो में  एक हिस्से  में  हवाई जहाज की  गडगडाहट उपस्थित रहती थी . .या   फर्स्ट क्लास कीवो टीचर  जिसका चेहरा  धुंधला धुंधला  सा  याद है   जो लंच ब्रेक  में  टेबल पर सर झुकाए बैठी मिलती थी ... दोबारा सर उठाती  तो आँखे गीली रहती .वो किसी बच्चे को नहीं डांटती थी ... पता नहीं क्यों  किन कारणों से  मेरे सपने में आयी !आपके जीवन में शामिल कुछ लोग होते है जो आपको दोबारा कभी  मिलते नहीं उनका आपके साथ सफ़र शायद एक तय वक़्त में ही होता है !
133.
आज पीते हुए तोमर ने फिलोस्फिकल बात कही ,पीने के बाद  इमोशनल होना हौसटली लडको की फितरत है  !"कभी कभी हम आदमी के बारे में  उसके फिजिकल लेंगवेज से राय बना लेते है ,कभी कभी उसकी एप्पिरेयेनेन्स से . हमारी क्लास में एक लड़का था ,खुरदुरा,मोटा चेहरे पे चिकन पौक्स के निशान . हमेशा मुस्कराता रहता .उसने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा था फिर भी लोग उसे पसंद नहीं करते थे .एक बार हमारी स्कूल पिकनिक  जाने का प्रोग्राम बना . पूरी क्लास में कोई नहीं चाहता था वो पिकनिक में जाए ,बहुत तरकीबे सोची गयी पर वो आया . पूरे रस्ते बस में  सबने उसका मजाक उड़ाया ,वहां  उसी पिकनिक  में झील के बीचो  बीच उसी जगह नाव  पलटी   जो सबसे गहरी जगह थी .कोई अपनी जगह से नहीं हिला, तैरना जानने  वाले  स्कूली लड़के भी नहीं  . गार्ड के आने तक वो नाव वाले के साथ लोगो को निकालने में लगा रहा ..जानते हो  मजाक उड़ाने में जो  सबसे ज्यादा वोकल लड़की थी वो उसी नाव में थी ......ओर "मै "भी   
 वो  फीकी हंसी हंसा था   !जानते हो ..उस दिन के बाद से मैंने किसी के बारे में राय बनाना छोड़ दिया है .वापस अपने कमरे में  आ गया हूँ लेटने की कोशिश करता हूँ पर नींद नहीं आ रही .कमरे में तलाशता  हूँ    सिगरेट ख़त्म  हो गयी है .एक वक़्त गुजर जाने के बाद गर नींद न आये तो पूरी  रात  जागते हुए गुजरती है  .वो चेचक के दागो वाला लड़का पीछा नहीं छोड़ रहा ...!

