तुर्की
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तुर्की गणराज्य Türkiye Cumhuriyeti तुर्की
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राष्ट्रवाक्य: Yurtta Sulh, Cihanda Sulh (तुर्की) "Peace at Home, Peace in the World" (अंग्रेजी) "अमन घर पर, अमन दुनिया में" |
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राष्ट्रगान: İstiklâl Marşı | ||||||
राजधानी | अंकारा 52°31′N 13°24′E / 52.517°N 13.4°E |
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सबसे बड़ा नगर | इस्तांबुल | |||||
राजभाषा(एँ) | तुर्की भाषा | |||||
वासीनाम | तुर्कीश | |||||
सरकार | गणराज्य | |||||
- | राष्ट्रपति | रिसेप तैयिप ईदोगान[1] | ||||
- | प्रधानमंत्री | अहमत दावुतोग्लु | ||||
राष्ट्रीय दिवस | ||||||
- | संसद का गठन | 23 अप्रैल 1920 | ||||
- | स्वतंत्रता की लड़ाई की शुरूआत | 19 मई 1919 | ||||
- | विजय दिवस | 30 अगस्त 1922 | ||||
- | गणराज्य की घोषणा | 29 अक्टूबर 1923 | ||||
क्षेत्रफल | ||||||
- | कुल | 780,580 वर्ग किलोमीटर (36वां) 301,384 वर्ग मील |
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- | जल (%) | 1.3 | ||||
जनसंख्या | ||||||
- | 2005 जनगणना | 73,193,000 (17वां 1) | ||||
- | 2000 जनगणना | 67,844,903 | ||||
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) | 2006 प्राक्कलन | |||||
- | कुल | 611.6 बिलियन (18वां) | ||||
- | प्रति व्यक्ति | 8,393 (73वां) | ||||
मानव विकास सूचकांक (2007) | 0.775 उच्च · 84वां |
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मुद्रा | नई तुर्कीश लीरा2 (TRY) | |||||
समय मण्डल | EET (यू॰टी॰सी॰+2) | |||||
- | ग्रीष्मकालीन (दि॰ब॰स॰) | CEST (यू॰टी॰सी॰+3) | ||||
दूरभाष कूट | 90 | |||||
इंटरनेट टीएलडी | .tr | |||||
1. Population & Density ranks based on 2005 figures. 2. Since 1 January 2005, the New Turkish Lira (Yeni Türk Lirası) replaced the old Turkish Lira. |
तुर्की या तुर्किस्तान (तुर्क भाषा: Türkiye उच्चारण: तुर्किया, अंग्रेजी- टर्की) यूरेशिया में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी अंकारा है। इसकी मुख्य- और राजभाषा तुर्की भाषा है। ये दुनिया का अकेला मुस्लिम बहुमत वाला देश है जो कि धर्मनिर्पेक्ष है। ये एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। इसके एशियाई हिस्से को अनातोलिया और यूरोपीय हिस्से को थ्रेस कहते हैं।
स्थिति : 39 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 36 डिग्री पूर्वी देशान्तर। इसका कुछ भाग यूरोप में तथा अधिकांश भाग एशिया में पड़ता है अत: इसे यूरोप एवं एशिया के बीच का 'पुल' कहा जाता है। इजीयन सागर (Aegean sea) के पतले जलखंड के बीच में आ जाने से इस पुल के दो भाग हो जाते हैं, जिन्हें साधारणतया यूरोपीय टर्की तथा एशियाई टर्की कहते हैं। टर्की के ये दोनों भाग बॉसपोरस के जलडमरूमध्य, मारमारा सागर तथा डारडनेल्ज द्वारा एक दूसरे से अलग होते हैं।
