अब का होगा परधानी में
जब भैंस कूद गयी पानी में
गाँव गाँव मा आग लगी है
हर कुअना मा भांग पड़ी है
कितने बकरा कटी जावेगे
मंत्रीजी के अगवानी में
पंडिज्जी अब हाथी पूजे
राम छोड़ माया को खोजे
जब माल कट रहा घर बैठे
तब का रखा जजमानी में
एक गाँव में सौ ठू दल है
पूरा गाँव बना दलदल है
लरिका खेले बम कट्टा से
गारी रटी जबानी में.
साल में पच्चीस लाख दिख रहा
रस्सी बनती सांप दिख रहा
चिड़िया उड़ गयी खेत खाय के
गुलफाम मरे जवानी में
चौरा मैया का द्वार बट गया
गाँव का त्यौहार बट गया
अलगू जुम्मन पंच परमेश्वर
बस बाते बची कहानी में
अब का होगा परधानी में