मंगलवार, 23 नवंबर 2010

मुझको तुम आवाज ना देना...







मुझको तुम आवाज ना देना
पलक भिगो कर नहीं देखना
मै आवारा बादल हूँ तुम
मुझे देवता मत कहना

अपना ही नहीं है ठौर कोई
बेबस करता है और कोई
हवा ने बंदी बना लिया तुम
मेरी बंदिनी मत बनना

सपनो से बसा संसार कभी
मत कहना इसको प्यार कभी
विपरीत दिशाए है अपनी
तुम मेरी संगिनी मत बनना

कल परसों में  है मिटना
कैसे कह दू तुमको अपना
अंतिम यही नियति मेरी
इसे प्रेम तुम मत कहना