टर्की गणतंत्र का कुल क्षेत्रफल 2,96,185 वर्ग मील है जिसमें यूरोपीय टर्की (पूर्वी थ्रैस) का क्षेत्रफल 9,068 वर्ग मील तथा एशियाई टर्की (ऐनाटोलिआ) का क्षेत्रफल 2,87,117 वर्ग मील है। इसके अंतर्गत 451 दलदली स्थल तथा 3,256 खारे पानी की झीलें हैं। पूर्व में रूस और ईरान, दक्षिण की ओर इराक, सीरिया तथा भूमध्यसागर, पश्चिम में ग्रीस और बुल्गारिया और उत्तर में कालासागर इसकी राजनीतिक सीमा निर्धारित करते हैं।
यूरोपीय टर्की - त्रिभुजाकर प्रायद्वीपी प्रदेश है जिसका शीर्षक पूर्व में बॉसपोरस के मुहाने पर है। उसके उत्तर तथा दक्षिण दोनों ओर पर्वतश्रेणियाँ फैली हुई हैं। मध्य में निचला मैदान मिलता है जिसमें होकर मारीत्सा और इरजिन नदियाँ बहती हैं। इसी भाग से होकर इस्तैस्म्यूल का संबंध पश्चिमी देशों से है।
एशियाई टर्की - इसको हम तीन प्राकृतिक भागों में विभाजित कर सकते हैं: 1. उत्तर में काला सागर के तट पर पॉण्टस पर्वत, 2. मध्य में ऐनाटोलिया ओर आरमीनिया के निचले भाग, 3. दक्षिण में टॉरस एवं ऐंटिटॉरस पर्वत जो भूमध्यसागर के तट तक विस्तृत हैं।
दोनों समुद्रों के तट पर मैदान की पतली पट्टियाँ मिलती हैं। पश्चिम में इजीयन तथा मारमारा सागरों के तट पर अपेक्षाकृत कम ऊँची पहाड़ियाँ मिलती हैं, जिससे मध्य के पठार तक आवागमन सुगम हो जाता है। उत्तर से दक्षिण की ओर आने पर काला सागर के तट पर सँकरा मैदान मिलता है जिससे एक से लेकर दो मील तक ऊँची पॉण्टस पर्वतश्रेणियाँ एकाएक उठती हुई दृष्टिगोचर होती हैं। इन पर्वतश्रेणियों को पार करने पर ऐनाटोलिया का विस्तृत पठार मिलता है। इसके दक्षिण टॉरस की ऊँची पर्वतश्रेणियाँ फैली हुई है और दक्षिण जाने पर भूमध्यसागरीय तट का निचला मैदान मिलता है। एनाटोलिया पठार में टर्की का एक तिहाई भाग सम्मिलित है।
अनुक्रम
भूगोल[संपादित करें]
जलवायु एवं वनस्पति[संपादित करें]
जलवायु के विचार से टर्की दो प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है।
1. मैदानी भाग जहाँ की जलवायु भूमध्यसागरीय है और जहाँ जाड़े में करीब 20"" वर्षा होती है,
2. अर्धशुष्क पठारी भाग जिसकी अधिकतम वर्ष का औसत 10"" है।
समुद्रतटीय भागों की जलवायु ग्रीस से मिलती जुलती है जहाँ गर्मी प्राय: शुष्क रहती है और शीतकाल में वर्षा होती है। जाड़े के दिनों में इस क्षेत्र में शीतलहरी भी चलती है काला सागर के तट पर सबसे अधिक वर्षा होती है। पूर्व की ओर तो करीब 100"" वर्षा होती है। अत: ऊँचाई के अनुसार विभिन्न वनस्पतियाँ मिलती हैं। निचले मैदानी भाग में प्राय: छोटे छोटे पेड़ तथा झाड़ियाँ मिलती है, पठारी ढालों पर शीत कटिबंधीय पर्णपाती वन (deciduous forest) तथा 6,000 फुट की ऊँचाई तक कोनिफरस (coniferous) वन तथा और ऊँचाई पर घास के मैदान मिलते हैं।
