शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

जरा कुछ देर ठहरो तुम अभी तो बात बाकी है


















जरा कुछ देर ठहरो तुम अभी तो बात बाकी है,
सितारे और टूटेंगे अभी तो रात बाकी है .

तुम्हारे एक इशारे पर सुना शोले दहकते है,
मगर देखो की आँखों में अभी बरसात बाकी है.

जमाने भर में चर्चा है की तुम व्यापार करते हो,
मेरे हाथो में अब भी प्यार की सौगात बाकी है.

खुदगर्जी की मूरत हो मझे मालूम है लेकिन,
तुम्हारे वास्ते मेरे अभी जज्बात बाकी है.

बना लो दूरिया कितनी हमारे दरमियानो में,
मुकद्दर कह रहा है कि  अभी कुछ साथ बाकी है.

बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

इक बार कहो ना मीत मेरे














इक बात चाहता हूँ सुनना
तुम जब जब बाते करती हो
इक बार कहो ना मीत मेरे
तुम मुझसे मुहब्बत करती हो


इस दिल को कैसे समझाऊ
लोगो को क्या मै बतलाऊ
है पूछ रहा ये जग सारा
कि तुम मेरी क्या लगती हो


इक नए विश्व कि रचना कर दू
और अंतहीन आकाश बना दूं
इक बार कांपते होठों से
तुम  कह दो मेरी धरती हो

बात जबां की दिल कहता है
मौन की भाषा को गुनता है
चाँद बता जाता है  तुम
सदियोंसे मुझ पर मरती हो


इक बार कहो ना मीत मेरे
तुम मुझसे मुहब्बत करती हो

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

दिल्ली में परवेज़ मुशर्रफ होली खेले आय


ये कुण्डलिया मैंने २००५ में लिखी थी होली पर भारत और पकिस्तान के रिश्तो को बेहतर बनाने के लिए इससे बेहतर मुझे कोई रास्ता नही सूझा था. कहा जाता है की होली पर सारे गिले शिकवे भूल कर नयी शुरुआत करनी चाहिए. आज जबकि मुशर्रफ बेनजीर अप्रासंगिक हो चुके है फिर भी प्रतीकात्मक रूप से यह दोनों देशो के सियासतगारो को समर्पित रचना है.


दिल्ली  में परवेज़ मुशर्रफ होली खेले आय
छोड़ राग कश्मीर का फाग रह्यो सुनाय.

फाग रह्यो सुनाय मनमोहन के आँगन में
गिलानी को लपटाय अडवानी ने बाहन में.

पिए है मोदी भंग बजावे चंग अबीर उडावे
संग फज़ल रहमान लाहोरी नाच दिखावे.

अबकी होली में सोनिया गुझिया लियो बनाय
बेनजीर ने छक कर खायो तबियत गयी अघाय.

बाघा बाडर पे मोरे रामा अचरज देखो आय
गोली नही आज सिपाही रंग रह्यो बरसाय

भयो अमेरिका दंग देख हुड़दंग हिंद के आंगनमे
कईसे बिगड़ा खेल मोरा का बात हुई बातन में 





बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

हम सीधे गोली मारेगे...











वो सड़क पे हत्या करता है
तुम न्याय की बाते करते हो
वो जहरीला दांत गडाता है
तुम सांप  को दूध पिलाते हो  

आखिर बात बताओ हमको
अफजल सजा  क्यों नहीं पाता
कसाब की खातिरदारी काअब 
तक अंत  क्यों नहीं आता

आखिर कब तक शेर मरेगे
तुम जैसे सियार बचाने में
वो रोज़ कतल कर जाते है
तुम लगे हो व्यापार  बढाने में

अभी  भी मौका है तुम   दे
दो फासी दोनों  हत्यारों को 
नहीं तो सजा वही पाओगे 
जो मिलती  है गद्दारों को  

सहने की सीमा ख़त्म हुई
अब दुश्मन की छाती जारेगे
कानून महज तारीखे देगा
हम सीधे गोली मारेगे












शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

क्या तुमने बसंत को आँचल से बाँध रखा है?










अधखिले  है गुलमोहर
और कोयल मौन प्रतीक्षारत है
फूटे नहीं बौर आम के
नए पत्तो के अंगारे
अभी भी ओस से गीले है
सांझ ने उड़ेल दिया  
सारा सिन्दूर ढाक के फूलो में
पर रक्तिम आभा ओझल है
ओ सखी,
क्या तुमने बसंत को
आँचल से बाँध रखा है?



मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

हंसते हुए जीवन को संवार लिया जाय











हंसते हुए जीवन को संवार लिया जाय
खुशियों से ता-उम्र का करार किया जाय

उड़ते हुए बादल मस्ती में झूमते है
मस्ती ही जीवन है हमसे ये कहते है
मस्ती में हर घड़ी को गुज़ार लिया जाय

सतरंगे इन्द्र धनुष से कुछ रंग चुराकर
सांझ की धूप को आँगन में बुलाकर
बीते हुए लम्हों को दुलार लिया जाय

निशिगंधा की महक साँसों में भरकर
ओस की बूंदों में तन मन घोलकर
खिली हुयी चाँदनी से प्यार किया जाय

हंसते हुए जीवन को संवार लिया जाय
खुशियों से ता-उम्र का करार किया जाय











गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

मौन निमंत्रण












 
मधुवन को भीनी खुशबू से
महकाए जब रजनीगंधा
अम्बर में तारो संग संग
इतराए इठलाये चंदा

मुसकाते बलखाते झरने
लगे सुनाने गीत सुहाने
उनकी धुन पर ढलकी जाए
लोरी गाये जब संझा

मौन निमंत्रण मेरा प्रियतम
आ जाओ बन आनंदा

दीप बुझे जब जग के सारे
मन में दीप जलाना तुम
बुलबुल गीत सुनाती है तब
हौले से कदम बढ़ाना तुम

चौकड़िया भरते मृगशावक
राह दिखायेगे तुमको
मेरी बंशी की धुन
मेरा पता बताएगी तुमको

मधुर रागिनी सुनकर आली
आना तुम बन वृंदा
मौन निमंत्रण मेरा प्रियतम
आ जाओ बन आनंदा