रूसी भाषा और भारत
माधुरी नवल किशोर प्रेस, लखनउ, १९३२ (अज्ञात काल), सम्पादक-रामसेवक त्रिपाठी रूसी भाषा और भारत [साहित्याचार्य श्री चन्द्रशेखर उपाध्याय, बी. ए. ( आनर्स), विशारद] (आरा, बिहार, १५-४-१९०५ से १२-७-१९७६ ई.)
[सम्पादन] शक जाति
मज्झिम निकाय - कम्बोज (उत्तरी अफ़गानिस्तान); यवन = यूनान
ईसा पूर्व पहली शताब्दी से ईसवी ३री शताब्दी तक उत्तरी भारत का बहुत सा भाग शकों के हाथ में था। पंजाब पांचवीं शताब्दी तक शकों के हाथ में रहा जिसे ’श्वेत हूण’ के नाम से कहा गया था।
बाह्लीक - (वाख्तर या बल्ख)
शकों से ही शाकद्वीपी ब्राह्मण, चौहान, बनाफर, जाट, गुर्जर जाति बने।
[सम्पादन] शक भाषायें और संस्कृत
शकों के सम्बन्ध से भाषा भी प्रभावित हुई। १८वीं शताब्दी के अन्त में अंग्रेजों का ध्यान इधर गया। जर्मन प्राध्यापक शॅप को इसका श्रेय है जिन्होंने हिन्दी-युरोपीय-भाषा तत्त्व की नींव डाली।
संस्कृत-ददामि दास्यमानम् दातर् ग्रीक-दिदोमि दोसोमेनोस् दोतेर् संस्कृत -वाक्, वाचम्, वाचाम्, वागयस् ग्रीक-वोकान्, वोकिस्, वोकेम्, वोकेस्, वोकिवुस्
फ़ारसी संस्कृत की सगी बहन-भतीजी
[सम्पादन] रूसी और उसकी स्लाव बहनें
संस्कृत की भागिनेयी और प्रभागिनेयी वस्तुतः रूसी भाषा यूरोपीय भाषाओं के वर्ग की नहीं है बल्कि वह संस्कृत-ईरानी भाषा वर्गों से सम्बन्ध रखती है। १८वीं शताब्दी के अन्त तक रूसी भी अपने को यूरोप से अलग समझते थे। ईरानिओं और हिन्दी आर्यों का घनिष्ठ सम्पर्क भाषा के अतिरिक्त उनकी देवावली और पूजा प्रकार से भी सिद्ध होता है।
[सम्पादन] प्राक् हिन्दी-यूरोपीय भाषा
जिसे भारत और ईरान के आर्यों और रूसी तथा यूरोपीय जातिओं के पूर्वज एक कबीला होने के वक्त बोला करते थे।
[सम्पादन] शक तथा आर्यों के स्थान
मानव तत्त्ववेत्ताओं में इस सम्बन्ध में मतभेद है कि प्राक् हिन्दी यूरोपीय जाति रूसिया की रहने वाली थी या यूरोप की।
पूर्वी प्राक् हिन्दी-युरोपीय जाति की दो शाखायें - आर्य और शक (शतवंश या शकार्य)
पश्चिमी शाखा के केंट पश्चिमी युरोपीय जातियों के वंशज थे। ख्वारोज़्म की खोजों के अनुसार वहां की संस्कृति सिन्धु उपत्यका की संस्कृति से सम्बद्ध थी अर्थात् सिन्धु उपत्यका की जाति और प्राक् हिन्दी युरोपीय जाति की सीमा अराल समुद्र और सीर दरिया थी। सम्भवतः प्राक् हिन्दी युरोपीय जाति हिमयुग के बाद की हिन्दी युरोपीय जातिओं से निकली थी और उसके विचरण स्थान की सीमा वोल्गा या एमा नदी रही होगी, जो कज्ज़ाकस्तान के पश्चिम है। इसके पूर्वाञ्चल में पूर्वी शाखा वाले शकार्य रहते थे।
शकार्य जाति का सम्मिलित वासस्थान काकेशस पर्वतमाला से पूर्व रहा होगा, जिसके पूर्व में आर्य और पश्चिम में शक रहते थे।
शकों और आर्यों के संघर्ष के कारण आर्यों को अपना मूल स्थान छोड़ना पड़ा था। एक भाग कास्पियन से पश्चिम काकेशस पर्वत-माला से होते हुए क्षुद्र एशिया (तुर्की) और उत्तरी ईरान के तरफ बढ़ते असीरिया क्रेसन्थ देश की सीमा पर पहुंचा और दूसरा भाग कास्पियन से पूरब की तरफ अराल समुद्र के किनारे होते हुए ख्वारेज़्म की भूमि में पहुंचा। ईसा पूर्व द्वितीय सहस्राब्दी में वोगज कुई (अंकारा के पास) में मितन्नी आर्यों के अभिलेख में यह मिलता है। इसी सहस्राब्दी में हिन्दी युरोपीय ग्रीक ग्रीस देस में गये।
शकों से आर्यों के प्रथम अलग होने का काल ईसा पूर्व ३००० वर्ष के आसपास था।
मध्य एशिया में आर्य कास्पियन से पामीर तक फैल गये जो पीछे ’आर्यानां वेइजा’ (आर्यानां व्रजः) कहलाया।
ईसा पूर्व २,५०० के आसपास आर्यों के भाई शक पूरब की ओर बढ़े और धीरे धीरे पूरब में त्यानशान् और अल्ताई की उपत्यकाओं को लेते गोबी और द्विनायु पर्वतमाला तक पहुंच गए। शकों के निवासस्थान ईसा पूर्व १५०० में तरिम, इली और चूकी समृद्ध उपत्यकाएं थीं। गोबी से कारपाथीय पर्वत-माला तक उनका वास-स्थान था। ग्रीक इतिहासकार ईसा पूर्व छठी सदी में डेन्यूब से उत्तर तथा अराल तट पर शकों (स्कुथ, सिथ) का होना बतलाते हैं। ईसा पूर्व २००० से अलिकसुन्दर के समय तक कारपाथीय पर्वतमाला से गोबी तक की भूमि शकों की विचरणभूमि रही। यही महाशकद्वीप था।
[सम्पादन] मगेसगेत्
अराल समुद्र के पास मगेसगेत् नामकी एक जाति कावर्णन हेरोदेत ने किया है। ई.पू. २०६ में जबकि ग्रीक बाह्लीक राजा युथिदेमो ने सिरदर्या पर चढ़ाई की थी, उस काल भी वहां शकों का ही निवास था। कितने ही पश्चिमी विद्वानों का मत है कि महाशकद्वीप में रहने वाली शक जाति वस्तुतः भिन्न-भिन्न भाषाएं बोलनेवाली अनेक जातियां थीं। परन्तु ये भाषायें भिन्न-भिन्न बोलियां ही उच्चारण भेद के साथ हो सकती थीं। शकों का यह आधिपत्य ई.पू. १७२ तक था।
[सम्पादन] मंगोल चिंगिज
गोबी से उत्तर और पूरब मंगोल जातियां थीं जिनमें सिन् (चीनी) और हूण का नाम इतिहास में सबसे पहले आता है। २५० ई.पू. में ’तुमन् सन् यू’ के नेतृत्व में हूणों की प्रबलता के आगे चीन को झुकना पड़ा । ये हूण जिनके वंशज चिंगिज खाँ के मंगोल थे-आधुनिक मंगोलिया में रहा करते थे। इन्हीं से बचने के लिये चीनी दीवाल बनी।
मा उ युन (तुमन् शन् यू) का पुत्र हूणों का राजा हुआ था जो १८३ ई.पू. में मौज़ूद था। इसने चीन को कई बार हराया और हूणों का राज्य पश्चिम में अल्ताई तक और पूर्व में कोरिया तक पहुँचाया। अल्ताई और बलखाश के पूर्व के शकों ने माउदुन की अधीनता स्वीकार की। इनके पुत्र ’ची युई’ ने १७२ ई.पू. में शकों का उच्छेद करना शुरु किया। शक दक्षिण की ओर भागने लगे। पहले भागने वाले ’यू ची’ थे जिसने वाख्तर (बलख) में ग्रीक बाह्लीक राज्य को समाप्त कर अपने राज्य की स्थापना की और इस तरह हिन्दुकुश तक का भूभाग शकों के हाथ में चला गया।
चीन ने शकों के मित्र हूणों को हराना चाहा। त्याङ् शाङ् और अल्ताई और अलाई पर्वतमालाओं के बीच वू सन् शक (कुषाण) रहा करते थे और १२८ ई.पू. में हूणों से अपने को स्वतन्त्र कर लिया और च्याङ् काङ् को मुक्ति मिली। यह पहला यात्री था जो फ़र्गना के रास्ते सिर तट पर खोकन्द नगर में पहुँचा। चीन ने १२१ ई.पू. में हूणों के विरुद्ध एक सेना आधुनिक मंगोलिया पर भेजी और हूणों को हराया। यूचिओं ने भी अन्त में चीन की अधीनता स्वीकार की। शकराजाओं ने इसी समय चीनी उपाधि ’देवपुत्र’ धारण की।
हूण माउ दुन् के नेतृत्वमें शकों को भगाते गये और सीस्तान (शकस्थान) और बिलोचिस्तान होते हुए ११० ई.पू. में सिन्ध पहुँचे और ई.पू. ८० में तक्षशिला और गान्धार के स्वामी बन गये और एक शताब्दी से जड़ जमाये यवन राज्य का उच्छेद कर दिया।’यू ची’ सरदार (शक) ’मोग’ भारत का प्रथम शक राजा था। ११०-८० ई.पू. तक गुजरात भी शकों के हाथ में चला गया। ६० ई.पू. तक मथुरा में भी शकों की छत्रपी कायम हो गयी। मोग की मृत्यु ५८ ई.पू. में हुई जिसके बाद शकों के भिन्न-भिन्न कबीलों में झगड़ा हो गया और शकों के कुषाण कबीले के यवमू (सरदार) कजुल कदफिस्-१ की शक्ति बढ़ी। उसने बख्तर और तुषार पर भी अधिकार कर लिया। कजुल के पुत्र वीम कदफिस् द्वितीय (७५-७८ ई.) ने सारे उत्तर भारत को जीता। इसी का पुत्र ’वसीले उस् वसीले उन् कनेर् कोस’ (राजाधिराज कनिष्क) हुआ जिसने शक संवत् चलाया और ७८-१०३ ई. तक राज्य किया। इसके सिक्के अराल समुद्र से बिहार तक मिलते हैं। वह बौद्ध पहले ही से था क्योंकि ईसा पूर्व २य शताब्दी में ही बौद्ध धर्म यू ची शकों की मूल भूमि तरिम उपत्यका में पहुँच चुका था।
शकों के विभिन्न कबीले (ईसा पूर्व द्वितीय शताब्दी) लोब्नोर के इली इरिन्स कुल तरिम उपत्यका मध्य सिर सिर दरिया के अराल और आसपास उपत्यका झील के तट में (काशगर दरिया तट मुहाने तथा अरालके कास्पियन तट यू ची में वू सुन पर सङ् वाङ् यारकन्द) में पर शक पश्चिमी किनारे पर पर रहनेवाले कस या खस मसगेत (महाशक) ’आलान’
[सम्पादन] काशगर काश्मीर ?