ऐनाटोलिया के पठारी भाग की जलवायु दक्षिण पूर्वी रूस की जलवायु से मिलती जुलती है जहाँ जाड़े में उत्तर पूर्वी शीतल हवाएँ चलती हैं, जिनसे ताप कभी कभी शून्य अंश सेंटीग्रेड तक पहुँच जाता है। गर्मी में अधिक गर्मी पड़ती है तथा कभी कभी आँधी भी आती है। वर्षा 10"" से कम होती है। जाड़े में लगभग तीन महीनों तक बर्फ पड़ती रहती है। फलस्वरूप यह पेड़ों से रहित शुष्क घास का मैदान है। आरमीनिया का पहाड़ी भाग और भी ठंडा है जहाँ जाड़े की ऋतु छह महीनें की होती है। इसीलिए लोग इस भाग को "टर्की का साइवीरिया" कहते हैं। उस्मान अलि एक अछा लद्का हे
मिट्टी[संपादित करें]
टर्की के अधिकांश भाग में मिट्टी की गहराई कम मिलती है। मिट्टी का अधिक भाग कटकर निकल गया है। घास के मैदानों में अधिक चरागाही के कारण मिट्टी का कटाव अधिक हुआ है। कुछ स्थलों पर जंगलों के कट जाने से भी मिट्टी का कटाव अधिक हुआ है।
उद्यम[संपादित करें]
एशियाई टर्की का मुख्य उद्यम कृषि एवं चरागाही हैं। गेहूँ मुख्य फसल है, जो कृष्य भूमि के 45 प्रतिशत भाग में उपजाया जाता है। इसके आधे भाग में जौ उपजाया जाता है। तीन प्रतिशत भाग में कपास तथा एक प्रतिशत भाग में तंबाकू की खेती होती है।
यहाँ से निर्यात होनेवाली वस्तुओं में गेहूँ, ऊन, तंबाकू, अंजीर तथा किशमिश मुख्य हैं।
यहाँ के मुख्य खनिज पदार्थ कोयला, लिग्नाइट, लोहा, ताँबा, मैंगनीज, सीसा, जस्ता, क्रोम तथा एमरी हैं; किंतु लिग्नाइट, लोहा तथा क्रोम का अत्यधिक उत्पादन होता है।
प्राकृतिक विभाग[संपादित करें]
टर्की को भौगोलिक दृष्टि से पाँच मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है:
- 1. मारमारा का निचला भाग,
- 2. काला सागर का समुद्रतट,
- 3. भूमध्यसागर का तटीय भाग,
- 4. ऐनाटोलिया पठार और
- 5. आरमीनियन पर्वतीय भाग।
- मारमारा का निचला मैदान -
पश्चिम में डारडनेल्ज और पूर्व से बाँसपोरस के जलडमरूमध्य के बीच में स्थित मारमारा समुद्र यूरोप और एशिया के बीच की सीमा निर्धारित करता है। उत्तर की ओर यूरोप में थ्रैस का मैदान तथा दक्षिण की ओर ट्रॉय, वरसा और विथुनिया के मैदान मिलते हैं। वार्षिक वर्ष 120"" के निकट है। गेहूँ, जौ, जई, जैतून, अंगूर तथा तंबाकू उपजाई जाती है। जैतून इस देश के लिये बहुत महत्वपूर्ण वस्तु है। इसका उपयोग मक्खन के अभाव में होता है। इस क्षेत्र में 750 फुट से निचले स्थलों में कृषि मुख्य उद्यम है। खेती करने कराने का ढंग बड़ा पुराना है, भारतीय देशी हल की भाँति के हल का उपयोग होता है, पर लोहे के हल का उपयोग बढ़ता जा रहा है।
इस्तैम्बूल टर्की का सबसे बड़ा नगर है। यह बॉसपोरस जलडमरूमध्य के दक्षिण ओर एक पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ की "गोल्डेन हार्न" नामक लंबी खाड़ी के कारण यह अच्छा बंदरगाह भी हो गया है। जलडमरूमध्य कहीं भी पाँच मील से अधिक चौड़ा नहीं है, कुछ स्थल पर इसकी चौड़ाई आधा मील ही है।
- कालासागर का समुद्रतट -
यहाँ का समुद्रतट कम समतल है और पर्वतीय भाग दक्षिण की ओर एकाएक ऊपर उठते हैं। अत: यहाँ बंदरगाहों का निर्माण बहुत कम हो पाया है। बस्तियाँ इसी सँकरे भाग तक ही सीमित हैं। वर्षा की अधिकता के कारण जंगली क्षेत्र अधिक हैं, जिनमें चेस्टनट वृक्ष मुख्य हैं। लकड़ी का काम यहाँ का मुख्य उद्यम है। तंबाकू दूसरी निर्यात की वस्तु है। दक्षिण की ओर पॉण्टस का पहाड़ी भाग पूर्व से पश्चिम की ओर फैला हुआ है। इसका अधिकतर भाग जंगली तथा घास का मैदान है। भीतरी भाग में जहाँ की ऊँचाई 3,000 फुट से लेकर 6,000 फुट तक है, अर्धमरुस्थलीय वातावरण मिलता है। यहाँ जनसंख्या भी विरल है। पूर्व की ओर कुछ कोयला क्षेत्र है, जिसका प्रति वर्ष उत्पादन 30 लाख मीट्रिक टन है।
- भूमध्यसागरीय तट -
टर्की का पूर्वी तथा पश्चिमी निचला मैदान कृषि के विचार से अधिक महत्वपूर्ण है। भूमध्यसागरीय जलवायु होने के कारण यहाँ तीन से लेकर छह महीने तक गर्मी की शुष्क ऋतु होती है और जाड़े में करीब 20"" वर्षा होती हैं। इजीयन सागर के तट पर बस्तियाँ बड़ी घनी हैं। अनेक धँसी हुई घाटियों में मिट्टी का पूर्णत: अथवा आंशिक जमाव हो गया है जिससे खेती के लिए उपजाऊ मैदान निर्मित हो गए हैं। यहाँ के तीन मैदानी भाग अधिक महत्वपूर्ण हैं। प्रथम पश्चिम में इजमिर के पीछे, मध्य में अंटालया के आसपास पंफीलियन का मैदान तथा उत्तर-पूर्व कें काने पर अदागा के पास सिलीसियन का मैदान है। यहीं पर एक बीहड़ दर्रे से होकर बगदाद रेलवे जाती है।
गेहूँ तथा जौ मुख्य फसलें हैं। कपास हर एक मैदानी भाग में होती है, विशेषकर सिलीसियन के मैदान में। इजमिर के आसपास अंगूर, किचामिश, जैतून, अंजीर तथा अफीम अधिक होती है। टॉरस पर्वतमालाएँ जंगलों से ढकी हैं परंतु वृक्ष 8,500 फुट की ऊँचाई तक ही सीमित हैं। पहाड़ों पर बर्फ अधिक पड़ती है।
इसकी ऊँचाई पश्चिम में 2,000 फुट तक और पूर्व में 4,000 फुट तक है। यह 10,000 फुट से भी अधिक ऊँचे टॉरस और पॉण्टस पर्वतमालाओं से घिरा हुआ है। टर्की का भीतरी भाग ऊँचे बेसिन की भाँति है। जहाँ तहाँ ऊँचे पहाड़ भी मिलते हैं। अधिकांश भाग का जलप्रवाह भीतर की ओर है और नदियाँ या तो झीलों में गिरती हैं अथवा नमकीन निचले दलदलों में लुप्त हो जाती हैं। परंतु कुछ नदियाँ पर्वतों को काटती और गुफाएँ निर्मित करती हुई बहती हैं। चारों तरु ऊँचे पर्वतों से घिरे रहने के कारण यह भाग जाड़े तथा गर्मी दोनों मौसमों में भापभरी हवाओं से साधारणतया वंचित रहने के कारण शुष्क रहता है, वार्षिक वर्ष का औसत लगभग 10"" है। जाड़े में भूमि कभी कभी बर्फ से ढक जाती है। गर्मी में गरम तथा तेज हवाएँ चलती हैं। अत: शुष्क प्रदेशों में मिट्टी हट गई है ओर मरुस्थलीय कंकड़ों का उभार हो गया है। इस अर्धशुष्क घास के मैदानों में भेड़ बकरियाँ पाली जाती हैं। दूध दही का समावेश यहाँ के भोजन में अधिक होता है। ऊन तथा ऊनी कंबल तैयार करना मुख्य पेशा है। अंगोरा से उनका निर्यात होता है। गर्मी के दिनों में गड़ेरिए अपने जानवरों के साथ पहाड़ों पर चले जाते हैं और अन्य मौसम में मैदानी भाग में उतर आते हैं। जहाँ सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं वहाँ गेहूँ की खेती होती है। इस पठार में टर्की की एक तिहाई जनसंख्या रहती है। ऐनाटोलिया का यह पठारी भाग तुर्क ो का मुख्य स्थान है। टर्की की राजधानी अंकारा इसी भाग में स्थित है।