134. .....कभी कभी जिस लड़की का  दैहिक आकर्षण आपको खींचता है  वो अपने  दैहिक रूप में  बहुत साधारण मिलती  है ओर साधारण दिखने वाली लड़की दैहिक रूप से अद्भुत .....वूमेन वाकई  एक सीक्रेट है"  वो मेरे कान में फुसफुसाया है .वैसे वहां फुसफुसाने की जरुरत नहीं है हम दोनों अकेले ही है पर ये उसकी फितरत है . उसे हम  "वात्सायन" कहते है  हॉस्टल की छत की मुंडेर पर बैठे  वो   दिव्य ज्ञान मुझे देता है .
135....
जब आप बिस्तर पर होते है  अस्वस्थ शरीर के साथ  तो  कुछ  इन्द्रिया पहली बार  इस्तेमाल होती  है जो   एक नयी दुनिया खोलती  है .मौलिक दुनिया ........हर दुःख पुर्नजन्म है
136...
जीवन में सब कुछ  तार्किकता से हल नहीं होता  . कभी कभी  दिल की ओर मुड़ना  भी  होता है।
137...
हर वक़्त की  ,व्यक्ति की प्राथमिकताये अलग अलग होती है ,तुम्हारे लिए जो  सबसे पहली प्राथमिकता हो शायद मेरे लिए चोथी हो या पांचवी। ओर मेरे लिए जो पहली वो शायद तुम्हारी लिस्ट में ना हो .
138.... आप कुछ नया नहीं जी  रहे .. हो सकता आपसे पहले किसी ने  किसी काल में ऐसी परिस्थितियों को , ऐसे ही सुखो दुखो को जिया हो .तो क्या जीवन कई क्रमों को नए सिरे से लगाकर  पुनः दोहराना  है
139...
कुछ लोगो का एब ही उनका हुनर  होता है 
140...
वो मेरा हमनाम भी  है हम पेशा भी , बस दुनिया के दुसरे हिस्से में  है ऑस्ट्रेलिया में . स्कूल के बाद अचानक मिला है .आज शाम ही उसे दिल्ली निकलना है ससुराल में .....कल उसकी फ्लाईट है  
बियर पियेगा  मै उससे पूछता हूँ   
इस वक़्त ?
शहर के एक रेस्ट्रोरेन्ट में हम दोपहर में है . अमूमन मै दिन में कभी नहीं पीता ,बियर तो बिकुल नहीं सर में दर्द हो जाता है , नींद भी आती है  .पर आज बात दूसरी है . रेस्त्रोरेंट खाली है एक  कोने में मिया बीवी है ओर एक छोटा बच्चा जो इधर उधर दौड़ रहा है .
हम ऑस्ट्रेलिया की चुनाव  प्रक्रिया से लेकर वहां के मेडिकल सिस्टम की बात करते है .
अचानक एक आवाज हुई है ,उस कोने में बैठे हसबैंड ने अपनी पत्नी को थप्पड़ मारा  है  .वो नशे में उसे कुछ कह रहा है ,भागता दौड़ता बच्चा रोने लगा है .रेस्टरोरेंट के वेटर असमंजस में है उधर जाए की नहीं .अचानक मन में अजीब सा कुछ बैठ गया है ,दम घुटने वाली उदासी .... .बियर कडवी लगने लगी है
हम दोनों बाहर निकल गए है .
141....
जितना बचपन हम में बचा रह जाता है उतने मनुष्य हम  बने रहते है !

2013-04-18

एक तवील बोसे में कैसी प्यास पिन्हां है .........

"तुम्हारे पास बहुत इगो है "वो कहती है.
"वो इगो नहीं है ,वो खुद से लड़ाई है जानती हो कभी कभी तुम्हे बहुत मिस करता हूँ ,भीड़ में ,काम करते हुए , सबसे ज्यादा ड्राइव करते हुए "
  वो हथेलियों में उसका चेहरा भर लेती है बार बार उसके होठो को चूमती है .कुछ था उसके भीतर .जैसे सारा  उड़ेल देना चाहती हो अपने भीतर से सब कुछ खाली "किस बिफोर डेथ " जैसा कुछ !
 "तुम औरतो को कभी नहीं समझ पाओगे "वो फुसफुसाती है "उसे कई हिस्सों में जीना होता है,उसके दिल में कई तहरीरे जिरह करती है कई समंदर रहा करते है "
 पर अपना "असली हिस्सा" तुम उसे बहुत पीछे छोड़ आयी हो  तुम्हारी रूह वही है .
  "मै तुम्हे जितना समझती हूँ तुम मुझे उतना नहीं समझते "वो कहती है .
 "प्यार में सब कहा नहीं जाता" .मै ऐसा सोचता था .
  "प्यार में सब कुछ कहना होता है " उसकी आवाज में एक अजीब सी  उदासी है  "वूमेन  के "इमोशनल -वेसल" को लगातार भरना होता है भले ही वो कितनी पढ़ी लिखी हो  दुनिया के सबसे मोर्डन शहर में रहती हो "
  "प्यार में भी " वो हैरान है !
 हाँ प्यार में ही !   प्यार बुद्धिमानों के लिए नहीं बना  .वो हंसी है .उसकी हंसी उसके स्टेयरिंग आँखों की तरह है .वो गुस्सा हर लेती है  
अच्छी यादे गर जिंदा गर रहे तो आदमी कम तल्ख़ होता है .वो उसे फिर चूमती है.लगातार !
 क्या मै सलफिश हो गयी हूँ जो अपने बारे में सोचने लगी हूं ?

