बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले उतरेगी शिवसेना, 150 से अधिक सीटों पर उतारेगी उम्मीदवार
Reported by Bhasha , Last Updated: रविवार सितम्बर 20, 2015 08:46 PM IST
पटना: बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने अकेले ही बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। पार्टी राज्य की 243 सीटों में से 150 से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी। शिवसेना के इस फैसले से बीजेपी को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
शिवसेना के प्रांतीय सम्मेलन को संबोधित करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय राउत ने बताया कि उनकी पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव को गंभीरता के साथ लिया है और अकेले अपने दम पर हमारी तैयारी 150 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की है।
उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया करीब करीब पूरी हो गयी है और उम्मीदवारों की पहली सूची एक या दो दिन में हम जारी कर देंगे। सीमांचल में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) के चुनावी मैदान में उतरने के बारे में पूछे जाने पर संजय ने कहा कि ‘अमृत’ के साथ ‘जहर’ की कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए क्योंकि शिवसेना देश से ‘जहर’ को समाप्त करने का काम करती है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत धर्मनिरपेक्ष महागठबंधन का वोट काटने के लिए ओवैसी की इस चुनाव में किसी के द्वारा ‘एंट्री’ कराए जाने तथा ओवैसी को ‘जहर’ फैलाने के लिए भेजने के बारे में उन्होंने कहा कि राजनीति में ऐसे दांवपेच चलते हैं, जब चुनाव के नतीजे सामने आने पर इसका खुलासा हो जाएगा, पर ओवैसी एक ‘जहर’ हैं, उनके जैसे लोगों की राजनीति अगर इस देश और समाज में बढ़ेगी तो देश एकबार फिर टूटेगा। इसलिए शिवसेना बिहार में मजबूती के साथ खड़ी होना चाहती है। शिवसेना में देश को अखंड और हिंदू राष्ट्र बनाने की ताकत है।
केंद्र और महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ सत्ता में होने के बावजूद शिवसेना के बीजेपी के साथ मिलकर बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने के बारे में संजय ने कहा कि उनकी पार्टी हिंदी भाषी प्रदेशों में अपना जनाधार बढ़ाना चाहती है और लोगों को ताकत देना चाहती है। ऐसे में हमने अपने बलबूते चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव में कोई भी सरकार उनके समर्थन से नहीं बनने और इस प्रदेश में अगली बनने वाली सरकार में उनकी पार्टी का भी मंत्री होने का दावा किया।
एक सवाल के जवाब में संजय ने कहा कि किसी और पार्टी की भूमिका क्या है उस पर वे चर्चा नहीं करना चाहते। यह चुनावी माहौल है लेकिन शिवसेना ने कभी ‘नकाब’ पहनकर राजनीति नहीं की। हमारा चेहरा असली हिंदुत्व का है और केवल हिंदुत्व ही नहीं बल्कि प्रखर हिंदुत्व का है। हिंदू राष्ट्र की बात करने वाली सिर्फ हमारी पार्टी है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत धर्मनिरपेक्ष महागठबंधन तथा बीजेपी नीत लोजपा-रालोसपा-हम सेक्युलर गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर संजय ने कहा कि ऐसे गठबंधन और महागठबंधन बनते एवं टूटते हैं। वे सत्ता के सौदागर होते हैं और स्वार्थ की बात होती है। किसी ने ‘जंगलराज’ कहा था पर आज उसके साथ हैं। रामविलास पासवान (लोजपा प्रमुख) ने राम मंदिर का विरोध किया और नरेंद्र मोदी जी के खिलाफ (गुजरात दंगा को लेकर) सबसे पहले केंद्रीय मंत्री पद (अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल) से त्यागपत्र देने वाले आज किस गठबंधन में हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन और धर्मनिरपेक्ष महागठबंधन से अलग उनके मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर संजय ने कहा कि हिंदुत्व का विकास, गरीबी के साथ लड़ना तथा यहां के भूमि पुत्रों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करना उनका चुनावी एजेंडा होगा। उन्होंने राजद प्रमुख लालू प्रसाद और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर इशारा करते हुए कहा कि लोग यहां सालों-साल से सत्ता में बैठे हैं, पर यहां लोगों के कुशाग्र होने के बावजूद उन्हें मुंबई साहित देश के अन्य भागों में रोजगार के लिए पलायन करना पड़ता है।
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First Published:
सितम्बर 20, 2015 08:46 PM IST
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