काशगर वाले कश नामी शकों का ही एक उपनिवेश सम्भवतः काश्मीर में था जिससे उसका यह नाम पड़ा।
[सम्पादन] हूण और चीन
हूणों ने चीन के प्रहार से जर्जर होकर उनकी अधीनता स्वीकार की। इस पर हूणों में मतभेद हो गया। स्वतन्त्रतावादी हूण (उत्तरी) पश्चिम की ओर भागने लगे और शकों को हराकर उनकी जगह लेने लगे; परन्तु सिर दरिया के दक्खिन उन्होंने हाथ नहीं बढ़ाया। ३७० ई. में अराल और कास्पियन तट पर रहने वाले आलानों का उन्होंने ध्वंस किया। ३७५ ई. में वालामेर के नेतृत्व में दोन तट पर पहुंचे और माओस्य गते (जार) को छिन्न-भिन्न किया। फिर दानिए पर पहुंच गायों का ध्वंस किया। अत्तिला (हूण सरदार) के समय तक (४५३ ई. में मृत्यु) मध्य दुनाह तक हूण राज्य स्थापित हुआ। पौने पांच सौ साल के हूणों के इस भयंकर तूफ़ान ने शकों को बड़ी हानि पहुंचाई और वोल्गा से गोबी तक के शक द्वीप को शकों से खाली करवा दिया। सबसे अन्त में भागनेवाले शक हेफताल थे जिन्हें गलती से भारत में हूण और पश्चिम में श्वेत हूण कहा जाता है।
३६० ई. में हूणों के एक कबीले अवार (ज्वेन्-ज्वेन्) ने शक्ति-सम्पन्न हो पश्चिम की ओर बढ़ना शुरु कर दिया । हेफ्ताल भागे और ४२५ ई. । इन्होंने सारे मध्य एशिया के (सिर दरिया से हिन्दुकुश तक) अपने पूर्ववर्ती कुषाण राज्य का उच्छेद किया। किदार उनका महान नेता था जिसके नाम से ही हेफताल ’किदारीय हूण’ कहलाये। किदार का पुत्र ४५५ ई. में श्वेत हूणों का राजा था और सम्भवतः इसी का पुत्र तोरमाण था जिसने ग्वालियर और सागर दमोह तक को जीत लिया था। इसका पुत्र मिहिरकुल ५०२ ई. में राजा बना। मिहिर मित्र का फ़ारसी रूप है। पीछे शकद्वीपियों के प्रयास से मिहिर भी शुद्ध संस्कृत हो गया।
[सम्पादन] कुल हूणी शब्द गुल या ग्युल का अपभ्रंश है
कुल हूणी शब्द गुल या ग्युल का अपभ्रंश है जिसका अर्थ राजकुमार या दास होता है।
सूर्य मन्दिर - तोरमाण ने ग्वालिअर में सूर्यमन्दिर बनवाया था। यह उसके शिलालेख से पता चलता है। मिहिरकुल ने मगध पर आक्रमण किया था परन्तु मगध राजा बालादित्य ने उसे बुरी तरह हराया। मालवा के विजयी राजा यशोधर्मा विक्रमादित्य ने मिहिरकुल को हराकर उसे कश्मीर की ओर खदेड़ दिया। हूण नाम से प्रसिद्ध किन्तु वस्तुतः शक मिहिरकुल अन्तिम शक राजा था। हेफ़तालों की राजधानी बुखारा के पास वरख्शमें थी जहाँ हाल की खुदाई में भारतीय शैली पर बने कितने ही भित्तिचित्र मिले हैं।
[सम्पादन] शकों का विस्तार
ईसा पूर्व द्वितीय यू-ची मध्य एशिया यू-ची की ही एक तोरमाण और शताब्दी के तुषार, सीस्तान, शाखा कुषाण मिहिरकुल के आरम्भ में गोबी सिन्ध, काबुल, कनिष्क के रुप रूपमें श्वेत हूण से कारपाथीय तक्षशिला, मथुरा, में अराल समुद्र नामधारी शक पर्वतमाला तक उज्जैन तक से बिहार तक मगध तक फैले
सूर्य- शकों के सबसे प्रबल जातीय देवता सूर्य थे।
शक द्वीप-गोबी से वोल्गा और पश्चिम कारपाथिया तक फैला शकों का मुख्य निवास था। दक्षिण की ओर भारत तक भागकर आने वाले शक पूर्वीय शक द्वीप के थे।
सूर्य देवता-शकद्वीपी प्रधानता वाले इलाकों में अधिकांश सूर्य मूर्त्तियां द्विभुज मिलती हैं। इनके कन्धे के ऊपर सूर्यमुखी के फूल असाधारण से मालूम होते हैं, जो भारतीय परम्परा के प्रतिकूल हैं। सूर्य के पैरों में बूट होते हैं। बूटधारी हिन्दु देवता कोई नहीं। वही बूट हमें मथुरा से मिली कनिष्क प्रतिमा के पैरों में दिखाई पड़ता है। आज भी रूसी लोग जाड़ों में उसी तरह के घुटने तक के बूटों को पहनते हैं जो कनिष्क और सूर्य प्रतिमाओं के पैरों में दिखते हैं।
हूणों ने शकों को शक द्वीप से हटा दिया था। उनके ही वंशज तुर्क, उइगुर, और मंगोल थे। ५५७ ई. के लगभग तुर्की से मध्यएशिया तक न शकों का नाम रहा न आर्यवंशीय लोगों (थोड़े से ताजिकों को छोड़कर) का।
वोल्गा से पश्चिम रहनेवाले शक ४थी और ५वीं सदी में मध्य दानिये पर और क्रीमिया में शकों के बहुत से पुराने नगर-ध्वंस मिलते हैं। पश्चिम में शकों के कबीले वेन्द् (वेनेत्) अन्त स्लाव सरमान् (पीछे सभी स्लाव कहलाये) शकों का प्रभाव स्लाव और रूस पर भी तब तक रहा जबतक पश्चिमी सभ्यता से वे प्रभावित नहीं हुए। गोखुरू वाले सोने के कुण्डल और हंसनियां तो आज के भारत में भी देखी सुनी जाती हैं। हूणों से शक भागकर पेचेनगा अथवा वोल्गा तट पर वोलाग काकेशस के पास खातार (काजार) आदि नाम से प्रसिद्ध हुए। शक या स्किक नम भी इतिहास से लुप्त हो गया और बाद में ’अन्त’, ’वेन्द’ नमवाले कबीलों को पाते हैं।
[सम्पादन] इसलाम
अरबों के प्रभाव से जैसे ८वीं सदी पहुँचते-पहुँचते सारा ईरान और मध्यएशिया मुसलमान हो गया। इसी तरह खजार, वुल्गार आदि हूण जातिओं ने भी इसलाम स्वीकार किया। आजकल वुल्गार चुवाश के नाम से पुकारे जाते हैं। वुल्गारिया देश से कोई सम्बन्ध नहीं। वुल्गारिया वाले स्लाव हैं और वोल्गा वाले वुल्गार हूण वंशज।
[सम्पादन] रूस में सूर्य पूजा
इसाई होने से पहले रूस वाले भी सूर्य की पूजा करते और घी में पके लाल चीले खाते थे, जैसे यहाँ छठ में ठेकुआ चढ़ाते हैं। आज भी उस खास पर्व के दिन मीठे चीले खातेहैं। एक अरबी पर्यटक ने वोल्गा के किनारे खरीद बिक्री के लिये आये रूसिओं में मृतात्मा को पत्नी के साथ जलाने का उल्लेख किया है।
[सम्पादन] स्लाव और श्रव
उपनिषद् काल के श्रवान्त नामों का स्लाव शब्द से साम्य है। स्वेतीस्लाव, व्याचिस्लाव आदि नाम अब भी हैं। मोलोतोव का नाम व्याचिस्लाव है।
स्लाव पूर्वी स्लाव पश्चिमी स्लाव दक्षिणी उत्तरी पोल चेक स्लोवाक
[सम्पादन] वुलगर सर्व क्रोआत (क्रोत) रूसी उक्रइनी बेलोरूसी
दक्षिणी स्लावों में पोल चेक भाषा का रूसी से अवधी बंगला जैसा तथा रूसी उक्रइनी भाषायें भोजपुरी मैथिली की तरह हैं। स्लावों ने पहले पहल ग्रीकों के सम्पर्क में आकर इसाई धर्म स्वीकार किया। पीछे पोल, चेक, स्लोवाक तथा क्रोवात् रोमन चर्च द्वारा इसाई बनाये गये और रोमन लिपि उन्होंने स्वीकार की। ग्रीक चर्च द्वारा इसाई बनाये गये बाकी स्लावों ने ग्रीक लिपि स्वीकार की।
९८८ में विजन्तिन् ने सामूहिक रूप से इसाई धर्म स्वीकार किया और सारी राजधानी एक दिन में इसाई बन गयी। हजारों वर्षों से चले आए धर्म और देवताओं को छोड़ने में कितने ही जगह विद्रोह भी हुए। किएफ़ के रूसों ने अपनी प्राचीन संस्कृति की बहुत सी निधिओं को खो डाला। देवताओं और पूजा प्रकार के साथ-साथ उनके हजारों शब्द भी लुप्त हो गये। अपनी भाषा के लिये नयी लिपि, ग्रीक साहित्य एवं ग्रीक कला सीखने का रास्ता खुल गया।
१०१४ में व्लादिमीर के मरने के बाद किएफ़ रूस राज्य छिन्न-भिन्न हो गया। १३वीं सदी के मध्य में छङ् गिस् खान के मंगोल उसके पुत्र बानू खान के नेतृत्व में पहुँचे और प्रायः १५० वर्षों तक सिर उठाने का मौका नहीं मिला। तैमूर ने दिल्ली लूटने (१३९८ ई.) से तीन साल पहले जब १३९५ में मास्को के पास तक का धावा किया।
इस प्रकार शक ही रूस में और भारत में भी गये और रूसी उन्हीं के वंशज हैं। भारत में भी शकद्वीपी ब्राह्मण, कितने ही राजपूत, गूजर और जाट आदि शकों के वंशज हैं। संस्कृत और रूसी भाषाओं में जो घनिष्ठ सम्बन्ध मालूम होता है वह इसी पुराने सम्बन्ध के कारण।
[सम्पादन] स्लाव और लिथुआनी भाषा
लिथुआनी भाषा संस्कृत के बहुत समीप है। रामानन्द और कबीर के समय तक लिथुआनी लोग इसाई नहीं हुए थे। उनके देवता वैदिक देवताओं में से थे। उनकी भाषा का विकास भी बहुत मन्द गति से हुआ था।
[सम्पादन] शतम् और केन्तम् (१००)
हिन्दी और यूरोपीय भाषाओं के ’शतम्’ और ’केन्तम्’ दोनों भाषाओं के समुदायों में हैं। स्लाव भाषाएं संस्कृत और ईरानी के साथ शतम् वंश की हैं। लिथुआनी की समीपता ’केन्तम्’ से है।
लिथुआनी प्राचीन स्लाव रूसी संस्कृत केतुरि चेतुरे चेतिरे चतुर केत्विर्तम् चेत्वरेते चेत्वेर्त चतुर्थ ब्रोतेरेलिस् ब्राते ब्रात् भ्रातृ मोते माति मात् मातृ गुवस् झिवे झिव् जीव
रूसी भाषा स्लाव भाषा वंश की पूर्वी शाखा की एक भाषा है। पूर्वी स्लाव भाषाएं हैं-रूसी, वोलगरी, और सेर्वी। उक्रइनी और बेलोरूसी भाषाएं यद्यपि स्वतन्त्र साहित्यिक भाषाएं हैं किन्तु वह रूसी के अत्यन्त समीप हैं।
पूर्वी स्लाव पश्चिमी स्लाव प्राचीन स्लाव रूसी वोलगरी सेर्वी स्लोवानी चेकी पोली बेल (था) बिल बिल् बियेल बेल बेल इयलु was दिम (धूम) दिम् दिम् दिम् दिम् दूम् दूम् Dim दन् (दिन) देन देन दन दन देन् जिएम Day, Diem सून (सूनु) सोन,सिन सन् सन सन्त सेन् सेन् Son म्लेको (दूध) मोलोको म्लाकु मिलेको म्लेको म्लेको म्लेको Milk ग्लवा (गल) गोलोवा ग्लवा ग्लवा ग्लव ग्लव ग्लोवा प्राचीन स्लाव रूसी वोलगरी सेर्वी स्लोवानी चेकी पोली स्मत् (मृत्यु) स्मेर्त् स्म्रेत् स्म्रत् स्म्रत् स्म्रत् श्मिएरे Mort प्लन (पूर्ण) पोल्न प्लन् प्रन् पोल्म प्लुन् पेलनु पत् (पञ्च) प्यत् पेत् पेत् पेत् पेत् पिथेत्स रउका (कर) रुका रका रुका रोका रुका रोका मेझ् रा (मध्य) मेझा मेझदा मेह मेया मेजे झिएउना Middle, midst जेम्ल्यु (ज्या) जेम्ल्या जेम्या जेम्ला जेम्ल्या जेमे जिएमिए रूसी भाषा में ’ओ’ ’अ’ के समान उच्चरित है। ह्रस्व दीर्घ उच्चारण ऐच्छिक है।
[सम्पादन] रूसी शब्दकोष (संस्कृत से सम्बन्ध)
अ - अ (निषेधार्थ) अज़र्त-आज्वाल-ताप आ-आह बेग-वेग (दौड़) बेगत्-वेजति (दौड़ना) बेगलेक्त-वेगक (धावक) बेग्स्त्व-वेगकत्व (तेजी) बेजात्-वेजति -भागना(भ्रजति) बेज़-विना (बिना) बेज-वोज़निक-विभगक (अनीश्वरवादी) बेज्-बेन्नेझिइ-विवातीय (बिना वायु का) बेज्-बेलोसिई-विबाल (बिना बाल का) बेज्-ग्लविई-विगल (सिर बिना) बेज्-दोज़्दिए-विदुह (वर्षा बिना) बेज्-दिम्निइ-विधूम (धूम रहित) बेज-गिज्नेविइ-बिना जीवन बेज नोसिइ-विनास (बिना नाक का) बेनो-वि (विना) बेज रोगिई-विशृङ्ग (बिना सींग का) भेर दोजा-भुर्ज (वृक्ष) बेस-वि (विना) बेस-प्रि-मोस्नि-विप्रमिश्रण (बिना मिलावट) बेस्-सेर्देच्-नोस्त्=विहृदयत्व (हृदयहीनता, श्रद्धाहीनता) बेस्-स्लाविये=विश्रवी (कीर्त्तिहीन) बेस्-स्लावेस्निइ=विश्रवणक (वाणी हीन) बेस-स्मेर्निये=विमर्त्यक (अमरत्व) बेस्-स्नेज्निइ=विस्नेही (हृदयहीन) बेस्-सो-ज्नातेल-निइ=विसंज्ञात्र (चेतनाहीन) बेस्-सोन्नितना=विस्वप्नता (निद्राहीनता) बेस्-एत्राश्निइ=वित्रस्त (त्रासहीनता) विर् युक =वृक (भेड़िया) बिस् =द्विस् (फिर से) बित्=भिद् (तोड़ना, ताड़ना) बित्-स्या=भिद् (ताड़ना, भिड़ना) ब्लागो=भर्ग (अच्छा, आशीः) ब्लागोदान (भर्गदाति (आशीर्दान) ब्लागोदेतेल्=भर्गदात् (उपकारक) ब्लागो देयानिये-भर्गदान (आशीर्दान) ब्लागोइ-भर्ग (अच्छा, सुरती, उपयोगी) ब्लागोप्रियात्निइ=भर्गप्रियत्नु (प्रिय) ब्लागोरोद्निइ=भर्गरोध्नु (सुजात) ब्लागोस्लोवैनिये=भर्गश्रवण (मंगल सुनना, आशीर्वचन) ब्लागो त्वोरीतेल्=भर्गत्वष्टर (उपकारक) बोग =भग (भगवान्) बोगातेइ=भगत (धनी पुरुष) बोगात् स्त्वो=भगत्व (धनाढ्यता) वोगाच्=भगक (धनाढ्य) बोगीनिय=भगिनी (भगवती) बोगोमातेर्=भगमातर् (भगवान् की माँ, मरियम) बोगोपोची=भगपूजा बोगोरोदित्सा=भगरोहिणी (मरियम) बोगोस्लाविये=भगश्रवण(भगवान् की भक्ति, धर्मशास्त्र) बोगो स्नुज़ेनिये=भगश्रूषणा (भगवान् की पूजा) बोजे मोइ=भग मे (मेरे भगवान्) बोजे स्त्वो=भगत्व (भगवत् तत्त्व) बोक् पक्ष=वक्ष शरीर (पार्श्व) बोकोवाइ-पक्षत=शरीर पार्श्व से वोकोस्=पक्षेण (शरीर पार्श्व) बोले=भूरि (बहुत, अधिक) वोलेये=भूरि (बहुत, अधिक) बोल्लात्=बोल्लति (बोलना) बोल्लोब्न्या=बोल्लति (बोलना) बोल्तिइ=बोल्लन्त (बकवादी) बोल्तून् =बोल्लन्त (बकवादी) बोल्शे=भूरिशः (बहुत सा) बोल्शेविक=भूरिक (बहुमतिक) बोल्शिइ=भूरिश (अधिकतर) बोल-शे=भूरिश (अधिकतर) बोल्शिव्स्त्वो=भूरित्व बहुमत बोलशोइ=भूरिशः (बहुतर) बोयाजन=भयान् (भय, आतंक) ब्रान्=भ्रातृ ब्रतानिये=भ्रातृत्व (भाई बनाना) ब्रात्वा=भ्रातृक (भाईचारा) ब्रात्स्किइ=भ्रातृकीय (भाईचारा) ब्रात् =भरति, हरति (ले जाना) ब्रात् स्या=भरति, हरति (ले जाना) ब्रेम्या = भर (भार) ब्रोविभ्रू = भौं (Brow) बोदित =वर्धति (उठाना, हटाना) ब्रोसत्, ब्रोसित्या=भ्रंशति (फेंकना, फेंकवाना) बुदुचि=भूति (होना) बुदुश्चिइ=भविष्यति (होनेवाला) बुद् = भूतिः (हो सकना) विवात्= भवत् (हो जाना) विक् = वृष (बैल) बिली (भूतः)-भइल (भोजपुरी) वित् = भूतिः (होना) वाम्=वां (तुमको) वामि = वां (तुम्हारे द्वारा) वस् = वः (तुम, तुम्हारा) वश्= वः (तुम, तुम्हारा) वे वेगात्=विवेजति (भीतर भाग जा) व् वेदोनिये=विवेदना (निवेदना, भूमिका) ब वेस्मि = विविशति (भीतर लाना) व्-व्यजगात्=विवेधति (भीतर बोधना) व्-ग्लुवह् =विगर्भ (हृदय में) व-दलेके = विदीर्घ (दूर) व्-दोये=द्वि (दो बार) व्दोवो =विधवा व्दोक्त्वो =विधवात्व वेदत् =वेत्ति (जानना) वेदेनिये=वेदना (जानना, विद्या) वेलीकान्=वरक (बड़का) वेलीकिइ=वरक (बड़का) वेलीचाइशिइ=वरेण्य (सबसे बड़ा) वेर्तुत्=वर्तयति (लौटाना) वेर्तेत् =वर्तयति (घुमाना) वेर्तुश्का=वर्तुक (लट्टू) वेसेन्निह=वासन्तिक वेस्ना=वसन्त वेस् =स्वे (सारे) वेतेर =वात (हवा) वेतेरोक =वातक (हवा) वज्-वेगोत्=विवेजति (दौड़ जाना) वेशात् =विशति (लटकाना) वयात्=वयति (फूंक लगाना, फटकना) विवात्=भवति (होता है) विद्=विदि (देखना, प्रकट होना) विदेनिये=वेदना (दर्शन) वीदेत्=वेत्ति (देखना) विदनेत् स्या= वेदते (दिखाई देना) वलेतात् =विडयति (उड़ना) Fly व्-ल्युवित्=विलोयति (प्रेम में पड़ना) =Beloved व्-ल्युवन्योनोस्त=विलोयित्व (प्रेम-परायणता)=Belovedness व्-ल्यु व्ल्यत्=प्रेम करना=Love व्-ल्यपत्-स्या=विलिपति (चिपकाना) व्-माजत्=विमाषति (चिपकाना) व्-मेशातेल्=विमिश्रयितर (सोच में पड़नेवाला) व्-मेशिवात्=विमिश्रति (मिलाना) व्-नीज=विनीचैः (नीचे) व्-नीजु=नीचैस् (नीची जगह) व्-निकात् (निकाह=निष्कात्, पैसे से) =विवाह करना(वैदिक-ववाता) व्-नोबे=विनव (नया) New व्-नोसित्=विनेहति (भीतर लाना) व्-नुत्रि=अन्तरीय (भीतर में) वोदा=उद् (पानी)=ओदा, Water वोदापाद्=उदपात वोदनिक =उदनिक (जलकाल) वोज्=वाह (गाड़ी का बोझ) वोज्-व्रदित्, वोज्-व्रजदात =वितेधति (जानना, तेज करना, बढ़ाना) वोज्-वेदेनिये=विबोधना (यशोगान करना) वोज्-व्रात्=वर्तति (लौटाना) वोज्-विसित् =विविशति (उठाना) वोजित्=वहति, वोहितः (ले जाना) वोज्का=वाहक (गाड़ी ढोना) Vehicle वोजोक=वाहक (ढोनेवाला) वोजोपित=विलपति (पुकारना) वोज्-रादोवान्-स्या=विराधति (आनन्दमान) वोल्=वोढा (भार ढोनेवाला), बलीवर्द (बैल) वोल्क=वृक (भेड़िया) वोलोस=बाल (केश) वोलचोनोक=वृकशावक (भेड़िये का बच्चा) वोप्रोस=विप्रश्न (प्रश्न) वोप्रोसित्, वोप्रोसात्=विपृच्छति (पूछना) वोर=हार (चोर), वोसेम =वसु (ज्योतिष में ८ का सूचक, ८ वसु हैं) वोसेम् न देस्यत=दश नि वसु (अष्टादश)=१८ वोसेम देस्यत=दश वसु=८० वोस्-पोल्नित्=विपूर्णयति (अन्दर भरना) Filling वोस्-सेदात् =विसीदति (बैठना) वोस्-सावत्=विस्थाति (विद्रोह में उठना) वोस् स्वलेनिये=विस्वरति (प्रशंसा करना) वोत्=वत् (यहाँ ही) व्-पदात्=विपतति (गिरना) व्-पिवत्=पिबति (पीना) व्-प्लाव=विप्लाव (तैरना) Flow, Fly व्-प्लिवात्=विप्लवति (भीतर तैरना) व्-पोल्ने=विपूर्ण (पूर्णतया) व्रात्=भ(ह) रति=लेटना व् रेजत् =विरेजति-रेजीदन (फ़ारसी) Eraze, Razor व् रेजक=विरेजक (काटना, भीतरी काट) व् सदीत्=विशालयति (भीतर करना) व् सादनिक=विसादनिक् (घोड़े पर बैठनेवाला) व् स्यो=स्वे (सारे) व्सक्रिचात्=विक्रोशति (चिल्लाना) व् स्लुख् =विश्रू (जोर से बोलना) व् स्लूश्त्स्या=विप्रूषदिः (सुनना) व् स् प्लि(वा)त्=विप्लवति (उतरना) व्स्-पोस्नित=विप्रश्नुति (सोचना, स्मरण करना) व्-स्तवानिये = स्थापना (उठाना) व् स्ताव् का=विस्थापका (अन्दर रखना) व् स्तव्ल्यात् = विस्थापयति (भीतर डालना) व्सव्याखिवात् = वित्रासयति (हिलाना) व्तिकात् = विटीकति (टिकाना, भीतर डालना) व् शिवात् = विसीव्यति (सीना) विवः =वः (तुम) विवेगात्, विवेजात् = विवेजति (दौड़ना) विविवात्=विभवति (मार गिराना) विविरात् =विवरति (चुनना) विवोइ=विवर (चुनाव) विवोरका=विवरका (चुनना) विव्रासिवात्=विभ्रंशयति (फेंक देना) विप्रोसित्=विभ्रंशति फेंक देना (प्रास =फरसा) विवारिवात् = विबालति (उबालना) विवेदिवात् = विविदति (पा जाना) विवेजित्, विवोजित्=विवहति (बाहर ले जाना) विव्यजात =विभन्धति (बान्धना, गूंथना) विइक्रात्=विक्रीडति (जोतना, खेलना) विगोवारिवात् =विगवति (बोलना) विदवित्=विदावति (दाबना) विदिरात् =विदारयति (फाड़ना) विजितात्=विछिन्तति (काटना) विजीव =विहवि (पुकारना) विकजात् = विकाशयति (खिलाना) विकापवात् =विकल्पि (खोदना) विक्लिकात्=विकल्कति(चिल्लाना) विमिरानिये=विमरण (मरना) विनुदित =विनोदयति (जोर डालना) Node विपाद्=विपात् (भीतर डालना, घुसाना) विपदेनिये=विपताना (गिरना) विपिलिवानिये=विपूर्णता (पूरना) विरेज्निये=विराजना -प्रकाशन विरुगात् =रुक्ष (रिगाना, चिढ़ाना), बिराना (भाषा)=गाली देना विस्लुशात्=विश्रूषति (खूब सुनाना) विस्तवका =विस्थापका (प्रदर्शन) विस्नुपात्=विस्नोति (बोलना) विसुशिवात् =विशुष्यति (सुखाना) विसिपात् स्या=विस्वपिति (खूब सोना) विसिखात् =विशुष्यति (सुखाना) वितिरात् =वितिरति(झाड़ना, पोंछना) वित्योचिपात् =वितक्षति (आकार काटना) वितोपित = वितपति (गर्म करना) वित्यसात् =वित्रासयति (हिला देना) वित्रिखात् = वि-तृषा (प्यास) वित् =भिद् (काट गिराना) वित्यनुत्स्या =वितनोति (फैलाना) वित्वेनिक=वित्रावनिक (तैराना) विउचात्=वि-वाचति (शिक्षित) विचितात् =विचिन्तयति (पढ़ना) विश्चुवात् = विछुवति (छूना) व्यजन्का =बन्धका (बोझ बान्धना) गदानिये (गद=कहना)-भाग्य कहना गलेरा, गलेरका=गली, गलियारा गर =ज्वर (जलना) गल्-स्तुक्=गल स्थपक (गला बान्धने वाला) Tie ग्दे =कुत्र (कहाँ) गेइ =हे (अगे) Gee गिर् या= (गिरि, गुरु) =भार ग्लवा =गल (सिर) ग्लवाख़=गलक (सरदार) ग्लोलात् =गिलति (निगलना) ग्लोत्का =गल (कण्ठ) ग्लुविना =गर्भीणा (गहराई) ग्लुवोकिइ=गभीरक (गहरा) गोवोर(गवार्)=गवति (बोलना), (गीर्=वाणी) गोव्यादिना, गव्यादिना=गव्यादनीय (गो=गाय, अद=खाना)=गोमांस गोलोवा (गलवा)=गल् (शिर) गोलोस्=गलक (स्वर) गोलिइ=नग्न (नंगा) गोरा (गरा) गिरि, पहाड़ गोरेल्का ज्वाक् =ज्वालक, Burner गोरेनिये, गरेनिये =ज्वरणा (जलना) गोर् लो (गर् लो)= गल (कण्ठ) गोरकिइ (गर्की)=ज्वर, जलनवाला, कड़वा गोरयुचिये,गरयुचिये=ज्वरक (जारक, इन्धन) गोरयाचिइ(गरयाची) ज्वलक (गर्म) ग्रव्योज् =ग्राप(ह)क =लूटनेवाला Grabber ग्रवीतेल् =गृभी(ही)तर=लुण्ठक ग्रेत=ज्वलन (तपाना) Grate गीवा=ग्रीवा (गर्दन) ग्रोजित् =क्रुध्यति (ढमकाना) Grudge गुवा=जिह्वा (ओठ) गुवित्=क्षयति (नष्ट करना) दवात् = दाति (देना) दविलो =दावल (भार, दबाव) दवित्=दावत् (दबाव) दालेये =दूर दाल्योकिइ=दीर्घक (दूर का) दालेको=दीर्घक (दूर का) दाल, दालनि=दीर्घ (दूर) दाल्नो विदेनिये=दीर्घ वेदना(दूरदर्शक) दाम्का, दामा=राजा, सद् राजा दन्निइ=दान(भेंट दिया) दात्=दान (भेंट) दर्=दान दरेनिये दान=दान देना दरोवानिये=दान दरोवोइ दान=भेंट दात्, दाति=देन दावा= दान दयानिये=देन द्वा, द्वौ=दो (२) द्व द्वत्सत्=द्वाविंशति (बीस, २०) द्वाजिद्, द्वि=दो बार द्वेना, द्वत्सत्=द्वादश (१२) द्वेरनोइ=द्वारीय (द्वार) द्वेर =द्वार द्वेस्त्=द्विशत् (२००) द्विगात्=वेगति (चलना) द्वोये=द्वौ (२) द्वोइत्=द्वितपति=दुगुना करना द्वोइका=द्विक (जोड़ा) द्वोर=द्वार(आंगन) द्वोरेत्स =द्वारक (महल, दरबार) द्वोरयानि=द्वारीय(राजा बाबू, दरबारी) द्वोचु-रोद् निइ=द्विरोधनीय(चचेरा भाई) देवेर =देवर देवा=देवी (कुमारी) देवित्सा, एद्वका=देविका (कन्या) देवो मातेर्=देवमातर्(कुमारी मरियम) देवोच्का=देविका (बच्ची) देवस्त्वेभिक्=देवत्विक (ब्रह्मचारी) देव्चेका, देवुश्का, देवचाता=देविका(कुमारी) देद्=दादा, पितामह देद् प्रे=प्रपितामह(परदादा) देदुश्का=दादा, पितामह देदुश्का प्रे=प्रपितामह देकाद् निक्=दशदिनक देलत्=दारयति (करना) देलित=दरति (विभाजित करना) देलो=दर, धर, धर्म (काम) देन् =दिन देरेवा=दारु (वृक्ष) देरेवत्सो=दारुवत्स (छोटा वृक्ष) दोझावा=दंहति (शक्ति, दृढ़) देरझानिये=दंहना (रोकना, थामना) देरझानेत्=दम्हिता (थामने वाला) देरझात् =दंहति (थामना) देस्यत्=दश (१०) देस्यातिइ =दशम देस्यत्का=दशक दे(क)त्=धाति (रखना) देयानेल्=धातर्(कर्मी, चाकर) द् लिन्ना=दीर्घ (लम्बाई) द् लिन्निह=दीर्घ (लम्बा) द् नेन्निक =दैनिक Diary दो=तावत (तक) दोवावित्=तावत् भवति(जोड़ना), =द्वि अवति=Two add दो बुदित=तावत् बुध्यति (जागना) दोगोबोर=दगवार (समझौता) दोदात्=ददाति(जोड़ना, बढ़ाना) दोएदात्=तावत् अत्ति(खा डालना) दोएनिये=दुहति (दुहना) दोझ्द=दुहति (बरसना) दोझि(बा)त्=तावत् जीवति (तबतक जीना) दोज्वोनित्स्या=तावद् ध्वनति=द्वार पर ध्वनि करना दोज्न(वा)त्स्या=तावत् जानाति (जानना, चाहना) दोइत=दुहति(दुहना) दोइनिक=दुहनिक=दुहनी बर्तन दोक्ज़ाता=तावत् काशति=प्रकाश करना दोकुदा=कुत्र तावत्(कहाँ तक) दोल्गिइ=दीर्घ दोलेये=द्राघीय (दीर्घतर) दोलिना, दलिना =द्रोणी, उपत्यका (दून) दोल्शे=द्रघीयस (दूरतर) दोम =दम (घर) दोम्ना=धूमक (भट्टा) दोच्का=दुहिता (पुत्री) द्राज्नित् =त्रासयति(डराना) दात्=दरति (चीरना) द्रात् स्या=दरति (लड़ना) द्रोवा=दारु(इन्धन, लकड़ी) दुनुत्=धुनोति(फूंकना, हवा देना) दुर्नेत्=दुर्नीति (कुरूप होना) दुर्नोइ=दुर् (बुरा) दिम=धूम (धुंआ) दिरा=दरी (छिद्र चीर) ध्याध्या=दादा (चाचा, मामा) एदा=अद्=भोजन एदोक्, एदक्=आदक=भक्षक एझेगोहनिक=एकवार्षिक (वर्ष पत्र) एझेदेकाद् नो=एकैकदशदिन=प्रति दश दिन एझेनेदेलनिक= एकैक सप्ताह=प्रति सप्ताह एस्त=अत्ति=खाना (eat, is) एस्म=अस्मि = am (हूँ) एस्न=अश्नोति=खाता है एस्मेस्त्वो=अस्मित्व=स्वभाव, द्रव्य एस्त् =अत्ति=खाना एखात्=एषति (हटाना, चढ़ना, जाना) झार=ज्वल=जलन, तपन झारा=ज्वाला=तपन, गर्म झरेनिये=ज्वलन, भूँजना, तलना, (charr, jarring) क्षार झरेन्निइ=ज्वलित (जली, तली) झारकिइ=ज्वालक (गरम, मुस्तैद) झे=हि (किन्तु, और) झेवानिये=चर्वण (चबाना) झयोलतेन्किइ=हरित्रक=पीला सा झेलतेत्=हरितायति (पीला करना) झेना=जनि (स्त्री) झेनित=जनीयति(ब्याह करना) झेनित्वा=जनितव्य (ब्याह) झेनिक्=जनिक (वर) झेयोन्का=जनिका, वधू झेनोल्युविविइ=जनिलोभी=स्त्री प्रेमी झेन्स्कियि=जनिका-मेहरिया झेन् श्चिना=जनि=स्त्री