कभी कभी प्यार सिर्फ प्यार नहीं होता है "फिल इन दा गेप"  होता है  .आप अपने माजी के दरवाजे खोलकर वक़्त के सिर्फ एक टुकड़े को दोबारा रिवाइंड करना चाहते हो,या  कुछ देर ठहर कर उसे जीना  चाहते हो ...
बावजूद ज़ेहन के उस हिस्से के जिसका आप पे सदा इख्तियार रहा है 
हाँ बावजूद उस हिस्से के जिसके पास  अब" गिल्ट" नाम का अचूक हथियार है
तुम्हे हैरानी नहीं हुई  
एक वक़्त ऐसा आता है आपको कुछ हैरान नहीं करता .
तुम मुझ पर कभी गुस्सा नहीं हुए ,नफरत नहीं की ?
हुआ शुरू के सालो में बहुत ..पर नफरत नहीं कर पाया 
गर अगले दस  साल बाद मिले तो कुछ "अनकहा" तब भी रह जायेगा  हाँ शायद
ओर ये "शायद" कब तक जिंदा रहेगा
" जब तक तुम्हारी ब्राउन आँखे  स्टेयर करेगी....आँखे बूढी नहीं होती ना"। वो हँसता है
तुम अब भी वैसे ही हो झूठे ! गैर मामूली चीजों को खास बना देने की आर्ट  में माहिर    

 पर  तुम बहुत  बदल गयी हो  पहले ऐसी होती तो जाने नहीं देता ...लड़ जाता दुनिया से 
  "तो क्यों जाने दिया"
मेरे मुताबिक प्यार में रोकने की जरुरत नहीं पड़ती .
वो उसे चूमती है फिर एकटक देखती है
तुम्हारी ब्राउन आँखे अब तक
 
बहुत "स्टेयर" करती है ,पर  अब ख्वाबो के पीछे भागने की उम्र नहीं रही ,जल्दी हांफ जाता हूँ . " 
 

प्यार के साथ साथ खुदा ने कई चीज़े पेरेलल चलायी है पर  कोई ऐसा सिस्टम नहीं के जोर से कहो " स्टेचू " !! खुदा का साइन बोर्ड हमेशा एक तय जगह से फ्लेश करता है " वक़्त अन बायस है ".बस वहां एक चीज़ अच्छी है  सब गुमशुदा चेहरे  है .
हवा में  चुम्बनों की महक है।

(एक अज़ीज़ दोस्त ने मशवरा दिया के फेसबुक पर भी कई टुकड़े छोड़े है उन्हें भी तो जमा करिए ,सो एक यहाँ रख दिया  ओर हाँ शीर्षक बाकर मेहंदी की एक  नज़्म का वो हिस्सा है जो हमेशा याद रहता है  )




2013-04-10

"कन्फेशन " !!


"सोचता था जब चालीस का हूँगा जिंदगी का जायका जबां पे होगा, रोजो- शब् के पेंच उलटे नहीं घूमेगे . किसी शख्स का कोई करतब  हैरान नहीं करेगा . ऐब उबाने लगगे . दोस्त पहले की तरह अज़ीज़ होगे .  हाथ की जुम्बिश से तहरीरे  लिखूंगा .  फरिश्तो के नंबर मेरे मोबाइल में सेव होगे ओर सैंकड़ो दास्ताने लाइब्रेरी में .  कंप्यूटर में दर्ज होगे कई मुश्किल लम्हों के हल ओर एक ऐसा  फोल्डर जिसकी  तफसील तब भी किसी से न कहूँगा .
 
