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मशहूर शायर शहरयार नहीं रहे PDF Print E-mail
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Tuesday, 14 February 2012 09:36

अलीगढ़, 14 फरवरी (एजेंसी) उर्दू के मशहूर शायर, गीतकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित अखलाक मोहम्मद खान का आज यहां निधन हो गया। वह ‘शहरयार’ के नाम से मशहूर थे और 75 वर्ष के थे।
पारिवारिक सूत्रों ने यहां बताया कि शहरयार फेफड़े के कैंसर से पीड़ित थे और उनका आज शाम करीब पांच बजे अलीगढ़ स्थित अपने आवास पर निधन हो गया। उनके परिवार में दो बेटे तथा एक बेटी हैं।
बरेली के आंवला क्षेत्र के मूल निवासी शहरयार को पिछले साल साहित्य के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार :2008: से नवाजा गया था। उन्हें 1987 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उन्होंने ‘कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता...’, ‘इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं’, दिल चीज


क्या है आप मेरी जान लीजिए’, ‘सीने में जलन आंखों में तूफान सा क्यों है?’, इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है...’ जैसे अमर गीतों की रचना की थी।
मुख्यमंत्री मायावती तथा राज्यपाल बी0एल0 जोशी ने शहरयार के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
शहरयार ने ‘उमराव जान, गमन, अंजुमन’ सहित कई फिल्मों के गीत भी लिखे। वह अलीगढ़ विश्वविद्यालय में उर्दू के प्रोफेसर और उर्दू के विभागाध्यक्ष रहे थे। उनके कुछ काव्य संग्रह भी प्रकाशित हुए थे।
उनकी कुछ प्रमुख कृतियों में ‘ख्वाब का दर बंद है’, ‘शाम होने वाली है’, ‘मिलता रहूंगा ख्वाब में’ शामिल हैं।
एएमयू के प्रवक्ता के मुताबिक शहरयार के पार्थिव शरीर को कल दोपहर विश्वविद्यालय के कब्रगाह में सुपुर्द-ए-खाक किया जायेगा।

 
 

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