- आरमीनिया का पहाड़ी भाग -
टर्की के पूर्व में पॉण्टस तथा टॉरस पर्वतश्रेणियाँ मिलकर आरमीनिया के पहाड़ी भाग का निर्माण करती हैं। यहीं से दजला और फरात नदियाँ निकलती हैं। उत्तर और दक्षिण की ओर से पहाड़ी श्रेणियाँ मध्य के पठार को घेरती हैं। दक्षिण की ओर टॉरस की क्षेणी कुर्दिस्तान तथा उत्तर की ओर पॉण्टस की श्रेणी कारावाग, इस भाग को घेरे हुए हैं। ज्वालामुखी पर्वत तथा लाबा के विस्तार से धरातल और भी ऊँचा नीचा हो गया है। ऊँचाई के कारण यह भाग अधिक ठंडा रहता है और बहुत से दरें वर्ष में करीब आठ महीने तक बर्फ से ढके रहते हैं। पूर्व की ओर अरादार ज्वालामुखी पर्वत (19,916 फुट) टर्की, ईरान और रूस की सीमा पर स्थित है। कृषि की अपेक्षा चरागाही इस क्षेत्र में अधिक महत्वपूर्ण है।
निवासी एवं भाषा[संपादित करें]
टर्की के अधिकांश मनुष्य तुर्क जाति के हैं। इनके अतिरिक्त कॉकेशियन, आरमीनियन, जार्जियन, कुर्द, अरब और तुर्कमान जातियाँ भी टर्की में पाई जाती हैं।
इतिहास[संपादित करें]
तुर्की एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ मानव-जातियों के स्थानान्तरण तथा संघर्ष की प्रंमुखता रही है। ईसा से पूर्व यूनानी (आर्य) जातियों का बसाव और फिर स्थानान्तरण तथा ईसा के बाद सन् 800-1400 तक तुर्क जाति का प्रादुर्भाव इस भौगोलिक क्षेत्र की इतिहास की प्रमुख लिखित घटना है।
होमर के ओडिसी में वर्णित ट्राय की लड़ाई तुर्की के पश्चिमी तट पर ट्रॉय के वासियों तथा यूनानी द्वीपों पर बसे साम्राज्यों के बीच हुई थी। इसका काल सन् 1200 ईसा पूर्व के आसपास माना जाता है। इसके पूर्व यही तट हिट्टी तथा फिनिक साम्राज्यों का भी स्थान रहा था। सन् 530 ईसापूर्व में ईरान के फ़ारसी साम्राज्य के अंतर्गत आया जो कई सालों तक यूनानियों द्वारा संघर्ष के कारण ग्रीक और ईरानी साम्राज्यों में बंटा रहा। सन् 330 ईसापूर्व में सिकंदर जब पूर्व की ओर विजय अभियान पर निकला तो यह प्रदेश भी यूनानी (मेसीडोनी) साम्राज्य के अंदर आ गया। सन् 24 के बाद से यह रोमन साम्राज्य का अंग बना रहा। सासानी और बाद में तुर्क जातियों के संगठनों ने पूर्वी रोमन साम्राज्य पर हमला कर इसके कई क्षेत्रों पर अधिकार बना लिया। तुर्क लोग धीरे-धीरे नौवीं सदी में इस क्षेत्र में बसते गए। सासानी साम्राज्य के अंत (सन् 635) के बाद पूर्वी तथा दक्षिणी तुर्की में इस्लाम का प्रचार हुआ। औगुज, सल्जूक़ और उस्मानी तुर्क सुन्नी इस्लाम में परिवर्तित हो गए।
औटोमन (उस्मानी) तुर्क[संपादित करें]