पर मुए डेस्टिनी के चाबुक  खलल डालना  नहीं भूले . गुमानो  के कद  मापता हूँ  तो उत्ते ही ऊँचे  है , नकाबो पर सेल अब भी नहीं लगती, अलबत्ता आईना किसी ओर शक्ल को दिखाने लगा है !  
तुम्हारी दुनिया उतनी ही पुरइसरार है खुदा !
देखो ना ........इतने सालो में बहुत कुछ है जो नहीं बदला न तुम, न मै  !!  
 चीयर्स !!

2012-10-11

"चल जिंदगी ढूंढें "

क जीवन  से आप कितने संवाद  कर सकते है .? हर जीवन एक लगातार घटती  घटना है .कभी कभी ऐसा लगता है जैसे एक समय सीमा पर आकर जीवन पर  ईश्वर का भी नियत्रण छूट गया है या वो छोड़ देता  है ? उन्ही अनियंत्रित समयों में व्यक्ति का चरित्र तय होता है जीवन की दिशा भी  . विज्ञान धर्म ओर कला तीनो सत्य को खोजने के उपकरण है . तो क्या जीवन सत्य को खोजना भर ही है ? फिर हर क्षण का एक सत्य होता है ! आखिर मनुष्य योनि  में होने का प्रयोज़न कुछ तो होगा ? ईष्या, प्रेम, वासना इन रसायनों को शरीर में डालने का कोई तो अर्थ होगा ?  पर जीवन सिर्फ बौद्धिक ड्योढ़ी पर बैठे चिंतको के लिए नहीं है .किसी  की अंतिम यात्रा से लौटकर ऐसे त्वरित अस्थायी   विचारो का उठना  स्वाभाविक प्रक्रिया है .जो कई बार मन ने दोहराई है.
"मै बहादुर   होते होते थक गयी हूँ  "चाय पीते पीते ग्लेडिएटर फिल्म की हेरोइन का संवाद सुन कर वापस इस जीवन में लौटता हूँ .रोता हुआ मनुष्य कितना  मौलिक होता है ,असली ! बिना किसी  आवरण के  !
पूरे जीवन में हम कितने समय मौलिक रहते है ?अपनी सामर्थ्य ओर सीमाओ का कितना उपयोग हम मनुष्य बने रहने के लिए करते है
"तुम्हारी  भाषा  तुम्हारे  इस वस्त्र का एक बड़ा  रेशा  है जो तुम्हारे  बाहरी आवरण को बुनता है " मेरा दोस्त मुझे अक्सर कहता है . जानता हूँ  ठीक ही कहता है !
शाम की ओ पी डी में वही है . २८  साल की खूबसूरत लड़की है  उसकी  छह साल की बच्ची को विटिलिगो है .दवा के शेड्यूल के बारे में वो  हर विजिट में  पूछती  है  उस दिन थोड़ी उदास है  दिन अपना  करसर उसकी उदासी पे रखकर सबब बतलाता है   दुःख इकहरा नहीं होता ,उसे पढना था पर उसके माँ बाप को शादी करनी थी .शादी भी हो गयी  पर पति एब्युजिव है ,एक साल बीतते बीतते जेठ जेठानी का एक्सीडेंट होता है ...म्रत्यु... उनकी चार साल की बच्ची की जिम्मेवारी उस पर आती है .निश्चल प्रेम ..हालत ये के डाइवोर्स मुहाने पर है .पिता घर ले आना चाहते है बच्ची उसे अपनी माँ समझती है    लिपट कर कहती है
 " मम्मी आप मुझे छोड़ कर नहीं जाओगी" ..पति से प्यार नहीं है ...पिता दूसरे की बच्ची अपने घर ले जाना नहीं चाहते ...वही कमीना .दिल !!.
कुछ दिल के  कैनवस्  में कई रंग नहीं होते  सिर्फ दो रंग मौजूद रहते है .सफ़ेद ओर काला .प्यार सीधी रेखा में नहीं बढ़ता . इसके दायरे जटिल  है .
जीवन का ये कौन सा रसायन है जिसका  कम्पोजीशन अभी भी अबूझ है  ?

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails