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संघवाद भारत का बुनियादी मूल्य : अंसारी
First Published:13-07-11 12:22 AM
पटना (हि.ब्यू.)। उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने कहा कि प्रतिकूल राजनीतिक तथा वित्तीय कारकों के बावजूद संघीय ढांचे में भारत की जड़ें गहरी हैं। यह एक बुनियादी मूल्य है। छह दशक से अधिक के भारतीय गणराज्य के अनुभव संघीय ढांचे के मूल्यांकन के लिए पर्याप्त है। देश में ग्राम सभा, पंचायतें, प्रखंड तथा जिला पंचायतें, शहरी-स्थानीय निकाएं, राज्यों तथा केंद्र के रूप में बहुस्तरीय संघीय ढांचा।
राजनीतिक प्रतिनिधित्व की इस बहुस्तरीय व्यवस्था ने गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों तरह से बड़ा बदलाव लाया है। पटना में पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा की 94वीं जयंती पर आयोजित व्याख्यानमाला श्रंखला का श्री अंसारी ने उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि अपने छह दशक के राजनीतिक जीवन में छोटे बाबू ने कई मील के पत्थर स्थापित किए। युवाओं और छात्रों को राजनीति में आने के लिए मोटिवेट किया।
सत्येन्द्र नारायण सिन्हा स्मारक समिति के इस आयोजन की अध्यक्षता करते हुए उपराष्ट्रपति ने राजनीतिक संघीय व्यवस्था में मील के पत्थरों का उल्लेख करते हुए कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं से करीब पांच हजार निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। स्थानीय निकायों में 30 लाख से अधिक जनप्रतिनिधि गर्व का एहसास कराते हैं।
उन्होंने कहा कि करीब दो दशक से गठबंधन की जो सरकारें आने लगीं उससे राजनीतिक कार्यगति में बहुत बदलाव आया है। मजबूत राज्य सरकारें अपने विकास के प्रति अग्रसर हैं और वह पूर्णत: केन्द्र पर आश्रित नहीं हैं। विकास के मानक खुद तय कर रही हैं।
आत्मनिर्भरत, स्वायत्तता और कार्यक्षमता असली संघवाद की चुनौतियां हैं। केंद्र से राज्य की ओर वित्तीय हस्तांतरण पर काफी बहस होती है लेकिन स्थानीय निकायों को भी धन के संबंध में पर्याप्त अधिकार देने की दरकार है।
भारत इस मामले में बहुत पिछड़ा है। भारत में सार्वजनिक व्यय का केवल पांच फीसदी हिस्सा ही स्थानीय सरकारों पर खर्च होता है। अंसारी ने कहा कि भारत स्थानीय निकायों पर खर्च में सकल घरेलू उत्पाद का महज दो फीसदी खर्च करता है जबकि ओईसीडी राष्ट्र 14 फीसदी चीन 10 फीसदी और ब्राजील छह फीसदी खर्च करता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संघीय ढांचे के सभी घटकों को गंभीरता से विचार करना चाहिए कि किस प्रकार संघीय लोकतंत्र की अपार संभावनाओं को धरातल पर लाया जा सकता है और लोगों की आकांक्षाएं पूरी की जा सकती है।
राज्यों के बीच जल बंटवारे के विवादों में सहयोग के बजाय संघर्ष की समस्या के स्थायी समाधान पर श्री अंसारी ने जोर दिया। उन्होंने कहा कि जल बंटवारे की व्यवस्था को बेहतर बनाना होगा। प्राकतिक संसाधनों के उपयोग को लेकर राजनीतिक तनाव देश के संघीय ढांचे के लिए चुनौती है। संसाधनों के प्रबंधन-मुआवजे में सुधार राजस्व की साझेदारी और लोकहित में धन के उपयोग के लिए संस्थागत क्षमता बढोतरी के लिए एक स्वतंत्र नियामक पर विचार करना होगा।
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