झेर् त्वा=ज्वलत्व=यज्ञ झेच्=दह्, धक्ष, दाग=जलाना झिन्=जीव=जीना, जिन्दा झिवितेल् निइ=जीवयितर=जीना झिवोइ=जीव=सजीव झिवोत् न्ये=जीवन्त(प्राणी, पशु) झिवचिक=जीवक=जीना झिजन=जीवन (जिन्दगी) झिलित्स=जीवस्थ=निवास स्थान (जिला) झिलोइ=जीवन=वसन, वास झितेल्=जीवितर्=रहने वाला झितिये =जीवन=जीवन चरित्र झिबु=जीवति=जीवित रहना जा=पश्चात्, आ, ता (बाद, आगे) ज़ा विरात् =आभरति=ले जाना ज़ा बोल्तात्=आबोल्लति=बहुत बोलना ज़ा प्रसिवात्=आभ्रंशति (फेंकना) ज़ा व्रात्स्या=आभरति=ले जाना ज़ा वोसत्=आभ्रंशति=फेंकना ज़ा विवात्= आभवति=भूलना ज़ा वर् नोइ=आवारित =उबाला ज़ा वेदेनये=आवेदना=उच्च शिक्षणालय ज़ा वेर्तेत्(स्या)=आवर्त्तति (घूमना फिरना) ज़ा विदेत्=आविदति-देखना ज़ावाजित्=आवहति=ले जाना, खींच ले जाना ज़ा व्यज्का=आबन्धन(बन्धन) ज़ाव्याज़िवात्=आबन्धति(बान्धना) ज़ागार=आज्वल=धूप में जला ज़ाज्वालिये=जाज्वल्यमान्=उपाधि, पदवी ज़ागोरानिये=आज्वालन=आतप-तप्त, भूरा ज़ागोरेन्निइ=आज्वल=धूप में जला ज़ा दाचा=आदान-समस्या ज़ादोतोक्=आदत्त, आधत-रखना, निधि ज़ा द्रात्=आदरति-चीर कर खाना(भेड़िया की तरह) ज़ा एदात्=पश्चात् अत्ति=पीछे खाना ज़ा झिवानिये=पश्चात् जीवन=घाव भरना ज़ा झिवो=यावत् जीवन=जीवन भर ज़ा झिगाल्का=आज्वलक-सिगरेट जलावक (लाइटर) ज़ा काज्=क्या कार्य =आज्ञा ज़ाकोनोदातेल=धातर्, दाता, दातर्=विधाता, दाता, कर्त्ता ज़ाल्=शाल=हाल ज़ाला=शाला ज़ालिजा=आलिहति-चाटना ज़ानियात्=आजानाति-पढ़ना ज़ामेर्न=आमरण-मृत, मरा ज़ामोरिन्=आमरति-भूखे मरना ज़ा ओब्लाच्निइ=आ-अभ्रक=बादलों से परे ज़ा पद=पश्चात् पद=पश्चिम ज़ा पिस्=आपिश्-अभिलेख ज़ापोवेद=आप्रवेद-आज्ञा, विधि ज़ाप्रास्=आपृच्छ-पूछना ज़ादेज्(इवा)त् = आरिंहति, आरेवति-हनन करना ज़ारेकात्स्या=आरेचति-त्यागना ज़ा सवात्=आसम्मति-कुठार से गढ़ना ज़ा सद्का=आसीदना-बैठाना, बीज बोना ज़ा स्वेतित्=आश्वेतति-प्रकाश करना ज़ा सुखा=आशुष्क-सूखा, जल-अकाल ज़ासुशेन्तेइ=आशुष्कान्त-सुखाना, सूख गया ज़ा सिखात्=आशोषयति-सूख जाना ज़ा तप्तिवात्=आतपति-आग जलाना ज़ा तेम्मेनिये=आतपना-अन्धकार करना ज़ा तिखात्=आतुष्यति-शान्त होना ज़ा तोपित्=तोपना(भोजपुरी)=ढंकना, जहाज डुबाना ज़ा नुमानित् स्या=आधूमति=अन्धेरा होना ज़ा तुखानिये=आतोषयति-बुझाना ज़ा शियेत्=आशयते-सिसकारना ज्वानिइ=ध्वनीय-पुकारा गया ज्वेनेत, ज्वोनित=ध्वनति-घण्टी बजाना ज्वोनोक=ध्वनक-घण्टी जेबात्=जम्भति-जम्हाई लेना ज़ेल्नेत्=हरितायति-हरित होना जेलेन्नोइ, जेल्योनिइ=हिरण्य-हरा जेलेन=हरित-ज़र्द,हरा जेम्लेदेनिये=भूमि ज्ञान-भूगोल जेम्ल्या=ज्या, भूमि जेम्ल्याक=ज्याक्-देशभाई जेम्ल्यानिका, जेम्ल्यान्का=ज्मालिका- Strawberry जेम्नोवोदनिइ=ज्मोदकीय-जल थल का जीव जेम्नोइ=ज्मानीय=भूमीय ज़िमा=हिमा-जाड़ा ऋतु जिमोवानिये, जिमोव्का=हिमावना-जाड़ा बिताना जिमोई=हिमीय-जाड़ा, हेमन्त ज्लातो=हरित-सोना ज्लित=हेति-सिहराना, चिढ़ना ज्नाक वात्=जानाति-जानना ज्नाक=ज्ञानक-चिह्न ज्नाकोपित्-जनापेते-पश्चिम करना ज्नाकोम् स्त्यो=जानकत्व-पश्चिम, ज्ञान ज्नाकोम्या=जानक-पश्चिम ज्नामेनिनोस्त-ज्ञातिव्य-प्रसिद्धि ज्नामेनोवात्-जानापेति-दिखलाना, सिद्ध करना ज्नात् निइ=ज्ञात, प्रसिद्ध ज्नात् नोस्त-जातीयत्व, कुलीनता, सामन्तता ज्नातोक्=ज्ञाता-जज, विशेषज्ञ ज्नात्=जानाति-जानना ज्नाचेनिय-जनाना (महत्त्व अर्थ) ज्नाचिनेल=ज्ञातर-जानने वाला ज्नाचितेलनोस्त्=ज्ञातृत्व(महत्त्व) ज्नाचित्-जानाति-जानना, अर्थ लेना ज़ोव् हव=बहवः, आवाहय-प्रकार, निमन्त्रण ज़ोलोना-हरित, ज़र्द(फ़ारसी)-सोना (Gold) ज़ोलोतोइ=हरितीय-(स्वर्ण मुद्रा)-Zloti, Guilder-currencies जुब्=जिह्वा-जबान, दांत जुबोक्=जिअक्-छोटा दांत ज्यात्=दायाद-दायाद =च,अ, और अपि इवो=इव-जैसे, लिए इगो=युग-जुआ इद्ति=एत्ति-आना, जाना इज़्=अत्,अज् (से) इजव्रानिये= आवरण-चुनाव इज व्रात्=आ-वरति=चुनना इज़ दवात्-आद्युति=प्रकाशन इज़ दानिये=आदान-संस्करण इकात्=हिक्कति-हिचकिचाना इस् पोल् नेनिये=आपूर्णना-पूरा करना इस् पोल् नितेल=आपूर्णापितः=पूरा कराने वाला इस् प्राझेनिये=अपरा जपना-दोष, खाली करना इस् प्राशिवात्=आपृच्छति-मांगना, पूछना इस् स्यकात् = आसिञ्चति = सेंकना, सुखा देना इस् तोपिन=स्तब्ध-तोपना (भोजपुरी) -Estoppel इतक, इतिक=ऐसे-तैसे, और इत्ति=एति-जाना, चलना इख़=इसका क=को-से, लिए, प्रति कजात् स्या=काश्यते-प्रकाशित होना, दिखाई पड़ना काक्=कथं-भिन्न विचार होना कनोव=कन्दन-रुलाई करात्=खरयति-दण्ड देना, सांसत देना (कराट=हाथी, कर लेने वाला) केमु=केन-किसके द्वारा कोये=कहाँ, कहीँ पर कोझा=कोण=चमड़ा कोई=कः-कौन कोमु (कमु)-कम्-किसको कोलेसो-चक्र-चर्खा, पहिया कपानिये=कांपना, खोदना कोपित=गोपयति-रक्षा, छिपाना कोरोचे=क्षुद्र-ख़ुर्द (जरा) कोचान्=गुच्छ-गोभी फूल क्रसित्=कृषति-अलंकार करना, सजाना, चित्रित करना। क्रस्नेत्=कृष्णोति=लाल करना क्रस्ना=ग्रसति-चुराना क्रिचात्=क्रोशति-चिल्लाना क्रोव्=क्रव्य-रुधिर क्रोइका=कृन्तत-काट डालना क्रुग्=चक्र (चर्ख-फ़ारसी), गोल क्रुझित् स्या=चक्रीयते=चक्कर काटना क्रुझोक्=चक्रक-वृत्त क्रित्=कृती-ढांकना क्तो=कतर(कौन) कुवोक्=कुम्भक. कुप्पक-प्याला, ग्लास। कुवशिइ=कूपिका-लोटा कुदा=कदा-कहाँ कुर्त्का=कुर्त्ता कुसात्=कुस-काटना कुचा=गुच्छ-समूह, ढेर कुच्का=गुच्छक-छोटी ढेरी कुशात=ग्रसति=खाना लाज़ित्=लंघति-लांघना ल्योगकिइ=लघुक (हलका, आसान), त्यक् प्रत्यय लेग् को=लघुक (हलका, आसान), लेग्चे=लघीयस-ज्यादा आसान लेझात्=लेटना लेन्त्ययिका=लेटक-आलसी ल्योत्=उयति=उड़ना लेतात्=उयति-उड़ना लेवो=ऋतु-ग्रीष्म लिजानिये=लेहनीय-चाटना लिजात्-लिह्यात्-चाटना लिप् किइ=लेपकी-लगाना, चिपकाना, उलझाना। लिपनुत्=लिपति-लगाना, चिपकाना लेबजानिये=लेपति-चूमना लेबिजात्= लेपति-चूमना लोवित् (लविज्)=लोभति, लुब्धक=फंसाना, शिकार करना। लोबुश्का=लोभका=जाल, फंसाव। लोबचिइ=लोभिक, लुब्धक-शिकारी लोद्का=रोधक=नाव लोदि=रुद्र (लदभेसर्, आलसी) लोझित् स्या=लोटत्=लोटना, गिरना। लोप्स्या=लोपत्=लोप, तोड़ना, फोड़ना लुच=रोचिः=किरण(Look) लुच् शे=रोचीय=बेहतर ल्युबितेल=लेभितर=कुत्ता शिकारी। ल्युवित्=लोभति=प्यार करना ल्युवोव्=लोभ, लभ=प्यार (Love) ल्युवोव्निक्=लोभिक-प्रिय, प्रेमी ल्युव्यश्चिइ=लोभीय=प्रेमी। ल्युद्=रोध=त्याग देना माज़व (माज़्वुत्)=माषत्=माखना, मांजना। मस्लो=मस्का=मक्खन मात्का=मातृका=माता, मातुश्का=मातृका=माता मात्=माता मख़ात्=मंहति,मिहति=मक्खन हिलाना म्योद्=मधुर=शहद म्योद् वेद्=मध्वद=भालू मेद्निक्=ताम्बे का (मधु रंग) मेदोव्निक्=माध्वीक=अमृतीय, मधुर मन्दोक=मधूक=अमृत, मदिरा। मेद्=मधु=ताम्बा मेझ=मध्य=बीच में मेन्दा=मे=मुझे मेरेत्=मरति=मरना म्योद् त्विमि=मृत=मरा मेस्यत्स=मास=चान्द्र मास। मेतित=मति=चिह्न करना, लक्ष्य करना मेशात्=मिश्रयति=मिश्रण करना। मिगानिये=मलकाना मीलोस्त=मेल-कृपा, अनुकम्पा। मीलोच्का=मिलक=मेली, प्रिय। मीतिइ=मैत्री, मिताई। म्ने=मे-मुझे। म्नेनिये=मनन-विचार,मनन। म्नित्=मनुते=सोचना म्नोगो=महा=बहुत बड़ा। म्नोइ, म्नोवु=मया-मेरे द्वारा। मोगूवेस्त=महत्त्व, मंहिष्ट-शक्ति। मोगूचिइ=महान् सक्तिशाली मोयो, मोई=मे=मेरा। मोइक, मोइत=मोचित=धोना (मोइन-भोजपुरी) मोलनिया, मलनिया=मालिनी-विद्युत्, मेघ की। मोल्त्=मर्दति-पीसना मोलोत्वा=मर्दन-दबाना मोरित=मरत-भूखे मरना मोचा=मुञ्च-पेशाब मोचित्=मेहति=भिंगोना, नम