सोमवार, 24 दिसंबर 2012

अटल जी क्यो जिये जा रहे है









वह देख रहा है
अन्धे को बाटते रेवडिया
दुर्योधन और दु:शासनो मे
वह देख रहा है चीर हरण
द्रुपदसुता के निर्वीर्य रक्षको को
हाथ पर हाथ धरे
वह देख रहा है कलपते
अभिमन्यु को पीडा से मरते
वह देख रहा है

शकुनी की कुटिल चालो से
धर्मक्षेत्र को पापक्षेत्र मे बदलते
वह देख रहा है शरशैय्या पर

लेटे हुये महायुद्ध को
वह जिये जा रहा बस्स
इसी प्रतीक्षा मे
कि योगेश्वर  के साथ
पार्थ आयेगा
धर्मध्वजा के छत्र तले
हारेगा भय और अन्धेरा

अखण्ड भारतद्वीप मे फहरेगी
सत्य और न्याय की पताका,
बस्स इसी प्रतीक्षा मे
इच्छामृत्यु भीष्म जिये जा रहा है.


भारतीय राजनीति के अजातशत्रु अटल बिहारी बाजपेयी के जन्मदिवस पर सभी मित्रो को बधाई.