उस्मानी तुर्कों ने रोमन राजधानी इस्तांबुल पर भी अधिकार करने के कई प्रयास किए। सन् 1453 में वे इस्तांबुल को स्थाई रूप से फतह करने में कामयाब रहे। इसके बाद इस्तांबुल एक मजबूत तुर्क साम्राज्य का केन्द्र बना जो सोलहवीं सदी में हंगरी से लेकर अरब देशों तक फैल गया। इस साम्राज्य ने यूरोप तथा ईरान के सफ़वियों से कई लड़ाईयाँ लड़ी। ईरानी शासकों ने बारुद का प्रयोग तुर्कों से ही सीखा - जिसके बाद बाबर जैसे आक्रांता (सफ़वी मदद लेकर) भारत पर बारुदी तोपों से लैश सेना लेकर आक्रमण कर सका। उस्मानी शासकों ने सोलहवीं सदी में मक्का और मदीना पर भी अधिकार कर लिया जिसकी वजह से वो इस्लाम के ख़लीफ़ा (प्रमुख) भी बन गए। लेकिन उत्तर और पूर्व के रूसी तथा दक्षिण-पूर्व के सफ़वी (ईरानी, शिया) शासकों से उनकी लड़ाई होती रही। ईरानी शासकों को तो उन्होंने उत्तर में बढ़ने से रोक दिया पर रूसियों के साथ क्रीमिया के युद्ध में (1853-54) में उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा।
आधुनिक काल[संपादित करें]
प्रथम विश्वयुद्ध में उस्मानी तुर्क जर्मनों के साथ थे। जर्मनों की हार और अरब में अंग्रेजों द्वारा खदेड़ दिए जाने के बाद उस्मानी साम्राज्य का अंत हो गया। इसके बाद मुस्तफ़ा कमाल पाशा ने लोकतंत्र का प्रचार और धर्मनिरपेक्ष प्रणाली की वकालत की जिसके फलस्वरूप तुर्की एक धर्मनिरपेक्ष देश बना। अरबी लिपि को त्याग कर यूरोपीय रोमन आधारित लिपि को अपनाया गया और शासन को धर्म से अलग किया गया।
विभाग[संपादित करें]
तुर्की को 81 राज्यों में बांटा गया है। इनको व्यवस्था और ख़ासकर जनगणना में सहुलियत के लिए 7 प्रदेशों में बाँटा गया है। हालांकि इन प्रदेशों का प्रशासनिक तौर पर कोई महत्व नहीं है।
- एजियन क्षेत्र
- अफ्योंकरहिसार
- ऐदिन
- देनिज़ली
- इज़मिर
- कुटहया
- मनिसा
- मुग्ला
- उशाक
काला सागर क्षेत्र
- अमास्या
- अर्तविन
- बेबर्त
- कोरुम
- गिरेसुन
- गुमुशाने
- ओर्दु
- रिज़े
- सम्सुन
- सिनोप
- तोकात
- त्राब्जोन
- बार्तिन
- बोलू
- दुज्के
- काराबुक
- कस्तमोनू
- ज़ोंगुलडक
मध्य अनातोलियाई क्षेत्र
- अक्साराय
- अंकारा
- शांकिरि
- एस्किसेहर
- कारमान
- कायसेरी
- किरिक्काले
- किरसेहर
- कोन्या
- नवसेहर
- निगडे
- सिवास
- योज़्गत
पूर्वी अनातोलिया
- अग्री
- अर्दहान
- बिंगोल
- बितलिस
- एलाज़िग
- एर्ज़िंकान
- एर्ज़ुरम
- हक्कारी
- इग्दीर
- कार्स
- मलात्या
- मुस
- तुन्सेली
- वान
मारमरा क्षेत्र
- बालिकेसिर
- बिलेसिक
- बुरसा
- चानकले
- एदिर्ने
- इस्ताम्बुल
- किरक्लालेरी
- कोकाएली
- साकर्या
- तेकिरडाग
- येलोवा
भूमध्य सागरीय क्षेत्र
- अदन
- अन्ताल्या
- बुरदुर
- हताय(सीरिया के साथ विवदित)
- इस्पार्टा
- कड़ांमनास
- मर्सिन
- ओस्मानिये
- अदियमान
- बतमान
- दियारबकिर
- गज़ियान्तेप
- किलिस
- मर्दिन
- सनलिउर्फ़
- सीइर्त
- सिरनाक
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने तुर्की के प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति चुने जाने की बधाई दी". पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार. 25 अगस्त 2014. http://pib.nic.in/newsite/hindirelease.aspx?relid=29898. अभिगमन तिथि: 26 अगस्त 2014.
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