-
राजनीति
सरकार ने की युवाओं को ग़लत समझने की ऐतिहासिक ग़लती ; देश ने रोक ली
Posted by Kalpesh Yagnik
-
राजनीति
कौन कहता है यह चुनावी बजट नहीं है? जरूर है। जानिए, कैसे?
Posted by Kalpesh Yagnik
-
राजनीति
देश को महत्व देंगे तो जख्म भर जाएंगे
Posted by Chetan Bhagat
-
राजनीति
भास्कर विश्लेषण: हर पहलू में राजनीति इसलिए ढेर सारे अर्थ
Posted by Kalpesh Yagnik
-
राजनीति
कहां गए वो जुनूनी कांग्रेसी; वो नौजवानों की अनंत भीड़?
Posted by Kalpesh Yagnik
-
व्यंग्य
वे चिंतित हैं : देश कहीं गर्त में न गिर जाए!
Posted by Anuj Khare
-
राजनीति
ब्रांड मोदी के आगे सब बौने
Posted by Rajdeep Sardesai
-
विविध
आज मुझे अपने पुरुष होने पर शर्म आ रही है
Posted by Gyan Gupta
सरकार ने की युवाओं को ग़लत समझने की ऐतिहासिक ग़लती ; देश ने रोक ली
सारा देश, कोई दस दिन से आक्रोशित था। घर-घर में बात हो रही थी। तीखी बात। हर कोई पूछता : आखिर सरकार को हो क्या गया है? वह हमारे 16 साल के बच्चों को सेक्स के लिए उकसाना क्यों चाहती है? 'भास्कर' ने देश में सबसे पहले 'संबंधों' की उम्र कम किए जाने के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया। जन युद्ध।...
कौन कहता है यह चुनावी बजट नहीं है? जरूर है। जानिए, कैसे?
हमेशा वित्तमंत्री चाणक्य का मूलमंत्र बताते रहे हैं कि ‘कर ऐसे जुटाएं कि किसी को पता ही न चले।’ इस बार उलटा किया : ‘बजट में वोट की राजनीति इस तरह की कि किसी को पता ही न चला’ ...
देश को महत्व देंगे तो जख्म भर जाएंगे
आने वाले सप्ताह में भारतीय इतिहास के एक काले अध्याय गोधरा में ट्रेन को जलाए जाने और इसके बाद हुए दंगों की 11वीं सालगिरह होगी। इस घटना को मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर भरपूर जगह दी गई है। इसके विविध पहलुओं की चर्चा की गई है। इसका विश्लेषण किया गया है। इसने देश की राजनीति...
भास्कर विश्लेषण: हर पहलू में राजनीति इसलिए ढेर सारे अर्थ
प्र. अफजल की फांसी को इतना गोपनीय क्यों रखा गया?उ. मामला नाजुक था। कई पहलुओं से गुप्त रखना न सिर्फ अनिवार्य था वरन् सबसे प्रभावी तरीका भी। एक शब्द की भनक लगते ही हंगामा हो सकता था। शोर वैसे बाद में भी मच सकता है/ मचता ही है। किन्तु 'बाद' में कुछ बचता ही नहीं है। खुदकुशी जैसा...
कहां गए वो जुनूनी कांग्रेसी; वो नौजवानों की अनंत भीड़?
'आज का नया भारत अपनी आवाज़ बुलंद करने में ज्यादा सक्षम है। नेताओं से नौजवान अपना हक मांग रहे हैं और वे अब ज्यादा सहन करने को तैयार नहीं हैं।' -जयपुर कांग्रेस चिंतन शिविर में सोनिया गांधी, 18 जनवरी 2013एक-सवा...
वे चिंतित हैं : देश कहीं गर्त में न गिर जाए!
हैं तो वे मूलत: हमारे पुराने मित्र। ऊपर से संवेदनशील हैं। स्वाभाविक है इंसान हैं तो होंगे ही.. जब-तब भावनाओं में बह जाते हैं। हर राष्ट्रीय मुद्दे पर उद्वेलित हो जाते हैं। कांपने लगते हैं। ज्यादा गुस्सा हो जाते हैं तो खांसने भी लगते हैं। ‘हैं जी! क्यों होगा जी! देश गर्त...
ब्रांड मोदी के आगे सब बौने
नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी सफलता गुजरात की विकासगाथा को अपने साथ जोड़ने की उनकी काबिलियत है। चुनावी समर के दौरान गुजरात में घूमना किसी शहंशाह के साम्राज्य में विचरण करने जैसा है। इससे पहले कभी किसी राज्य के चुनाव पर किसी एक शख्सियत का इतना प्रभाव नहीं रहा, जितना...
