तो यह है अन्नाशलाका। तुलसीदास की रामशलाका तो आपने सुनी होगी। अब इस अन्नामय माहौल में जरा अन्नाशलाका भी देख लीजिए।
अन्ना शलाका का हर वर्ग नीचे की नौ चौपाइयों से संबद्ध है, जिसमें आपके लिए एक सुझाव छुपा हुआ है। अन्ना का स्मरण कर आँखें मूंदकर (खोलकर भी चलेगा) किसी भी ख़ाने पर उंगली रखें। ध्यान रहे अंगूठा नहीं। फिर उस वर्ग यानि खाने से आगे नवें खाने पर जाएँ। उस खाने में लिखे वर्ण या शब्दांश को लिख लें या याद रख लें। मात्रा भी ठीक से ध्यान रखें। जैसे ‘क’ के बाद ‘ा’ आए तो इसका अर्थ ‘का’ होगा। यह नवें खाने तक जाने का क्रम तब तक जारी रखें जब तक आप शुरु के खाने तक (जिसे आपने शुरु में चुना था) वापस आ न जाएँ। यह काम पूरी श्रद्धा के साथ करें वरना फल खट्टा भी हो सकता है।