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Monday, April 28, 2014

जाते जाते रुला गया है कोई - सतीश सक्सेना

our dear Goofy (31 Dec 2006 -27april 2014)
अपना घर त्याग,वो गया है कहीं ! 
थक के लगता है सो गया है कहीं !

बड़ी हिम्मत से , लड़ रहा था वह !
अपनी चौखट से,खो गया है कहीँ ! 

बड़े मज़बूत दिल का,  बच्चा था !
लड़ते लड़ते ही , तो गया है कहीं !

जाने किस कष्ट से, भिडा इकला !
मर के भी  प्यार,बो गया है कहीँ !

किसने छीना है,उसका घर यारोँ 
आज विश्वास , रो गया है  कहीं ! 

Friday, December 3, 2010

ये कुत्ते - सतीश सक्सेना

अगर आप अकेलापन महसूस करते हैं तो एक कुत्ता पाल लें यकीन मानिये (बशर्ते गिरिजेश राव जी से ना पूंछे  ;-) ) आपको अकेलापन नहीं खलेगा ! आदिकाल से मानव के साथ साथ रहने वाला यह परम मित्र , घर की सुरक्षा के साथ साथ, अपनी  छटी इन्द्रिय के लिए मशहूर है ! आपकी आहट यह लगभग  एक किलोमीटर से महसूस कर लेता है और यदि आप बीमार है यह घर के अन्य सदस्यों से पहले ही  महसूस कर लेगा ! आपके दुःख की छाया इसके चेहरे से कोई भी जान सकता है !
आज के समय में यह गूंगा दोस्त , प्यार की एक मिसाल है !आप शायद यकीन भी न करें मगर चित्र में आदेश मानने की मुद्रा में बैठा गूफी ,३० - ३५ लोगो के परिवार में हर किसी को भली भांति उनकी आदतों के साथ पहचानता है ! किसी को भी आपस में लड़ते देख तुरंत बीच बचाव के लिए धक्का देता है ! 
पूरे परिवार में सबसे निर्दोष और निष्छल सिर्फ यही "कुत्ता " है जो हम मानवों को स्नेह का पाठ पढ़ाने की कोशिश करता रहता है ! 

Tuesday, October 12, 2010

भाषा इन मासूमों की -सतीश सक्सेना

कुछ दिन पूर्व, घर के बाहर, ४ नन्हें दुधमुहों ने जन्म लिया, माँ द्वारा एक झुरमुट में सुरक्षित छिपाए जाने के बावजूद ये नन्हे भाग भाग कर सड़क पर आ जाते और जाती हुई कारों को सावधानी से चलाने के लिए कहतीं इनकी माँ ,द्वारा कार के पीछे भौंकते हुए दौड़ने से, नींद में पड़ते खलल से, पडोसी परेशान थे  ! 
गुडिया के कहने पर मैं बाहर गया तो एक को छोड़ सारे बच्चे, भाग कर माँ के पास छुप गए ! केवल एक था जो निडरता के साथ खड़ा रहा और बढे हुए हाथ की उंगलियाँ अपने नन्हे दांतों से काटने का प्रयत्न करने लगा ! कुछ बिस्कुट इन बच्चों और उस वात्सल्यमयी को देकर हम दोनों बापस आ गए !
अगले दिन सुबह ,घर के बाहर अजीब सन्नाटा देख बाहर गया दो दिल धक् से रह गया , वही निडर बच्चा,आजकल की तेज और असंवेदनशील कार द्वारा सड़क पर कुचला पड़ा था और उसकी माँ बिना भौंके अपने ३ बच्चों के साथ उदास निगाहों से मुझसे पूंछ रही थी मेरे बच्चे का कसूर क्या था , क्यों मार दिया तुम लोगों ने  ?? 

