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गणित में, 1 − 2 + 3 − 4 + · · · एक अनन्त श्रेणी है जिसके व्यंजक क्रमानुगत धनात्मक संख्याएं होती हैं जिसके एकांतर चिह्न होते हैं। अनन्त श्रेणी के अपसरण का मतलब यह है कि इसके आंशिक योग का अनुक्रम (1, −1, 2, −2, ...) किसी परिमित मान की ओर अग्रसर नहीं होता है। बहरहाल, 18वीं शताब्दी के मध्य में लियोनार्ड आयलर1 − 2 + 3 − 4 + · · · = 1⁄4 बताया। दशक 1980 के पूर्वार्द्ध में अर्नेस्टो सिसैरा, एमिल बोरेल तथा अन्यों ने अपसारी श्रेणियों को व्यापक योग निर्दिष्ट करने के लिए सुपरिभाषित विधि प्रदान की – जिसमें नवीन आयलर विधियों का भी उल्लेख था। इनमें से विभिन्न संकलनीयता विधियों द्वारा 1 − 2 + 3 − 4 + · · · का "योग" 1⁄4 लिख सकते हैं। सिसैरा-संकलन उन विधियों में से एक है जो 1 − 2 + 3 − 4 + ... का योग प्राप्त नहीं कर सकती, अतः श्रेणी एक ऐसा उदाहरण है जिसमें थोड़ी प्रबल विधि यथा एबल संकलन विधि की आवश्यकता होती है। (विस्तार से पढ़ें...)
अप्रसार समीक्षा (द नॉन प्रोलिफरेशन रिव्यू) में छपे एक प्रतिवेदन के अनुसार, १९९५ की सर्दियों में, सूर्याभारत का विकसित किया जा रहा प्रथम अंतरमहाद्वीपीय प्रक्षेपण प्रक्षेपास्त्र का कूटनाम है। माना जाता है की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ) ने १९९४ में इस परियोजना को आरंभ कर दिया है। इस प्रतिवेदन की २००९ तक किसी अन्य स्रोत से पुष्टि नहीं की गई है। भारत सरकार के अधिकारियों ने बार-बार इस परियोजना के अस्तित्व का खण्डन किया है।प्रतिवेदन के अनुसार, सूर्या एक अंतरमहाद्वीपीय-दूरी का, सतह पर आधारित, ठोस और तरल प्रणोदक (प्रोपेलेंट) प्रक्षेपास्त्र है। प्रतिवेदन में आगे कहा गया है कि सूर्या भारत की सबसे महत्वाकांक्षी एकीकृत नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र विकास परियोजना है। सूर्या की मारक क्षमता ८,००० से १२,००० किलोमीटर तक अनुमानित है। विस्तार में...