करना। मूझ=मनुष्य, पति मुराय=मेर्-मूर (फ़ारसी)-चींटी भक्षक । मुवा=मक्षी-मग्ल(फ़ारसी)-मक्खी मुश्का=मग्स-मक्खी मी=मे-हम, We मित्=मोइत्-धोना । मिश्का,मिश=मूषक-चूहा, mice. म्यासो=मांस म्यत्=मथति-मथना ने,नि=परि=ऊपर, द्वार । ने वेग=निवेग-दौड़ना, आक्रमण न वेलो=न अविल=परिशुद्ध, साफ़ (न अलिया-ओड़िया) न वोद्=निवार-एकत्र करना । ने वेश्, न विशास्-निवेशयति-टांगना ने वेजित्=निवहति-ले जाना। न व्यज्(इव)आत्=निबन्धति-बान्धना नागिशोम्, नगेइ=नग्न, नंगा । नगोलो, नग्लाल-नंगा-Naked नगोवत्=निज्वलति-जलना । नरेगो=निगिरि-गिरिवर नग्रवीत=निगृभीति-लूट लेना,Engrabb नाद्=परि, उपरि-ऊपर नादोल्गो=निदीर्घ-चिर काल से । ना एखात-निएषति-आना न झिनात्=निछिनति-फ़सल काटना । न काज=निकाश=शासन-तन्त्र, आज्ञा न लगात्=निलगत=ऊपर रखना, लागू करना। न लेगात्=निलगत=आश्रित होना न लेपित=निलिम्पति=चिपकाना, लेपना । नामि=नः=हमारे द्वारा । न पदेनिये=निपातना=आक्रमण। न पेकात्=निपचति-पकाना, भूनना न पिवात्स्या=निपिवति=पीना । न पिरात्=निपीडयति=दबाना नपितोक=निपीतक=पान । न पोकाज=नि प्रकाश-दिखाने के लिए न पोलनेनिये=निपूर्णता-पूरा करना । न पोस्लेदोक्, न पस्लेदक्=निपश्चातन=पीछे, अन्त में। न रोद्=निरोध=जनता । नोस्, नस्=नासिका, Nose नसादित्, नझ्दात्=निसादयति=रोपना। न सेद्का=निषीदका=बैठक न सेदानिये=निषीदकान्य=बहुत लोगों का बैठका । न स्लिष्का=निश्रूषका=सुनना । नस्यखात्स्या=निस्यपति=हंसना न स्नावित्=निस्थापयति=रखना । नासुख=निःशुष्क=सूखा नश्=नः=हमारा । ने=न=नहीं ने ब्लागो प्रियत्निइ = न भर्गप्रियन्तु =अशुभ, अननुकूल । न वेदेनिये=न वेदना=अविद्या, अज्ञान । ने वीदल=न वित=न देखा, अद्भुत् नेग्दान्अकुन्न=कहीं नहीं । नेपोच् तेनिए=न पूजन=असम्मान ने प्रियातेल=न प्रियतर=अमित्र, शत्रु । ने प्रियत्न=न प्रिय=अप्रिय ने प्रोवद्निक्=न प्रबोधक=विद्युत् कुचालक । ने प्रोशेन्निइ=न प्रश्नीय=बिना पूछा नेसवेदुश्चिइ=न वेदनीय=अज्ञ। ने सोज्नातेल=न संज्ञातर=अचेतन, अनभिज्ञ नेस्ति=नेषति=ले जाना, ढोना। नेत्, नेत्नो=नेति=नहीं निग्दे=न कुत्र=कहीं नहीं। निझैशिइ=नीचीयस=बहुत छोटा, बहुत नीच निझे=नीचैस्=नीचे । निझ् =नीच= सबसे नीचे निजकिइ= नीच= नीचे झिनिनिइ=नीचीय=नीचे का निज़ात = न हति = बान्धना । निज़ीनो=नीचीय=निम्न स्थान, नीचे निज़किइ= नीचक=नीचा, छोटा। निजोस्त= नीचत्व= नीचता निकोक् =न कथं=किस् तरह नहीं । निक् कोई=नकः= कोई नहीं निस्=निस्=नहीं । निस् पदात्= निपतति= गिरना नो =नु= किन्तु । नोनेइशिइ= नवीयस= नवीनतम नोवो(नवो)=नव=आधुनिक नोवोस्त्=नवत्व=समाचार News नोगोत्=नख, नर नोस्=नस्=नासा (नाक) नोजिक=नासिका=नाक नोसितेल=नेष्टर=ले जानेवाला नोसित्=नेषति=ले जाना, ढोना । नोसोरोग =नासाशृङ्ग=गैण्डा नीचेव्का=निशीथिका=रात को रहना । नोच् = निशा = रात नु (नु)=सचमुच, हाँ, क्यों? नुतेरा=अन्तर= अन्दर, भीतर ओ=अ = निषेध । ओवा= उभौ= दोनो (अभिः) ओव् वि तितेल= अभिविनेतर = आरोप लगाने वाला (वादी) ओव विनत्= अभिविनेति = दोषारोपण करनेवाला (वादी) ओव् विसात्= अभिविशति= लटकाना । ओवे= उभे = दोनों ओव् एद्= अभि अद्= भोजन । ओव् झिगानिये=अभिजागरण=जगाना ओबलक=अभ्रक =अब्र (फ़ारसी)=बादल । ओबोरोना= रक्षार्थ युद्ध। ओबोरोन्यत् = अभिरुजति = फटकारना, रिगाना, गाली देना। ओबरुगात्=अभिरुजति =रिगाना ओब सासिवात्= अभिचूषति= स्वर के साथ पीना। ओब स्लुझिवात्=अभिश्रूषति= सेवा करना। ओवेन्=अवि=मेष, भेंड़ ओव चियि=अविशावक =भेंड़ का बच्चा । ओव्का =अविका=भेंड़ी ओग्ने =अग्नि= आग ओग्नेविद् निइ=अग्निविध=आग जैसा ओग्नेस्लुझेनिये=अग्निश्रूषण=अग्निपूजा । ओग्ने तुशितेल=अग्नितोष्टर=आग बुझानेवाला ओगो = अहो । ओगोन्येक=अग्निक = प्रकाश ओदिन = आदि = एक। ओदनो=आदि=एक बार ओझिवान्=आजीवति=फिर जिलाना। ओझोर्=आज्वर=अंजोर, जलाना ओको=अक्षि=आंख, Ocule ओलेन=हरिण ओन (एषत्), ओना (एषा), ओनो (एनत्) = वह । ओपिवात्स्या=आपीयते=पी पी कर अपने को मारना । ओप्यत्=अभिपिवत्= पीया। ओप पामैनिये=आपीवना=शराब पीना। ओसोदा= आसाद=दुर्गबद्ध करना । ओस्वेतित्=आश्वेतित= प्रकाश करना ओस्लुशानिये=अवश्रूषणा= आज्ञा न मानना । ओस्लिशात्स्या = अवश्रूषति = ठीक न सुनना । ओस्मेनिवात्=आस्मयत् =परिहास करना। ओस्= अक्ष=धुरा ओस्मिनोग= अष्टनख = (अठपैरा) ओत्= आत् = से अत् वेचत्= उद् वचति= उत्तर देना । ओत् व्यजात्=उद् बन्धति=बन्धन खोलना ओत् दानिये=उद् दान=प्रतिदान । ओ त्योसिवात्= आतक्षति = गढ़ना, पत्थर काटना ओत् झिवात् = अ-जीवति= मर जाना । ओत् कज़ात् = प्रतिकथयति=इन्कार करना ओत् कुरा= अत कुरा=कहाँ से ? ओत् मिरानिये=उत् मरण=मर जाना ओतो =आत् = से ओत् पदात्= आपतति = गिर जाना ओत् रझात् = आराजते= प्रतिबिम्बित करना । ओत् तोचित्=उत् तीक्ष्णति= तेज करना । ओत् तुदर् = ततः= वहाँ से ओख = अहा ओखोता=आखेट=शिकार ओचरोवानिये =आश्चर्य वान्=जादू या चमत्कार से होना । ओचि= अक्षि =आंख पा=पाद = पग पदात् = पतति= गिरना पदेनिये =पतना=गिरावट पाई=पाद =भाग (रुपया का भाग) पल् का=फलक=डण्डा पाद =वाष्प =भाप । परेनिये= परायणा= पलाना, भागना पास्तुख=पातुक=मेषपाल पतेर= पितर= पिता पख़ात्=प्रकर्षात् =जुती भूमि । पेना= फेन पेर विइ=पूर्वीय = पूर्व, पहला। पेरे विरा (व्रा)त्=परिभ(ह)रति=हटाना पेरेवोजित= परिवहति=ढोना पेरेव्यज़्का=परिबन्ध=घेरा पेरेग्रिजोत्=परिग्रसति= काट डालना । पेरेदेल्=परिदलन=पुनः विभाजन पेरे एदात्= प्र अत्ति= बहुत खाना । पेरे जिवानिये=परि जीवना= अनुभव पेरे झोग्= प्रजाग्= बहुत गर्माना, दीप जलाना । पेरे लेजात्=प्रलपते=उपस्थापना । पेरे पइवात्=प्रपिवति=पीकर मत्त होना पेरे प्लिवात्=परिप्लवति=तैर जाना । पेरे पोइत=प्रपिवति=पीकर मत्त होना पेरे प्रत् ये=प्रपथ=चौरास्ता। पेरेरोदित्=प्ररोहति=पुनः जीवित करना पेरेरुबात्=प्र लुप्यति=काटना, मारना । पेरे सीदेत्=प्रसीदति=बैठ जाना पेरे पक्क्ष=पर, पंख=लेखनी । पेचे नि (न्) ये= पाचन = पकाना पेच्दा=पाचक=चूल्हा । पेच् =पच्= भूनना, तलना, झुलसना पिवनया=पिवनिया=मद्य शाला । पीवा=पिव्य= हलकी शराब पीला (पल्पूल लवनपवनयोः-धातुपाठ १०/३०६) =आरा। पीलित=चीरना Peel पिसानिये=पिश (वेदे, दीप्तौ-धातु पाठ ६/१४६), पिजि (भासार्थः भाषार्थो वा १०/२२३)= लिखना। पिसातेल =ऊपर के धातु अर्थों में पिशातृ =लेखक। पिसात्=पिशति =लिखना पित्=पीति=पीना । प्लवानिये=प्लवन =तैराकी प्लाव्(वि)त्=प्लवति=तैरना, Float प्लावेत्स=प्लावक=तैराक, Flotilla प्लोद= पृ पालन पूरणयोः(धातुपाठ ३/४), फल निष्पत्तौ (१/३५७)=सन्तान पो=प्र, परि=द्वारा, ऊपर, भीतर को। पोवेग =प्रवेग =भागना पोवेझात्=प्रवेजति =भागना । पोब्(बि)रात्=प्रभ(ह)रत्=ले जाना पोबुदितेल=प्रबोधितर्=भड़कानेवाला । पोबुदीज्=प्रबोधति =भड़काना, उत्तेजित करना पो वेदेनिये=प्रवेदना= प्रवृत्ति=चाल ढाल। पो वेसित्=प्रविशति=घुसना पोव्योर्तिवानिये=प्रवर्तना=घुमाना । पोवोज्का=प्रवहका=परिवहन, यान पो व्यजका=प्र-बन्धक =सिर बन्द। प्रोगोलोव्निइ=प्र-गोल-नय=सरदार पोद्=पद=अन्तर, नीचे । पोदवात्, पोदतीत्=प्रदाति, देना, भेंट देना पोदारोक=प्रदारक=भेंट पोदात्=प्रदाति=कर देना पोदाचा=प्रदाक=देना, सेवा । पोद् वोद्न्या=पद उदीय=उच्च पद पोद् व्यज्का=पद बन्धक (मोजा)। प्रोद् झारित=प्रजारित=तलना। पोदिरात्=प्रदरति=चीरना, फाड़ना । पोद्तचिवात्=प्रतीक्ष्णति=तेज करना, धार