Wednesday, August 11, 2010

कुत्तों का फैसला - सतीश सक्सेना

भारत के पूरे कुत्ता समुदाय के लिए डूब मरने की घटना हो गयी कि गिरिजेश राव को एक मासूम पामेरियन ने काट लिया   ! जूली  डार्लिंग को यह नहीं पता था कि जिसे वह अपने घर में अतिक्रमण करते, दो पैर का कुत्ता समझ कर काटने जा रही है, वह गिरिजेश राव हैं एक बहुत बड़े ब्लागर  और इस खरोंच लगने के कारण वे जानवरों से प्यार करते कुत्ते नुमा इंसानों पर एक पूरी पोस्ट लिख कर यह साबित कर देंगे कि उन्हें कुत्तों जैसे उन इंसानों से भी डर लगता है जो रोज सुबह कुत्तों के साथ ही खाते पीते हैं ! 
खैर मुझे गिरिजेश राव की यह पोस्ट पढ़कर बड़ा गुस्सा आया जूली पर ,कि इस बेवकूफ जूली  ने कुत्तों के साथ, हमें भी बदनाम कर दिया और गूफी ( मेरा जर्मन शेफर्ड ) को अपने दरवार में हाज़िर होने की आवाज लगायी आखिर कुत्तों का सरदार मैंने पाला हुआ है या पता नहीं उसने मुझे पाला है !
गूफी ने सारी कहानी सुनने के बाद , जूली  का पक्ष जानने के लिए, एक दिन की मोहलत मांगी कि आयोग बैठाना है और जूली  -गिरिजेश राव प्रकरण के गवाहों से बात भी करनी है !
अगले दिन कोने के पार्क में , मज़बूत बदन वाले और गंभीर मगर इंसानों की सोहबत पसंद करने वाले गूफी ( जर्मन शेफर्ड ) की अध्यक्षता में एक मीटिंग हुई जिसकी सेक्रेटरी  एक लेब्राडोर कुतिया को बनाया गया जो कि इंसानों को प्यार करने के लिए मशहूर है ! प्रधान और सेक्रेटरी के चुनाव पर रॉटवेलर, बुलमॉसटिफ और डाबरमैन ने यह कहते हुए विरोध किया  किया कि इन पोस्टों के लिए ,हमारा नाम इसलिए नहीं लिया गया क्योंकि गूफी का मालिक सतीश सक्सेना , गिरिजेश राव का दोस्त है और हमारी जाति को बदनाम करने के लिए कमेटी में सीधे साधे कुत्तों को लेकर , जूली को सज़ा दिलाना चाहता  हैं ! इन तीनों ने यह भी धमकी दे डाली कि अगर जूली डार्लिंग को कुछ भी कहा गया तो हम गिरिजेश राव से सीधे निबटेंगे ! 
 मगर गूफी ने उनकी आपत्ति यह कहते हुए खारिज कर दी कि यह  एग्रेसिव कुत्तों को न लेने की सावधानियां  इसलिए  भी जरूरी थीं कि कोई इंसान यह न कह सके कि गिरिजेश राव के साथ कुत्तों ने न्याय नहीं किया !

पूरे दिन चली मीटिंग में निम्न बातें निकल कर सामने आयीं !..
१. इस घटना के समय बुद्धिमान जूली  को गिरिजेश राव की संदेहात्मक हरकतें पसंद नहीं आई थीं और ऐसी हरकतें पूरी कुत्ता कौम को बदनाम करती हैं ..जूली  के वकील का यह सबसे महत्वपूर्ण कथन था !
२.हद तो तब हो गयी जब जूली  को यह पता चला कि गिरिजेश राव एक ब्लागर है अगर यह जूली  को पहले ही मालूम होता तो वह उसे घर में ही न घुसने देती और यह हादसा टाला जा सकता था !
३.गिरिजेश राव अपने अधिकतर कुत्ता प्रेमी पड़ोसियों  को, कुत्ता समझते रहे हैं , यह देख सभी कुत्तों में उनके प्रति बरसों से ,बहुत गुस्सा था  और मौके की तलाश में थे !
४. शुक्र मानना चाहिए कि वे जूली डार्लिंग के घर गए जिसकी दंतुली ही चावल के दानों जैसी थी  अगर प्रवीण पाण्डेय अथवा सतीश सक्सेना से मिलने गए होते तब उन्हें पता चलता कि कुत्ते( जर्मन शेफर्ड ) और कुत्तों को पालने वाले (प्रवीण पाण्डे , सतीश सक्सेना ) कुत्ते कैसे होते हैं ! यहाँ तो मालिक भी काटने वालों में से हैं !
कुत्तों की मीटिंग से निकले यह रहस्योदघाटन, सुनकर सन्न हूँ समझ नहीं आता गिरिजेश राव को कैसे  तसल्ली  दी जाये ! 
( कृपया इस पोस्ट को गंभीर न लें यह महज़ हास्य है ! गिरिजेश राव जी से क्षमा याचना सहित  :-) )

