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मंगलवार, 22 जुलाई 2014

रसराज और रसरानी

यह एक कहानी है।  इसे पढ़ने के बाद   किसी के साथ  जोड़िएगा।  अगर किसी के साथ ऐसा घटित हुआ तो मात्र एक संयोग है। 
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बुढऊ खटिया पे बईठे हैं सुरती मले जा रहे हैं. मुसुकाते जा रहे।  बूढ़ा भी पास में बईठी हैं आज बुढऊ ने भंग कुछ ज्यादा ही चढ़ा रक्खी काहे से कि भोरहे भोरहे जब फेसबुकवा खोला तो एक तन्वंगी से चैटिया के बऊराये, तुरंत सिल बट्टा ले बूटी घोंट के चढ़ा गए। 

बूढ़ा : काए जी आजकल सुन रहे है कि आप भंग जादा चढाने लगे हैं आंत फाट जाए। 
बुढऊ : चोप्प ! बहुत जसूसी करती है। 
बूढ़ा : अरे हमके तोहार चिंता हौ। नाहक बीपी बढ़ा रहे। 
बुढऊ : अरे तुको कुछ नहीं पता दुनिया में का होई रहा। देखो दग्गू के  जवान मेहरारू लेई आवा एक तू न मरई न माचा छोडई। 
बूढ़ा : तू हमरे मरने का इंतजार में हो ?
बुढऊ : अरे नाय रे ! मजाक किहे।  वईसे तुम्हारे जीवन में कौनो रस नहीं बचा।  थोड़ा रस भरो। वही सुबह शाम। डेली रूटीन।  तुम उबियाती नहीं ? 
बूढ़ा : अच्छा अगर हम आपन रूटीन बदल ले ना तो तोहार भूगोल बदल जाए। अऊर ई जो छोकरिया से मीठ मीठ बात कई के रसराज बनि रह्यो ना हमका  सब पता है। 
बुढऊ : देखो हम डरते  नही। अऊर ऊ छोकरिया नही उका एक ठू नामौ है। 
बूढा : हमके नाम ओम से मतलब नही। तोहार उ का लगत है। 
बुढ़ऊ : फ्रैंकली कही तोहसे हम ओसे मोहब्बत करते हैं। 
बूढ़ा : हमको अंदाज तो पहिले से था बाकी तुम इतने निर्लज होगे ये नहीं सोचा था। लड़िकवा के पता चली त बुरा होए। 
बुढऊ : लड़िकवा के हम पहिले सेट कर लिए हैं। 

बुढ़िया ने एक गहरी सांस ली। बोली, चलो मन से एक बहुत बड़ा बोझ उतरा। 

बुढ़ऊ: कईसन बोझ ?
बूढ़ा : जाने दो बुरा मान जाओगे। 
बुढऊ : नही मानेंगे। तुम नही बताओगी तो जाने का का  सोच लेंगे। 
बूढा : सोचो जो सोच सकते हो। 
बुढऊ थोड़ा सनके, बोले अब बुढ़ापे में तुम का गुल   खिलाने वाली ? 
बूढ़ा : अरे तोहार बीपी काहे फिर बढ़ी रहा।  बड़े फ्रैंक हो ना। 
बुढऊ कांपते हुए : फ्रैंक उरैंक गया तेल लेने तू बता कहना क्या चाहती थी। 
बूढ़ा : कुच्छो नही। 
बुढऊ : बता नही तो मार मार के हुलिया बिगाड़ देंगे। 
बूढ़ा : अब्बे तो बड़े रसराज थे एकदम्म पगलाइटि पे उतारू हो गए। 
बुढऊ : देखो सोझे सोझे बता दो नहीं तो हम पता करी लेंगे फिर हमसे बुरा कोई ना होगा। 
बूढा : ऐ बुड्ढे ई धमकी तू अपनी रसरानी को देना। तू जिनगी भर जिनके तलवे चाट चाट कर आज बहुत बड़ा आदमी बना  है ना वे सब मेरे तलवे चाटते थे। भरोसा  न हो तो उसी अपने कमीने यार दग्गुआ  से पूछ।  दाढ़ीजार मुँहझौंसा। 

बुढऊ खटिया से नीचे गिरे धम्म से।