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सीतामाता नेशनल पार्क के लिए पुन: सवे |
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सीतामाता नेशनल पार्क के लिए पुन: सवे
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सीतामाता नेशनल पार्क के लिए पुन: सवे सेंचुरी को राष्टीय उद्यान घोषित करने के संबंध में हो रहे पयास
जयपुर (एसएनबी)। चित्ताैड़गढ़ स्थित सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य क्षेत को राष्टीय पार्क घोषित कराने की बहुपतीक्षित मांग के संबंध में वन विभाग फिर से सवे करा रहा है। इसके लिए एक स्वतंत एजेंसी को अधिकृत किया गया है।
उप वन संरक्षक वन्यजीव की ओर से कुछ समय पूर्व सीएम को भेजी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। इस संबंध में ‘विचार एक-संगठन अनेक के अध्यक्ष भगवत सिंह शक्तावत के पत पर मुख्यमंती वसुंधरा राजे ने विभाग से जानकारी मांगी थी। विभाग ने बताया कि सीतामाता सेंचुरी को राष्टीय उद्यान घोषित करने के संबंध में स्वतंत एजेंसी से तीन बिंदुओं पर सवेक्षण कराकर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। इसमें पस्तावित क्षेत में स्थित गांवों की भौगोलिक स्थिति व उनके विस्थापन के संबंध में कठिनाइयों, मौजूद वन्यजीव व वनस्पति को सूचीबद्ध करना व अजा, जजा परिवारों की संख्या, जनजाति अधिनियम के तहत कारवाई का उल्लेख होगा।
सवेक्षण तथा विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए गीन फ्यूचर फाउंडेशन उदयपुर को अधिकृत किया गया है। इसकी रिपोर्ट राज्य वन्यजीव मंडल की स्थाई समिति में विचार के लिए पस्तुत होगी। इस समिति की मीटिंग में निर्णय अनुसार आगामी कारवाई होगी। उल्लेखनीय है कि 114 किलोमीटर क्षेत में फैली इस सेंचुरी में कई दुर्लभ वनस्पति, वन्यजीव है। इसे नेशनल पार्क का दर्जा दिलाने की मांग बरसों से उठ रही है लेकिन अक्सर इसके बाद तैयार होने वाली रिपोर्ट में ही यह मांग दब जाती है। सीतामाता सेंचुरी में करमोई, जाखम, सीतामाता, नालेश्वर आदि नदियां बहती है। इनमें से करमोई नदी पूरे साल बहती है। इस सेंचुरी में पैंथर, चीतल, सांभर, नीलगाय लेंगूर, बिल्ली, खरगोश, चौसिंगा देखने को मिलते हैं।
चित्ताैड़गढ़, पतापगढ़ और उदयपुर जिले के क्षेत में फैले वन क्षेत में सीतामाता अभयारण्य की स्थापना दो जनवरी 1979 को की गई थी। लगभग 423 वर्ग किमी क्षेतफल में फैले सेंचुरी में सघन वन, पहाड़ियों के बीच अत्यंत पुराना धर्म स्थल सीतामाता के नाम से है। पत्येक वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या पर मेला लगता है। इस जंगल में मुख्य तौर पर सागवान, सालर, गोदल, खैर, महुआ, पलाश, बहेडा, चंदन, सेमल, आंवला, बांस पाए जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद सिंह खोडियाखेड़ा ने बताया कि एक बरगद का पेड़ किसी समय 12 बीघा में फैला हुआ था, जो आज हालांकि एक-दो बीघा में सीमित रह गया है। Source:PTI, Other Agencies, Staff Reporters टिप्पणियां (0 भेज दिया):
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