Budget 2016

सियाचिन का बहादुर : रोज़ 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे हुनमंतप्पा

EMAIL
PRINT
COMMENTS
सियाचिन का बहादुर : रोज़ 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे हुनमंतप्पा

सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन के बाद हनुमंतप्पा 25 फीट बर्फ में दब गए थे

नई दिल्ली: लांस नायक हनुमंतप्पा कोप्पड़ को करीब से जाने अभी हिंदुस्तान को सिर्फ चार दिन ही हुए थे कि गुरुवार को वह दुनिया छोड़कर चल बसे। 33 साल के हनुमंतप्पा ने दिल्ली के आर्मी अस्पताल में दम तोड़ दिया। सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन के बाद हनुमंतप्पा 25 फीट बर्फ में दब गए थे और घटना के छह दिन बाद राहतकर्मियों ने उन्हें खोज निकाला था। उनके नौ साथी इस हिमस्खलन में मारे गए थे और हनुमंतप्पा बेहद ही नाज़ुक हालत में पाए गए थे। अफसरों का कहना है कि 'एयर पॉकेट' ने उन्हें बचा लिया।

घर आने का वादा
हनुमंतप्पा के जानने वालों के लिए वह हमेशा ही एक योद्धा रहे और दोस्त और रिश्तेदार उन्हें 'सख्त लेकिन मृदुभाषी' शख्स बताते हैं। हनुमंतप्पा के जाने के बाद उनके पीछे पत्नी और दो साल की बेटी है। बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने परिवार से हिमस्खलन के ठीक एक दिन पहले बात की थी और उन्होंने छुट्टियों में घर आने का वादा किया था। हनुमंतप्पा का नाम हनुमान के नाम पर रखा गया है जो हिम्मत, ताकत और निष्ठा के लिए जाने जाते हैं।
 
हनुमंतप्पा का गांव कर्नाटक में था

उनका पालन पोषण कर्नाटक में हुआ जहां वह हर रोज़ 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाया करते थे। सेना ने उन्हें तीन बार अस्वीकार किया लेकिन उन्होंने भी तब तक हार नहीं मानी जब तक वह सेना में भर्ती नहीं हो गए। उनके भाई कहते हैं कि वह पैदाइशी योद्धा था। हनुमंतप्पा के गांव से कई युवक सेना में भर्ती होते आए हैं और इसी से उन्हें भी प्रेरणा मिली थी। लांस नायक के साथी उन्हें एक योग एक्सपर्ट की तरह याद करते हैं जो उन्हें सांस लेने की कई कसरतें बताते थे। कईयों का कहना है कि इतनी गहरी बर्फ के नीचे उनके जिंदा रहने के पीछे की वजह भी कहीं न कहीं योग ही है। 10 मद्रास रेजिमेंट का हिस्सा रहे हनुमंतप्पा को हाल ही में सियाचिन बदली कर दी गई थी।

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे...

Advertisement

 
 

Advertisement