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Sharabha

शिव का शरभ अवतार 

 हिरण्यकशिपु का वध करने के पश्चात् भी जब नृसिंह रूप विष्णु जी का क्रोध शांत न हुआ तो देवताओं के अनुरोध पर प्रहलाद ने नृसिंह भगवान् की स्तुति करके उनके क्रोध को शांत करने की पूरी चेष्टा की परन्तु उन्हें सफलता नहीं मिली तो चिंतित देवता भगवान् शिवजी  की शरण में आये ! 

शिवजी ने प्रलयंकर भैरवरुपी महाबली वीरभद्र को शान्ति वेश धारण कर नृसिंह के पास भेजा ! वीरभद्र ने जाकर नृसिंह जी से कहा की भगवान् शंकर के निर्देश पर जिस उद्देश्य से आपने यह रूप धारण किया, वह कार्य संपन्न हो गया हैं, अतः अब आप भीषणता त्याग दीजिये ! नृसिंह न माने और अपने को ही सभी शक्तियों का प्रवर्तक तथा निवर्तक बतलाया ! इस पर शिवजी का कठोर तेज प्रकट हुआ  और शरभ रूप धारण कर उन्होंने नृसिंह को अपनी भुजाओं में बाँधकर इस प्रकार जकड़ लिया कि वह अत्यंत व्याकुल हो उठा ! शरभ नृसिंह को उठाकर कैलाश पर ले आये और वृषभ के नीचे लाकर दाल दिया ! वीरभद्र ने नृसिंह के सम्पूर्ण अवयवों को अपने में लय कर दिया ! अपना दुःख दूर होने पर देवताओं ने कृतज्ञतावश भगवान् शंकर की स्तुति वंदना की !
 
शिव का शरभ अवतार का परिचय
 
हिन्दू अवधारणा के अनुसार शिवजी का शरभ अवतार सिंह और पक्षी दोनों ही के सामान गुणों से युक्त माना गया हैं ! संस्कृत देवनागरी के प्रमुख श्रोतों के अनुसार शिवजी का शरभ अवतार एक आठ पैरों वाले योगिक वृति के सदृश्य हैं जो की शेर और हाथी से भी शक्तिशाली और जो शेर को मारने में सक्षम ! 
 
 
शिवजी का शरभ अवतार शरभेश्वर और शर्भेश्वमुर्ती के नाम से भी प्रशिद्ध हैं !

 पुराण वेदों के अनुसार

पुराणिक श्रोतों के अनुसार शरभ शिवजी के अवतार हैं, जिन्होंने विष्णु जी के विभत्स रूप नृसिंह अवतार पर नियंत्रण के लिए  अवतरित हुए थे! 
शिवजी का शरभ अवतार तथा विष्णु जी का नृसिंह अवतार के बीच हुए युद्ध में यह युद्ध शैव सम्प्रदाय तथा वैष्णव सम्प्रदाय के बीच  एक प्रतिद्वन्द को भी प्रदर्शित करता हैं ! 
 
 शिव पुराण के अनुसार 
 
शिव पुराण में, शरभ अवतार को हज़ारों भुजाओं से युक्त, शेर के मु वाला, बाल जटाओं से युक्त, पक्षी के सदृश्य पंखों से युक्त तथा आठ पैरों वाला दर्शाया गया हैं ! 
 
शरभ उपनिषद के अनुसार 
 
narasimhaHara

 शरभ उपनिषद में शरभ अवतार को दो मुख वाला, दो पंखो, आठ पैरों वाले शेर जिसकी तेज और कठोर जबड़े के साथ एक लम्बी पूछ में दिखाया गया हैं !

 

 

कालिका पुराण के अनुसार 

 

 कालिका पुराण, जिसमें शैव के शरभ अवतार को विष्णु के वराह अवतार पर नियन्त्रण के लिए दिखाया गया हैं ! विष्णु का वराह अवतार - तथा शिवजी के शरभ अवतार को श्याम वर्ण, चार पैरों वाला और भव्य काया से निरुपित किया गया हैं ! जिसका की एक लम्बा मुख, नाक, नाख़ून, आठ पैर, आठ गजदंत, केशों का समूह और एक बड़ी पूछ हैं ! यह बहुत ही तेजी से गमन करता हैं जिसके साथ एक तेज ध्वनी भी उत्पन्न होती हैं ! 
 
सर्बेश्वर्मुर्ति के अनुसार 
 
सर्बेश्वर्मुर्ति में स्थित संकेताक्षरों में विशिष्ट रूप से लिखित अक्षरों में खामिकगामा और श्रीतात्त्वनिधि माने जाते हैं ! खामिकगामा के लिखित अक्षरों के अनुसार शरभ अवतार को सोने के रंगों वाले पक्षी के द्वारा दिखाया गया हैं साथ ही दो मजबूत पंख, दो लाल आँख, चार पैर जमीन को श्पर्श करते, चार पैर ऊपर की तरफ पंजा मरते हुए तथा एक लम्बी पूछ !
अर्ध ऊपरी भाग मनुष्य की तरह जबकि मुख को शेर का और सर में मुकुट भी शोभायमान हैं ! किनारों में स्थित गजदंत से शरभ रूप और भी प्रलयंकारी प्रतीत होता हैं ! 
इन चित्रों में नृसिंह अवतार को शरभ अवतार के पैरों में प्रार्थना करते भी दिखाया गया हैं ! 
 
 
श्रीतत्त्वनिधि के अनुसार 
 
श्रीतत्त्वनिधि में शर्बेस्वरमूर्ति के लिए लिखितलिपि द्वारा लिखा गया हैं कि शर्बेस्वरमूर्ति की तीस भुजाओं वाला, दाहिनी हाथ में वज्रपात, मुष्टि, अभय चक्र, शक्ति, सदस्य, लाठी, तलवार, खात्वंगा, कुल्हाड़ी, अक्षमाला, हड्डी, धनुष-कमान, मूसल और आग जबकि बाएँ हाथ में फंदा, वरदा, गदा, बाण, झंडा, अलग तरह का तलवार, सर्प, कमल पुष्प, खोपड़ी, पुस्तक, हल, मृदंगा, और एक हाथ से दुर्गा माँ को गले लगाते हुए दिखाया गया हैं ! इस तरह इस रूप को शौभाग्य वर्धक, सभी रोगों से मुक्त तथा शत्रुओं को परास्त करने वाला दिखाया गया हैं ! 

 

 

 

 
 
 
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Discussion started by sujata mishra , on 931 days ago