आइना जब भी देखोगी तुम्हे मैं याद आऊँगा
कभी जब हँस के रोओगी, तुम्हे मैं याद आऊँगा,
अकेले मे टहलते छत पे बस्स ऐसे जरा यूं ही,
कभी जब चाँद देखोगी तुम्हे मैं याद आऊँगा.
हवाएं मुझसे होकर तुम तलक तो जा रही होंगी
जो तुमसे कह नहीं पाया वही बतला रही होंगी,
तुम्हारी आँख मे सावन का मौसम छा गया होगा,
घटायें जब भी बरसेंगी तुम्हे मैं याद आऊँगा.
उठेगी हुक दिल में जब खिलेंगे फूल बागो में
तुम्हारी नज़रे ढूंढेगी मुझे तेरे ही ख़्वाबों में,
मिटेगी ना इबारत जो लिखी पहली मुहब्बत की,
बहारे जब भी आयेंगी, तुम्हे मैं याद आऊँगा.