गणित में, 1 − 2 + 3 − 4 + · · · एक अनन्त श्रेणी है जिसके व्यंजक क्रमानुगत धनात्मक संख्याएं होती हैं जिसके एकांतर चिह्न होते हैं। अनन्त श्रेणी के अपसरण का मतलब यह है कि इसके आंशिक योग का अनुक्रम (1, −1, 2, −2, ...) किसी परिमित मान की ओर अग्रसर नहीं होता है। बहरहाल, 18वीं शताब्दी के मध्य में लियोनार्ड आयलर1 − 2 + 3 − 4 + · · · = 1⁄4 बताया। दशक 1980 के पूर्वार्द्ध में अर्नेस्टो सिसैरा, एमिल बोरेल तथा अन्यों ने अपसारी श्रेणियों को व्यापक योग निर्दिष्ट करने के लिए सुपरिभाषित विधि प्रदान की – जिसमें नवीन आयलर विधियों का भी उल्लेख था। इनमें से विभिन्न संकलनीयता विधियों द्वारा 1 − 2 + 3 − 4 + · · · का "योग" 1⁄4 लिख सकते हैं। सिसैरा-संकलन उन विधियों में से एक है जो 1 − 2 + 3 − 4 + ... का योग प्राप्त नहीं कर सकती, अतः श्रेणी एक ऐसा उदाहरण है जिसमें थोड़ी प्रबल विधि यथा एबल संकलन विधि की आवश्यकता होती है। (विस्तार से पढ़ें...)
नालापत बालमणि अम्मा भारत से मलयालम भाषा की प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक थीं। वे हिन्दी साहित्य की लेखिका और कवयित्री महादेवी वर्मा की समकालीन थीं। उनके साहित्य और जीवन पर गांधी जी के विचारों और आदर्शों का स्पष्ट प्रभाव रहा। उन्होंने मलयालम कविता में उस कोमल शब्दावली का विकास किया जो अभी तक केवल संस्कृत में ही संभव मानी जाती थी। इसके लिए उन्होंने अपने समय के अनुकूल संस्कृत के कोमल शब्दों को चुनकर मलयालम का जामा पहनाया। उनकी कविताओं का नाद-सौंदर्य और पैनी उक्तियों की व्यंजना शैली अन्यत्र दुर्लभ है। वे प्रतिभावान कवयित्री के साथ-साथ बाल कथा लेखिका और सृजनात्मक अनुवादक भी थीं। अपने पति वी॰एम॰ नायर के साथ मिलकर उन्होने अपनी कई कृतियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद किया। अंग्रेजी भाषा की भारतीय लेखिका कमला दास उनकी सुपुत्री थीं, जिनके लेखन पर उनका खासा असर पड़ा था। विस्तार से पढ़ें...
... कि भारत के प्रथम स्वतंत्रता दिवस पर पं॰ जवाहर लाल नेहरू(चित्रित) के भाषण 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' को 20वीं सदी के महानतम भाषणों में से एक माना जाता है।
... कि बाहुबली पहली ऐसी भारतीय फ़िल्म है, जिसके लिए किलिकिलि नामक एक नई भाषा का निर्माण किया गया है।
... कि साइना नेहवाल विश्व बैडमिंटन में शीर्ष वरीयता पाने वाली पहली महिला भारतीय खिलाड़ी हैं।
... कि फिल्म शमिताभ का नामकरण इसके अभिनेता धनुष के नाम से श लेकर और अमिताभ के नाम को उपसर्ग के रूप में प्रयोग कर के गढ़ा गया है।
अप्रसार समीक्षा (द नॉन प्रोलिफरेशन रिव्यू) में छपे एक प्रतिवेदन के अनुसार, १९९५ की सर्दियों में, सूर्याभारत का विकसित किया जा रहा प्रथम अंतरमहाद्वीपीय प्रक्षेपण प्रक्षेपास्त्र का कूटनाम है। माना जाता है की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ) ने १९९४ में इस परियोजना को आरंभ कर दिया है। इस प्रतिवेदन की २००९ तक किसी अन्य स्रोत से पुष्टि नहीं की गई है। भारत सरकार के अधिकारियों ने बार-बार इस परियोजना के अस्तित्व का खण्डन किया है।प्रतिवेदन के अनुसार, सूर्या एक अंतरमहाद्वीपीय-दूरी का, सतह पर आधारित, ठोस और तरल प्रणोदक (प्रोपेलेंट) प्रक्षेपास्त्र है। प्रतिवेदन में आगे कहा गया है कि सूर्या भारत की सबसे महत्वाकांक्षी एकीकृत नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र विकास परियोजना है। सूर्या की मारक क्षमता ८,००० से १२,००० किलोमीटर तक अनुमानित है। विस्तार में...
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (९ सितंबर१८५०-७ जनवरी१८८५) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। भारतेन्दु हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम हरिश्चन्द्र था, भारतेन्दु उनकी उपाधि थी। उन्होंने रीतिकाल की विकृत सामन्ती संस्कृति की पोषक वृत्तियों को छोड़कर स्वस्थ्य परम्परा की भूमि अपनाई और नवीनता के बीज बोए। हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु से माना जाता है। हिंदी पत्रकारिता, नाटक और काव्य के क्षेत्र में उनका बहुमूल्य योगदान रहा। हिंदी में नाटकों का प्रारंभ भारतेन्दु हरिश्चंद्र से माना जाता है। इनके नाटक लिखने की शुरुआत बंगला के विद्यासुंदर (१८६७) नाटक के अनुवाद से होती है। ये एक उत्कृष्ट कवि, सशक्त व्यंग्यकार, सफल नाटककार, जागरूक पत्रकार तथा ओजस्वी गद्यकार थे। इसके अलावा वे लेखक, कवि, संपादक, निबंधकार, एवं कुशल वक्ता भी थे। विस्तार में...