लगाना पोदुर्नेत्=प्रदुर्नेति=कुरूप होना । पो एज्द =प्र एत्=ट्रेन प्रो एज् दित्=प्र एति=चलना, फिरना। पोझारनिइ=प्रज्वारनिक=आग बुझाने वाला पो झिरात्= प्रजीर्यति=खा डालना । पोज्यो विवात्=प्रजम्भति=जम्भाई लेना। पोज्झे = प्रहि=नष्ट करना । पोज्न(वा) निये=प्रज्ञानवान् पोइन्त=पिवति=पीना । पोइति=प्र एति=जाना पोकाज़्=प्रकाश=दिखलाना । पोकजानिये=प्रत्यक्ष जाननेवाला=गवाही पोकुशात्=प्रकुष्णाति=कोशिस करना । पोल् नेत्= पूर्णति=भरना, पूरा करना पोल् नो=पूर्न=पूर्णतया भरा । पोल् नोवोद् निइ=पूर्णोदिनी =गहरी नदी पोल् नोस्त्यु, पोल् नोता=पूर्णत्व । पोमजात्=प्रमार्जति=तेल लगाना पोमाजोक =प्रमार्जक = झाड़ ब्रश। पोमेस्यच्नो =प्रति मास पोनीझे= प्रनीचैः=कुछ नीचे । पो पदानिये=प्रपतना=गिराना पोप्लवाक्=प्रप्लावक=तिरानेवाला, काग (Cork) पो पोइत् =प्रपायति=घोड़ों को पिलाना। पोपोइका=प्रपायिका=प्रपा नौका (पाल) पो प्रोसित्=प्रपृच्छति=पूछना । पोराझेनिये, पोरझात्=पराजय पो रेज=प्ररिंह =रेज-काटना, घायल करना। पो रोदा=प्ररोह=सन्तान, जन्म, रुधिर (Produce, blood) पो रोझदात्= प्ररोहति=जन्म लेना। पो सादित=प्रसादयति=बैठाना पोसीदेत्=प्रसीदति=थोड़ा बैठना। पोस्ले =पश्चात्=पस् (फ़ारसी) पोस्लेद् निइ=पश्चात् नय = पिछला। पोस्लेदोवातेल=पश्चात् धावितर्=अनुगामी पोस्लुशानिये=प्रश्रूषणा= आज्ञाकारिता, तपस्या । पोस्मेर्ननिइ=पश्चात् मरण=अन्त्य परीक्षा (Post mortem) पोस्मेशित्=प्रस्यपत्=हंसाना । पोस्यात्=प्रस्वपिति=थोड़ा सोना पोस्तावित=प्रस्तावयति=रखना, उपस्थित करना, प्रस्ताव देना। पोसुखु=प्रशुष्क, खुश्क़ (फ़ारसी)=सूखा। पो तुखानिये (प्रतोषण), पो तुशिनत् (प्रतुषति)=बुझाना । पोचितात् = पूजति=सम्मान करना। पोचिनित्=प्रचिनोति=मरम्मत करना पोच् तोन्निइ=पूजनीय-माननीय । पोशिव्का=प्रसीव्यक=सिलाई प्र=प्र=महा प्रो विलो=प्रभूत=प्रबल प्रवितेल=प्रबवितर=शासक । प्रावितेल् स्त्वो= प्रभवितृत्व =राज्य, सरकार। प्रावो=प्रभु=कानून, अधिकार । प्रावोवेद=प्रभुवेद=कानूनदाँ प्रदेअद,प्रदेदुच्का=परदादा प्रमातेर्=प्रमातर्=जगन्माता प्ररोदितेल=प्ररोधितर=पुरुखा, वंशपिता। प्रेदातेल=प्रतिघातर्=देशद्रोही, विश्वासघाती प्रेद्(वे)विदेनिये=प्राग्वेदना= पहले जानना, भविष्य दर्शिता। प्रेद् गोरये=प्रतिगिरि=पहाड़ का मूल । प्रेद् सेदातेल्=प्रसीदितर्=प्रसीदन्त, प्रेसिडेण्ट, President प्रेद् स्कजानिये=प्राक् कथन=भविष्यवाणी। प्रेद् गदात्=प्राक् गदति=दूरदर्शिता प्रेझ् दे=प्राग् दा=पूर्वतः। प्रि= प्र प्रि विगात्=प्रवेजति-ले जाना, करने वाला। प्रिवेझात्=प्रवेजति=दौड़ना प्रिवोज़=प्रवह=जाना । प्रिनाक्=प्रज्ञक=चिह्न, सूचना। प्रिज्नानिये=प्रजानना=स्वीकार करना। प्रिकाज्=प्रकथ=आज्ञा प्रिनुदित्=प्रनुदति=स्वीकार करना। प्रिनातिये=प्रनीति=स्वीकार, स्वागत प्रिरोपादोक=प्रपातक=आक्रमण । प्रिरोद् =प्ररोह=प्रकृति। प्रिरोस्त=प्ररोत=उगना, बढ़ना। प्रिरुचात्=प्ररोचति=पालतू बनाना। प्रिसोस्का=प्रचू(शो)षक=चूसनेवाला । प्रिसितात्=प्रेषयति=भेजता है। प्रित्यनुत्=प्रतनोति=तानना। प्रिचितानिये=प्रचितना= शोक करना प्रियातेल्=प्रियातर=मित्र । प्रियात्निइ=प्रियत्नु=प्रिय प्रो=प्र=लिये, के । प्रोवेग =प्रवेग=दौड़ना प्रोब्लोक्=प्रभ्राज=प्रकाश । प्रोबुदित्=प्रबुध्यति=जागना, उठाना प्रोवोज्=प्रवह=शकट, भारढोने की गाड़ी। प्रोदपात्=प्रदापयति=बेचना प्रोदाझ=प्रदाक=बेची, विक्रय । प्रोदान्निइ=प्रदत्त=बिका । प्रोदिरात्=प्रदरति=चिराना । प्रोप्रोवेदनिक=प्रप्रवेदनिक=उपदेशक प्रोसित्=पृच्छति=पूछना, मांगना । प्रोतिव् =प्रतीप=विरुद्ध प्रोचिनात्=प्रचिन्तयति=पढ़ना प्रोच्= प्राच्=दूर दूर जाना(Ap-proach =निकट आना) प्रो-शि(वा)त् =प्रसीव्यति=सीना प्रो-श्लोये=पश्चा=पिछला प्रत्निक=पथिक=यात्री (Sputnic) प्रत्योका=पथीयिका=यात्रा प्रतेशेत्सिये=पथिकत्व=यात्रा प्रत्=पथ=मार्ग, सड़क पुन् यानित्सा=पानका=मदमत्ता प्यानिस्त्वो=पानकत्व=मत्तता पिशात्=पिंशति=प्रकाशना प्यातोक्=पंचक=पांच प्यात् ना द्वत्सत्=पञ्चदश=पन्द्रह (१५) प्यातो, प्यत्=पञ्च=पांच प्यातया=पञ्चतय=पांचवा प्यत् देस्यत्=पञ्च-दशाः=पचास (५०) राब्=रवति (सदा कार्य करने वाला)=दास। रवोता=रौता= श्रम से जीविका, मजदूर राद्, राध्=ह्राद, ह्लाद=प्रसन्न रादोवात्=ह्लादति=हर्षित होना रादोस्त=ह्लादित्व=खुशी राझ=राग =क्रोध राज़, रास्=प्रति, विर्, बिना, दुर् (उपसर्ग) रज् वेग्= वेग=दौड़ना रज् बोर्=वर चुनना, बांटना रज् ब्रदित=बुध्यति=जागना रज् वेदका=वेदका=खोजना रज् वेद् चिक्=वेदक=ढूंढ़नेवाला, Scout रइ=रै=स्वर्ग रन्=रण=घाव रस्ति=रोहति=उगना, बढ़ना रत् निक्=राति=योद्धा रत्=व्रात्=सेना र् देनिये=रोहणता=लालपना, रोब रे व्योनक=ऋभुक्=लड़का र् दोव्=रव=शेर का गर्जन रेवेत्=रवति=शोर करना रेज़निक=रेतक, रिंहक=कसाई रेका=रेखा, लेखा=नदी रेच=ऋक्=भाषण रिसोव्का=लेख, रेख,=रेखांकन रोग्=रोध्=परिवार, वंश रोदिना=रोधिनी, रोहिणी=जन्मभूमि। रोदितेलि=रोदितर=मातापिता रोदित्=रोहति=पैदा करना, जन्म देना (फ़ारसी-रोइदम्) रोझात्, रोझ् दात्, रोदित्स्या= रोधति=प्रसव करना रोझ् देनिये=रोहणा=जन्म । रोझोक्= शृङ्गक=छोटी सींग रोस्त्=रोह=वृद्धि । रुव्का=रुम्भका=काटना रुगात्=रिगाना,गाली देना, चिढना, शाप देना । रुसिइ=ऋषि=पिंगल, श्वेत। रिदात्=रोहति=रोना, सिसकना रिझिइ=रोह, लोह=लाल । रिचात्=ऋचति=शोर करना, चिल्लाना स्, स=सम् उपसर्ग (सह, लिये, से, ऊपर) सद्=सद्=उद्यान सदित् स्या, सझात्=सीदति=बैठना साम्=स्वयं सामो-वार्=स्वयं वाल=समावर, चूल्हा। सामो लेत=स्वयं उयन=विमान सानिइ=स्वयं साखर=शर्करा स् वेगात्=सवेगति=दौड़ जाना स् बोर=संवर, सम्भर=सभा स् वेदेनिये= सम्वेदना=ज्ञात, सूचना स् वेदेश्चिइ=सम्विद्वस=विद्वान्, निपुण स्व्योकोर्=श्वसुर-ससुर स्वेक्रोवि=श्वश्रू=सास स् वेर्ख=स्वर्ग=ऊपर स्वेत्=श्वेत=सफ़ेद, संसार, प्रकाश स्वेतत्, स्वेतित्=श्वेतति=प्रकाशना । स्वेत् लो=श्वेतल=प्रकाशमान स्वेतोच्=श्वेतक मशाल, दीपक स् विदानिय=संविदना=मिलना स् विदेतेल्=सम्वेतर्=गवाह। स्वेयो, स्नोइ=स्वीय=अपना स्वोइत्स्त्वो=स्वीयत्व=गुण, अपनापन । स्वोयाक्=स्वीयक=बहनोई स् व्यज्का=सम्वधक=मट्ठा सव्यज्=सम्बन्ध=बन्धना सेवे, सेव्या=स्वीये=अपने लिए सेगोद्न्या=स्वक् दिन=आज सेदेत्\श्वेतति=बाल सफ़ेद होना सेइ, सिया, सियो=स=वह सेपिसोतिइ=सप्तशती= सात सौ सेम्-ना-द्वत्सत्=सप्तदश (सात ऊपर दस) १७ सेम्=सप्त=सात, ७ सेम् देस्यत्=सप्त दशत्=सत्तासी ८७ सेम् सोत्=सप्त सत= सात सौ ७०० सेर् देत्से=श्रद् हृत्=हृदय सेस्त्रा=स्वसर=बहन सत्स्=सीदति=बैठता है=Sits सिदेन्=सीदना=बैठना सीला=शील=बल स्कज्=संकथा=कहानी स्कजात्=संकथयति=कहना स् कज्का=सकथका= कहानी स् कुचात्=संकुचति=उदास होना स्लवा= श्रव=यस स्लावित=श्रवति=यश बखानना, श्लोक करना स्लावनिइ=श्रवणीय=यशस्वी स्लेग्का= संलघुक=हल्का स्लुगा=श्रूषक=सेवक स्लुझान् का=श्रूषणिका=सेविका स्लुझ् बा=श्रूषणा=सेवा करना, काम करना। स्लुझित्=श्रूषति=सेवा, काम-काज स्लुख=श्रूषा=सुनना, कान स्लुशानिये=श्रूषणा=सुनना स्लु(स्लि)शात्=श्रूषति=सुनना स् मेझा(झि)त्=सं मेचति=आंख मींचना स् मेर्त्=सं मर्त्त= मृत्यु स् मेल्=सं मिश्=मिश्रण करना स्मेख्=स्मित=हंसना स्मेपात्स्या=स्मपति=हंसना, मुसकाना स्नेग्=स्नेह=हिम, बर्फ़-(Snow) स्नोवा=संजव=नया, ताजा