Thursday, May 13, 2010

एक नन्हे दोस्त का आपरेशन, जिसमें मेरा साथ देने वाला कोई नहीं था - सतीश सक्सेना

                        उस दिन जब  सदा की भांति, मैं पार्क में पंहुचा तो हमेशा गेट पर पूंछ हिलाकर स्वागत करते एक दोस्त की कमी महसूस हुई ! वह एक २-३ वर्षीय कुतिया,जिसको मैं मिनी कहता था ,आज दिखाई नहीं दे रही थी ! पार्क में घुसते हुए मेरा स्वागत और जाते समय गेट तक आकर विदाई देना, उसका नित्य का नियम था सो उस दिन का क्रम टूटना मुझे कुछ चिंतित कर गया ! माली से पूंछने पर, एक झुरमुट की ओर इशारा करते हुए कहा ,लगता है वह बहुत बीमार है, शायद मर गयी हो ! जब मैं उस   के पास गया तो आँखों में छलछलाते आंसू, मृतप्राय गर्भवती मिनी वाकई बहुत दुर्दशा में थी ! मेरी तरफ दर्द से देख जैसे कह रही हो मुझे बचा लो !
                       कुत्तों की एक दोस्त संस्था ,"Friendicoes" डिफेन्स कालोनी फ्लाईओवर के नीचे कार्यरत थी , वहाँ के व्यवस्थापक गौतम को फोन लगा कर आपातकालीन सहायता की मांग की , उन्होंने तुरंत एम्बुलेंस की व्यवस्था कर भेजना स्वीकार किया ! लगभग १ घंटे इंतज़ार करने के बाद एम्बुलेंस पार्क में पंहुच चुकी थी ! चिंताजनक मिनी को अपनी गोद में उठाकर एम्बुलेंस तक ले जाते समय मुझे पार्क में बैठे लोग विचित्र नज़र से देख रहे थे ! 
                       शायद मणिपुरी की डॉ देवी, ने देखते ही कह दिया कि इसके बच्चे पेट में मर जाने के कारण, जहर फैलने का खतरा है !आपरेशन तुरंत करना होगा !ओपरेशन टेबल पर उसे बेहोशी का इंजेक्शन देते समय , जिस तरह से  मिनी मुझे देख रही थी वह मैं कभी नहीं भूल सकता ! आपरेशन के दौरान मैंने टेलीफोन पर अपने बॉस और सहकर्मियों को "मेरी एक दोस्त का आपरेशन है अतः आफिस नहीं आ सकता ...हाँ ...कुतिया सुनकर.. मेरा साथ देने कोई नहीं आया !  
                        लगभग १५ दिन मिनी उस हास्पिटल में रही , इस दोस्त के कारण , मेरा वहाँ जाना नियमित ही रहा  ! इस बीच में वहां जीवों के प्रति लगाव रखने वाले कितने ही लोगों से मुलाक़ात हुई ! हास्पिटल से मिनी को लाने के लिए मैं अपनी गाड़ी और पार्क में भ्रमण करने वाले पड़ोसी मित्र राजपाल को लेकर वहाँ पंहुचा ! गरीब मिनी जो कभी चलती गाडी में नहीं बैठी थी ,घबराहट में उसने पिछली पूरी सीट गंदी कर दी ! दुबारा गाडी लेकर हॉस्पिटल जाकर सीट साफ़ कराई, इस बीच हमारे वे मित्र अपना माथा पकड़ कर, मेरी हरकतों के साक्षी बने रहे ! बहरहाल लगभग १५ दिन अस्पताल में रहने के बाद, मिनी को जब वापस उसी पार्क में लाकर बाहर छोड़ा तो एक कोने से दूसरे कोने में उसका उछल उछल कर दौड़ते हुए देखना ,आकर मुझे चाटना,  मेरी सारी थकान, मेहनत और पैसे का खर्च भुला चुका था !
निदा फाजली का एक शेर मुझे बहुत पसंद है , आपकी नज़र कर  रहा हूँ , गौर से पढियेगा !
"घर से मस्जिद है बहुत दूर,चलो यूं करलें  
  किसी रोते हुए बच्चे को,  हंसाया  जाए  "

                                   

Saturday, January 9, 2010

इस तरफ आदमी, उधर कुत्ता ! बोलिए, किस को सावधान करें !

इस तरफ आदमी, उधर कुत्ता ! बोलिए, किस को सावधान करें!
सर्वत एम् जमाल के दिल से निकली यह लाइनें पढ़ कर बहुत देर तक सोचता रह गया, निस्संदेह आदमी बेहद खतरनाक है इस मासूम कुत्ते के आगे ! एक अपनी वफादारी के लिए और दूसरा अपनी

गद्दारी के लिए सारे विश्व के जीवों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किये हुए हैं ! शायद यही एक जीव ऐसा है जो कि
आदमी के जूठे टुकड़े, और गाली खाकर भी अपने मालिक की रक्षा करते हुए अपनी जान की परवाह नहीं करता ! विश्व में अपने मालिक अथवा मालिक के बच्चों की रक्षा करते हुए अपनी जान देने के हजारों उदाहरण देखे जा सकते हैं मगर अपने इस वफादार जीव की रक्षा में किसी आदमी ने अपनी जान दी हो , ऐसा एक भी उदाहरण नहीं सुना गया ! 
प्यार और स्नेह के भूखे इस जीव को, प्यार और स्नेह का नाटक करने वाले आदमी ने हमेशा धोखा देकर अपनी सेवा करने के लिए पालतू बनाया ! हम इंसानों में बहुत कम लोग ऐसे हैं जो इसकी आँखों में झाँक कर, इसमें बसे अपने प्रति, मूक प्यार को पढने का प्रयत्न करें ! इस गूंगे जीव में आदमी के प्रति बहुत प्यार और ममत्व होता है वहीं हम इंसान, इसके निष्छल प्यार के प्रति बेहद अहसानफरामोश होते हैं !
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