आज मुझे अपने पुरुष होने पर शर्म आ रही है
दिल्ली में 23 साल की छात्रा से गैंगरेप ने समूचे समाज को हिलाकर रख दिया है। क्या इससे बर्बर भी कुछ हो सकता है? इस घटना के बाद पूरा शहर खौफ में है। यह आतंकी हमले से भी वीभत्स है, क्योंकि इससे न सिर्फ दिल्ली डरी-सहमी है बल्कि देश के लाखों नागरिक भी खौफ में हैं। समाज में...
राजनीति
कहीं ऐसी तो नहीं है सरबजीत की रहस्यमय कहानी
‘एक बार एक पागल ने पूछा: सुनो, ये पाकिस्तान क्या है? काफी सोचकर दूजे ने जवाब दिया - पाकिस्तान, दरअसल हिंदुस्तान में एक जगह है, जहां उस्तरे बनते हैं! ’ - सआदत हसन मंटो की कालजयी कहानी टोबा टेक सिंह से तोशेखाने के घड़ियाल...
सियासी मंच से देश चिंतन...
व्यंग्य
बड़े मंचों से अपनी बात कहने का बड़ा कायदा होता है। जोरदार सलीका होता है। अक्सर कायदा इतना कायदे का हो जाता है या सलीका इतना सलीकेदार हो जाता है कि इनके चक्कर में मूल मुद्दा ही गुम हो जाता है। आइए देखते हैं कैसे..?गंभीर चर्चा के लिए सियासी मंच सजा है। मुद्दा गंभीर है। साथ...
किसी तरह की परीक्षा दे रहे हैं? तो इसे जरूर पढ़िए
राजनीति
‘हमसे बड़ी गलती हो जाएगी, इस भय के साथ जीना ही सबसे बड़ी गलती...
शू-स्वागतम् : दोहरे चरित्र से बनी परम्परा
राजनीति
'जूता ग़लत है। मुशर्रफ को जनमत और कानून बाहर फेंक देंगे।' - हामिद मीर 29 मार्च 2013 ट्विटर परपाकिस्तान लौटे पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ पर जूता फेंकना किस बात का प्रतीक है? लोग उनसे घृणा कर रहे हैं? या विरोधी दल उनसे डर गए हैं?...
100 महिलाओं पर ज़्यादती चलेगी, किन्तु किसी एक यौन अपराधी पर ज़्यादती नहीं होने देगी यह सरकार!
राजनीति
'चाहे 100 अपराधी छूट जाएं, किसी एक निर्दोष को सज़ा नहीं होनी चाहिए' - भारतीय कानून की मूल भावना के रूप में चर्चित वाक्य इसी से प्रेरित इस बार के कॉलम की हेडलाइन यह...
सरकार 16 साल के बच्चों के ‘संबंध’ वैध करने जा रही है; आप कुछ कहेंगे नहीं?
राजनीति
'16 क्या, सेक्स संबंध तो 14 वर्ष के बच्चों के मान्य होने चाहिए क्योंकि वे अब ‘सहमति’ और शोषण में अंतर बखूबी समझते हैं।' - केंद्रीय कानून मंत्रालय का नोट 6 मार्च 2013 को। 'हर दूसरी भारतीय लड़की की कम उम्र में शादी की जा रही है। 470 बच्चियां यहां 18 से...
दिल नहीं, ज़रा दिमाग से सोचिए जनाब!
विविध
लोग कितने भावुक और मूर्ख हैं। जिधर हवा चली, उधर हो लिए। मीडिया ने जो कहा वही मान लिए। कुंडा में गांव वालों ने डीएसपी की हत्या की, तो लोगों ने राजा भैया को दोषी ठहरा दिया। बिना यथास्थिति जाने हवाबाजी करने लगे। मीडिया ने भी अपना फैसला सुना दिया। हर तरफ एक ही...
Featured Bloggers
-
Kalpesh Yagnik
दैनिक भास्कर समूह के नेशनल एडिटर ...और पढ़ें -
Chetan Bhagat
चेतन भगत एक भारतीय लेखक हैं। नॉवेल, स्टोरीज़ और कॉलम लिखने के साथ साथ वे एक ...और पढ़ें -
Rajdeep Sardesai
राजदीप सरदेसाई पत्रकारिता जगत के जाने माने हस्ती हैं। वे फिलहाल आईबीएन 18 ...और पढ़ेंऔर देखें