स्नोखा=स्नुषा=नोह, पुत्रवधू सो=सम= स (उपसर्ग) सोवाका=श्वक्=कुत्ता सो विरनिये=संहरण=सभा एकत्र होना। सोवेत्=संवेत=सभा, मन्त्रणा-Soviet सोविरात्=संहरति=एकत्र करना सोवेत्निक=संवेतक= परामर्श दाता, सभासद, Counciller सोव् पदत्सम्पतति=सम्पत्ति, एक साथ पड़ना सोज्नातिये=संजनना=चेतना, ज्ञान, स्वीकार सो ज्नातेल=संज्ञातर=जाननेवाला। सो इति=सं एति=जाना सोल् न्त्से= सूर्य सोस्लेनिये=संमनता=सन्देह सोन्=स्वप्न सोन्निक=स्वप्नक=ज्योतिषी(स्वप्न का फल कहनेवाला) सोरात्निक्=सं आरातिक=सहयोद्धा सोसानिये=चूषणा=चूसना सोसेद्=संसद=साथ रहनेवाला, पड़ोसी (हस्सद्-फ़ारसी) सोसोक्=चूषक=स्तन का मुख सोस्ताव=संस्ताव=जोड़ना, गुंफना सोस्तोपानिये=संस्थापना=स्थिति, अवस्था। सोसूक्=रोक्=चूषा=चूसना, स्तन पीना सोत्=शत=सौ सोतिइ=सतीय=सौवाँ सोख़नत्=शुष्णति=सूखना स् पदानिये=सं पतना=गिरावट, पतन स् पोहवत्=सं पायपति=मदमत्त होना स्पान् ल्या=स्वप्नालय=शयनगृह स्पानियो=स्वपना=सुलाई, सोना स्पात्=स्वपिति=सोना स् प्यच्का=स्वपका=नीन्द स्रम=आश्रयम्(लज्जा)-शर्म-फ़ारसी Shame स्रेद्=श्रद्, ह्रद्=मध्य स्रेद् स्त्वो=हृत्त्व=मध्यता स्तावित=स्थापयति-रखना (प्रस्तावित)। स्तान्=स्थान=कैम्प, आकार स्तानोवित्=स्थानयति=रखना स्तानोक्=स्थानक=बेन्च स्तानिक्या=स्थानका=स्टेशन स् त्योसिवात्=संतक्षति=काटना स्तो=शत=सौ स्तोइत्=स्थिति=ठहरना स्तोइ=स्थाहि=ठहर स्तोकिइ=स्थायुकीय=दृढ़ स्तोल्=स्थल स्थाने (धातुपाठ १/५७७)-टेबुल Stool स्तोयानियो=स्थानि=खड़ा होना स्तोयात्=स्थायति=खड़ा होना स् त्राख़=संत्रास=भय, लड़ाई स् त्राशित्=संत्रस्यति=आतंकित होना स् त्रशानिये=संत्रासना=डराना सुदार् न्या=सु-दारा=महिला सुदा=सु-दान्=भद्र पुरुष सुत्=सत्=सत्त, सार सोखो=शुष्क-सूखा सोखोवेई=शुष्कवायु=सूखा, सूखी हवा सुखोपुत् निइ=शुष्क पथ=स्थल मार्ग सुखोसव=शुष्कत्व=सुखाव सुशा=शुष्क=सूखी भूमि सुशे=शुष्कीयस्=अधिकतर सूखा सुशेनिये=शोषणा=सुखाई सुशित्=शुष्यति=सूखना सुष्का=शुष्का=सूखना सूप=सूप=मांस रस Soup स् चितात्=संचितति=गिनना सिन्=सूनु=पुत्र Son स् युदा=इह, इध=यहाँ स्यक्=एताहक्=ऐसा स्यम्=तत्र=वहाँ ता=सा=वह She तोत्=तत्, एतत्=वह That तो=तद्=वह तइत्=त्यति=छिपाना, शाप देना तइना=तायना=रहस्य भेद ताक्=तद्वत्=ऐसा ताक् झे=त एक हि=भी ही त्वोइ, त्वोया, त्वोयो=त्वदीय=तेरा । तेमनेत्=तमस्यति=अन्धेरा करना तेम्नो=तमस्=अन्धेरा, अस्पष्ट तेप् लेत्=तप(ल)ति=गर्म होना तेप् लो=तपल=गर्म तेप लोता=तप-लता=फ़ैलती आँच तेर् जानिये=तर्जना=सताना, चीरना । तेसानिये=तक्षण=काटना, फोड़ना तेसात्=तक्षति=काटना तेसनित्=तीक्ष्णोति=दबाना, गारना तोतिवा=तन्तुव=धनुष की डोरी त्य्प्त्का, त्योत्या=ताती=चाची, बुआ तिखिइ=तुषी=शान्त, नीरव तो=तद्=वह (वस्तु)-नपुंसक लिंग तोग्दा=तदा=तब तो एस्त=स अस्ति=वह है तोनिन्का, तोन्किइ=तनुका, तन्वी=पतली तोपित्=तपति=तपाना, पिघलाना तोइका=तपका=लानटेन की बत्ती, गर्माना तोत्=स=वह (पुल्लिंग) तोचेनिये=तक्षणा, तीक्षणता=घिसना, तेज करना तोच्योनिइ=तीक्ष्ण=छेनी तोचिल्का=तक्षालिका=घिसने का पत्थर तोचिल्न्या=तक्षलका=घिसने की चक्की। तोचित्=तक्षति=घिसना, तेज करना त्रवा=दूर्वा, तृण=घास, बूटी। त्राव्का=दूर्वका=पत्ती, घास त्रेतिइ, त्रेत्=तृतीय=तीसरा त्र्योख्=त्रिक=तीन त्रि अदा=त्रिधा=तीन प्रकार त्रिन्द् त्सत्=त्रिंशत्=तीस ३० त्रिझंदि=त्रिधा=तीन बार त्रिनाद् त्सत्=त्रयोदश=तीन ऊपर दस (१३) त्रिस्ता=त्रि सत=तीन सौ त्रोइका=त्रिका=तीन का समूह त्रुसित्=त्रस्यति=भय करना त्र्यसेनिये=त्रसना=काँपना, डोलना त्र्यसि=त्रस्यति=काँपना, डोलना तुदा=तत्र=वहाँ तुमान्=धूमन्=भाप, कुहरा, धुआँ- फ़ारसी--इद्मान् तुषित्=तुषति=बुझाना ति=ते=तू त्मा=तम=अन्धकार त्फुथू=स्थीपि=थूकना त्यानत्=तनोति=तानना, खींचना । उ=उद्=अबकी उबेबात्=उद्वेजति=भाग जाना उवेदित्=उद्वेदयति=समझाना उबित्=उद् भिन्दति=मार डालना उबितोक्=उद् भित्क=क्षति, हानि उव् झात्=उद् भजति=सम्मान करना । उगोल्=इंगाल्, अंगार=कोयला उदाल्=उद्दार=साहस (उद्दालक) उदार=उद् दार्, विदार=चोट, आघात, ओदार (भोजपुरी) फ़ारसी=दरीदन् उदारित्=उद्दारयति=मारना, चोट करना । उझे=उद् हि=पहले ही उइति=एति=जाता है उकाज=उत् कथ=आज्ञा उलेतात्=उड्डयति=उड़ता है उनिझेनिय=अवनीचता=नीचा दिखाना उस्त=उत्स=मुंह, ओठ उस्त् ये=ओष्ठ=ओठ उख्=उ =ओह, आह उचेनिये=ऊचना=पढ़ाना, सिखाना (वाचन) उचीतल=ऊचितर=शिक्षक उचित्=ऊचति, वक्ति=सीखना, सिखाना फु( ) यू=धिक् करना ख़्वाला=स्वर, ख्याति=प्रशंसा करना ख़ोलोद्=शरद्=सर्दी खुदेलिये=क्षुद्रणा=पतला होना खुदोइ=क्षुद्र=बुरा होना खुदिरका=क्षुद्रिका=पतली, तरुणी त्स्वेत्=श्वेत=रंग, फूल त्सेलो=सकल=सारा त्सेन्त्र=केन्द्र=Centre चशा=चष=प्याला चशेश्का=चषक=प्याली चष्का=चषक=प्याली चेइ=कस्य=किसका जिसका चेरेप्=कर्प(र)=खोपड़ी Scull चेत्वेरो=चत्वारि=चार चेत्वेर्=चतुर्थ=चौथाई चेतिर्=चत्वारि=चार चेतिरेझ्द्=चतुर्धा=चार बार चेतिरेस्त=चतुः सत=चार सौ। चेतिर् ना दत्सत=चतुर्दश=चौदह चिनित्=चिनोति=मरम्मत करना, पैबन्द लगाना। चितातेल=चिन्तयितर=पाठक चितात्=चिन्तयति=पढ़ाना चिख़ानिये=छिक्कणा=छींकना च्मोकात्=चुम्बति=चूमना च्तो=कति, किं=क्या, (फ़ारसी-चि) सकाल्=शृगाल=गीदड़(फ़ारसी-शंगाल) शेअप्तात्=शपति=पुकारना शेस्ति-द्नेव्का=षट् दिनक=षडह (६ दिन) शेस्त=षट्=छः (Six) एइ=अपि=भी एता=एता=यह, वह एतत्=एष=यह (पुल्लिंग) युनोस्त्=युवत्व=जवानी (Youth) युनि=यून=जवान यावित्,याव्ल्यात्=आयाति=दिखलाना। याव्का=आवक=वर्तमान याव् लेनिये=आवना=प्रगट होना सामाजिक विश्लेषण भूमि वर्ग जेम्ल्या=ज्या=जमीन प्रत्=पथ=मार्ग गोरा (गरा)=गिरि= पर्वत दोलिना(दलिना)=द्रोणी=दून कामेन्=अश्मन्=पत्थर ऊदक वर्ग वोदा (वदा)=उद=पानी वोद्का=उदक=शराब पेना=फेन स्नेग्=स्नेह (नक्क नाशने १०/६२)=बर्फ (nag=बाधा) ल्योद्=रोधस्=बर्फ़, रूर नदी अग्नि वर्ग ओगोन=अग्नि उगार=अंगार उगोले=अंगार झार, झारा=ज्वाला तेम्नो=तम (अन्धेरा) Dim तुमान्=धूम=धुआँ, कुहरा दिम =धूम वायु वर्ग वेतेर्=वात (वाद-फ़ारसी) नभ वर्ग स्वेर्ख=स्वर्ग नेवो=नभस्=आकाश ओब्लका=अभ्र=बादल सोल्न् त्से=सूर्य मोल्निया=मालिनी=बिजली काल वर्ग देन=दिन नोच=निशा, नक्त=रात Nox मेस्यत्स=मास लेत=ऋतु (वर्ष) वेस्ता=वसन्त ज़िमा=हिम (हेमन्त) वृक्ष वर्ग देरेको=दारुक (वृक्ष) द्रोवा=दारु =इन्धन वेर् योजा=भूर्ज (भोज वृक्ष) त्रना=तृण पशु वर्ग झिवोत्नोये=जीवन्तु, जन्तु, प्राणी पेस्=पशु रोग=शृंग सोबाका=श्वक=कुत्ता ओलेम्=हरिण शकाल=शृगाल मेद्वेद=मध्वद=भालू मिस=मूष ओखोता=आखेट ओवेम, ओव्का=अवि=भेंड़ गोव्य्-द्न्या=गोअदनीय=गोमांस वोल्=बैल वोल्क=वृक=भेड़िया शस्त्र बर्ग पाल्का=फलक=डण्डा ओस्=अक्ष=धुरा द्वगो=युग=जुआ पात्र वर्ग कुवोक्=कूपक=प्याला-Cup कुवशिइ=कूपिका=लोटा चष=चषक=प्याला चश्का==चषक=प्याला आहार वर्ग एदा=अद=भोजन-Eat एदोक=अता=भक्षक सूप=सूप=मांस रस म्यासो=मांस क्रोव=क्रव्य=रुधिर म्योद्=मधु=शहद पीवा=पीबा=पेय (हलकी शराब) वस्त्र वर्ग कोझा=कोष=कपड़ा-Cloth नगीइ=नग्न=नंगा नगोला=नग्लल=नग्न शिवात्, शित्=सीवन ओदेवात् स्या=अधिवास=पहनना शरीरांग वर्ग ग्रिवा=ग्रीवा=गर्दन गल=गल गोलोवा=गाल=सिर गोर्लो=गल=केश ग्लवा, ग्लोत्का=गल =सिर चरेप=कर्पर=कपाल गुब्=गोपायति (बोलना, चमकना)=दांत ओचे=अक्षि=आंख पा=पाद=चरण