बहुत समय पहले शैली की एक कविता पढी थी, 'ओड टू द वेस्टर्न विंड'। भाव यह था कि स्वय को तप्त रखकर यह पवन बारिश का कारण बन जाता है। तीव्र वेग होने के कारण जमीन पर छितरे झाड झंख़ाडो को उडा ले जाता है। इसकी दिशा हमेशा पूर्व की ओर है। वह कविता मन मे बस गयी। बरसो बरस बाद मेरे द्वारा बनाया गया यह ब्लाग उसी भाव का स्फुटन है।
समाजशास्त्रीय मंच: The Socological Forum
मंगलवार, 20 अक्तूबर 2009
पछुआ पवन
लो भइया हम भी ब्लाग की दुनिया में बहते - बहते आ गये आपको पछुआ पवन का मतलब बताते चले,यह तीव्र गतिशील हवा है जिसको लोग अलग अलग नाम से जानते है। कही यह वेस्टर्न विंड के नाम से जानी जाती है कही पछुआ । आप भी इसका आनंद उठाये (कुछ लोगो के लिए झेलना शब्द उपयुक्त हो सकता है क्योकि "जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखि तिन तैसी")
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