चित्रकूट। 'बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय' कुछ इसी अंदाज में भक्तों की भीड़ रविवार को धर्मनगरी के हर मठ और मंदिर में रही। भोर का सूरज उगते ही धर्मनगरी के हर मठ और मंदिर में घंटा और घडि़यालों के स्वरों के साथ ही देवताओं की स्तुतियों के साथ गुरुओं की वंदनाओं के स्वर सुनाई देने लगे थे। देश भर के हर प्रांत से आने वाले भक्तों की बोली, पहनावा और तौर तरीके चाहे जितने भिन्न हों पर गुरु के प्रति उनकी भक्ति आज पूरी पराकाष्ठा के साथ दिखाई दे रही थी। सबसे ज्यादा निराशा तुलसी पीठ में भक्तों को हुई क्योंकि वहां पर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी ने अपने भक्तों को दर्शन शाम सात बजे दिये।
वैसे तो तपस्थली में अपने गुरुओं के दर्शनों और पूजन करने के लिये भक्तों का आना शनिवार दोपहर से ही प्रारंभ हो गया था। अनुसुइया आश्रम, स्फटिक शिला, जानकीकुंड, आमोदवन, प्रमोदवन, कामतानाथ प्रमुख द्वार, कामदगिरि परिक्रमा पथ, राम मोहल्ला, सीतापुर, रामघाट में स्थित हर मठ और मंदिर पर जमकर भक्तों की भीड़ दिखाई दी। तुलसी पीठ, रघुवीर मंदिर, रामायणी कुटी, निर्मोही अखाड़ा, चरखारी मंदिर, आचारी जी आश्रम, पुरानी लंका, प्रमुख द्वार, अनुसुइया आश्रम, भरत मंदिर भारी भक्तों की भीड़ के केंद्र रहे।
परिक्रमा पथ पर भागवत पीठ पर भागवताचार्य नवलेश दीक्षित, चरखारी मंदिर में भागवताचार्य चंदन दीक्षित के पूजन के लिये काफी संख्या में भक्त आये हुये थे।
तुलसी पीठ में जगद्गुरु स्वामी राम भद्राचार्य महाराज के छह महीनों तक पयोव्रत अनुष्ठान में होने के कारण शाम को ही शिष्यों को दर्शन हो सके। इस दौरान दिन भर मंदिर में रामधुन का पाठ होता रहा। इसके अलावा निर्मोही अखाड़ा में स्वामी ओंकार दास जी व रामायणी कुटी में स्वामी राम हृदय दास जी को पूजने के लिये भक्तों का तांता लगा रहा।
सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र स्वामी राम किंकर दास जी महाराज के भक्तों के द्वारा उनकी निकाली गई शोभायात्रा रही। उनके भक्तों ने कामदगिरि परिक्रमा पर गाजे बाजे के साथ नाचते हुये शोभायात्रा निकाली। इस दौरान हर मठ और मंदिर में भंडारों का भी आयोजन किया गया था।
इसके अलावा मुख्यालय में सच्चा बाबा आश्रम, गायत्री परिवार व पतंजलि योग समिति ने बस स्टैंड में में गुरु पूर्णिमा पूरे विधि विधान से मनाई गई। श्री राम लीला भवन पुरानी बाजार में सैकड़ों भक्तों ने श्री राम नाम के संर्कीतन के साथ श्री राम लिखी गई पुस्तकों को ही गुरु रुप में मान कर उनका पूजन किया। इसके अलावा पंपापुर के स्वामी प्रेमदास जी तपसाली महाराज, सूर्य कुंड व मानिकपुर के कालीघाटी में भी भक्तों का जमावड़ा लगा रहा।