क्या आप जानते हैं भारत में महामारी बन सकती है मोटापे की समस्या?
Reported by Bhasha , Last Updated: सोमवार सितम्बर 14, 2015 03:54 PM IST
नई दिल्ली: क्या आप जानते हैं भारत में मोटापे की समस्या महामारी बन सकती है? भारत में मोटापे की समस्या लगातार बढ़ रही है और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन में कहा गया है कि यह परेशानी महामारी का रूप ले सकती है।
मोटापे की समस्या कुपोषण की समस्या पर हावी
एक महत्वपूर्ण अध्ययन में कहा गया है कि देश की 1.2 अरब की आबादी में से करीब 13 फीसदी लोग मोटापे से पीड़ित हो सकते हैं। यह विडंबना ही है क्योंकि हाल तक देश में कुपोषण एक बड़ी समस्या रहा है। अब ऐसा लगता है कि मोटापा कुपोषण पर हावी होता जा रहा है। विभिन्न अस्पतालों के 16 विशेषज्ञों के एक अनुसंधान दल ने कहा है कि पहले गरीबी की वजह से कुपोषण का संकट छाया रहा और अब मोटापा उसकी जगह लेता जा रहा है।
कई बीमारियों का कारण मोटापा
मोटापा या सामान्य से अधिक वजन होने की समस्या दरकिनार भले ही कर दी जाए लेकिन यह जीवनशैली के कारण होने वाली बीमारियों जैसे शुगर, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ाने वाला एक कारक हो सकती है।
चेन्नई स्थित मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के डॉ. राजेंद्र प्रदीप ने कहा, 'कमर के आकार में वृद्धि उम्र में कमी का संकेत है।' डॉ. प्रदीप अध्ययन के प्रमुख लेखक हैं।
वजन बढ़ने के क्या हैं कारण
अध्ययन में भारत में वजन बढ़ने का मुख्य कारण बढ़ते शहरीकरण, मशीनीकृत परिवहन का उपयोग, फास्ट फूड का सेवन, लंबे समय तक टीवी देखना और ऐसी चीजों का अधिक सेवन है जिनमें पोषक गुण कम होते हैं। आईसीएमआर की महानिदेशक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने बताया कि वर्तमान में भारत में स्वास्थ्य पर असर डालने वाले मुख्य कारक उच्च रक्त चाप और अत्याधिक ब्लड शुगर आदि हैं। संस्थान के अध्ययन द इंडिया डायबिटीज स्टडी (आईएनडीआईएबी) में कहा गया है कि 15.3 करोड़ लोग मोटापे की समस्या से पीड़ित हो सकते हैं और यह संख्या अमेरिका की आबादी की लगभग आधी है।
हर पांचवे भारतीय का वजन अधिक है
इस अध्ययन में कमर के 90 सेमी से अधिक नाप वाले पुरुषों और 80 सेमी से अधिक नाप वाली महिलओं को सामान्य से अधिक वजन वाले बताया गया है। अध्ययन में कहा गया है कि कम से कम 8.8 करोड़ भारतीय मोटापे के शिकार हो सकते हैं और जल्द ही उनका वजन सामान्य से अधिक हो सकता है। इसका मतलब है कि हर पांचवे भारतीय का वजन अधिक है।
इस बीच, द लैन्सेट के नवीनतम अंक में स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बारे में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है, 'कुछ ही भारतीयों को बचपन में कुपोषण या असुरक्षित जलस्रोत की वजह से बीमारियों का खतरा है लेकिन ज्यादातर भारतीयों को उच्च रक्तचाप, अत्याधिक ब्लड शुगर और अधिक कोलेस्ट्रॉल के कारण होने वाली बीमारियों से स्वास्थ्य का खतरा है।' लुधियाना स्थित दयानंद मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के डॉ गौतम अहलूवालिया ने कहा कि यह आसन्न सुनामी की तरह है। उन्होंने कहा कि अध्ययन के अनुसार, 'भारत में 10 फीसदी से भी कम लोग शरीर को सक्रिय रखने वाली गतिविधियां करते हैं और यह जीवनशैली संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं का मुख्य कारण है।
अहलूवालिया ने कहा कि भारत पर दोहरी मार पड़ रही है क्योंकि एक ओर जहां वह संक्रामक बीमारियों से दो चार होता है वहीं दूसरी ओर उसे जीवनशैली संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
विशाल स्तर पर किया गया अध्ययन
अनुसंधानकर्ताओं के 16 सदस्यीय दल ने तमिलनाडु, महाराष्ट्र, झारखंड और चंडीगढ़ में करीब 16,000 लोगों के साथ बातचीत की और अपने काम के पहले चरण के निष्कर्ष भारतीय चिकित्सा अनुसंधान जर्नल (आईजेएमआर) के नवीनतम अंक में प्रकाशित किए। संपूर्ण अध्ययन तीन साल में पूरा हुआ और सर्वे के दायरे में 124,000 लोग आ गए जिससे यह अपने तरह का सबसे बड़ा अध्ययन बन गया। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में किए गए इस अध्ययन में प्रत्याशित तौर पर ग्रामीण आबादी की तुलना में शहरी आबादी में मोटापे की समस्या अधिक पाई गई। रोज के खाने में गेहूं और चावल का अधिक सेवन करने वालों में मोटापे का स्तर अधिक पाया गया जबकि ज्वार का सेवन करने वालों में यह स्तर कम रहा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पृथ्वी पर हर छठा व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पृथ्वी पर हर छठा व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त है और हर साल मोटापे की वजह से करीब 28 लाख लोगों की जान जाती है। आज मोटापा खुद एक बीमारी बनता जा रहा है।
गुड़गांव स्थित पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा- अस्वास्थ्यकर भोजन, धूम्रपान की आदत के साथ चयापचय संबंधी जोखिम जैसे हाई बीपी, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के कारण भारत में हर साल 52 लाख लोगों की असमय मौत हो जाती है। इन खतरों से बचने के लिए जब तक भारत में प्रभावी ऐहतियात की रणनीतियां नहीं अपनाई जाएंगी तब तक यह खतरे बढ़ते रहेंगे।
प्रमुख भारतीय मधुमेह विशेषज्ञ और गुड़गांव स्थित मेदान्ता अस्पताल में एंडोक्राइनोलॉजी एवं डायबिटीज विभाग के प्रमुख डॉ अंबरीश मित्तल ने कहा, 'भारत में सबसे बड़ी समस्या बच्चों में मोटापे की है। संपन्नता और शहरीकरण से जुड़े मोटापे की समस्या के कारण मधुमेह, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारी जैसी गैर संचारी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। युवाओं में बढ़ती मधुमेह की समस्या की जड़ भी मोटापे की बढ़ती समस्या से जुड़ी है। चुनौती बहुत बड़ी है और इससे निपटने के लिए हमें खानपान, अभ्यास और खासतौर पर बच्चों के लिए स्कूलों और कार्य स्थलों में स्वास्थ्यकर आहार विकल्प के बारे में जागरूकता की जरूरत है।'
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First Published:
सितम्बर 14, 2015 03:38 PM IST
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